Monica Gupta

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June 17, 2015 By Monica Gupta

एक पत्र चोर के नाम

एक पत्र चोर के नाम

बाल साहित्य लेखन बच्चे की तरह  बहुत  मासूम होता है और इसे लिखते वक्त बाल मन मे उठने वाली सभी भावनाओ को पिरोना होता है… बाल साहित्य लिखना किसी चैलेंज़ से कम नही…

बच्चे का पैगाम, चोर के नाम

समझ नहीं आ रहा कि तुम्हें किस नाम से सम्बोधन करूँ प्रिय, तो तुम हो ही नहीं सकते क्योंकि तुमनें घर में मेरे मम्मी-पापा और बूढ़े दादा-दादी को बहुत रूलाया है। अन्य कोर्इ आपत्त्तिजनक सम्बोधन मैं कर नहीं सकता क्योंकि मेरे परिवार से मुझे ऐसे संस्कार ही नहीं मिले। लेकिन एक बात तो तय है कि तुम बुरे हो…………बहुत बुरे हो।

child photo

कल ही की तो बात है सुबह से हम कितने खुश थे। मुझे पता लगा था कि हमारे घर नन्हा-मुन्हा मेहमान आने वाला है। मम्मी भी कितनी प्यारी लग रही थी, भगवान जी के सामने हाथ जोड़कर वह कितनी देर तक लक्ष्मी माँ को निहार रही थी और सुबह से ना जाने कितनी बार मेरा माथा चूम रही थी।

शाम को मैंने ही जिदद की थी कि हम होटल में खाना खाने जाऐंगे, मम्मी का भी चटपटी चीज खाने को मन था। अत: पापा भी दफ्तर से जल्दी छुटटी लेकर आ गए थे। वह सरकारी नौकरी में हैं, पहले मेरे दादू भी सरकारी नौकरी में थे पर रिटायर होने के पश्चात वह गाँव में रहने लगे। मम्मी की खुशखबरी सुनकर वह और दादी भी बधार्इ देने आए थे।

अगले महीने मेरे चाचा की शादी होनी थी तो खूब खरीददारी भी चल रही थी। मैंने घोड़ी पर चाचा के साथ बैठना था इसलिए मेरी अचकन, पगड़ी और बहुत बड़ा मोतियों का हार लाए थे। मम्मी ने सब सम्भाल कर अपनी अलमारी में रखा हुआ था। माँ ने भी अपने पसन्द की सुन्दर साडि़यां खरीदी थी और पापा ने भी ढ़ेर सारी खरीददारी की थी।
चोर, तुम तो जानते ही हो, र्इमानदारी से सरकारी नौकरी करने वाले की आय क्या होती है। वैसे, मेरे पापा ने हमें किसी भी चीज़ की कभी तंगी नहीं होने दी। वह सिर ऊँचा करके चलते और कभी भी गलत बात सहन नही करते थे। अच्छा तो मैं बता रहा था कि शाम को होटल से खाना खाकर जब हम निकले तो सोचा अगर सिनेमा के टिकट मिल जाते हैं तो शो ही देख लेंगे। भाग्यवश कहो या दुर्भाग्य वश टिकट मिल गए और हम रात को बारह बजे घर पहुंचे।
पापा को घर पहुंचते ही कुछ गड़बड़ लगी। पापा लार्इट जला कर जेब से चाबी निकाल ही रहे थे कि दरवाजे का ताला टूटा पड़ा था। पापा स्वयं को संयत करके दादू का हाथ पकड़ कर घर के अन्दर दाखिल हुए तो घर खाली-खाली सा नजर आ रहा था। टी.वी., टेप-रिकार्डर  और दीवार घड़ी कहीं नजर नहीं आ रहे थे।
पूरे घर को इस तरह से उलट-पुलट कर रखा था मानों अभी-अभी भूचाल आया हो। मम्मी की अलमारी से सारे कपड़े जमीन पर बिखरे पड़े थे और उसमे रखा नकदी और जेवर सब गायब था। वैसे मुझे पता नहीं मम्मी के पास क्या-क्या था पर इतना पता है कि मम्मी एकदम सन्न होकर पलंग पर गिर पड़ी थी और पापा ने मुझे पानी लाने के लिए दौड़ाया।
रसोर्इघर के पास ही हमारा छोटा सा मंदिर है उस लक्ष्मी गणेशजी के मंदिर में रखा सारा चढ़ावा भी ले गए और हनुमान जी की गुल्लक को जमीन पर फैंक कर उसे तोड़ कर उनकी रोजगारी भी ले गए। मुझे परसों ही कक्षा में प्रथम आने पर सोने का तमगा (गोल्ड़ मैड़ल) मिला था जोकि मैंने गणेश जी की मूर्ति गिरा कर ले गए।
हर कमरे का ताला टूटा हुआ था। कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। पडोसी भी सब घर पर इकटठा हो रहे थे। सदा मुस्कुराने वाली मेरी मम्मी को देख कर मेरी आँखों से आँसू बहे ही जा रहे थे। मम्मी की नर्इ साडि़यां, मेरी शादी के लिए तैयार की गर्इ अचकन भी ले गए। हमारे ही घर का सामान, हमारी ही अटैची और बैग में भर-भर कर ले गए।
पता नहीं, तुम कितने लोग आए थे और क्यों आए थे। आखिर हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था। मुझे पता है कि पापा ने किस तरह रूपया-रूपया जोड़कर छोटा सा रंगीन  टेलिविज़न खरीदा था और मेरी मम्मी कालोनी के बच्चों को घर पर पढ़ाती ताकि मैं सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ संकू।
लेकिन आज मैं बहुत उदास बेबस और मायूस महसूस कर रहा हूँ

और चोर, तुमको पत्र लिख रहा हूँ। पापा मेरे आँसू पोंछते हैं लेकिन खुद के दस-दस आंसू टपक जाते हैं, मुझे हिम्मत देते हैं और खुद………… कमजोर पड़ जाते हैं। अचानक मम्मी को रात ही को अस्पताल ले जाना पड़ा मुझे नहीं पता क्या बात है पर दादी ने बताया कि अचानक उनकी तबियत खराब हो गई अब वह कल वापिस घर आऐंगी। मुझे ज्यादा समझ तो नही पर इतना जरुर कह सकता हूं कि कोई न कोई बात मुझसे जरुर चिइपाई जा रही थी क्योकि अस्पताल से आने के बाद सभी दबी आवाज में कुछ बातें कर रहे थे.
घर में पुलिस भी आर्इ। उन्होंने हमारे बयान  भी लिखे पर सामान कब मिलेगा और मिलेगा या नहीं इसका किसी को नहीं पता। पर इतना पता है आज खुशी हमारे घर से दो सौ मील दूर भाग गर्इ हैं। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि वह समय के साथ सब ठीक कर देगा और मेरी मम्मी भी अस्पताल से जल्दी ही वापिस आ जाएगी।
चोर, अगर जाने-अनजाने तुम मेरा यह लेख पढ़ रहे हो तो मैं तुम्हारे सामने आँसू भरी आँखें और हाथ जोड़ कर विनती करता हूँ कि प्लीज़, चोरी करना छोड़ दो। इस महंगार्इ के समय में हर आदमी तिनका-तिनका जोड़ कर अपना आशियाना बनाता है तुम उसे एक झटके में मत ले जाओ…….. मत ले जाओ…….. मत ले जाओ……..

एक बच्चे का चोर के नाम पैगाम आपको कैसा लगा ??? जरुर बताईएगा !!!

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