Bring Happiness in Family – What brings Happiness in Family – बातें जो घर में खुशी लाती हैं… परिवार साथ रहने से नहीं, बल्कि हमेशा साथ जीने से बनता है… हम सभी चाहते हैं कि घर का माहौल अच्छा बना रहे.. घर में सुख शांति बनी रहे… पर कई बार समझ नहीं आता कि क्या करें और किस तरह से करें… कुछ लोग “ज़िन्दगी” होते हैं, कुछ लोग “ज़िन्दगी” में होते हैं… कुछ लोगों से “ज़िन्दगी” होती है, “पर” कुछ “लोग होते हैं” तो “जिंदगी” होती है. वो हैं हमारा अपना प्यारा परिवार.. तो इसी बारे में मैं आपको बता रही हूं सात बातें.. अगर हम उन्हें अपनी जिंदगी में उतार लेंगें तो यकीनन खुशियां आएगी… तो क्या हैं वो बातें…सबसे पहली बात..
Bring Happiness in Family – What brings Happiness in Family –
1.Enjoy the company परिवार के हर सदस्य की कम्पनी Enjoy करें.. जैसे हम दोस्तों के साथ कम्पनी एंज्वाय करते हैं और बोलते हैं ना कि अरे वो दोस्त.. वो मेरी फैमली जैसा है यानि बहुत close है.. बस ऐसे ही अपने फैमली के साथ उनकी कम्पनी एंज्वाय करेंगें तो खुशियां यकीनन आएगीं.. उसके लिए आप समय दीजिए.. जैसे हम अपना टाईम टेबल बनाते हैं उसमें कुछ समय फन टाईम को दीजिए… कि इस समय सभी ने मिलकर पूरी मस्ती करनी है…
समय साथ बीते इसके लिए अलग अलग तरीके अपना सकते हैं मान लीजिए एक साथ मिल कर खाना खा सकते हैं. नाश्ता नहीं तो लंच लंच नहीं तो शाम की चाय, चाय भी नहीं तो डिनर.. ज्यादातर परिवारों में डिनर एक साथ बैठ कर किया जाता है.. बस तब बातें भी कीजिए और खाना भी एक साथ खाईए.. ये सही मायनो में quality time कहलाएगा.. बस इसमें सबसे ज्यादा जरुरी है कि उस समय मोबाइल, कम्प्यूटर, टीवी सब से दूर सिर्फ और सिर्फ परिवार.. घर में हंसी खुशी और प्यार का वातावरण हो.
2 जादू की झप्पी का खुल कर इस्तेमाल कीजिए – वो कहते हैं ना कि टच में बहुत power होती है.. पति के सिर दर्द है तो पत्नी सिर सहला दे, बच्चा स्कूल जाने में आनाकानी कर रहा है तो पेरेंटस एक प्यारा सा hug, kiss दें कि क्या बात है.. किसलिए नहीं जाना.. इसमे इतनी ताकत होती है कि बच्चा सारा डर या तकलीफ भूल जाता है.. जितना प्यार को शेयर करेंगें ये उतना ही बढेगा..
3. अपनी बातें, अपनी stories शेयर कीजिए… इससे भी घर का माहौल खुशनुमा बनता है.. आज ऑफिस में क्या क्या हुआ या बच्चे से पूछिए कि आज स्कूल का दिन कैसा रहा.. फिर जैसे एक दिन पहले बच्चे ने कोई बात बताई हो उसका कि अरे भई उसका क्या रहा.. इससे परिवार के प्रति बॉंडिग मजबूत बनती है और जिससे प्यार बढता है.. टीवी चलाने की जरुरत ही नहीं… हम टीवी किसलिए चलाते है जब कोई होता ही नहीं बात करने के लिए और जब पूरा परिवार बात कर रहा है तो ये हुआ ना मनोरंजन..
