Monica Gupta

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October 31, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

छठ पूजा की कहानी – क्यों मनाया जाता है छ्ठ पर्व

छठ पूजा की कहानी – क्यों मनाया जाता है छ्ठ पर्व और इस  chhath puja पर्व का क्या महत्व है .. आईए जाने इसकी अलग अलग पौराणिक कहानियां . सूर्योपासनाके लिए प्रसिद्ध पर्व छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाए .

सूर्य षष्ठी व्रत होनेके कारण इसे छठ कहा गया है। इसे वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। श्रद्धालु भगवान सूर्य की आराधना करके वर्षभर सुखी, स्वस्थ और निरोगी होने की कामना करते हैं…

छठ पूजा की कहानी – क्यों मनाया जाता है छ्ठ पर्व

मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया है और इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मा की मानस पुत्री और बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को इन्हीं देवी की पूजा की जाती है.

शिशु के जन्म के छह दिनों के बाद भी इन्हीं देवी की पूजा करके बच्चे के स्वस्थ, सफल और दीर्घ आयु की प्रार्थना की जाती है. पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी मिलता है, जिनकी नवरात्र की षष्ठी तिथि को पूजा की जाती है

छठ पूजा पर्व चार दिवसीय उत्सव है। इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। इस दौरान वे पानी भी ग्रहण नहीं करते। छठ व्रत कठिन तपस्या की तरह है  भैयादूज के तीसरे दिनसे यह आरंभ होता है ।ऐसी मान्यता है कि छठ पर्व पर व्रत करने वाली महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।

सूर्य की शक्तियों का मुख्य श्रोत उनकी पत्नी ऊषा और प्रत्यूषा हैं। छठ में सूर्य के साथ-साथ दोनों शक्तियों की संयुक्त आराधना होती है। प्रात:काल में सूर्य की पहली किरण (ऊषा) और सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण (प्रत्यूषा) को अघ्र्य देकर दोनों का नमन किया जाता है।

छठ पूजा की परंपरा और उसके महत्व का प्रतिपादन करने वाली अनेक पौराणिक और लोक कथाएं प्रचलित हैं।

 क्या हैं पौराणिक मान्यताएं

पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी के सूर्यास्त और सप्तमी के सूर्योदय के मध्य वेदमाता गायत्री का जन्म हुआ था. प्रकृति के षष्ठ अंश से उत्पन्न षष्ठी माता बालकों की रक्षा करने वाले विष्णु भगवान द्वारा रची माया हैं. बालक के जन्म के छठे दिन छठी मैया की पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे बच्चे के ग्रह-गोचर शांत हो जाएं और जिंदगी मे किसी प्रकार का कष्ट नहीं आए. अत: इस तिथि को षष्ठी देवी का व्रत होने लगा.

छठ पूजा की कहानी - क्यो मनाया जाता है छ्ठ पर्व

रामायण से एक मान्यता के अनुसार लंका विजय के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की। सप्तमी को सूर्योदय के समय पुनः अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशिर्वाद प्राप्त किया था।

ये भी माना जाता है कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की। कर्ण भगवान सूर्य का परम भक्त थे। वह प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में ख़ड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने। आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही पद्धति प्रचलित है।

कुछ कथाओं में पांडवों की पत्नी द्रोपदी द्वारा भी सूर्य की पूजा करने का उल्लेख है। वे अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना और लंबी उम्र के लिए नियमित सूर्य पूजा करती थीं।

पुराणों से एक कथा के अनुसार राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परंतु वह मृत पैदा हुआ। प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन तुम मेरा पूजन करो तथा और लोगों को भी प्रेरित करो। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी।

आप सभी को छठ पूजा की शुभकामनाए ….

