क्यों न हम थोड़े से अलग बनें….खुश रहने की सलाह ना देकर वजह बनें
माना की पीपल और बरगद जैसे विशाल नहीं है हम पर गमले में उगने वाली तुलसी भी किसी से कम नही… खुद को कम मत समझिए… दूसरे की मदद के लिए आगे आईए…
एक बार समुद्री तूफ़ान के बाद लाखों मछलियाँ किनारे रेत पर तड़प तड़प कर मर रही थीं !
इस भयानक स्थिति को देखकर पास में रहने वाले एक 8 वर्ष के बच्चे से रहा नहीं गया और वह एक एक मछली उठा कर समुद्र में वापस फेकनें लगा !
यह देख कर उसकी माँ बोली…बेटा लाखों की संख्या में है , तू कितनों की जान बचाएगा ।
यह सुनकर बच्चे ने अपनी गति और तेज बढ़ा दी और मछलियों को पानी में फेंकने लगा ।
माँ फिर बोली… बेटा रहनें दे कोई फ़र्क नहीं पड़ता !
बच्चा जोर जोर से रोने लगा और एक मछली को समुद्र में फेकतें हुए जोर से बोला माँ “इसको तो फ़र्क पड़ता है”
फिर दूसरी मछली को उठाता और उसे पानी में फेंककर बोलता माँ “इसको तो फ़र्क पड़ता हैं” !
माँ ने बच्चे को सीने से लगा लिया !
इस बेहद मुश्किल दौर में जितना संभव हो सके लोगों को हमेशा हौसला और उम्मीद देने की कोशिश करें , न जानें कब आपकी वजह से किसी की जिन्दगी औऱ सोंच बदल जाए !
क्योंकि भले ही इससे
हम सबको कोई फर्क नहीं पड़ता हो पर एक को तो फर्क पड़ता है शायद ……।
क्यों न हम थोड़े से अलग बनें….खुश रहने की सलाह ना देकर वजह बनें
माना की पीपल और बरगद जैसे विशाल नही है हम पर गमले में उगने वाली तुलसी भी किसी से कम नही… खुद को कम मत समझिए… दूसरे की मदद के लिए आगे आईए…
Ankit says
Very nice