4. पेरेंटस आपस में अच्छी तरह रहे तो ROLE MODEL बन सकते हैं. मैं आपको एक example बताती हूं कुछ दिन पहले पार्क में दो बच्चे खेलते खलते बात कर रहे थे… एक बच्चा दूसरे बच्चे से बोल रहा था कि मुझे तेरे घर आना बहुत अच्छा लगता है तो उसने पूछा कि क्यों ?? तो वो बोला तो कि तेरे घर में मम्मी पापा कितने आराम से प्यार से बात करते है.. और एक मेरा घर है सारा दिन लडते झगडतें रहते हैं अब बात वही है कि रोल मॉडल बनना चाहिए.. बच्चा घर से ही सीखे बाहर से नहीं.. और न सिर्फ सीखे बल्कि एप्लाई भी करे. इसलिए पेरेंटस को भी चाहिए कि बच्चों के सामने कुछ ऐसा न करें कि उन्हें महसूस हो.. घर का माहौल एकदम शांत रखें.. आपस में कुछ बात हो भी जाए तो अलग से बात करेंगें तो बच्चे भी ऐसे ही संस्कार लेकर बडे होंगें..
5.घर के माहौल को अच्छा बनाने के लिए बच्चों को हमेशा प्यार से रहने की शिक्षा दी जाए तो भी बहुत फर्क पडता है.. भाई बहन आपस में झगडते हो तो उन्हें समझाया जाए कि आप भी लक्की हो कि आपके भाई है या बहन है.. हमेशा भगवान का GRATEFUL होना चाहिए.. और बजाय झगडा करके के एक दूसरे की मदद करनी चाहिए.. ये परिवार की एकता को दर्शाता है.. जैसा हम दूसरे से व्यवहार करेंगें दूसरा भी वैसा ही करेगा.. तो हमेशा मिलजुल कर और प्यार से ही रहना चाहिए..
6. घर का माहौल एक दम तनाव रहित हो… Relaxing environment हो परिवार के सदस्य स्कूल कॉलिज या ऑफिस जाते हों.. जब शाम को छुट्टी हो तो अगर आने की करें चलो घर ना कि अरे नहीं घर जाना पडेगा वही किच किच वही झिक झिक… तो ऐसा माहौल घर का नहीं.. घर का माहौल एकदम तनाव रहित होना चाहिए जहां पर सब खुश होकर आएं और रिलेक्स कर सकें… इससे हमारी क्रिएटिविटी भी स्टीम्यूलेट होती है..
हंसना खिलखिलाना बहुत अच्छी दवाई है सेहत के लिए.. इससे तनाव दूर भाग जाता है.. जब मिल कर बैठे तो ऐसी बातचीत हो की घर हंसी की आवाज से गूंज जाए.. मान लीजिए आपने कोई कॉमेडी सीरियल देखा तो उसके बारे में बात कर रहे हैं..
सिर्फ हंसी मजाक ही नहीं.. अगर कोई किसी तरह की प्रोब्लम में भी है तो उसका मिलकर तनाव दूर करेंगें तो वही बात आ जाती है कि एक तरह की बोंडिंग मजबूत होती है…
अपने परिवार के सदस्यों को प्राथमिकता देनी और उन्हें समय समय पर प्रोत्साहित करना उन्हें जताना कि मुझे आपका बहुत ख्याल है.. उनका हर छोटी बडी बात पर ध्यान रखना जैसे जन्मदिन या कोई सालगिरह या फिर कभी कभार को सरप्राईज पार्टी रखना या मिलकर बाहर घूमने जाना
परिवार घड़ी की सुईयों जैसा होना चाहिए!! भले एक फास्ट हो, भले एक स्लो हो, भले एक बड़ा हो, भले एक छोटा हो, पर जब मिल जाते हैं एक हो जाते हैं जैसे घडी की सुईया मिल जाती हैं तो किसी के भी बारह बजा सकते हैं..
