Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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September 27, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

हैप्पी बर्थ डे गूगल – गूगल का 18वां जन्मदिन

हैप्पी बर्थ डे गूगल

हैप्पी बर्थ डे गूगल

हैप्पी बर्थ डे गूगल – गूगल का 18वां जन्मदिन आज है. गूगल सर्च इंजन एक शानदार जरिया है जानकारी पाने का . Happy Birth day Google.26 सितम्बर को गूगल का 18वां जन्मदिन मना रहा है. Happy Birthday  पर गूगल ने अपना स्‍पेशल डूडल जारी किया है.

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क्या है गूगल का इतिहास 
हैप्पी बर्थ डे गूगल – गूगल का 18वां जन्मदिन मना रहा है…
लैरी पेज और सर्जी ब्रिन ने अमेरिका के कैलिफोर्निया में गूगल की स्थापना की थी. दुनिया भर की हर एक छोटी-बड़ी जानकारी और सूचनाओं को एक साथ एक जगह पेश करना इस सर्च इंजन को बनाने का उद्देश्य था.
दुनिया के सामने पहली बार गूगल 1998 में 4 सितंबर को आया था. फिर भी इसका जन्मदिन कब मनाया जाए इसको लेकर काफी विवाद होता रहा है. कई तारीखें सामने आई, लेकिन साल 2006 से गूगल 27 सितंबर को ही अपना बर्थडे मनाते आ रहा है

Happy Birthday Google: google turns 18 today | News in Hindi inKhabar

गूगल आज से बालिग हो गया. जी हां हम सब का चहेता गूगल आज 18 साल का हो गया. इस खास मौके के लिए गूगल ने खुद के लिए एक डूडल बनाया है. Read more…

कोई शक नही गूगल से हर किसी की जिंदगी में बहुत बदालव आया है इसलिए जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं गूगल !!!

 

September 27, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

प्रकृति से प्रेम करो

प्राकृतिक विरासत की सूची में शामिल हुए पेड

राजधानी के प्रसिद्ध, वर्षों पुराने और ऐतिहासिक 18 पेड़ों को प्राकृतिक विरासत की सूची में शामिल किया है इससे जहां प्रकृति की रक्षा होगी वही प्रकृति से प्रेम करो का सबक भी मिलेगा  .पर्यावरण का ख्याल रखते हुए ये फैसला लिया गया है..

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पर्यावरण की सुरक्षा की शानदार पहल

प्रकृति से प्रेम करो … पेडों से छेड़छाड़ करना मना है अगर आप इस तरह के बोर्ड लगे हुए देखें तो हैरान होने की आवश्यकता नही क्योकि अब पेडो को भी विरासत की श्रेणी में शामिल किया है आज खबर पढी कि राजधानी के प्रसिद्ध, वर्षों पुराने और ऐतिहासिक पेड़ों को भी विरासत की श्रेणी में शामिल किया जाएगा। राजधानी के अरावली की पहाड़ी और एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) क्षेत्र में पाए जाने वाले इन पेड़ों को इस श्रेणी में शामिल किया गया है। इनमें से अधिकांश पेड़ दक्षिण और नई दिल्ली जिला क्षेत्र में स्थित हैं। इन पेड़ों की देखरेख के लिए बकायदा इनके पास साइन बोर्ड लगाए जाएंगे और उसपर विस्तृत जानकारी दी जाएगी। साथ ही इन पेड़ों से छेड़छाड़ करने वालों को चेतावनी भी दी जाएगी।

बेशक दिल्ली में ऐतिहािसक विरासतों की संख्या काफी ज्यादा है। लेकिन अब  पेड़ भी इसमे शामिल हो अहे हैं यकीनन अच्छी पहल है और  इस फैसले से राजधानी के पेड़ों की स्थिति में सुधार आएगी

 

प्राकृतिक विरासत में 18 प्रसिद्ध पेड़ शामिल – www.bhaskar.com

नई दिल्ली | राजधानीको हरा-भरा रखने और प्रदूषणमुक्त करने के लिए दिल्ली के पुराने पेड़ों को प्राकृतिक विरासत की सूची… bhaskar.com

September 26, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

जिंदगी का सच – दोहरी जिंदगी

जिंदगी का सच

जिंदगी का फलसफा

दोहरी जिंदगी जीते और जिंदगी का सच निगलते हम लोग .. ये एक ऐसा कडवा सच है जिसे आप और हम जी रहे हैंं.

