Audio-Odd even cars formula- Monica Gupta
अरविंद केजरीवाल जी का ऑडियों वीडियों ऑड ईवन कार के बारे में सुन रही थी तो अचानक मुझे एक बात याद आई वो मैं आपसे ऑडियो और लिख कर भी शेयर कर रही हूं …
बहुत समय पहले मैने एक कहानी लिखी थी प्यारा चोर … वो कहानी कुछ ऐसे थी कि गांव की अम्मा जी अपने बेटे से मिलने शहर जाती हैं वहां वो जिस कालोनी में रहते हैं वहां शाम होते ही सन्नाटा छा जाता सब अपने अपने घर मे व्यस्त रहते.बच्चे टीवी तो महिलाए टीवी के साथ साथ अपने अन्य काम भी करती रहती पर मिलना जुलना न के बराबर था अडोस पडोस का कोई हाल चाल नही पूछता था. ऐसे मे अम्मा जी को हैरानी हुई क्योकि उनके गांव में ऐसा नही होता था सब मिल जुल कर रहते और दुख दर्द मे साथ रहते. एक शाम अचानक एक घर की छत पर किसी ने पत्थर फेंका. बार बार आवाज आने पर वो महिला डर गई. अगले दिन फिर दूसरे घर में ऐसा ही हुआ. अगले दिन एक परिवार डंडा लेकर छत पर चढा पर वहां भी कोई नही दिखा. बस पत्थर पडे हुए थे.
अब कालोनी वाले सर्तक हो गए और बात यह उडी कि कच्छा बनियान गिरोह आया हुआ है जो पत्थर फेंक कर यह तसल्ली करता है कि घर मे कितने लोग हैं फिर चोरी करते हैं. जब सभी के घर कुछ न कुछ फेंका जाने लगा तो पुरुष सतर्क हो गए और दफ्तर से जल्दी घर आने लगे वही महिलाए भी घर से बाहर निकल कर एक दूसरे से बतियाने लगी.
शाम को अब वो लोग पहरा भी देने लगे और एक दिन उन्हे कोई काले कपडों मे भागता भी दिखा था उसका पीछा किया पर वो हाथ नही आया. अब उस कालोनी मे शाम होते ही रौनक रहने लगी. बच्चे कभी साईकिल चलाते कभी क्रिकेट खेलते खेलते जासूसी भी करने लगे शाम को अब कालोनी में खूब हल्ला गुल्ला रहने लगा.
अम्मा भी जा रही थी. उनका बेटा जब छोडने गया तो ट्रेन मे बैठते बैठते उन्होने कहा कि अब चिंता न करना अब कोई पत्थर नही मारेगा.. इस पर बेटे ने हैरानी से पूछा कि कैसे ?? अम्मा हंसती हुई बोली क्योकि वो कोई और नही अपने गांव का गोपी था. उन्होने ही उसे बुलाया था क्योकि आस पडोस में कोई रौनक नही कोई मेलजोल नही यही सोच कर उसे बुला लिया था अब देखो कितनी रौनक है सब मिलजुल कर रहने लगे. हैरान हुए बेटे ने पूछा कि अम्मा अगर वो पकडा जाता तो ?? इस पर अम्मा ने मुस्कुराते हुए कहा गांव का खालिस दूध पीता है वो तुम्हारी तरह बेड टी नही पीता.. बेटा यही सोच रहा था कि वो चोर तो प्यारा चोर निकला.
अब आप ये सोच रहे होंगे कि ये कहानी मुझे आज कैसे याद आई..याद ऐसे आई कि मेरे पेरेंट्स दिल्ली में रहते हैं और दिल्ली की लाईफ भी बहुत बिजी है. पडोस पडोस को नही जानता…… बस आफिस से घर या फिर बाहर घूमने पर ही बाहर निकलते हैं…. एक पडोसी दूसरे पडोसी का नाम भी नही जानता.
ऐसे में ऑड ईवन नियम लागू करके आसपास के लोग पडोस की कार देखने लगे हैं आपस मे बात करने लगें हैं और चाहे पूल कार करके सब साथ जाने लगे हैं. हमारी भी दोनो कार ईवन है इसलिए दिक्कत होना स्वाभाविक है …पर पडोस की महिलाए बच्चे एक दूसरे से जानकारी निकालने लगी है ताकि ऑड ईवन कारों का मिलकर इस्तेमाल किया जा सके.
बेशक प्रदूषण जिस भयानक तरीके से फैला हुआ है एक दिन में तो खत्म या कम नही होगा समय तो लगता ही है अगर हमें बुखार हो जाता है तो भी दो तीन दिन ठीक होने में लगते ही लगते हैं और ये तो भयंकर प्रदूषण है जो हफ्ते भर में ठीक होने वाला नही …. ऐसे में अगर ऑड ईवन नियम की वजह से प्रदूषण के साथ साथ दोस्ती ,मेल जोल भी बढ जाए तो नियम प्यारे हैं ना कहिए मैने क्या गलत कहां ??
Audio-Odd even cars formula- Monica Gupta
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