हम और हमारा भोजन
तीन छुट्टियां क्या आई घर परिवार में रौनक सी आ गई. मेरी एक सहेली भी बहुत व्यस्त है कल से पकवान बनाने में. एक तो श्राद और दूसरा उसका बेटा आ रहा था दो दिन के लिए. आलू, गोभी, पूरी हलवा, पाव भाजी, छोले भठूरे, खीर, दही भल्ले क्या क्या नही बनाया उसने !!! पर उसकी खुशियों पर तब पानी फिर गया जब बेटे के कहा कि वो ये कुछ भी नही खाएगा.
असल में, दो साल से बाहर रह रहा है और लाईफ स्टाईल बिल्कुल बदल गया है. अब तली भुनी चीजो की बजाय हैल्दी फूड और जिम पर पूरा ध्यान केंद्रित है उसका.
वैसे देखा जाए तो समय वाकई बदल गया है. एक समय था जब खीर पूरी हलवा रसोईघर की शान होती थी पर आज मेरी जानकारी में जितने घर हैं ज्यादातर घरों में आयुर्वेदिक सामान जैसे आवलां जूस, एलोवीरा जूस, त्रिफला पाउडर, इसबगोल, ओटस, ब्रेन, वाईट ओट, मूसली, ब्राउन राइस, ब्राउन ब्रेड, होल ग्रेन और ढेरों फल ही देखने को मिलती हैं और ये अच्छा भी है आखिर बुराई क्या है इसमें … !!!
सेहत की सेहत और नो साईड इफेक्ट !! मैं लिख ही रही थी कि अचानक मणि आई और मेरे पीछे खडी हो गई वो मेरे लिए मूंग की दाल का हलवा लाई थी.. अरे!! अब लग रहा है वाकई अपवाद भी हैं इस क्षेत्र में … कुछ लोग ऐसे हैं जो कंट्रोल ही नही कर पाते और मैं खाने मे जुट गई.
हम और हमारा भोजन