बाल साहित्य में एक और उपलब्धि – बाल साहित्य सम्मान – हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से 2015 का “बाल साहित्य पुरस्कार” मेरी लिखी किताब “वो तीस दिन” को मिला…बाल साहित्यकार मोनिका गुप्ता ….
वो तीस दिन नेशनल बुक ट्र्स्ट से प्रकाशित है. ये दूसरा बाल साहित्य सम्मान हैं इससे पूर्व 2009 में’ मैं हूं मणि’ को बाल साहित्य पुरस्कार मिला था ..
बाल साहित्य में एक और उपलब्धि- बाल साहित्य सम्मान
बाल उपन्यास की मुख्य पात्रा है कक्षा दस ने पढने वाली मणि. जोकि किसी भी बच्चे की तरह बेहद शरारती चुलबुली है पर कक्षा दस की परीक्षा खत्म होने के बाद नतीजा आने से पहले तीस दिनों में ऐसा क्या होता है कि मणि के एक जबरदस्त बदलाव आ जाता है…
कहानी बेहद रोचक, मनोरंजक और शिक्षाप्रद है. और नेशनल बुक ट्र्स्ट की साईट पर ऑनलाईन भी उपलब्ध है..
बाल साहित्य में एक और उपलब्धि – बाल साहित्य सम्मान
वो तीस दिन
एक झलक कहानी की
मै हूँ मणि। आज मेरी दसवीं क्लास की बोर्ड़ परीक्षा का आखिरी दिन है। हे भगवान! कितनी टेन्शन थी ना………। आज पता है मैं घर जाकर सबसे पहले क्या करूंगी। शर्त लगा लो आप लोग बता ही नहीं सकते। मैं सबसे पहले टेलिविज़न चलाऊंगी और दो महीने से जो पिक्चरें मैंने नहीं देखी वो देखूंगी और अपने मोबार्इल पर आए मैसेज पढूंगी। पता है पिछले दो महीनों से मम्मी-पापा ने मुझे कुछ भी नहीं करने दिया बस…………..पढ़ार्इ………..पढ़ार्इ………पढ़ार्इ……… इस करके………. आज मैं ढे़र सारी मनमानी करने वाली हूं।
उफ……….शुक्र है………. आज आखिरी पेपर उम्मीद के अनुसार ठीक ही हो गया अब तो जल्दी थी घर पहुंचने की।
मैं रास्ते में जा रही थी कि मेरे सामने वाली सड़क पर एक स्मार्ट सी युवती, छोटे-छोटे बालों वाली, आंखों में धूप का चश्मा लगाए, बैग कन्धे पर लटकाए सड़क पार कर रही थी कि शायद उसका पांव फिसल गया या पता नहीं………..क्या हुआ………पर वो बहुत बुरी तरह से गिर गर्इ।
पता नहीं उसे देखकर मेरी बहुत बुरी तरह हंसी निकल गर्इ और मैं ठहाका लगाती ताली बजाकर हंसती हुर्इ आगे बढ़ी। उधर वो तुरन्त उठी मेरी तरफ देखा फिर अपने कपड़ों को झाड़ा और ऐसे चल दी मानो कुछ हुआ ही ना हो। मैं हंसती हुर्इ आगे बढ़ी। सामने से पुनीता आ रही थी उसने बताया कि वो आज से ही ब्यूटीशियन का कोर्स ज्वाइन कर रही है और उसकी बहन कुकिंग का।
मैंने मुंह बिचका लिया और बोली भर्इ मैं तो आराम करूंगी और टेलिविज़न ही देखूंगी। उसको बाय बोलकर मैं घर की ओर बढ़ गर्इ। दूसरी तरफ से गीता मैड़म आ रहे थे………मैंने उन्हें देख कर भी अनदेखा कर दिया क्योंकि देखती तो उन्हें नमस्ते करनी पड़ती………….कौन करे नमस्ते…………..यही सोचती हुर्इ मुंह दूसरी तरफ करके मैं आगे बढ़ गर्इ।
घर पहुंची तो मम्मी छोले-भठूरे बना रहीं थीं…
साहित्य अकादमी सम्मान
साहित्य अकादमी सम्मान हरियाणा साहित्य अकादमी सम्मान बात 2009 की है जब मेरी पहली पुस्तक” मैं हूं मणि” को हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से “बाल साहित्य पुर read more at monicagupta.info
बच्चों की मनोरंजक कहानी – कहानी घर घर की – Monica Gupta
बच्चों की मनोरंजक कहानी – कहानी घर घर की – हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से 2015 का “बाल साहित्य पुरस्कार” मेरी लिखी किताब “वो तीस दिन” को मिला. बाल साहित्य बच्चों की मनोरंजक कहानी – कहानी घर घर की – Monica Gupta
बाल साहित्य में एक और उपलब्धि
Leave a Reply