छठ पूजा की कहानी - क्यो मनाया जाता है छ्ठ पर्व

छठ पूजा की कहानी – क्यों मनाया जाता है छ्ठ पर्व

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अहोई अष्टमी कथा – अहोई अष्टमी व्रत कथा और महत्व – Monica Gupta

अहोई अष्टमी कथा अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन किया जाता है। माताओ के लिए यह व्रत अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अहोई अष्टमी की कहानी read more at monicagupta.info

 

छठ पूजा की कहानी – क्यों मनाया जाता है छ्ठ पर्व

October 31, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

हमारे पड़ोसी – पड़ोसी से परेशान

हमारे पड़ोसी - पड़ोसी से परेशान

हमारे पड़ोसी – पड़ोसी से परेशान – हमारा पडोस हमारे जीवन पर बहुत गहरा असर डालता है. वो हमारा ख्याल रखता है तो हम भी रखें पर वो बत्तमीजी करे मुंहतोड जवाब देना ही चाहिए .

 हमारे पड़ोसी – पड़ोसी से परेशान

मणि दीवाली की राम राम करने आई और चहकती हुई बोली कि पडोसियों को मिठाई नही खिलाई … अरे … मैने कहा … ये तो गलत बात है खिलानी चाहिए थी … इस पर वो बोली कि अरे गलत काम करें वो और हम मिठाई खिलाते फिरें … हे भगवान … क्या गलत कर दिया उन्होने … उसने कहा तुझे नही पता … मैंने कहा कि पडोसी तुम्हारे तो मुझे कैसे पता होगा इस पर वो बोली अरे नही वो तुम्हारे भी पडोसी है … क्या ???

हमारे पड़ोसी देश

इस पर वो मुस्कुराती हुई बोली हमारे पडोसी पाकिस्तान वाले .. अभी खबर पढी कि बीएसएफ ने दिवाली के मौके पर अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी रेंजरों के साथ मिठाइयों के आदान-प्रदान से इनकार कर दिया… बीएसएफ ने दोनों देशों के बीच चल रही तनातनी के मद्देनजर यह रूखा व्यवहार किया… अरे वाह अब मैं भी खुश हो गई … वैसे क्या आपने अपने पडोसियों को मिठाई खिलाई .

एक कदम स्वच्छता की ओर बनाम सर्जिकल स्ट्राईक – Monica Gupta

एक कदम स्वच्छता की ओर एलओसी पर भारत की सर्जिकल स्ट्राइक करके भारत ने एक कदम ओर स्वच्छता अभियान की ओर बढा दिया है.. भारत में आजकल स्वच्छ्ता अभियान चल रहा है read more at monicagupta.info

इस दिवाली पर BSF ने नहीं खिलाई पाकिस्तानी रेंजर्स को मिठाई

अटारी। बीएसएफ ने दिवाली के मौके पर रविवार को …..  read more at eenaduindia.com

 

 

 

October 30, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छता का महत्व – ऐसे ही लाई जा सकती है स्वच्छता

स्वच्छता का महत्व

स्वच्छता का महत्व – ऐसे ही लाई जा सकती है स्वच्छता – जब तक स्वच्छता अभियान जन आंदोलन रुप नही ले लेगा … लोग इसे दिल से नही अपना लेंगें स्वच्छता नही आ सकती . इसी बात से जुडा मेरा एक अनुभव …

स्वच्छता का महत्व – ऐसे ही लाई जा सकती है स्वच्छता

स्वच्छता का महत्व-
आज मैने आज स्वच्छता में बहुत बडा योगदान दिया. अपने पर्स से कागज और प्लास्टिक का लिफाफा निकाल कर सडक पर नही फेंंका घर आकर डस्टबीन में ही फेंका. बस .. इतना ही … !! आप भी करके देखिए … स्वच्छता के साथ समाज सेवा भी हो जाएगी और आप दूसरों के लिए प्रेरणा भी बन जाएगें…
वैसे अगर हम स्वच्छता का मह्त्व नही समझेंगें … जागरुकता नही आएगी …बेशक कितने ही विज्ञापन दिखा दिए जाए, फिल्मी कलाकारों को लिया जाए … खिलाडियों को लिया जाए … सप्ताह मनाया जाए … पर जब तक सफाई की महत्ता समझ नही आएगी तब तक अभियान जन आंदोलन का रुप नही ले लेगा … तब तक अभियान सफल नही हो सकता …

