अधिनायक जय है
बचपन से पढते और सुनते आ रहे हैं कि कुछ लोग इतिहास बदल देते हैं … By God इस का जीता जागता उदाहरण भी मिल गया … हमारे नेता और कुछ कर पाए या न कर पाए पर देश का इतिहास जरुर बदलने पर आमादा है
अरे !! हमारे नेता के सिवा है किसी मे इतनी जुर्र्त? नेता और कुछ कर पाए या न कर पाए पर देश का इतिहास जरुर बदलने पर आमादा है चाहे अकबर की बात हो, महाराणा प्रताप की बात हो या फिर हमारे राष्ट्रीय गान जन ग़ण मन … अधिनायक की बात हो… आईए बदलते इतिहास के हम भी साक्षी बनें … भूले व्यापम व्यूपम और बदले इतिहास…… जय जय जय जय हे
Adhinayak Word Should Be removed From National Anthem 12567358
जयपुर। राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने कहा कि राष्ट्रगान से ‘अधिनायक’ शब्द हटाना चाहिए, इसके बदले ‘मंगल’ शब्द का इस्तेमाल होना चाहिए। अधिनायक शब्द आजादी से पहले के अंग्रेजी शासकों का महिमा मंडन करता है।
राजस्थान विश्वविद्यालय के 26वें दीक्षांत समारोह में कल्याण सिंह ने कहा -‘जन-गण-मन अधिनायक जय है.. लेकिन अधिनायक कौन है? ये अंग्रेजी शासक की प्रशंसा है। अब हमे इसकी जगह जन-गण-मन मंगल गाए.. लिखना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रगान में संशोधन करने का मतलब यह नहीं है कि वह इसके रचयिता रविंद्र नाथ टैगोर का सम्मान नहीं करते हैं।
अकबर नहीं महाराणा प्रताप महान
राज्यपाल कल्याण सिंह ने इसके पहले महाराणा प्रताप को मुगल शासक अकबर से ज्यादा महान बताया था और अकबर की बजाय महाराणा प्रताप नाम से पहले ‘महान’ शब्द लगाने की बात कही थी। ऐसे ही वे झांसी की रानी को विक्टोरिया से अधिक महान और मराठा शासक शिवाजी को औरंगजेब से महान बता चुके हैं। Via jagran.com
BBC
राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने भारत के राष्ट्र गान ‘जन गण मन’ पर सवाल उठाकर एक नई बहस को हवा दे दी है.
कल्याण सिंह ने हाल में राजस्थान विश्वविद्यालय के 26वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए पूछा था कि ‘जन गण मन अधिनायक जय हो’ में अधिनायक किसके लिए है.
उन्होंने कहा था कि यह ब्रिटिश समय के अंग्रेज़ी शासक का गुणगान है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रगान में संशोधन होना चाहिए.
अब जरा, एक नज़र इस गाने के इतिहास पर भी डाल लेते हैं.
यही वह गाना था जिसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद फ़ौज के लड़ाकों ने राष्ट्रगान के तौर पर अपनाया था.
स्वतंत्रता से पहले 1937 में प्रांतों में पहली चुनी हुई सरकारों ने भी इसे अपनाया. स्वतंत्र भारत के गणराज्य ने काफी चिंतन-मनन के बाद इसे 1950 में अपनाया.
यह गाना पहली बार 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन के दूसरे दिन का काम शुरू होने से पहले गाया गया था.
‘अमृत बाज़ार पत्रिका’ में यह बात साफ़ तरीके से अगले दिन छापी गई. पत्रिका में कहा गया कि कांग्रेसी जलसे में दिन की शुरुआत गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर द्वारा रचित एक प्रार्थना से की गई.
यही वह साल था जब अंग्रेज सम्राट जॉर्ज पंचम अपनी पत्नी के साथ भारत के दौरे पर आए हुए थे. तत्कालीन वायसराय लॉर्ड हार्डिंग्स के कहने पर जॉर्ज पंचम ने बंगाल के विभाजन को निरस्त कर दिया था और उड़ीसा को एक अलग राज्य का दर्जा दे दिया था.
इसके लिए कांग्रेस के जलसे में जॉर्ज की प्रशंसा भी की गई और उन्हें धन्यवाद भी दिया गया.
‘जन गण मन’ के बाद जॉर्ज पंचम की प्रशंसा में भी एक गाना गाया था. यह दूसरा गाना रामभुज चौधरी द्वारा रचा गया था, सम्राट के आगमन के लिए. Read more…