आम बजट- राहत या आहत
कश्ती चलाने वालो ने जब हार के दी पतवार हमें … लहर लहर तूफान मिले … और मौज मौज मझधार हमें … फिर भी दिखाया है हमने और फिर ये दिखा देंगें सबको …कि इन हालात में आता है दरिया करना पार हमें …
बजट 2016 आ गया है इससे अलग अलग वर्गों में अलग अलग भावनाएं उफन कर आ रही हैं … कोई निराश है क्योकि टैक्स में छूट नही है… कोई रो रहा है क्योकि सर्विस टेक्स पर आधा फीसदी सेस है…. कोई बहस करने मे ही लगा है तो कोई कंज्यूमर मुस्कुरा रहा है…. कोई राहत की सांस ले रहा है क्योकि डायलिसिस आसान होगा… कोई हिसाब किताब मे लगा है तो कोई जोड तोड में …
महिलाए भी ब्यूटी पार्लर मंहगा होने से काफी आहत हैं कुल मिला कर यह कहा जाए कि बजट गांव और गरीब तक ही केंद्रित होकर रह गया तो गलत नही होगा …
IBN Khabar
नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली इस समय मोदी सरकार का दूसरा आम बजट पेश कर दिया हैं। जेटली के इस बजट प अलग अलग आर्थिक विशेषज्ञों ने अलग अलग राय दी है। इस मौके पर आईबीएनखबर के संवाददाता ने बात की कुछ आर्थिक एक्सपर्ट से, आइए जानने की कोशिश करते हैं क्या कहा एक्सपर्ट ने
शहरों में किए गए ऐलान तो पूरे हो नहीं पाते, मुझे नहीं लगता कि गांवों में इतनी आसानी से काम हो पाएगा। नीरज ने मनरेगा के लिए सरकार द्वारा 38500 करोड़ रुपए के ऐलान पर कहा कि ये गरीबों के लिए अच्छा होगा, लेकिन ये बात काफी अहम है कि जिसके मनरेगा की सरकार इतनी बुराई करती थी, उसके लिए इतने बड़े बजट का ऐलान किया गया है। read more at ibnlive.com
कब तक आएगें अच्छे दिन अब इसी इंतजार में …
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