 

 

 

स्वच्छता का महत्व कितना आवश्यक – Monica Gupta

स्वच्छता का महत्व स्वच्छता की बात करने से पहले हमारे लिए सबसे पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि स्वच्छता का महत्व कितना आवश्यक है क्योकि स्वच्छता और पेयजल की read more at monicagupta.info

 

जीवन में स्वच्छता का महत्व – Monica Gupta

हमारे जीवन में स्वच्छता का महत्व समझते हुए मैने आज स्वच्छता में बहुत बडा योगदान दिया. अपने पर्स में पडे कागज सडक पर फेंकने की बजाय घर के डस्टबीन में फेंका read more at monicagupta.info

स्वच्छता का महत्व के बारे में आपके क्या विचार है ???

 

October 29, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

दीवाली से जुडी कुछ रोचक बातें – दीपावली पर जरुरी है सफाई

दिवाली की तैयारी

दीवाली से जुडी कुछ रोचक बातें – दीपावली पर जरुरी है सफाई  – दिवाली या दीपावली त्योहार है खुशियों का … आईए इससे जुडी हमारी आपकी आम जिंदगी से जुडी कुछ रोचक बातॆ सुनें

दिवाली की तैयारी – दीवाली से जुडी कुछ रोचक बातें

दीपावली का नाम आते ही हमारे जहन में सबसे पहले सफाई ही आती है … प्रश्न ये उठता है कि इस त्योहार पर इतनी सफाई किसलिए की जाती है असल में,  ये फेस्टिवल धन धान्य की देवी मां लक्ष्मी का  है मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी सभी के घर आती है और जिस भक्त घर सबसे साफ सुथरा होता है वो वही विराज,मान हो जाती है..

मां लक्ष्मी के साथ साथ गणेश जी का भी पूजन किया जाता है उनके साथ रिद्दी सिद्दी का भी अगमन होता है. इसीलिए घर का कोना कोना चमकाया जाता है. मान्यता है कि सफाई के साथ साथ  टूटे-फूटे बेकार चीजो को भी बाहर का रास्ता दिखा देने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आ जाती है और वातावरण  भी स्वच्छ हो जाता है…घर में गरीबी का वास नहीं हो पाता। इस बात को उपदेश मे कहने की बजाय देवी लक्ष्मी के आगमन से जोड़ दिया गया ताकि इसी बहाने लोग घर में साल में एक बार तो कोने-कोने की सफाई करें…..

दिवाली की तैयारी

कैसे करें दीपावली की  सफाई

सफाई मात्र जाले उतारना या झाडू लगाना ही नही बल्कि कुछ ऐसी चीजे जिनसे नकारात्मक उर्जा आती है उसे भी निकाल देना चाहिए जैसा कि टूटा हुआ दर्पण हो रुकी या खराब घडी हो बेशक कितनी भी कीमती क्यो न हो … नकारात्मक ऊर्जा का प्रमुख कारण होती है … या फिर बहुत पुराना पर टूटा फूटा  समान जिसके प्रति हमारा मोह बरकरार रहता है और हम उसे सहेजे ही जाते है … उसे निकाल देना चहैए या फिर अगर किसी के काम आए तो उसे उसे दे देना चाहिए

ये तो बात हुई सफाई की अब क्योकि दीवाली आ गई है तो हमें ऐसे क्या काम है जो इस दिन नही करने चाहिए जो दीवाली वाले दिन