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जिंदगी का सच

जिंदगी का सफर

जिंदगी का सच यही है कि वाकई, हम दोहरी जिंदगी जीने लगें हैं एक सोशल मीडिया पर दूसरी असल जिंदगी में.

कुछ दिन पहले मेरा बर्थ डे था. जहां फेसबुक ऑन करते ही शुभकामनाओ की झडी लग गई. हर कोई जानता था और wish किए जा रहा था …  वही जब मुझे उसी दिन जब किसी काम से मार्किट जाना पडा तो मुझे अजीब सा लगा क्योकि फेसबुक जहां भरा हुआ था बधाई और केक cake से असल जिंदगी में किसी को पता ही नही था… ह हा हा !! मैने खुद का सिर झटका और खुद पर हंस दी… वाह री सोशल लाईफ !!

रियल लाईफ में मेरी सहेली के नए पडोसी उससे मिलने आए तो मेरी सहेली  ने उनसे मिलने में ज्यादा गर्म जोशी नही दिखाई वही जब उसे फेसबुक पर किसी अंजान ने मित्रता भेजी तो उसने न सिर्फ तुरंत स्वीकार कर ली बल्कि मैसेज में स्माईल का भी आदान प्रदान हुआ.

एक अन्य जानकार की नई नौकरी लगी तो सबसे पहले सोशल नेट वर्किंग साईट पर अपने दोस्तों से शुभकामनाएं मांगी और लिखा कि मेरी नई नौकरी को आपके आशीर्वाद की बहुत जरुरत है … जबकि उसने अपने माता पिता को बताना भी जरुरी नही समझा दो दिन बात माता पिता को पता चला तो वो बोले बस आपको बताने ही वाले थे …

एक जानकार ने लिखा वो बीमार है और खूब कमेंटस बटोरे जबकि रियल लाईफ मे उसे कुछ भी नही हुआ था बस ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उसने झूठ लिखा …

वाह री ये  दोहरी जिंदगी…

 

September 25, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

रक्तदान का महत्व – आईए नया जीवन दें

रक्तदान का महत्व

रक्तदान महादान है और स्वैच्छिक रुप से किया रक्तदान सबसे अच्छा दान है रक्तदान का महत्व समझते हुए हमें रक्तदान जरुर करना चाहिए क्योकि रक्त किसी फैक्ट्री में नही बनता और एक नेक कार्य करने का सबसे बेहतर तरीका है रक्तदान करना

रक्तदान करना मानो किसी को नया जन्म देना

आज का दिन रक्तदान के इतिहास में बहुत अहम है. 25 सितम्बर 1818 को डाक्टर जेम्स ने पहली बार दूसरे शरीर में इंसानी खूब डाला था उससे पहले हमारे शरीर में जानवरों का खून डाला जाता था.

समझे रक्तदान की महत्ता

पहले समय में जब हमें रक्तदान का महत्व नही पता था और जब जानवरों का खून इंसानों में चढाया जाता था तब अलग बात थी पर आज हमें सारी जानकारी है और विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है इसलिए हमें इसका मह्त्व समझते हुए रक्तदान जरुर करना चाहिए

 

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तो क्याया सोचा ??? किसी की जिंदगी बचा रहे हैं न आप

