दीदी की चिठ्ठी नियमित स्तम्भ
बच्चों की छोटी कहानियाँ हो या बडी कहानियां बाल लेखन ने हमेशा मुझे प्रेरित किया है … बच्चों पर न सिर्फ कहानियां लिखी बल्कि हरियाणा साहित्य अकादमी से बाल साहित्य पुरस्कार ” मैं हूं मणि ” के लिए भी मिला. नेशनल बुक ट्रस्ट से बाल कहानी ” काकी कहे कहानी” व एक अन्य बाल उपन्यास ” वो तीस दिन” भी प्रकाशित हुआ.
बाल साहित्यकार
बच्चों की छोटी कहानियाँ लिखना भी एक आर्ट होता है एक रोमांच होता है . जयपुर से प्रकाशित समाचार पत्र ” दैनिक नवज्योति” में “दीदी की चिठ्ठी” से नियमित स्तम्भ लगभग चार साल तक हर रविवार धमाचौकडी में प्रकाशित हुआ जिसकी जबरदस्त प्रतिक्रिया मिलती रही…
बच्चा बनाना और फिर लेखन करना एक अलग तरह का सुकून देता है… है ना !!! बाल केखन करने वाला कभी बूढा नही होता हमेशा बच्चा बना रहता है
Leave a Reply