दीवाली के दिन लडाई झगडा नही करना चाहिए और .. खुशी खुशी इस त्योहार को मनाना चाहिए  दीए जलाते समय या पटाखे जलाते समय विशेष सावधानी रखनी जरुरी है .. कई बार हम पूजा घर में दीए रख देते हैं ऐसे में कई बार और अनहोनी भी हो जाती है इसलिए दीए प्लेट या थाली में ही रखे. परदे या कपडो से दूर ही रखें और घर के भीतर दीए जला रखे हैं और आप बाहर हैं तो बीच बीच मे अंदर का चक्कर लगा कर चैक करते रहना जरुरी हो जाता है .. जरुरी बात ये कि भी है कि किसी भी तरह का नशा न करें …

अब बात आती है उपहारों की … उपहारो का लेन देन होता है यकीनन अच्छा भी लगता है आमतौर पर एक उपहार आया और हम वो उपहार एज इट इज दूसरे को दे देते हैं  पर घर आया उपहार दूसरे को देने से पहले चैक करना बहुत जरुरी है  कई बार कोई अपना विटिंग कार्ड अंदर रख देता है या  खोए आदि की मिठाई फुई लग जाती है … जो भी उपहार दें बस देने से पहले चैक जरुर कर लें …

जो करेंं दिल से करें दिखावा नही करें … 

सबसे सबसे जरुरी बात की दिखावा नही करें जो करें सिर्फ और सिर्फ दिल से करें.. देवता भी उन्ही की प्रार्थना सुनते हैं जो दिल से करते हैं … इसी सिलसिले मे एक बहुत प्यारी सी कहानी भी है कि एक बार भगवान नारद से कहते हैं कि मैं पहाड पर रहता हूं तो भक्त वहां आ जाते हैं समुद्र की गहराई में जाता हो तो भक्त वहां भी आजाते हैं … मैं विश्राम् कहां करुं … इस पर नारद कहते हैं कि प्रभु आप लोगो के दिल में बस जाओ … वही वही एक जगह है जहा लोग नही खोजते … तो अगर प्रभु को पाना हो तो सिर्फ दिल से… दिखाने की कोई जगह नही होनी चाहिए

जाते जाते एक और एक जरुरी बात दीवाली एक बहुत अच्छा मौका है अगर किसी से नाराजगी या झगडा है तो उन्हें बधाई दीजिए शुभकामनाएं दीजिए और मिटा दीजिए आपसी झग़डा …

दीपावली आपके जिंदगी में ढेर सारी खुशिया लेकर आए इसी शुभकामनाओ  के साथ … हैप्पी दीपावली …

दीपावली की कहानी – पांच पर्वों का प्रतीक है दीवाली – Monica Gupta

दूसरे दिन चतुर्दशी को नरक-चौदस मनाया जाता है। इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इस दिन एक पुराने दीपक में सरसों का तेल व पाँच अन्न के दाने डाल कर इसे घर की नाली ओर जलाकर रखा जाता है। यह दीपक यम दीपक कहलाता है। एक अन्य दंत-कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन नरकासुर राक्षस का वध कर उसके कारागार से 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था। read more at monicagupta.info

दिवाली पटाखे – पटाखों से होने वाले नुकसान- दीवाली है तो पटाखे  है पटाखें है तो  पर्यावरण को नुकसान है पर ये ईको फ्रेंडली पटाखें हैं इनसे नुकसान नही होगा बल्कि दोस्ती और बढेगी दिवाली पटाखे – पटाखों से होने वाले नुकसान बेशक कुछ पटाखे प्रदूषण फैला सकते हैं पर ये पटाखे दोस्ती और मित्रता […] Read more…

 

दिवाली की तैयारी कैसी चल रही है आपकी … ??

