भ्रष्टाचार
ईमानदारी गई तेल लेने …
अभी कुछ देर पहले एक परिचित मिले. तनाव में लग रहे थे पूछ्ने पर बताया कि बुरा हाल है इन सरकारी विभागों का. मैनॆ भी हां मे हां मिलाई और कारण पूछा तो उन्होने बताया कुछ काम था विभाग में चाहता था कि तुरंत हो जाए इसलिए आफिसर को कहा कि कुछ ले देकर जल्दी करवा दो तो वो भडक गए बोले कि तरीके से ही चलेगा काम. रिश्वत देकर आप ही लोग तंत्र को बिगाड रहे हैं.
वो बताए जा रहे थे कि हुह, बडा आया सत्यवादी हरीश चंद्र … !!! बुरा हाल है कहते हुए गर्दन झटकते हुए आगे चले गए .अरे !! मैने सोचा कि अगर ऐसा बुरा हाल है बुरा हाल ही अच्छा!! वैसे मुझे भी एक किस्सा याद आया कि एक बहुत पैसे वाले व्यवसायी ने अपनी बेटी की शादी सरकारी कलर्क से महज इसलिए की कि खाता पीता तो होगा ही पर दो महीने बाद लडकी घर आकर बैठ गई और अपने पति की ईमानदारी का रोना रोती रही….
तो ऐसे मामले मे जरा नही बहुत सोचने की दरकार है है ना
भ्रष्टाचार के बारे में आपकी क्या राय है …
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