इतनी सी खुशी
कई बार बात बहुत छोटी होती है पर बहुत खुशी दे जाती है. किसी काम से मुझे संजीवनी अस्तपाल के फीजियोथैरीपी विभाग मे जाना हुआ. साथ वाले कमरे से एक बच्चे की बहुत देर तक रोने की आवाजे आती रही. उसका रोना सुनकर मैं भी सहम गई.
डाक्टर ने बताया कि एक बच्चे की बाजू मे फ्रेकचर था. अब वो खुल गया है और बाजू की कसरत हो रही है शुरु मे दर्द होता है इसलिए बच्चा रो रहा है . उसके आने का समय और मेरे वहां होने का लगभग एक ही समय था.
अगले दिन फिर वही दर्द भरी रोने की आवाज सुनी. मैने हिम्मत करके उस कमरे मे झांका. मोटे मोटे आसूं छोटे से बच्चे की आखो से टपक रहे थे. तीसरे दिन मैं हिम्मत करके उस बच्चे के पास चली गई.
(इतनी सी खुशी)
डाक्टर उसे बहुत प्यार से कसरत करवा रहे थे पर वो रोए जा रहा था. मैंने हैलो करके उससे बातों का सिलसिला शुरु किया. पहले तो वो थोडा झेंपा पर बहुत जल्द उसने अपने बारे में बताना शुरु किया कि उसका नाम लक्ष्य जोशी है वो राजस्थान नोहर रहता है और दूसरी क्लास मे पढता है. बहुत जल्द उससे मेरी दोस्ती हो गई. उसने मुझसे वायदा किया कि अब वो नही रोएगा यहां रोज आएगा और स्कूल मे चल रही छुट्टियों मे ही वो ठीक हो जाएगा. दो तीन बार फिर उससे मिलना हुआ और इस बार मैं उसके लिए चाकलेट भी ले गई.
मुस्कुराते हुए उसने फोटो भी खिचवाई. है ना छोटी सी बात पर उसकी आखों मे खुशी देखकर बेहद खुशी मिली…