Role of Parents in Education – बच्चों की पढ़ाई – Parents Role in Child Education – Monica Gupta – अक्सर Parents की शिकायत रहती है बच्चों का पढ़ाई में ज़रा भी ध्यान नहीं… ये नहीं आता, वो नहीं आता… अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो ये वीडियो ज़रुर देखिए.. आज मैं कुछ ऐसी बातें शेयर कर रही हूं कि अगर आप इन बातों का ख्याल रखेंगे तो मतलब ही नहीं कि आपको बच्चे से शिकायत रहे… हम सोचते हैं कि हम Parents बन गए और बस समझदार हो गए.. समझदार नहीं तब नहीं होते जब बड़ी-बड़ी बातें करने लगे बल्कि तब होते हैं जब छोटी छोटी बातें समझने लगते हैं…
देखिए अब शुरु हो गया है नया सैशन.. बीती बात भूल जाई कि नम्बर कम थे. पढाई नहीं की ये किया वो किया… एक नई शुरुआत..
आमतौर पर जब बच्चा नई क्लास में जाता है तो पढाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता कि चलो कोई न अभी तो शुरु ही हुआ है.. कभी छुट्टियों पर चले गए तो तो कभी बच्चे का मन नहीं तो चलो कोई बात नहीं रहने दो यही गलती कर जाते हैं सेशन के शुरु से ही सीरियस रहना है… चलिए मैं एक एक करके 5 बातें बताती हूं
1. Role model बनना है क्योंकि हम Parents हैं पहले टीचर हैं Parents बच्चे उन्ही से inspired होते हैं जो उनके Parents करते हैं तो रोल मॉडल बने… वही दोहराते हैं..
इसके लिए घर का माहौल एक दम शांत रहे.. ताकि बच्चे की ग्रूमिंग अच्छी हो…आपस में झगडा और एक दूसरे की बुराईया इन सभी से बच्चों को दूर रखिए.. या बच्चों के सामने मत कीजिए
एक दूसरे से नहीं लडना और बच्चे से भी नहीं मार पिटाई करनी… अगर बच्चों का भी लगे कि वो पढ नहीं रहा लर्न नहीं कर रहा तो बजाय मार पिटाई करने के, तुलना करने के… उसे आराम से बैठ कर समझाई… अपने घर का अनुशासन बनाईए और बच्चे को समझाईए कि उस पर चलना कितना जरुरी है..
2.हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए बच्चों को समय देना… दो तरह से बात करनी हैं एक तो बच्चे के बारे में कि कैसे हो.. कैसा रहा आज का दिन… स्कूल में कैसा रहा दिन.. क्या क्या हुआ ? क्या क्या किया ?? अगर बच्चों से बात करेंगें बैठेंगे तो बच्चे भी अपनी सारी प्रोब्लम शेयर करेंगें.. टाईम ही नहीं होगा फिर बच्चे पिछड़े चले जाएगें क्योंकि Parents की तरफ से जरा भी स्पोर्ट नहीं और दोस्तों की इतनी समझ नहीं
फिर पढाई की बात…नई क्लास है इसलिए डील नहीं देनी… और पहले दिन से ही एक नया टाईम टेबल होना चाहिए.. बच्चे को बैठा कर नए सिरे से टाईम टेबल बनाना है… कि उसे क्या टाईम सूट करता है…और उसे फ़ॉलो करने पर जोर देना है… एक दम रेगयूलर रहना है
उनके साथ भले ही एक घंटा हो पर उनकी कॉपी चैनल कीजिए स्कूल में क्या करवाया है डायरी में क्या क्या नोट या होमवर्क मिला है वो सब चैक कीजिए..
जब होमवर्क करें तो साथ बैठिए ताकि उसे अगर कुछ पूछ्ना हो तो आप वहां हो ताकि कोई कंफ्यूजन ही न रहे.. खुद नहीं करना बल्कि उसको जो समझ न आए उस से रिलेटिड वीडियो दिखा कर या अपने तरीके समझा कर उसे समझाया जा सकता है.. कई बार बच्चों को समझाने के लिए पेरेंट्स educational trips पर भी ले जाते हैं या स्कूल का अगर ट्रिप जा रहा हो तो उसे टाईम वेस्ट करना है ना कह कर भेजना चाहिए.. प्रैक्टिकली बच्चे ज्यादा अच्छे से समझते हैं…
3सिर्फ पढाई पर ही नहीं Supervise करनी है activity कि क्या और क्या क्या करना पसंद करता है जैसा कि जब भी खाली होता है कोई ड्राईंग करने लगता है या गाने गाने लगता है इस पर ध्यान दीजिए और उसमे भी उसे Encourage कीजिए… इससे बच्चे का ईंटरस्ट बना रहता है.. या फिर पूरा टाईम वेस्ट कर रहा है टीवी ही देख रहा है या गेम ही खेल रहा है… तो हमे ही समझाना है कि टाईम टेबल के अनुसार चलना जरुरी है… नहीं फ़ोलो किया तो सजा मिलेगी.. वो क्या है वो आप बच्चों के साथ मिलकर ही बनाएं.. जो काम उसे करना अच्छा नहीं लगता वो ही करवाना है…
4. parent teacher मीटिंग एक बहुत ही अहम बात जो ज्यादातर Parents नहीं करते.. वो है Parent टीचर मीटिंग … जाते ही नहीं.. साल जब खत्म होने वाला होता है तब आते हैं बच्चे इसमे कमजोर है बच्चा ऐसा कर रहा है.. जबकि सारे साल नियमित रहेंगें जाएगें तो बहुत फर्क पडेगा.. साल की पहली मींटिग से जाना शुरु करना है… कई बार बच्चे ही मना कर देते हैं..अगर मना कर देते हैं फिर तो जाना और भी जरुरी है.. बच्चे में क्या कमी है या क्या खास बात है..
5. Be a good friend बच्चे के अच्छे दोस्त बनिए और अपने अनुभव भी जब आप बच्चे थे क्या हुआ था वो शेयर कीजिए ताकि एक अच्छा माहौल बन पाए… जैसा कि आप ने एक बार नकल की थी या चोरी की थी… कितनी डांट पडी थी.. उससे आपने क्या सबक सीखा या क्लास में एक बार आपने नकल की थी तो उसका क्या असर हुआ… ये सब बात हम मम्मी पापा बन कर नहीं कर सकते या समझा सकते…
हमेशा उन्हें पढाई कर लो पढ लो कह कर ही मत टोकिए उन्हें रिलेक्स करने को भी कहिए… सारा दिन भाग दौड , तनाव बहुत होता है और ऊपर से हम Parents भी दवाब डालेंगें तो क्या होगा.. इसलिए उन्हें रिलेक्स करने के लिए भी बोलिए.. बच्चे कुछ भी अच्छा करते हैं तो उन्हें शाबाशी और जो भी मन पसंद चीज चाहिए वो जरुर दीजिए… अगर इन बातों का ख्याल रखेंगें जोकि शायद आपको पहले ही से पता है… तो शिकायत नहीं करेंगें आप..
हम सोचते हैं कि हम Parents बन गए और बस समझदार हो गए.. समझदार नहीं तब नहीं होते जब बड़ी-बड़ी बातें करने लगे बल्कि तब होते हैं जब छोटी छोटी बातें समझने लगते हैं…
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