 

October 28, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

एनीमिया रोग – महिलाओं में खून की कमी

एनीमिया रोग - महिलाओं में खून की कमी

एनीमिया रोग – महिलाओं में खून की कमी- महिलाएं घर की धुरी होती हैं वह पूरे परिवार की जिम्मेवारी को बखूबी निभाती हैं, पर जब खुद की सेहत की हो तो अपना ध्यान ही  नहीं रखती… अपनी सेहत के प्रति बिल्कुल लापरवाह होती है…

एनीमिया रोग – महिलाओं में खून की कमी

नारी, महिला, औरत, नारायणी, शक्ति, दुर्गा न जाने कितने नामों से स्त्री  को सम्बोधित किया जाता है, लेकिन दुःखद पहलू यह है कि आज यही नारायणी एनीमिया की गिरफ्त में है।

शक्ति को शक्तिहीन करता एनीमिया

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि एनीमिया का नाम सुनते ही हमारे जहन में महिलाएं ही आती हैं, क्योंकि ज्यादातर महिलाएं ही इसका शिकार होती हैं। महिलाएं घर की धुरी होती हैं। वह पूरे परिवार की जिम्मेवारी को बखूबी निभाती  हैं, पर दुःख की बात है कि परिवार की देखभाल में वह खुद पर ध्यान नहीं दे पातीं। यही वजह है कि अपने पोषण के प्रति ज्यादातर समय वे लापरवाह ही बनी रहती हैं और इस वजह से एनीमिया  Anemia) का शिकार बन जाती हैं।

एनीमिया क्या है

शरीर के खून में लाल रक्त कणों का सामान्य से कम होना ही एनीमिया कहलाता है। चिकित्सीय भाषा में हीमोग्लोबिन की कमी को एनीमिया कहा जाता है। ये लाल रक्त कण शरीर के सभी अंगों में जीवनदायक ऑक्सीजन पहुंचाने का कार्य करते हैं। लाल रक्त कणों की कमी होने पर ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है, जिससे थकान और कमजोरी का अहसास होने लगता है। रक्त में लौह तत्व की कमी होना एनीमिया का प्रमुख कारण है। साधारणतः पुरुषों में हीमोग्लोबिन का स्तर 13-5 तथा महिलाओं में 12 ग्राम@100 मिली ग्राम आरबीसी (रेड ब्लड सेल) होना चाहिए।
एनीमिया विश्व की खतरनाक बीमारियों में से एक है। विश्व में दो बिलियन से अधिक लोग एनीमिया से पीड़ित हैं। पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं इस समस्या से अधिक ग्रस्त हैं। पिछले दशक में भारत सहित विश्व में एनीमिया पीड़ितों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।

इस बारे में अधिक जानकारी के लिए हमने डॉक्टर गिरीश चौधरी संपर्क किया। उन्होंने बताया कि एनीमिया होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें ज्यादा खून बहना, RBC (Red blood cells) का बहुत ज्यादा नष्ट होना या इनका नया न बनाना, आयरन  से भरपूर भोजन न करना या शरीर में आयरन (Iron) का ठीक से अवशोषण न होना शामिल है। इसके अलावा अन्य कारण भी हैं, जिनकी वजह से एनीमिया (Anemia) की समस्या बढ़ जाती है।

महिलाओं मे खून की कमी के कारण

सामान्यतः यह बीमारी महिलाओं में इसलिए भी अधिक पाई जाती हैं क्योंकि भारतीय समाज में लड़कियों की परवरिश  पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता, जितना दिया जाना चाहिए। इस वजह से उन्हें पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता और उनमें खून की कमी होने लगती है। राष्ट्रीय पोषण मॉनिटरिंग ब्यूरो के अनुसार कि 13 से 15 वर्ष की लड़कियों को हमारे देश में 1620 कैलोरी वाला भोजन ही मिलता है, जबकि उन्हें 2050 कैलोरी वाले की आवश्यकता होती है। पर्याप्त मात्रा में कैलोरी नहीं मिल पाने के कारण लड़कियां कुपोषण का शिकार हो जाती हैं और इससे खून की कमी भी हो जाती है।

