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May 3, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

करियर विकल्प , बच्चे और अपेक्षा के बोझ तले युवा

करियर विकल्प , बच्चे और अपेक्षा के बोझ तले युवा

कुछ देर पहले सडक पर एक पिता शायद अपने छोटे से बच्चे को स्कूल छोडने जा रहे थे.बच्चा स्कूल नही जाना चाह रहा रहा था इसलिए रो रहा था और उसके पिता भी उसे गुस्से मे बोल रहे थे कि स्कूल नही जाएगा तो जमादार बन जाएगा सडक पर झाडूं लगाएगा कहते कहते और जोरदार चांटे जड दिए. अब सोचने की बात यह है कि बच्चा रो किसलिए रहा है यह वजह पता लगाने की कोशिश करके हल निकालना चाहिए. ये मारपीट कोई हल नही है.

 

आज अचानक एक खबर ने चौक दिया जिसमें एक लडकी ने छ्त से कूद कर आत्महत्या इसलिए कर ली कि IIT-JEE pass करने के बाद भी वो इंजीनियर नही बनना चाह्ती थी. उसने अपने सोसाईड नोट मे लिखा कि उसकी मम्मी ने उसे साईंस दिलवा दी थी .. जबकि उसका कोई interest नही था उसमे… !!

17 year old Girl commit suicide after cracking JEE, didn’t want to be an engineer – Navbharat Times

17 year old Girl commit suicide after cracking JEE, didn’t want to be an engineer – Navbharat Times

 

कोटा जहां ज्यादातर बच्चे शिक्षा के लिए जाते हैं एक खबर के अनुसार वहां ये पाचंवी खुदकुशी है…

कई पेरेंटस तो कालिज मे आने के बाद वो विषय दिलवाते हैं जिसकी बच्चे मे कोई रुचि नही होती. फिर वजह बनती है बच्चो मे टेंशन की और बच्चा पढाई मे पिछडता चला जाता है या फिर कोई गलत रास्ता( नशा या खुदकुशी आदि) रास्ता चुन लेता है.

 

इसी बीच एक अन्य खबर राहत लेकर आई जिसमे कोटा के डीसी ने माता पिता को चिठ्ठी लिख कर मार्मिक अपील की है कि वो बच्चे पर अपनी इच्छाओं का बोझ न डालें .डीसी कोटा श्री रवि कुमार ने पांच पेज का पत्र लिखा है

Kota DC writes To Parents, Do not burden your children – Navbharat Times

कुमार ने लिखा है, ‘कोटा शहर के DC होने के नाते मैं यहां पढ़ने आए आपके बच्चों का स्वागत करता हूं। यह मेरा सौभाग्य है कि मैं देश के युवा हुजूम का स्वागत करता हूं। यहां पढ़ने आए बच्चे भविष्य में सफल होकर आधुनिक भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभाते हैं।’ सुरपुर ने पत्र में अभिभावकों से परिपक्व व्यवहार करने की अपील की। पत्र में सुरपुर ने युवा छात्रों की खुदकुशी की घटनाओं का हवाला देते हुए लिखा कि खुदकुशी करने वाले बच्चों के माता पिता की उनसे बड़ी उम्मीदें थीं। अपेक्षाओं के बोझ तले बनावटी दुविधा में जीने के बजाय उन्होंने मौत को गले लगाना आसान समझा। यह बहुत तकलीफदेह है। उन्होंने लिखा, ‘बच्चों को बेहतर प्रदर्शन के लिए डराने धमकाने या फिर अपेक्षाओं का बोझ लादने की जगह आपके सांत्वना के बोल जरूरी हैं। नतीजों को भूलकर बेहतर करने के लिए प्रेरित करना, मासूम कीमती जानें बचा सकता है।’ DC ने पूछा, ‘क्या माता पिता को बच्चों की तरह अपरिपक्वता दिखानी चाहिए? Kota DC writes To Parents, Do not burden your children – Navbharat Times

 

कुल मिलाकर आज के बच्चो के मन को देखते हुए माता पिता की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. उन्हें बच्चो को बहुत प्यार से हैंडल करने की जरुरत है अन्यथा .

करियर विकल्प , बच्चे और अपेक्षा के बोझ तले युवा के बारे में आपकी क्या राय और सोच है जरुर बताईएगा …

 

 

youth reading photo

Photo by Enokson

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