रक्तदान कर रहे हैं ना आप …

रक्तदान और युवा

जिन मरीजों को लगातार रक्त की जरुरत पडती है अगर वो ही अपना संदेश दें कि रक्तदान कितना अमूल्य है तो भी युवा प्रभावित हो सकते हैं. जैसाकि जम्मू में रहने वाले हीमोफीलिया से पीडित जगदीश कुमार जिन्हे अभी तक लगभग 200बार खूब चढ चुका है या थैलीसीमिया की मरीज संगीता वधवा ,मुम्बई में रहती है अभी तक  800 बार खूब चढ चुका है और ना सिर्फ थैलीसीमिया पर काम कर रही है पर खुद भी जीने की इच्छा छोड चुकी  संगीता उन लोगो की कांऊसलिंग करती है जिन्होनें जिंदगी से हार मान ली है. संगीता आजकल थैलीसिमिया को खत्म करने के लिए Face , Fight और  Finish पर जबरदस्त काम कर रही है. read more at monicagupta.info

और अगर किसी भी वजह से आप रक्तदान नही कर सकते तो किसी को रक्तदान के लिए प्रोत्साहित ही कर दीजिए … यकीन मानिए बहुत अच्छा लगेगा …

( तस्वीर टविटर से साभार )

September 24, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

डॉक्टर कैसे बने – मरीजो से किस तरह पेश आएं सीख रहें हैं डाक्टर्स

डॉक्टर कैसे बने

डॉक्टर कैसे बने पढ कर आपको हैरानी नही हुई होगी क्योकि कोई भी डॉक्टर बन सकता है पर यहां बात अच्छा डॉक्टर कैसे बने की हो रही है

अच्छा डॉक्टर बनने का तरीका

डॉक्टर कैसे बने – मरीजो से किस तरह पेश आएं सीख रहें हैं डाक्टर्स… यकीनन एक हट कर खबर है … आज अखबार में एक खबर पढी तो मन बहुत कुछ सोचने पर मजबूर हो गया… असल में, खबर थी कि मरीजो से किस तरह पेश आएं सीख रहें हैं डॉक्टर्स… मुझे याद आ गई वो बात आज से कुछ साल पहले जब मुझे जॉनडिस यानि पीलिया हो गया था और मुझे दिल्ली के जाने माने अस्पातल के डॉक्टर के पास इलाज के लिए ले कर जाया गया.

मेरी हालत बहुत खराब थी पर वो बात मुझे भुलाए नही भूलती.

हुआ यूं कि जब मुझें डॉक्टर के पास ले कर जाया गया तो मेरी आवाज नही निकल रही थी. बुखार था और बहुत कमजोरी भी बहुत थी. डॉक्टर ने रिपोर्ट देखी और मुझसे बात  की तो मेरी आवाज ही नही निकल रही थी. इस पर डॉक्टर की बातों का मेरी मम्मी ने जवाब देंना शुरु किया … इस पर वो मेरी मम्मी से बहुत बतमीजी से बोले कि मरीज कौन है … आप है क्या ??? आप चुप रहिए …  किसलिए बात कर रही हैं …

यकीन मानिए उस समय तबितय खराब होने के बावजूद मुझे इतना गुस्सा आया कि डाक्टर की मेरी मम्मी से इतनी बतमीजी से बात करने की हिम्मत कैसे हुई .. मैने मम्मी की तरफ गुस्से से देखा और उठने का इशारा किया पर मम्मी ने मुस्कुरा के बात बदल दी और आराम से सहज होकर डॉक्टर से बात करने लगी ..

और मुझे डॉक्टर की बात का जवाब देना पडा …पर बहुत बुरा लगा  कि जब घर पर मरीज हो तो घर का माहौल कितना तनाव भरा हो जाता है ऐसे में डॉक्टर मे  ही एक आशा की किरण दिखाई देती है पर अगर वो ही बतमीजी से बात करे तो बहुत दर्द होता है …

 खासकर जब वो बहुत जाना माना हस्तपाल हो … वापिस आने के बाद  कुछ दिन यही चलता रहा कि डॉक्टरों को भी ट्रैनिंग मिलनी चाहिए कि मरीजों से कैसे पेश आए … क्योकि कोई खुशी खुशी तो उनके पास आता नही … ऐसे में मरीज के सामने डाक्टर का फोन पर बात करते रहना या … देर से आना या रुखे लहजें में बात करना जरा भी अच्छा नही लगता ..अब अब अगर इन सब बातों की जानकारी मिलेगी ट्रैनिंग मिलेगी तो यकीनन बहुत अच्छा होगा …

