Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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September 19, 2015 By Monica Gupta

Public Speaking

Public Speaking

कुछ समय पहले रक्तदान पर एक सेमिनार मे जाना हुआ. असल में, वहां मेरा भी lecture था. स्वाभाविक है कुछ पेट में butterflies, टेंशन और धबराहट थी. मुझे lunch के बाद का समय मिला था. इसलिए लंच का मन ही नही किया. लंच टाईम में मैं उसी कक्ष में आ गई जहां मुझे बोलना था.

दो बजे और लगभग कक्ष पूरा भर गया. मेरा नम्बर सात वक्ताओं के बाद का था और सभी को दस दस मिनट मिले. वक्ता एक एक करके बोले जा रहे थे और यकीन मानिए इक्का दुक्का को छोड कर बस बोले जा रहे थे. उन्हें दर्शकों से कोई लेना देना नही था. इतना ही नही मेरे साथ बैठी महिला के खर्राटे मैं आराम से सुन पा रही थी. कोई मोबाईल पर लगा था तो कोई टेक लगा कर आराम से AC hall मे उंघ रहा था शायद सभी को दिन में भोजन के बाद सोने की आदत होगी. मैं सोच रही थी कि मेरी मेहनत तो बेकार ही जाएगी जब कोई सुनने वाला ही न हो … हां सुनने वाले तीन लोग तो जरुर थे पहली जो स्टेज पर आने का निमंत्रण दे रहीं थीं. दूसरे जो स्टेज पर थे और तीसरे जो certificate या मोमेंटो आदि देने की तैयारी कर रहे थे. वक्ता के बोलने के बाद ताली भी ऐसे बजा रहे थे खुद की ताली की आवाज अपने ही कानों को न सुनाई दे. बस एक्शन ही था ताली का.

…. और मेरा नम्बर भी आ गया. मेरे साथ बैठी खर्राटे लेती महिला भी उठ चुकी थी और उनकी नजरे दरवाजे की तरफ थी कि कब चाय आए और वो फ्रेश हो जाए. खैर. मैने स्टेज पर जाकर अभिवादन किया और पूछा कि स्टेज पर यहां खडे होकर वक्ता को एक बात से बहुत डर लगता है. क्या आप बता सकते हैं? दर्शक थोडे उत्सुक हो गए . किसी ने कहा कि भूलने का डर तो किसी ने कहा अपना पेपर ही न लाए हो अलग अलग आवाजे आ रही थी पर मैं सभी की बाते बेहद विश्वास से मना करती जा रही थी फिर मैने कहा डर इस बात का लगता है कि सामने सीट पर बैठे लोग सो न रहे हो…लंच टाईम से पहले तो लोग लंच की इंतजार में जागते हैं पर लंच के बाद हालत गम्भीर हो जाती है और एक आध झपकी … !! ठहाके से कक्ष गूंज उठा. मैने विनती की कि प्लीज आप मत सोईएगा क्योकि आपको सोता देख मुझे भी नींद आ गई तो … !!!  खैर,  मैं अपना  lecture शुरु कर चुकी थी और दस बारह मिनट बाद में समाप्त करके वापिस अपनी सीट पर जा रही थी. बेशक, बाद में बहुत लोग मिले. Visiting cards भी दिए. तारीफ भी की और अन्य सेमिनार के निमंत्रण भी मिले पर सोचने की बात ये है कि हम वक्ता के रुप में क्या बोले कि दर्शक बिना सोए और आराम से सुने.  वैसे नेताओ को तो हम समय समय पर सुनते ही रहते है. कुछ पढ कर बोलते है कुछ बिना पढे बोलते है बिना पढ कर बोलने वालो को दर्शक ज्यादा पसंद करते हैं.  विभिन्न सेमिनार में मेरा जो बोलने का अनुभव रहा है उसी के आधार पर मैं कुछ बातें शेयर करना चाह्ती हूं.

Public Speaking

कुछ लोग तो बहुत बोलते हैं बस माईक मिला नही कि आधा आधा घंटा बस बोलते रहते बोलते रहते हैं … ये भी ठीक नही. कम बोलिए और काम का बोलिए.

