महिलाओं का खुले में शौच जाना बेहद शर्मनाक
आज हम बात करते हैं खुले में शौच, महिलाएं और स्वच्छता अभियान की . स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 हो या जन आंदोलन के रुप में चला स्वच्छता अभियान. महिलाओ को इसकी महत्ता समझ कर बढ चढ कर आगे आना ही होगा. अपनी और अपने गांव की स्वच्छता की ,कामयाबी की कहानी बनानी होगी.
खुल्ले में शौच से अकसर होते हैं रेप
खुले में शौच, महिलाएं और स्वच्छता अभियान की बारत करें तो अनायास ही रेप जैसी धिनौनी धटना सामने आती है आज अचानक एक खबर ने फिर चौंका दिया. बदायूं बरेली के गांव की रहने वाली तीन लड़कियों जोकि चचेरी बहनें थी और जिनकी उम्र 13, 14 और 15 साल थी। शौच के लिए निकली थी मृत पाई गई. मृत 14 साल की बच्ची के पिता रोते हुए कहते हैं कि उनकी बेटी अगर शौचालय के लिए बाहर नहीं गई होती, तो आज जिंदा होती।
ये पहली घटना नही है अगर हम गूगल सर्च करेंगें तो ऐसी न जाने कितनी धटनाएं हमारे सामने होंगी … जोकि बेहद दुखद है… !!
ये खबर देख ही रही थी दूसरी ओर मोदी जी की मन की बात कार्यक्रम चल रहा था. वो इस बात पर जोर दे रहे थे कि शौचालय बनवाने चाहिए…
वाकई में, कुछ चीजे बहुत जरुरी हैं जिसमें शौचालय बनवाना तो बहुत ही जरुरी है क्योकि महिला की इज्जत और मान सम्मान से जुडा है ये मामला… एक तरफ पर्दा करना और दूसरी तरफ वो ही महिला खुले में शौच जाए कितने शर्म की बात है..
खुले में शौच करना स्वास्थ्य के लिए जितना हानिकारक है उतना ही महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा के लिए भी खतरा है. महिलाएं खुले में शौच करती हैं. अकेले जाने से डरती हैं, समूह में जाती हैं क्योंकि अकेले जाने से उनपर यौन हिंसा होने का डर हमेशा बना रहता है. देखा गया है कि गांवों और झुग्गियों में महिलाओं से बलात्कार की अधिकतर घटनाएं शौच को जाते समय ही होती हैं.खास कर मासिक धर्म के दौरान किन दिक्कतों का सामना करना पडता होगा जिसका अंदाजा हम और आप नही लगा सकते… लड़कियों के बड़े होते ही वो स्कूल जाना कम कर देती हैं क्योंकि स्कूलों में शौचालय नहीं हैं, अगर हैं भी तो वो स्वच्छता की दृष्टि से जाने लायक नहीं हैं.
गांवों की लड़कियां स्कूल जाने से वंचित रह जाती हैं इसका सबसे बड़ा कारण शौचालय ही हैं. बेशक जागरुकता आ रही है पर जितनी तेजी से आनी चाहिए वो नदारद है.
स्वच्छता के साथ साथ बीमारी से भी जोड कर देखा जाना जरुरी है. इससे होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं भी काफी गंभीर हैं. एक सर्वे के मुताबिक हमारे देश के पांच साल से कम उम्र के 140,000 से भी ज्यादा बच्चे हर साल डायरिया की भेंट चढ़ जाते हैं. बच्चे जीवाणु संक्रमण और परजीवियों के संपर्क में आते हैं जिससे उनकी छोटी आंत को नुकसान पहुंचता है. वृद्धि और विकास के लिए जरूरी पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता रुक जाती है. फिर बच्चे चाहे जितना भी खाना खाएं, उन्हें पोषण नहीं मिलता.
प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान को 2 अक्टूबर 2014 को शुरू किए गया था और इस अभियान का मिशन 2 अक्टूबर 2019 तक खुले में शौच करने से भारत को मुक्त करना है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ़ के आंकड़ों के मुताबिक़ गांवों में स्थिति और भी ख़राब है. ग्रामीण इलाक़ों में 65 फ़ीसदी लोग खुले में शौच करते हैं. इनमें शामिल महिलाओं को हिंसा और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, क्योंकि वो शौच के लिए बेहद सुबह या फिर देर रात निकलती हैं. जब सन्नाटा होता है. कई अध्ययन यह ही बताते हैं कि शौचालय के अभाव में खुले में शौच के लिए निकलने वाली महिलाएं यौन हिंसा की ज़्यादा शिकार बनती हैं.
कुछ साल पहले जब हरियाणा के जिला सिरसा में सरकार की तरफ से सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान का कार्यक्र्म चला तो मैं भी रिकार्डिंग के लिए जाती थी .. अक्सर वहां महिलाओ से बातचीत होती थी तो जहां तक बच्चियों की बात है वो यही कहती थी कि वो अपनी मम्मी के साथ जाती है बाहर और कुछ कहती कि दिन छुपने का इंतजार करना पडता कुछ कहती कि यही भाग्य है … तो क्या हुआ पर जब प्रशासन की तरफ से महिलाओ को जागृत किया गया उन्हें बाहर शौच जाने से होने वाली बीमारी और शर्म का अहसास करवाया गया तो मानो उन्हें नई जिंदगी ही मिल गई… उन्होने ना सिर्फ घर पर शौचालय बनवा लिए बल्कि अन्य ladies को भी बाहर न जाने और घर मे शौच toilets बनवाने के लिए प्रेरित किया और इस काम में आगे आईं युवा लडकियां, school students …
देखते ही देखते पूरा गांव एक परिवार बन गया और जुट गया स्वच्छता लाने में
महिलाए आज घर बने शौचालय इस्तेमाल करके इज्जत की जिंदगी जी रही हैं और बहुत खुश है … !!
स्वच्छता अभियान और मेरे मन की बात – Monica Gupta
क्लिक करिए और सुनिए स्वच्छता अभियान पर 4 मिनट और 35 सैकिंड की ऑडियो… मेरा अनुभव बात स्वच्छता अभियान के दौरान की है.
क्लिक करिए और सुनिए स्वच्छता अभियान पर 4 मिनट और 35 सैकिंड की ऑडियो… मेरा अनुभव स्वच्छता अभियान और मेरे मन की बात बात स्वच्छता अभियान के दौरान की है. जब गांव गांव जाकर लोगों को जागरुक किया जा रहा था.लोगो को समझाया जा रहा था कि खुले मे शौच नही जाओ आसान नही था क्योकि सदियों से चली आ रही मानसिकता बदलना मुश्किल था. Read more…
अगर आपके पास भी कोई अनुभव हो तो जरुर बताईएगा !!!
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