मेरे सपनोंं का भारत
स्वच्छ भारत अभियान जोर शोर से चल रहा है. स्वच्छता और स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक हैं . जन सर्वेक्षण 2017 हो, जन आंदोलन हो , सम्मान हो, पुरस्कार होंं या फिल्मी कलाकार जैसे कंगना रनावत , अमिताभ बच्चन या विद्या बालन को स्वच्छता के मैदान में उतारना हो, मतलब स्वच्छता और जागरुकता लाने से है.
(तस्वीर गूगल से साभार )
क्या है स्वच्छता और क्या है खुले में शौच से मुक्ति
स्वच्छ भारत अभियान में स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत का सपना हम सभी देखते हैं .इस बात में कोई दो राय नही कि सरकार ने समय-समय पर योजनाएॅ बनाई और उन्हें लागू किया पर आम जनता तक उनकी आवाज नही पहुँच पाई और वो सरकारी दफ्तरों तक ही सिमट कर रह गई। बेशक, सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के सामान्य जीवन स्तर को बेहतर बनाना, ग्रामीणों को स्वस्थ जीवन देना ताकि वो निरन्तर कामों में जुटे रहें और कार्य स्थल में उनकी अनुपस्थिति ना के बराबर रहें, जल और स्वच्छता से जुडी़ बीमारियों के प्रतिशत को कम करना और स्वच्छता का प्रचार एवं प्रसार करके उनमें स्वच्छ आदतों का विकास करना था पर ऐसा महसूस किया गया कि बिना गावों के लोगों की मदद के यह अभियान नही चलाया जा सकता इसलिए योजना बनाई गई कि सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान को लागू करने के लिए ग्राम पंचायतों, स्वयं सहायता समूहों, साक्षर महिला समूहों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा वर्कर, अध्यापकों, स्कूली छात्रों, महिला मंड़ल तथा ग्राम स्तर पर सभी सामाजिक कार्यों से जुडे़ लोगों को जोड़ा जाना चाहिए जो कि स्वच्छता के क्षेत्र में रूचि रखते हों।
क्या है स्वच्छता का अर्थ
- जल का उचित रख रखाव और बर्तावः- हैंड़ पंप और नल से प्राप्त सुरक्षित या उबले/ क्लोरिन युक्त जल का उपयोग करना। जल को सुरक्षित स्थान पर रखना।
- बेकार पानी की उचित निकासीः- पूरे गाँव की नालियां पक्की बनाना और बेकार जल के निष्पादन की उचित व्यवस्था करना।
- मानव मल का सुरक्षित निबटानः- व्यक्तिगत, सामूहिक/महिला शौचालय स्कूल प्रांगण व आंगनवाडि़यों में शौचालय का निर्माण एवं उपयोग।
- कूडा़-कर्कट का सही निपटानः- कूडा़- कर्कट व गोबर को सही प्रकार के गड्ढों में संचित करना।
- घर की सफाई, सुव्यवस्था एवं सुरक्षित भोजन।
- व्यक्तिगत सफाईः- शौच के बाद साबुन से हाथ धोना, नाखून काटना, नहाना धोना।
- सामुदायिक एवं पर्यावरण स्वच्छताः- पूरे गाँव की साफ सफाई एवं वृक्षारोपण
सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के उट्ठेश्य
- ग्रामीण क्षेत्रों के सामान्य जीवन स्तर को बेहतर बनाना।
- ग्रामीण आबादी में स्वच्छता का प्रचार-प्रसार कर स्वच्छ आदतों का विकास करना।
- शिक्षा एवं जागरूकता के द्वारा समुदाय में स्वच्छता सुविधाओं की मांग उत्पन्न करना।
- विद्यालयों में स्वच्छता सुविधाओं का निर्माण सामुदायिक सहयोग से करना।
- कम लागत तथा सार्थक तकनीको को प्रोत्साहित करना।
- ग्रामीणों को स्वस्थ जीवन प्रदान करना ताकि कार्यस्थलो पर अनुपस्थिति कम हो सके।
- जल और स्वच्छता से जुड़ी बीमारियों के प्रतिशत को कम करना।
स्वच्छता अपनाने से होने वाले फायदे
ये सबसे अहम है और इसे जान लेना हमारे लिए बहुत जरुरी भी है कि आखिर स्वच्छता से फायदे क्या क्या हैं..