यह कमी गर्भधारण के बाद और प्रसव के समय अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाती है। यही वजह है कि यह बीमारी महिलाओं में अधिक पाई जाती है। एनीमिया के लक्षण किसी भी युवती या महिला में बहुत साफ-साफ दिखाई दे जाते हैं। खून की कमी होने पर महिलाओं में थकान, उठने-बैठने और खडे़ होने में चक्कर  आना, काम करने का मन न करना, शरीर के तापमान में कमी, त्वचा में पीलापन, दिल की धड़कन असामान्य होना, सांस लेने में तकलीफ होना, सीने में दर्द रहना, तलवों और हथेलियों में ठंडेपन के साथ ही सिर में लगातार दर्द होना शामिल है।

डॉक्टर गिरीश चौधरी ने बताया कि हैरानी इस बात की है कि एनीमिया को लोग सामान्य रूप से बीमारी नहीं मानते, जबकि यह धारणा गलत होने के साथ ही मरीज के लिए घातक भी है। यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है। विषेशकर  गर्भवती महिला एनीमिया (Anemia) बीमारी का शिकार होती हैं, तो उनके गर्भ में पल रहे शिशु का जीवन तक खतरे में पड़ सकता है। इसी प्रकार एनीमिया से ग्रस्त महिला के प्रसवकाल में अत्यधिक रक्तस्राव होने पर उसकी मौत तक हो सकती है।

एनीमिया रोग - महिलाओं में खून की कमी

एनीमिया रोग – महिलाओं में खून की कमी

 

एनीमिया के उपचार

सामान्य तौर पर देखा जाए, तो एनीमिया का इलाज घर पर ही हो सकता है, क्योंकि यह सहज भी है। खाने में रेशदार पदार्थों का अधिक से अधिक मात्रा में सेवन, दूध, हरी सब्जी, फल, अनार विटामिन ए  और बी, अण्डा, लाल मीट, तुअर की दाल, राजमा, चावल और फाइबरयुक्त पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।

इसके साथ ही सीजन में खाने में पालक, चौलाई, गुड़-चना, गाजर, चुकंदर, केला, सेब आदि का सेवन भी करना चाहिए। यह सभी खाद्य पदार्थ आयरन से भरपूर होते हैं और शरीर में तेजी से खून का निर्माण करते हैं। तरल और सुपाच्य खाद्य पदार्थ का नियमित सेवन करने से भी एनीमिया से बचाव संभव है।

इसके साथ ही लोहे की कढ़ाही में पका खाना भी खून बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोशिश करनी चाहिए कि अधिक मात्रा में चाय और कॉफी का सेवन ज्यादा न किया जाए। आजकल बाजार में लौहतत्व और आयोडीन युक्त नमक भी उपलब्ध है। इसमें आयोडीन के साथ आयरन कम्पाउंड होते हैं, जो जो शरीर में आयोडीन के साथ आयरन की भी पूर्ति करते हैं।डबल फोर्टीफाइड नमक की निश्चित मात्रा शरीर के लिए बहुत लाभकारी होती है।

एनीमिया रोग - महिलाओं में खून की कमी

एनीमिया रोग – महिलाओं में खून की कमी

जागरुकता का अभाव

इस बारे में डॉक्टर गिरीश ने बताया कि सबसे बड़ी कमी है कि हम एनीमिया के प्रति जागरूक नहीं हैं। गांव में ही नहीं, बल्कि शहर की महिलाओं को भी एनीमिया के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। एक डॉक्टर होने के नाते उन्होंने इस बात को बहुत गम्भीरता से समझा और इस दिशा में हर सम्भव प्रयास करने शुरू किए।

सन 2009-10 में एक सरकारी योजना के तहत उन्होंने 30 गांव चुने और सभी गांवों को दो हिस्सों मे बांटा गया और महिलाओं की जांच की गई। इनमें से कुछ एनीमिया से ग्रस्त महिलाओं को चुना गया। इनमें से 15 गाव की महिलाओं को एलोपैथी, जबकि 15 गांव की महिलाओं को आयुर्वेदिक इलाज दिया गया। सभी को 15 दिन बाद दोबारा चेकअप के लिए बुलाया गया, तो उनमें 80% तक सुधार था। कुछ महिलाओं ने स्वीकार किया कि वह दवाई नियमित रूप से नहीं ले सकीं। कुल मिलाकर यह अभियान सफल रहा।

