Monica Gupta

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October 10, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

बच्चों में संस्कार – माता पिता की भूमिका – Teach Indian Culture to Children – Parenting Tips In Hindi

बच्चों में संस्कार – माता पिता की भूमिका – Teach Indian Culture to Children – Parenting Tips In Hindi – हम अक्सर कहते हैं कि बच्चों को संस्कार सिखलाने चाहिए .. क्या हम ये बात सिर्फ कहते ही हैं या कोई उदाहरण भी बनते हैं…

बच्चों में संस्कार – माता पिता की भूमिका – Teach Indian Culture to Children

मेरी एक जानकार कुछ दिनों के लिए विदेश जा रही थी जब मैं उसके घर मिलने गई तो वो पैकिंग कर रही थी और घर पर थोडा तनाव चल रहा था. उसके घर वाले नाराज हो रहे थे साड़ी मत ले कर जाओ वहां सभी जींस पहनते हैं आप भी जींस खरीद लो … पर उसने साफ साफ मना कर दिया बोली साड़ी ही पहनूंगी… ज्यादा हुआ तो चूडीदार और कुर्ता ले जाती हूं पर जींस नही ..

 

 

कभी पहनी ही नही तो अब किसलिए… ये हमारा कल्चर है … यकीन मानिए … मैं अपनी सहेली के साथ थी.. उनका आठ साल का बेटा वही बैठा था और वो बोलने लगा … इंडिया इंडिया …. चेयर करने लगा और मम्मी से लिपट गया. .. सच मानिए मुझे बहुत अच्छा लगा. ये होते है प्रैक्टिकल संस्कार.. जीता जागता उदाहरण…

बच्चों को सिखाएं – Indian Culture – भारतीय संस्कृति – My Country – India

ये बातें देख कर बच्चा अपना संस्कृति, कल्चर न सीखे हो ही नही सकता… इसमे माता पिता की भूमिका अहम होती है. हमारी पहचान ही हमारे संस्कारों से है और हमें उसे नही छोडना चाहिए.. बात सिर्फ हमारे देश की नही बल्कि विदेश में भी पेरेंटस अपने बच्चों को संस्कार देते हैं. मेरे बहुत जानकार हैं जो विदेश में जाकर बस गए हैं पर बच्चों को संस्कार जरुर भारतीय दिए हुए हैं.

एक मेरी सहेली हैं पुष्प अत्री जोकि 18  साल से न्यूयार्क अपनी फैमली अपने हसबैंड और दो बच्चों नील औए सोनिका के साथ रहती हैं… घर पर हिंदी में ही बात करते हैं.. असल में, उनका इंडिया चक्कर लगता रहता है तो वो ये चाहती हैं कि बच्चे जब इंडिया आएं तो अपनी मातृभाषा न भूलें..

उन्होनें बताया कि विदेश में भी बहुत भारतीय रहते हैं और समय समय पर त्योहार सेलीब्रेट करते रहते हैं. कुछ समय पहले न्यूयार्क में जब इंडिया डे मनाया गया तो वो भी परेड का हिस्सा बनें और बहुत गर्व महसूस हो रहा था.

उन्होनें  ये भी  बताया कि घर पर रामायण, महाभारत की डीवीडी रखी हैं और समय समय पर जरुर देखते हैं हनुमान चालीसा तो बच्चों को लर्न ही है और वहां तो मंदिर या गुरुद्वारों में हिंदी क्लासेस भी लगती हैं…

उनकी देखा देखी एक सहेली निशा जोकि मिशिगन  Michigan रहती हैं वो भी अपने बच्चों को हिंदी में बोलने के लिए प्रोत्साहित कर रहीं हैं.

मुझे भी याद आई एक फिल्म कभी खुशी कभी गम जब काजोल का बेटा जन गन मन गाता है स्कूल में…. तो पूरे हॉल में कितनी तालियां बजी थी…

और ये तो खैर एक दो ही उदाहरण हैं ऐसे न जाने कितने उदाहरण हैं जो विदेश में रहते हुए भी बच्चों को भारतीय संस्कारों के साथ ही बढा कर रहे हैं…

कितने विदेशी बच्चे हैं जो संस्कृत में इतनी खूबसूरती से श्लोक बोलते हैं कि हैरानी होती है. जब विदेशी हमारे कल्चर को इतना पसंद करते हैं तो हमें तो अपना कल्चर आगे लाना ही चाहिए … और हम तो संस्कृत हो या संस्कृति सभी भूलते जा रहे हैं .. तो हमें भी बढ़ावा देना चाहिए और हमारे त्योहार एक बहुत अच्छा उदाहारण बनते हैं…

पैर छूने को ओल्ड फैशन माना जाता है और हैलो हाय का पाठ पढाना ज्यादा सही समझते हैं. इंगलिश बोलनी नही आती तो शर्म महसूस करते हैं जबकि कोई बच्चा विदेश से आए और पैर छुए तो हम कितने प्रभावित हो जाते हैं कि भई ये देखो अपना कल्चर नही भूला…

अगर मन में इच्छा है देश के प्रति प्यार है तो विदेश में भी हम अपने बच्चों को संस्कार दे सकते हैं और इच्छा नही है तो इंडिया में रहते हुए भी बहाने निकल आएगें…

वैसे आप बताईए कि आप क्या सोचते हैं ?

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