- कम मृत्यु दर और बेहतर स्वास्थ्य
- पैसे की बचत।
- उत्पादकता में वृद्धि।
- ज्यादा आय के साधन।
- आत्म सम्मान- देश का सम्मान
और सबसे बड़ी बात तो यह होगी कि स्वच्छता अपनाने से ड़ाक्टरों के चक्कर नही लगाने पड़ेगें जिससे पैसे बचेगें। पैसे बचेगें तो खुशियाँ आऐगी, खुशियाँ होगी तो आय के साधन और बढेगें क्योंकि अक्सर तनाव में रहने से काम नही हो पाता जब तनाव ही नही होगा तो और काम करने को मन करेगा, जिससे आय बढे़गी और आय बढे़गी तो जीवन स्तर में सुधार होगा और फिर देश को आगे बढ़ने से कोई रोक ही नही सकता।
इतना सब होने पर भी आखिर क्यों नही आ पा रही है स्वच्छता
ऽ साधनों की कमी
ऽ जन जागरण की कमी
ऽ स्वच्छता की महत्ता पर कम समझ
ऽ स्वच्छता को सामाजिक प्रतिष्ठा के साथ न जोड़ा जाना
ऽ उपभोक्त्ता की पसन्द पर कम ध्यान
ऽ सरकारी अनुदान की उम्मीद
ऽ गलत और प्रभावहीन योजना और तरीके
ऽ संस्थागत ढ़ाचे की कमी
ऽ बच्चों और महिलाओ की समाज में कमजोर स्थिति
तो क्या हो रणनीति
ऽ समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना और समुदाय को नेतृत्व प्रदान करना।
ऽ जागरूकता अभियान के द्वारा स्वच्छता का प्रसार करना।
ऽ वैकल्पिक वितरण प्रणाली को मजबूत करना।
ऽ सरकारी अनुदान पर कम निर्भरता।
ऽ कार्यक्रम को जन केन्द्रित कार्यक्रम के रूप में कार्यान्वित करना।
ऽ विद्यालयों को स्वच्छता का एक महत्वपूर्ण घटक मानकर इसे क्रियान्वित करना।
हमें पता है कि
वर्ष 2001 में जनगणना के आधार पर देश भर में ग्रामीण क्षेत्रो में केवल 21.9 प्रतिशत परिवारों को शौचालय सुविधाएँ उपलब्ध थी जबकि हरियाणा में यह प्रतिशत लगभग 28.66 थी। मानवमल खुले में त्यागने से अन्य प्रकार की गन्दगी तथा पीने का साफ पानी न मिलने के कारण हैजा, दस्त, पेचिश, हैपिटाइटिस, मलेरिया, पीलिया और पोलियो जैसी भयंकर और जानलेवा बीमारियों का खतरा मंड़राता रहता और इसी गंदगी की चपेट में महिलाएं और बच्चे आ रहे थे।
वैसे तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता सुविधाएं उपलब्ध करवाने हेेतु केन्द्र तथा राज्य सरकार समय-समय पर नित नए प्रयास करने में जुटी हुई थी इसलिए 1986 में भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम की शुरूआत की गई और वर्ष 1999 में भारत सरकार द्वारा “सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान” की शुरूआत की गई। लेकिन सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम से बिल्कुल भिन्न था। क्योंकि यह कार्यक्रम अनुदान आधारित ना होकर समुदाय संचलित, ’जन केन्द्रित’ और मांग जनित कार्यक्रम बना।
इसके अन्तर्गत जनसाधारण को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना था ताकि लोग सदियो से चली आ रही खुले में शौच जाने की प्रवृति के नुकसान जान कर सुविधाओं की मांग कर सकें। इस कार्यक्रम में व्यक्तिगत, स्कूल, आंगनवाडि़यों में शौचालय सिर्फ बनाने ही नही बल्कि उसके प्रयोग पर भी बल देना था। हालांकि राज्य सभा सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के प्रति पूर्ण रूप से जागरूक है और वर्ष 2012 का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है लेकिन इस बारे में प्रयासरत है कि वर्ष 2010 तक ही लक्ष्य को हासिल कर लिया जाए ताकि चारों ओर स्वच्छता ही स्वच्छता हो।
कोई शक नही स्वच्छता आज एक आवश्यकता बन गई है और न सिर्फ गांव में बल्कि शहरों में भी जिस तरह से गंदगी बढती जा रही है उससे दूर करना हमारा परम कर्तव्य होना चाहिए.
