पतंग बनी तीर कमान
(बच्चों की कहानी)
पतंग का मौसम वैसे तो उड़न छू हो गया था पर नन्हे गोलू को पतंगों का इतना शौक था कि उसने पतंग सम्भाल कर रखी हुर्इ थी। वह सोच रहा था किसी दिन जब तेज हवा चलेगी तब वो पतंग उड़ाऐगा। एक दिन शाम को जब मौसम सुहावना हुआ। बादलों के साथ-साथ हवा भी खूब तेज चलने लगी तब गोलू अपनी पतंग लेकर छत पर जा पहुँचा। वहाँ अचानक ड़ोर उसके पाँव में उलझ गर्इ और पतंग दो जगह से फट गर्इ। गोलू उदास होकर बैठ गया कि अब क्या करे किससे खेलें।
वो चुपचाप बैठ कर पतंग को उल्ट-पुल्ट कर देखने लगा तभी उसके मन में एक विचार आया। उसने बड़ी सफार्इ से पतंग का कागज फाड़ ड़ाला। अब उसमें रह गर्इ दो सीखनुमा ड़ण्ड़ी । एक थोड़ी गोलार्इ में और एक सीधी। उसने गोलार्इ वाली ड़ण्ड़ी और लम्बी ड़ण्ड़ी को अलग करके गोलार्इ वाली ड़ण्ड़ी में एक दूसरे तरफ लम्बार्इ में धागा बाँध दिया और वो बन गया कमान के आकार का और जो दूसरी ड़ण्ड़ी थी वो अपने आप तीर बन गर्इ थी। गोलू अपनी इस उपलबिध पर बड़ा खुश हुआ कि पतंग से उसने तीर-कमान बना लिया और वो नीचे अपने मम्मी-पापा को बताने भागा। उन्होनें भी उसके विचार की बहुत तारीफ की और समझाया भी कि तीर कमान ध्यान से खेलना किसी को चोट ना पहुँचें। मम्मी की बात का समर्थन करता हुआ वो अपने दोस्त मोना और पिन्टू को दिखाने उनके घर भागा।
पतंग बनी तीर कमान … कैसी लगी … जरुर बताईएगा 🙂