What an Idea
बात बहुत पुरानी नही है जब टीवी पर आ रहा आईडिया का विज्ञापन …. ओ हो ओ हो Get Idea … Get Idea.. बेहद पसंद था और उसकी धुन थिरकने और गुनगुनाने पर मजबूर कर देती … पर यह थिरकन तांडव में तबदील होने लगी और गुनगुनाहट की जगह ले ली चिल्लाहट ने.. असल में, कुछ महीनों से मोबाईल फीचर के बेवजह बिल लग कर आने लगे .तब कभी कस्टमर केयर तो कभी लोकल आईडिया आफिस जा जाकर बार बार लगातार शिकायत की पर नतीजा शून्य कोई सुनवाई नही हुई और बिल यथावत वही लग कर आते रहे. प्लान बदलवाया सारे फीचर हटवा दिए पर फिर भी ढाक के तीन पात …. !!!! कुछ नही हुआ बस आश्वासन पर आश्वासन आश्वासन पर आश्वासन ही मिलते रहे कि हो जाएगा … पर हुआ कुछ नही… माना कि मोबाईल आज के समय की आवश्यकता है रोटी कपडा और मकान से पहले मोबाईल होना जरुरी है. पर इसका यह मतलब भी नही कि कम्पनी वाले ग्राहक को बेवजह तंग करें और तो और सुनवाई भी न हो …!!!
आज के समय में जब मोबाईल कम्पनियों का इतना जबरदस्त काम्पीटिशन है तो ऐसे में ग्राहकों की सुविधा का ध्यान तो रखना ही चाहिए ताकि वो छोड कर न जाए पर … पर … पर … !!! ये तो है उनकी सोच पर मैने भी सोच लिया है कि अब और नही … Get Idea ओ हो ओ हो नही बल्कि Get Out Idea ओ हो … ओ हो … GET OUT IDEA नही चाहिए !!!ओ हो ओ हो !!! अब मैं थिरक भी सकती हूं और गुनगुना भी सकती हूं … फीलिंग रिलेक्स्ड 🙂
मैं तीस हजारी से बोल रही हूं जरुर पढिएगा
What an Idea पर अगर आपका कोई अनुभव या विचार हो तो जरुर सांझा कीजिएगा …
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