प्रश्नावली – एक क्विज स्वच्छता के बारे में
- एक गाँव कितने दिन में खुले में मलत्याग सेे मुक्त्त हो सकता हैंः-
1 दिन
2-5 दिन
5-7 दिन
- खुले में त्याग से मुक्त्ति का अर्थ हैः-
शौचालय मुक्त्ति
शौचालय उपयोग
लोग खुले में त्याग बंद करें
- समुदाय में व्यवहारिक बदलाव लाने के लिए कौन अधिक प्रभावशाली है?
स्वयं समुदाय
स्वंय सेवी संस्था
बाहर के लोग
4 साधारणतया लोग शौचालय क्यों बनवाते हैं?
गोपनीयता के लिए
सुविधा के लिए
स्वास्थ्य कारणों
उपरोक्त सभी
5 शौचालय का निर्माण, इसके उपयोग को भी सुनिश्चित करता है।
सत्य
असत्य
6 घर में शौचालय होने पर महिलाएँ इसका प्रयोग पुरूषों से ज्यादा करती हैं।
सत्य
असत्य
7 मानव मल वापस हम तक पहुँचता है?
पानी द्वारा
भोजन द्वारा
हवा द्वारा
उपरोक्त सभी माध्यम द्वारा
8 निम्न में से क्या अधिक महत्वपूर्ण है?
पूरे गाँव में शौचालय का निर्माण
खुले में मल त्याग से मुक्त्ति
दोनों
9 निम्न में से कौन सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान का अंग है?
ठोस कचरे व प्रदूषित जल का निस्तारण
स्कूल स्वच्छता
आंगनवाढी़ स्वच्छता
व्यक्तिगत स्वच्छता
उपरोक्त सभी
10. स्कूल में शौचालय व मूत्रालय का प्रावधान होने से कन्या विद्यार्थियों की संख्या बढ़ जाती है।
सत्य
असत्य
11. आपके विचार में सम्पूर्ण स्वच्छता के लिए कौन जिम्मेदार है।
सरकार
स्वयं सेवी संस्थाएं
समुदाय
उपरोक्त सभी
12. खुले में शौच को रोकने का सही समय है ?
गर्मी
बरसात
सर्दी
तुरंत
13. सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के लिये क्या विधि होनी चाहिए?
व्यक्तिगत घर को केंद्रित करना।
सम्पूर्ण गाँव को केंद्रित करना।
14. क्या आप मानते हैं कि किसी भी गाँव में सबसे गरीब व्यकित भी शौचालय का निर्माण कर सकता है?
हाँ
नही
15 लोग खुले में मल त्याग क्यों करतें हैं?
शौचालय निर्माण के लिए धन का न होना
शौच के लिए उपलब्ध पर्याप्त खुली जगह
अनुदान मिलने में देरी
स्वच्छता और स्वास्थ्य के मध्य सम्बन्ध का ज्ञान न होना
16. मानव और कुत्ते में क्या अंतर है?
दोनों खुले में शौच करतें है
कुत्ता शौच के उपरान्त मल को मिट्टी से ढ़क देता है।
दोनों शौच के उपरान्त मल को मिट्टी से ढ़क देते है।
उपरोक्त में से कोई
17. खुले में शौच करने की प्रथा की शुरूआत कब हुई?
500 वर्ष पूर्ण से
1000 वर्ष पूर्व से
10000 वर्ष पूर्व से
जब से मानव की उत्पति हुई हैं
18 खुले में शौच जाने से कौन-कौन सी बीमारियाँ हो सकती है?
पोलियो
हैजा
दस्त
उपरोक्त सभी
19 आप सोचते हैं कि जन जन में स्वच्छता आनी चाहिए
हां
नही
स्वच्छता अभियान और मेरे मन की बात – Monica Gupta
क्लिक करिए और सुनिए स्वच्छता अभियान पर 4 मिनट और 35 सैकिंड की ऑडियो… मेरा अनुभव स्वच्छता अभियान और मेरे मन की बात बात स्वच्छता अभियान के दौरान की है. जब गांव गांव जाकर लोगों को जागरुक किया जा रहा था.लोगो को समझाया जा रहा था कि खुले मे शौच नही जाओ आसान नही था क्योकि सदियों से चली आ रही मानसिकता बदलना मुश्किल था. See more…
स्वच्छता, हमारे लिए कितनी जरुरी है… वैसे आपका क्या विचार है स्वच्छता के बारे में .. अगर आज आपने अपने पर्स से कोई बेकार कागज सडक पर नही फेका तो यकीन मानिए आपने भी आज स्वच्छता में अहम रोल अदा किया है … ऐसा मेरा मानना है !!
(सभी तस्वीर गूगल से साभार )
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