Monica Gupta

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September 22, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध

भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढते ही जा रहे हैं. रेप, मर्डर या दहेज के लिए जला देना तो अब आम बात हो चली है

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आज के समय में महिलाऎ

भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढते ही जा रहे हैं. रेप, मर्डर या दहेज के लिए जला देना तो अब आम बात हो चली है

हर बार अमिताभ बच्चन जैसे वकील नही मिलेंगें और न ही NO मतलब समझने वाले लोग … ‘ना सिर्फ एक शब्द’ नहीं है, एक पूरा वाक्य है जिसे किसी व्याख्या Explanation की जरूरत नहीं है. ‘No’Means No.

भारतीय समाज में नारी की स्थिति

बेशक, भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढते ही जा रहे हैं पर इनसे हट कर कुछ अलग पिछ्ले दो दिन से कुछ न कुछ ऐसा देखने सुनने को मिला कि समझ नही आ रहा कि क्या रिएक्श्न होना चाहिए.

असल में, दो दिन पहले एक जानकार मिली. बहुत खूबसूरत साडी पहनी हुई थी. जब मैनें उन्हें कहा कि आप बेहद खूबसूरत लग रही हैं तो वो बोली कि शादी को 38 साल हो गए पर आज तक कभी अपनी पसंद के कपडे नही पहने. संयुक्त परिवार है जो मिलकर खरीदा जो आया वही पहन लिया … कभी अपनी पसंद ना पसंद का सोचा नही. पर अब कुछ दिन से महसूस हुआ और सोचा कि अपनी जिंदगी जी कर देखूं अपनी पसंद का पहनावा, खाना सब कर रही हूं और आज सब कुछ बहुत अच्छा लग रहा है …

मुझे तभी ख्याल आया एक सहेली रजनी  का जो अपने बाल कटवाना चाहती थी क्योकि झडने शुरु हो रहे थे उसने सोचा छोटे करवा लेती हूं ताकि कुछ समय बाद घने हो जाए … पर पति महोदय राजी नही थे … वो चाहते थे कि उनकी पत्नी के बाल लम्बे ही रहें … और वो चुप ही रही.. यानि वो पति के आगे बोल नही पाई … यह कोई एक बार की बात नही … वो अपने पति के आगे हर बात पर झुकती आ रही है …

क्या माने की पहली वाली महिला ने अपनी पसंद का पहनावा पहन कर क्या बगावत की … बिल्कुल नही … ना पहली महिला ने बगावत की और न दूसरी महिला दबी … बस बात भावनाओं की रही .. बेशक, दोनों को पति हो या पत्नी एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान जरुर करना चाहिए ..

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महिला चाहे खुद कमाती है या नही कमाती यानि वो हाउस वाईफ है होम मेकर है उसे भी अपने बारे में सोचने का पूरा हक है …

पर इसी के साथ अपना एक दायरा भी निश्चित करना बेहद जरुरी है … बेशक अपनी सीमा को लांध कर एक बार तो बहुत खुशी मिलेगी पर वो ज्यादा देर तक टिकी नही रहेगी…

अब मैं आती हूं उस धटना पर जो दिल्ली में हुई बुराड़ी हत्याकांड मे अपनी व्यक्ति ने एक तरफा इश्क में महिला को कैंची से 30 बार वार किए मार डाला और सैल्फी ली और खुद ही पुलिस को फोन किया कि मैने मर्डर कर दिया है.

इस बात को बार बार टीवी पर दिखाया गया कि लोग खडे तमाशा देखते रहे मर्डर होता रहा पर कोई सामने नही आया. मारने वाला व्यक्ति एक तरफा आशिक था … आदि आदि … फिर धीरे धीरे पर्दा हटने लगा …

और सच्चाई भी कम भयावह नही थी और वो थी कि पुलिस के मुताबिक 2012 से ही दोनों एक दूसरे को जानते थे. तब करुणा सुरेंद्र उर्फ आदित्य  के एक कंप्यूटर इंस्टिट्यूट में पढने जाती थी. वहीं से दोनों के बीच दोस्ती हुई और फिर दोनो एक साथ रिलेशनशिप में आ गए. दोनों साथ-साथ घूमते थे. यहां तक कि करुणा ने अपनी फेसबुक वॉल पर दोनों की सेल्फी समेत कई तस्वीरें भी पोस्ट की थीं.

इसी बीच सुरेन्द्र ने करुणा की एक न्यूड फोटो देख ली थी. जो उसने किसी और लड़के को भेजी थी. इसके साथ ही उसने किसी और लड़के के साथ करुणा का फेसबुक चैट भी पढ़ लिया था. इसी बात से सुरेंद्र का गुस्सा बढ़ गया था और उसने करुणा को खत्म करने की ठान ली थी.

यह भी सुनने में आया कि वि व्यक्ति शादीशुदा था और उसकी पत्नी उससे अलग रह रही थी.. अब बताईए करुणा का मर्डर देख कर दिल भले ही पसीज गया हो लेकिन एक गुस्सा भी था कि उसने अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया… जरा सा सम्भल कर रहना चाहिए था अगर हम खुद ही किसी से धुलते मिलते हैं उसे लिफ्ट देते हैं तो इसका अंजान क्या होगा ये हमें पता ही होता है..

फिर इसी बीच में “पिंक “ मूवी भी देखी … बेशक, आप सब कुछ भी कहे लेकिन मेरा मानना यही है कि कामकाजी हो या धरेलू महिला अपना एक दायरा बना कर रखना चाहिए एक लक्षमण रेखा खींच लेनी चाहिए और उसे पार करने की सोचनी भी नही चाहिए…

आस पडोस, दोस्त, रिश्तेदारों की तीखी नजरें झेलते हुए कोर्ट कचहरी, पुलिस के चक्कर आसान नही है … पिंक तो एक फिल्म थी पर असल जिंदगी में किस मानसिक प्रताडना से गुजरना पडता है इसका तो हम और आप अंदाजा ही नही लगा सकते

जो लड़कियां अकेले रहती हैं, अपने पैरों पर खड़ी हैं, डिस्को जाती हैं, वेस्टर्न कपड़े पहनती है, शराब या सिगरेट पीती हैं, लडको से हंस कर बात करती हैं, उनके किरदार पर प्रश्नचिन्ह इसलिए लगते हैं क्योकि ये हमारा भारत देश है पर अगर हम अपनी मिली स्वतंत्रता का सही प्रयोग नही करेंगें तो हमे जिल्लत भी झेलनी पड सकती है…

हर बार अमिताभ बच्चन जैसे वकील नही मिलेंगें और न ही NO मतलब समझने वाले लोग … ‘ना सिर्फ एक शब्द’ नहीं है, एक पूरा वाक्य है जिसे किसी व्याख्या Explanation की जरूरत नहीं है. ‘No’Means No.

बस यही उधेडबुन चल रही है और मेरा मन तो यही कह रहा है कि बेशक,  बदलाव आएगा जरुर आएगा … पर आज बदलाव नही है … और हमें इसी सच को स्वीकार करना है और अपने दायरे में रहना है …

वैसे आपके क्या विचार हैं इस बारे में जरुर बताईएगा !!

(दो तस्वीर गूगल से साभार)

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