एनीमिया रोग - महिलाओं में खून की कमी

एनीमिया रोग – महिलाओं में खून की कमी

इसमें सफलता मिलने के बाद कुछ समय बाद एक दूसरी कार्य योजना बनाई गई। इस बार सरकारी स्कूल की +2 की  लड़कियों को चुना गया। हरियाणा के जिले सिरसा के एक गांव कवरपुरा को चुना गया। पूरे गांव में कुल 250 घर थे। यहां जिन 60 लड़कियों को चुना गया, उन्हें पूरी तरह से ट्रेनिंग दी गई। इस दौरान एनीमिया, मलेरिया टीकाकरण आदि के बारे में विस्तार से बताया गया।

इस संबंध में एक प्रश्नावली भी तैयार की गई। छात्राएं समयानुसार हर घर में जातीं और गांव की महिलाओं को एनीमिया और मलेरिया के बारे में विस्तार से जानकारी दे कर आतीं।  ऐसे में महिलाओं ने उनकी बात को बहुत ध्यान से  न सिर्फ सुना, बल्कि अमल भी करना शुरू कर दिया।

यह अभियान लगभग दो महीने तक चला और महिलाओं पर असर भी छोड़ गया। इसी बारे में जब स्कूल के लेक्चरर श्री राजेश कुमार से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि लड़कियों की बातों का महिलाओं पर बहुत असर दिखाई दे रहा है।

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एनीमिया रोग – महिलाओं में खून की कमी

इसका एक उदाहरण बताते हुए उन्होंने कहा कि गाँव में अक्सर दूसरे गांव के लोग बर्तन बेचने आते हैं। एक बर्तन बेचने वाले ने उनको बताया कि पता नहीं क्या बात है, इस गांव में लोग लोहे की कढ़ाही बहुत खरीद रहे हैं। यह जान कर बहुत खुशी हुई कि लोग जान गए हैं कि एनीमिया दूर करने के लिए क्या-क्या करना चाहिए।

डॉक्टर गिरीश ने बताया कि इस तरह के अभियान यदि नियमित रूप से चलाए जाएं, तो वह दिन दूर नहीं जब हम एनीमिया पर विजय जरूर पा लेंगे।  इसमें कोई शक नहीं कि यदि जागरूक करने वाले ऐसे अभियान लगातार चलते रहें, तो हमारा समाज समाज स्वस्थ एवं खुशहाल समाज कहलाएगा।

बासी भोजन और महिलाए – Monica Gupta

बासी भोजन और महिलाए कल सुबह मेरी सहेली मणि के बहुत तेज पेट दर्द हुआ. फोन आते ही मैं उसके घर भागी. वो चुपचाप लेटी थी और घर के सभी सदस्य ऐसा लग रहा था कि read more at monicagupta.info

रक्तदान और महिलाए

रक्तदान और महिलाए रक्तदान और महिलाए बेशक जागरुकता का अभाव है पर फिर भी बहुत महिलाएं हैं जो रक्तदान के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रही हैं… आज जिस read more at monicagupta.info

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धुटन, आत्मा और महिलाएं टीवी का चैनल बदलते हुए अचानक एक धारावाहिक पर ध्यान चला गया. नाम था May I Come in Madam… उसकी एक पात्रा में अक्सर दादी की आत्मा आती है. मुझे याद आई बहुत साल पहले की बात जब हमारे घर के पास रहने वाली एक जानकार अक्सर हमारे घर आ जाती … monicagupta.info

खुले में शौच, महिलाएं और स्वच्छता अभियान – Monica Gupta

महिलाओं का खुले में शौच जाना बेहद शर्मनाक आज हम बात करते हैं खुले में शौच, महिलाएं और स्वच्छता अभियान की . स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 हो या जन आंदोलन के रुप में च Read more…