वैसे अच्छे डॉक्टर भी है पर बहुत कम … मरीज से आत्मीयता तो रही नही बस पैसा किस तरह से कमा लें यही विचार चलता रहता है उनके मन में …

ये खबर कोलकाता के वरिष्ठ डॉक्टर दीप्तेंद्र के सरकार की है जिन्होनें एक कम्युनिकेशन स्किल का एक खास पाठ तैयार किया है ये मरीज और डॉक्टर के बीच की दूरी कम करेगा…

फिलहाल बहुत अच्छी खबर है क्योकि अगर डॉक्टर अपना कर्त्वय सही से निभाएगा तो मरीज की आधी बीमारी तो वैसे ही दूर हो जाती है … !!!

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डॉक्टर कैसे बने

 

 

September 24, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

वोट किसे दे

वोट किसे दे

वोट किसे दे एक यक्ष प्रश्न है क्योकि कहने को सभी मेहनती, ईमानदार, हमारे अपने हैं पर हकीकत से कोसो दूर .. ऐसे मे पहचानना मुश्किल है कि  किसे वोट दिया जाए …

कौन है सही उम्मीदवार

वोट किसे दे कौन है सही उम्मीदवार …

अभी थोडी देर पहले मणि बहुत गुस्से में घर पर आई … बोली कि उसने सोच लिया है कि किसे वोट देगी इस बार … असल में, हमारे शहर में नगर पालिका के चुनाव हैं उसी की बात कर रही थी… मैनें कहा कि अरे शांत बालिके … वैसे भी बताते नही कि हम किसको वोट देंगें … वो बोली पर उसने मन बना लिया है कि जिसका पोस्टर उसकी दीवार पर नही लगा होगा उसे ही  वोट देगी …

वोट किसे दे कौन है सही उम्मीदवार …

वोट किसे दे … असल में, हर पार्टी वाला घरों की दीवारों पर पोस्टर लगा लगा कर जा रहे हैं और पोस्टर पर गोंद भी पक्की है जोकि सारी दीवारो का सत्यानाश कर रही हैं इसलिए जिसका पोस्टर उसकी दीवार पर नही होगा, जिसके इश्तिहार सबसे कम सडक पर बिखरे होंगें. जिसने उतावला होकर लगातार घर की घंटी नही बजाई होगी कि जल्दी बाहर आओ हम बाहर खडे हैं , जिसने अपनी रैली या सभा के दौरान जाम न लगाया होगा जनता को परेशानी नही दी होगी और जिसके लाउडस्पीकर मध्यम आवाज में बजी होंगें वही है सच्चा हकदार वोट पाने का …

मेरे विचार से मणि का वोट “नोटा “ की भेंट चढने वाला है क्योकि ऐसा कोई उम्मीदवार ही नही होगा जिसने ये सब न किया हो …

वैसे अच्छे उम्मीदवार को हम ही चुनते हैं इसलिए जागरुक हमे ही होना पडेगा … पढा लिखा उम्मीदवार ही अनपढ जैसा काम करेगा तो आगे हम उसे फर्ज निभाने का मौका कैसे देंगें … अगर हम इन सभी बातो का ख्याल रखे और सही उम्मीदवार का चयन करें तो मेरा ख्याल है कि उम्मीदवार भी सतर्क हो जाएगा …

वैसे अब मैं भी सोच रही हूं क्योकि कल वोट डाले जाएगें कि मेरा वोट किसको … हाय राम  रे  बाजार, चौराहों के साथ साथ मेरे घर की भी सारी दीवारे पोस्टरो से अटी पडी हैं…  फिलहाल तो मैं मणि का समर्थन ही कर रही हूं …

वैसे आपकी क्या सोच है इस बारें में जरुर बताईएगा …

election  photo

 

 

Photo by byungkyupark

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