कितने दूर कितने पास
किससे दूर किसके पास …
मैं नेट पर काम कर रही थी कि अचानक गेट पर धंटी बजी. ओफ !! कौन होगा !! असल में, वो क्या है ना कि कई बार कुछ शरारती बच्चे ऐसे ही घंटी बजा कर भाग जाते हैं तो सोचा शायद वही हों पर एक ही मिनट में दुबारा घंटी बजने पर मैं समझ गई कि बाहर जरुर कोई है.बाहर गई तो एक महिला खडी थी. मेरे पूछ्ने पर उस महिला ने इशारा करके बताया कि वो हमारे घर के पीछे ही रहते हैं उनका नया घर बन रहा है इसलिए वो POP देखने आई है क्योकि आपका घर नया बना है ना … मैने उसे कभी नही देखा था इसलिए मैं उसे भीतर लाने में इच्छुक नही थी इसलिए गेट पर ही खडे खडे बोला कि हमने बिल्कुल साधारण सा पीओपी करवाया है पर जब उसने हमारे अडोस पडोस में रहने वालो के बारे में बताया कि वो उन्हें जानती है तो ना चाह्ते हुए भी मैं एक घर के साथ भीतर ले आई. उसने दो चार मिनट लगाए एक दो कमरे देखे और कुछ ही पल में हम बाहर आ गए.
मुझे महसूस तो हुआ पर मैने उससे चाय पानी का भी नही पूछा. असल में, आज के माहौल को देखते हुए एक डर सा रहता है कि पता नही कौन है कितनी सही है वगैरहा वगैरहा… !! जाते जाते मैनें उसे जता भी दिया कि क्षमा करें मैने आपको पहले कभी देखा भी नही और आज का समय ठीक नही है इसलिए.. इस पर वो बोली कि वो समझती है और थैक्स कह कर चली गई.
कुछ देर नेट पर काम करने का मन ही नही किया. सोच रही थी कि हम कितना बदल गए हैं कभी हम भारतीयों की पहचान यही होती थी कि घर आए मेहमान का स्वागत करते थे बेशक गांव में ये परम्परा आज भी है पर छोटे शहरों में किसी अनजाने भय से गुमनाम सी होती जा रही है और मैंट्रो में तो यह खत्म ही हो गई है. तभी देखा कि फेसबुक पर दो तीन मैसेज आए हुए हैं जिन्हें मैं जानती तक नही. मैं सोच रही थी कि फेसबुक या अन्य सोशल नेट वर्किंग साईटस पर हम कितना जानते हैं लोगो को पर उन अनजाने लोगो को जवाब देने में जरा भी देर नही लगाते … चाहे मित्रता स्वीकार करनी हो या मैसज करना हो पर जो हमारे घर के नजदीक रहते हैं उन्हें हम जानते तक नही….
कितने दूर कितने पास