सोशल नेटवर्किंग साईटस- हमारे कमेंटस और प्रभाव
कुछ सोच रही थी कि क्या लिखूं तभी नजर गई फेसबुक की एक पोस्ट पर असल में, किसी ने अपनी माता जी के इंतकाल की खबर लिखी थी मेरे देखते ही देखते अचानक दो तीन लाईक आ गए और एक कमेंट. हैरानी इस बात की हुई कि कमेंट में बजाय दुख जताने के किसी ने अपना विज्ञापन डाला हुआ था आईए और पाईए फ्री आफर. बहुत दुख हुआ. मुझे याद है कुछ समय पहले मैं किसी की पोस्ट पढ रही थी उस पर ढेर सारे कमेंट थे जिज्ञासावश मैने कमेंट पढे तो हैरानी इस बात की हुई कि कमेंट का पोस्ट से कोई लेना ही नही था दो लोग आपस में ही बतिया रहे थे जैसे मानो वो उनका ही चैट रुम हो इस पर पोस्ट वाले ने आपति भी की कि आप यहां बात मत करे अपनी wall या मैसेज पर बात करें पर उन्हें कोई असर नही हुआ और हार कर उसने अपनी पोस्ट ही डिलीट कर दी. कई लोग पोस्ट पर मात्र स्माईल बना कर अपने होने का अहसास करवा देते हैं तो कई सिर्फ गुड मार्निंग या गुड नाईट लिख कर लाईक की इंतजार करते हैं तो कोई पोस्ट पर बाल की खाल निकालने मे ही लगे रहतें हैं और इस फिराक में रहते हैं कि भडकाया जाए.वही कम से कम शब्दों में अपशब्दों का कैसे प्रयोग हो टवीटर से बेहतर कोई नही बता सकता.
और और और नेट की दुनिया में अक्सर पाठक अद्र्श्य भी होते हैं पढेंगें सारा पर महसूस ऐसा करवाएगें … अच्छा आपने लिखा था हमने तो पढा नही … वो क्या है ना टाईम ही कहा है पढने का बहुत बिजी लाईफ है …
वैसे देखा जाए तो पोस्ट पर लिखे कमेंट भी जिंदगी पर बहुत असर डालते हैं. कोई अपनी लिखी पोस्ट पर कमेंटस मिलने पर बेहद उत्साही बन जाता है या फिर मनोबल गिर भी सकता है वही स्टीक कमेंटस जिंदगी पर बहुत गहरा असर डालते हैं और कई बार तो किसी के लिखे कमेंट से कुछ आईडिया ही मिल जाता है.. कुल मिलाकर हमें सार्थक पोस्ट पर स्टीक कमेंट करते रहना चाहिए. जिससे ना सिर्फ खुद का ज्ञान बढता है बल्कि विचारों के आदान प्रदान से बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है.
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