ऐसे ही हैं हम ….भ्रष्टाचार, महंगाई, खराब सडके, लच्चर नियम और इन सब मे ऊंचे चिल्लाते लाऊडस्पीकर कि… आ गया, आ गया आपका भाई… बेटा.. हमे वोट दीजिए और आपके शहर की काया पलट जाएगी. मैने निश्चय कर लिया था कि आने दो घर पर वोट मांगने… मैं भी देखती हूं…. !!! तभी बाहर शोर की आवाज तेज हो गई. बाहर मीठी मुस्कान लिए हाथ जोडे उम्मीदवार खडे हुए थे. मैने नमस्कार का जवाब दिया और तुनक कर बोली कि क्या सोच कर वोट मांगने आए हो. क्यू और किसलिए वोट दें आपको. हालात देखें हैं क्या आपने? मेरा वोट नोटा को जाएगा. कोई किसी लायक नही है. बस अपना मतलब निकालने मे लगे हुए आम जनता को बुदू बना रहे हैं और वो बन रही है.
वहां एकदम सन्नाटा छा गया. मैने धाड से दरवाजा बंद किया और भीतर आ गई. तभी बहुत जोर से डोर बेल हुई. मैं अचानक चौक कर उठी. अरे ये सब सपना था. झांक कर बाहर देखा तो पार्टी के उम्मीदवार हाथ जोडे मोहक मुस्कान लिए खडे थे. मैं तुरंत उठी और बाहर आई. उनका अभिवादन स्वीकार किया और मुस्कुराते हुए कहा आप चिंता न करें . अजी… हमारा वोट आपके लिए ही है. आईए चाय पीकर जाईए. उनके मना करने पर मैं बोली हमारे लायक कोई काम हो तो जरुर बताईगा और उनकी पार्टी का स्टीकर बहुत खुशी से अपने घर के आगे चिपकवा दिया और दो तीन लेकर भी रख लिए ताकि मैं भी पार्टी मे योगदान दे सकूं स्टीकरों को बांट सकूं… जागो मतदाता जागो !!!
( ऐसे ही है हम तभी देश भी ऐसे ही चल रहा है)