एनीमिया रोग – महिलाओं में खून की कमी के बारे में आपके क्या विचार है … जरुर बताईएगा

October 27, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

प्रदूषण रहित दिवाली – ध्वनि प्रदूषण को रोकने के उपाय

प्रदूषण रहित दिवाली

प्रदूषण रहित दिवाली – ध्वनि प्रदूषण को रोकने के उपाय – पटाखों से पर्यावरण को नुकसान – आज घर पर कुछ काम करते हुए अचानक भडाम की बहुत तेज आवाज सुनी …

प्रदूषण रहित दिवाली – ध्वनि प्रदूषण को रोकने के उपाय

अचानक दिल धबरा गया कि ये क्या हुआ… कहां बम फटा… मन में बुरे ख्याल आने लगे … तभी ख्याल आया कि ओह दीवाली है … बाहर बच्चों ने बम चलाया होगा … सच,,, आजकल देश में इतना तनाव है, हमारी सीमा पर इतना तनाव है कि इस तरह ध्वनियां जो कभी खुशियां लेकर आती थी अब तनाव और  टेंशन लेकर आती हैं …

मैने फिर नेट पर सर्च किया कि दिवाली पर बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कड़े निर्देश दिए है तो पढा कि रात 10 बजे के बाद पटाखे फोड़ने पर कार्रवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के संबंध में दिए निर्देषों के अनुसार रात में 10 बजे तक ही निर्धारित ध्वनि स्तर के पटाखे फोडे़ जा सकेंगे। इसके बाद सुबह 6 बजे तक पटाखों का फोड़ना पूरी तरह से वर्जित रहेगा…

प्रदूषण रहित दिवाली

प्रदूषण रहित दिवाली

दिवाली पर्व के दौरान भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार पटाखों के लिए शोर मानक नियत किए हैं। इसके अनुसार प्रस्फोटन के बिंदु से चार मीटर की दूरी पर 125 डीबी (एआई) या 145 डीबी से अधिक ध्वनि स्तर के पटाखों का उपयोग करना वर्जित है

चलिए थोडी राहत तो है …वैसे इसमें कोई शक नही कि हर साल की तुलना में पटाखो का शोर कम ही होता जा रहा है जोकि अच्छा सकेंत भी है … खुशियां और भी बहुत तरह से मनाई जा सकती है बम फोडना क्या जरुरी है …

प्रदूषण रहित दिवाली  के बारे में आपके क्या विचाए हैं ??

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छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही

Blogging Tips in Hindi

Blogging Tips in Hindi Blogging यानि आज के समय में अपनी feeling अपने experience, अपने thoughts को शेयर करने के साथ साथ Source of Income का सबसे सशक्त माध्यम है  जिसे आज लोग अपना करियर बनाने में गर्व का अनुभव करने लगे हैं कि मैं हूं ब्लागर. बहुत लोग ऐसे हैं जो लम्बें समय से […]

GST बोले तो

GST बोले तो

GST बोले तो –  चाहे मीडिया हो या समाचार पत्र जीएसटी की खबरे ही खबरें सुनाई देती हैं पर हर कोई कंफ्यूज है कि आखिर होगा क्या  ?  क्या ये सही कदम है या  देशवासी दुखी ही रहें …  GST बोले तो Goods and Service Tax.  The full form of GST is Goods and Services Tax. […]

डर के आगे ही जीत है - डर दूर करने के तरीका ये भी

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन – Social Networking Sites aur Blog Writing –  Blog kya hai .कहां लिखें और अपना लिखा publish कैसे करे ? आप जानना चाहते हैं कि लिखने का शौक है लिखतें हैं पर पता नही उसे कहां पब्लिश करें … तो जहां तक पब्लिश करने की बात है तो सोशल मीडिया जिंदाबाद […]

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