एक पत्र सरकार के नाम
एक बच्ची की चिठ्ठी
नमस्ते सरकार अंकल,
आप कैसे हैं? आशा है ठीक ही होंगें. सरकार अंकल वैसे मुझे चिट्ठी लिखने का जरा भी अनुभव नही हैं क्योकि आजकल ईमेल का जमाना है पर मेरे मम्मी-पापा कहते हैं कि अगर सरकार तक कोई बात पहुंचानी हो तो पत्र ही लिखा जाता है… इसीलिए मै अपनी बात पत्र के माध्यम से ही कह रही हूं.
सरकार अंकल, वैसे मैं अभी छ्ठी स्कूल में ही पढ़ रही हूं पर खुद को लगता नहीं कि मै छोटी हूं क्योंकि घर पर और बाहर इतनी टेंशन है कि मुझे लगता है कि मै समय से पहले ही बहुत बडी हो गई हूं. मेरा बचपन कहीं खो सा गया है. खैर,यह बात बताने के लिए मैने आपको पत्र नही लिखा है. बल्कि मै आपसे कुछ निवेदन करना चाह्ती हूं.
सरकार जी, सच पूछो तो मुझे काला धन, स्विस बैंक या लोकपाल के बारे मे जरा-सी भी जानकारी नही है और न ही मेरे दिमाग में ये सारी बातें आ पाएंगी. मै तो बस आपसे जरा सी विनती करना चाहती हूं कि हर रोज होने वाले बंद और हडतालों को रुकवा दीजिए. मेरे पापा की छोटी-सी दुकान है जिससे हम तीन भाई-बहनो का खर्चा चलता है. कभी किसी तो कभी किसी वजह से दुकान बंद हो जाती है तो उस दिन हमें फाका करना पडता है और सभी को खाली पेट ही सोना पडता है.
दूसरी बात यह है कि बिजली ही नही होती. बहुत कट लगते हैं और कभी गलती से आ भी जाए तो वोल्टेज इतना कम होता है कि लगता ही नही कि बिजली है. फोन करो तो कोई फोन नही उठाता या फिर नम्बर व्यस्त आता रहता है. बरसात हो तो सुनने को मिलता है कि पीछे से गई है, पता नही कब आएगी.
अगली बात मेरे स्कूल से है. हैरानी है कि हमारे टीचरो को अपने विषय का ज्ञान ही नही है. अगर कोई बच्चा खडा होकर कोई प्रश्न पूछ ले तो वो नाराज हो जाते हैं और कक्षा से बाहर खडे होने की सजा दे देते हैं. वैसे तो टीचर हैं ही कम, ऊपर से सरकार के काम से अक्सर डयूटी लग जाती है तो पढाई की वैसे ही छुट्टी हो जाती है. आप इस बात पर भी जरुर ध्यान देना कि स्कूल मे कृपा करके मिडडे मील बंद हो जाए.
हर रोज गंदा खाने से पेट खराब तथा दर्द अब सहन नही होता. इसके इलाज के लिए रुपया अलग से खर्च करना पडता है, इस करके हम घर से खाना लाकर खुश है.
सरकार अंकल, अगली बात यह कि कचहरी के फैसले जल्दी करवा दिया करो. मेरे दादा जी की जमीन का केस पिछ्ले 24 साल से चल रहा है. दादा जी भी अब नही रहे और पिताजी को बार-बार तारीख पर जाना पडता है जिस करके बहुत तनाव हो जाता है हमारे घर पर. शायद एक लाख मिलना है पर अभी तक जैसाकि मैने मम्मी पापा को बाते करते सुना है लाख से ज्यादा तो खर्चा अभी तक हो ही गया है.
सरकार अंकल, मुझे अपना भारत देश बहुत अच्छा लगता है. कल ही मैने निबंध प्रतियोगिता ने ‘मेरा भारत महान’ विषय पर लेख लिखा था जिसके लिए मुझे सम्मानित भी किया गया था. मै भी देश के लिए बहुत कुछ करना चाहती हू पर इतनी परेशानियां और दुख मेरी हिम्मत को तोड रहे हैं.
अंकल, कोई गलती हो तो क्षमा करना. मैने पहले भी लिखा था कि मुझे ज्यादा समझ नही है, ज्ञान भी नही है पर, असल मे, अपने परिवार और दोस्तो का दुख देखा नही जा रहा था इसलिए आपको पत्र लिखना पड़ा. नही तो मै आपको तकलीफ नही देती. मै जानती हू कि आपके कंधों पर कितना बोझ है.
पता नही कि मेरा ये पत्र आपको कब तक मिलेगा. पर जब भी मिलेगा मुझे आशा ही नही पूरा विश्वास है कि आप मुझ छोटी-सी बच्ची की बात का जवाब जरूर देग़ें.
आपके घर पर सब कैसे हैं? सबको हमारी तरफ से नमस्कार बोलना.
पत्र के जवाब इंतजार मे
शेष फिर
आपकी नन्ही देशवासी