7.घर के कामों में मदद भी करवाईए. घर को सजाने सवांरने की भूमिका सिर्फ एक ही व्यक्ति की नहीं बल्कि पूरे परिवार की होती है.. कमरा फैला है तो ये सोच नहीं होनी चाहिए कि मम्मी है न कर देगीं.. खाना खा रहे हैं तो मम्मी लाकर देंगीं.. मदद करवानी चाहिए जब सभी अपना दायित्व समझेंगें तभी बात बनेंगीं और अच्छा भी तभी लगेगा.. छोटे मोटे कामों में मदद करेंगें हम प्यार को और मजबूत करते हैं..
घर को साफ सुथरा रखना चाहिए और उसके लिए और समय समय पर जो फालतू सामान रखा है जो बहुत लम्बे समय से इस्तेमाल ही नहीं हो रहा उसे भी निकालते रहिए.. जरुरतमंद को दे दीजिए.. घर पर खुल कर सांस ले सकें.. इसलिए बहुत जरुरी है.. ऐसा पडा हुआ सामान भी बहुत तनाव बढाता है.. कई बार बहुत ज्यादा हबडा तबडी से भी सब गडबड हो जाता है तो अगर हम समय को मैंनेज करके चलेंगें तो घर में खुशी बरकरार रह सकती है…
8. घर को समय और जरुरत के हिसाब से Renovate भी करवाते रहना चाहिए
हमारी जो पांच senses पांच इंद्रियां है वो खुश रहें.. क्या क्या होती है पांच इंदियां- आखं, नाक, कान, taste और touch.. यानि जो भी महसूस करें अच्छा लगे.. आखं सब अच्छा देखें.. कई बार होता है कि बहुत समय हो गया पेंट करवाए, सफेदी करवाए, घर गंदा हो रहा है या फिर घर पर करवाया पेंट भी हमारे मन पर असर डालता है जैसाकि कई बार बहुत गहरे रंग के परदे, बेड शीट गहरी हो तो बंद बंद सा लगता है.. घर को समय समय पर Renovate भी करवाते रहना जरुरी होता है.. महक अच्छी हो… बहुत ज्यादा शोर शराबा न हो.. लोग आपस में आराम से बात करते हों.. चीखते चिल्लाते न हों..
LIGHT IN एक मेरे जानकार हैं जब उनके घर जाती हूं तो जहां उनकी दादी का कमरा है वो सबसे अच्छा लगता है क्योंकि वो हवादार है और उस कमरे का रंग हलका करवाया हुआ है.. तो ये चीजे भी हमारे मन पर असर डालती हैं
घर में एक HAPPY SPACE होना चाहिए. हम सभी के घर में एक कोप भवन तो होता है यानि जब भी गुस्सा हुए वहां चले गए.. चुपचाप बैठ गए पर हमें HAPPY SPACE बनाना है एक ऐसी जगह की मन उदास भी हो तो वहां जाकर खुश हो जाए.. छोटा सा स्पेस बना हो.. अपने मन मुताबिक हम कुछ भी रख सकते हैं वहां पर गमले तो, water fountain हवादार जगह हो, म्यूजिक चल रहा हो..
9. Positive रहें और appreciate करें जो हमारे पास जो है उसमें खुश रहें.. बहुत बार ये भी चाहिए वो भी चाहिए.. ये नहीं है वो नहीं के चक्कर में जो है उसे भी गंवा देते हैं तो जो है उसमें खुश रहिए… expectations reasonable रखिए… उपर वाले का धन्यवाद दीजिए.. हमेशा पॉजिटिव बाते बोलिए..
Positive environment = Happy environment
रोटी कमाना बड़ी बात नही है परिवार के साथ बैठकर “खाना” बड़ी बात है अपने वो नही होते जो,“तस्वीर”में साथ खड़े होते हैं ! अपने वो होते हैं जो,“तकलीफ” में साथ खड़े होते हैं !!
धन तो हर कोई कमा लेता है लेकिन ख़ुशनसीब वो है जो परिवार कमा लेता है …!
कुछ लोग “ज़िन्दगी” होते हैं,
कुछ लोग “ज़िन्दगी” में होते हैं।
कुछ लोगों से “ज़िन्दगी” होती है,
“पर”
कुछ “लोग होते हैं” तो “जिंदगी” होती है.
Leave a Reply