Parents and Smartphones – Parents Addicted to Smartphones – Distracted Parenting – मोबाइल से ना हुए दूर… तो हो जाओगे बच्चों से दूर – भूख प्यास निकट नही आवे.. मोबाइल जब हाथ में आवे.. ये एक सच है और एक कड़वा सच ये भी है कि मोबाइल अपनों को अपनों से बहुत दूर कर रहा है..आज मैं बात कर रही हूं उन parents से जो कि बच्चों के सामने मोबाइल का बहुत use करते हैं…
Parents and Smartphones – Parents Addicted to Smartphones –
बहुत parents ये शिकायत करते हैं कि बच्चे बहुत मोबाइल करते हैं पर आप अपने दिल पर हाथ रखिए पूछिए कि आप इसका कितना यूज करते हैं… मैं आपको दो तीन उदाहरण देती हूं जो मैंने देखे हैं और यकीनन इस तरह के उदाहरण आपके साथ भी होते ही होंगे…
कुछ दिन पहले मैं हमारे dentist friend के clinic गई… वहां देखा कि एक मम्मी पापा और 6 साल का बच्चा आया.. mother तो chair पर बैठ गई तो पापा और बेटा एक सोफे पर बैठ गए पापा ने अपना मोबाइल निकाला और बेटे ने अपना और वो वीडियो देखने लगा.. लगभग आधा घंटा से ज्यादा वो अपने में ही लगे रहे… वो लेडी बार बार अपने पति और बच्चे को देख रही थी…पर न पति ने अपनी पत्नी की तरफ देखा कि उसे कैसा लग रहा है दर्द तो नहीं हो रहा और ना ही बच्चे की तरफ की वो क्या वीडियो देख रहा है…
एक बहुत अच्छा मौका था इमोशनली जुड़ने का… अपने बच्चे को समझाने के लिए दाँतों का ख्याल रखना कितना ज़रुरी होता है.. कितनी सारी फोटो थी उस clinic में वो महत्ता समझा सकते थे.. या वो नहीं तो आपस में ही बात कर सकते थे.. जिससे एक अपनेपन का रिश्ता कायम हो सकता था..
एक और उदाहरण बताती हूं एक बच्चा स्कूल से घर आया.. मम्मी अपनी सहेली से कन्धे पर फोन रख कर बात कर रही थी.. ऐसा हमेशा ही होता है मदर ने बच्चे के साथ सारी बाते इशारे से करते रही.. जैसा की यूनिफार्म उधर रखो.. स्कूल बैग से टिफिन निकाल कर दे दो. उसे खाना भी दिया.. पर कोई बात नहीं हुई क्योंकि वो फोन पर बात कर रही थी.. फोन पर बात करना उसे ज्यादा महत्वपूर्ण लगा.. बच्चे ने कितनी सारी बातें शेयर करनी थी… पर मम्मी ने जरुरी नहीं समझा… बच्चे की बात दिल की दिल में रह गई… जाने अंजाने बच्चा दूर हो गया..
अच्छा सिर्फ बात करना ही नहीं selfie भी एक problem बन चुका है… एक उदारण बच्चा अपनी कॉपी दिखा रहा है कि देखो मुझे आज एक स्टार मिला पर मम्मी का कोई ध्यान नहीं क्योंकि वो अलग अलग एंगल से सैल्फी खिंचने में व्यस्त है उसकी सहेली ने वटस अप पर बहुत अच्छी डीपी लगाई है आज.. उसे उससे भी अच्छी लगानी है अपनी DP… उसे facebook पर भी शेयर करना है ताकि उसे उससे भी ज्यादा comments और likes मिले…. बच्चा पढ़ाई छोड़ कर कहता है मम्मी खेलने जाऊँ हां जाओ बस.. बच्चा चला जाता है… ये कहानी कोई एक दिन की नहीं है.. हर रोज कुछ ऐसा ही होता है…
ये मैंने बस तीन ही उदाहरण दिए हैं ना जाने कितने अनगिनत उदारण हैं ऐसे और psychologist भी बहुत परेशान हैं क्योंकि ऐसे पेरेंटस की संख्या लगातार बढे जा रही है… जोकि बच्चों को ignore कर रहे हैं…
बच्चों को unimportant feel करवा रहे हैं और ये चीज healthy parenting के बीच एक दीवार खड़ी कर रही हैं… जो प्यार, दुलार, समय बिताना बाते सुनना बच्चे अपने parents से expect करते हैं तो नहीं हो पा रहा और जिससे बच्चे बहुत गुस्सा, नाराजगी, नेगेटिव, उदास, चिडचिडापन महसूस करने लगे हैं development नहीं होगी उनकी ऐसे
इसका ये मतलब भी नहीं कि फोन का use ही न करें पर जब बहुत ज्यादा जरुरी हो… नहीं तो जब बच्चों को पढ़ा रहे हो, जब घुमाने लाए हो, खाना खा रहे हो या जब आपस में बातें कर रहे हो तो इसे दूर कर दीजिए या एक या दो मिनट बात करके की मैं बाद में करता हूं… जैसे सडको पर बैनर लगे होते है ना वाहन चलाते वक्त मोबाइल का इस्तेमाल न करे.. ऐसे ही घर पर भी बहुत समझदारी से इसे use करना चाहिए…
देखिए इसे बहुत ज्यादा use करने से आपकी सेहत पर तो असर पड ही रहा है उतना ही असर आपके रिश्तों पर भी पड रहा है… तो अगर सुबह की और रात की आखिरी चीज फ़ोन बन चुका है. दिन रात आप स्मार्ट फोन के टच में रहते हैं तो सोशल मीडिया के जरिए अपडेट रहना या न्यूज़ का पता करना मेरी दिनचर्या में शामिल हो चुका है तो इस बात का जरुर ध्यान रखिएगा की बच्चे बहुत दूर होते जा रहे हैं… बजाय टच फोन के बच्चों के टच में रहिए…वो है आपकी असली asset मोबाइल से ना हुए दूर… तो हो जाओगे बच्चों से दूर
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