कैसे कैसे अविभावक
आज दोपहर कुछ बच्चे स्कूल से वापिस आ रहे थे. मौसम खराब था. रेड लाईट होने पर कुछ वाहन रुके. मेरे साथ एक स्कूटी भी रुकी जिसे शायद एक मम्मी चला रही थी और बच्चा पीछे बैठा था. फ्रूटी पीते पीते वो बता रहा था कि आज क्लास मे बहुत नकल चली . मम्मी ने पूछा तूने तो की नही होगी एक ही सत्यवादी हरिशचंद्र पैदा हुआ है हमारे खानदान मे.
बच्चे का क्या जवाब था ये तो पता नही क्योकि हरी लाईट हो गई थी पर चंद मिनट की यह बात बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर गई. मम्मी को बजाय कटाक्ष के उसकी प्रशंसा करनी चाहिए थी ताकि उसका मनोबल और मजबूत होता पर अफसोस जब पेरेंटस ही ऐसी बाते बोलेगें तो …. ????
इसी बात को अगर दूसरे तरीके से कहा जाता तो अलग ही असर होता … आज जिस तरह से हमारी शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है ये बात पेरेंटस को बहुत सोचने की है ….