बेशक speaker को बोलने से पहले थोडा डर रहता है और होना भी चाहिए. कई बार अति आत्मविश्वास भी ठीक नही होता. बस मन ही मन खुद को तैयार करना है और लम्बे गहरे सांस लेने हैं और अगर पानी की आवश्यकता हो तो जरुर पी लें ताकि गला न सूखे और हो सके तो पानी की छोटी वाली बोतल पर अपने पास रख लें.

इस बात को भी मन मे बैठा लें कि जो सामने बैठे हैं ये भी सभी वक्ता हैं और आपकी तरह ही है अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.

आरम्भ में आप दर्शकों को अपना कोई उदारण दे कर बताएगें कि मेरे सामने बहुत माननीय लोग बैठे हैं अगर बोलने में हकला जाउं घबरा जाऊ या कोई गलती हो जाए तो क्षमा कीजिएगा तो इससे आप भी रिलेक्स हो जाएगें और दर्शक भी आराम से आपकी बात सुनेंगें.

अगर बोलते वक्त आप कोई PPT यानि  Power Point Presentation दे रहे हैं तो और और भी अच्छा है आपका ध्यान स्क्रीन और लोगो की तरफ बराबर रहेगा और भूलने वाला कोई सीन ही नही होगा क्योकि आप अगली स्लाईड करके आराम से देख सकते हैं और इसी बीच बोलने में एक ठहराव भी ला सकते हैं जोकि जरुरी भी है.

कई बार वक्ता हाथ बहुत हिलाते हैं हाथों के हाव भाव होने चाहिए पर बहुत ज्यादा हाथ हिलाना कई बार मजाक का कारण बन जाता है. कई बार वक्ता बस पेपर रीडिंग ही करते रह जाते हैं जोकि बिल्कुल भी सही नही है ऐसे में तो दर्शको का सोना या उंघना पक्का होता है या फिर समय अवधि बहुत ज्यादा हो तो भी दर्शकों को नींद आ जाती है.

एक बार मंच संचालन के दौरान मैने देखा कि बहुत लोग सुस्त हो रहे  हैं जी हां सही पहचाना वो भी लंच के बाद का सैशन था. एक व्यक्ति बार बार घडी देख रहा था. जैसे बहुत बोर हो रहा हो और दूसरा अपनी घडी हिला हिला कर देख रहा था. मेरे पूछ्ने पर उसने बताया कि वो ये देख रहा कि घडी रुक तो नही गई. चल तो रही है ना … !!! इस पर लोग थोडा हंस भी दिए और प्रोग्राम मे थोडी जान भी आ गई. कई बार छोटी छोटी बाते पूछ कर मनोरंजन करते रहना चाहिए. चाहे चुटकुला हो या प्रेरक प्रसंग या अपना कोई उदाहरण. पर सार्थक होना चाहिए यानि बातों बातो से ही निकलना चाहिए. जैसाकि इस बात पर मुझे एक बात याद आई … !!!

एक मुख्य बात यह भी की मुस्कान जरुर रखनी चाहिए. ना बहुत ज्यादा न बहुत कम.  इससे दर्शकों को अच्छा लगता है. रोता मुंह या उदास मुंह कोई पसंद नही करता.

बातें और और भी बहुत है पर अगर ये लेख लंबा हो गया और आपको नींद आ गई तो तो तो … इसलिए अभी के लिए इतना ही… बाय बाय !

वैसे जाते जाते एक जरुरी टिप्स … रात को अच्छी नींद लीजिएगा ताकि अगले दिन अच्छी तरह से बोल पाए…

 

Public Speaking photo

Photo by www.audio-luci-store.it

 वैसे अगर कुछ टिप्स आपके पास भी हो  leadership Speaking की तो जरुर दीजिए आपका स्वागत है … Public Speaking skills ,Public Speaking tips , Public Speaking course हो या आपका अपना अनुभव आपका स्वागत है … 

 

 

 

 

 

 

September 18, 2015 By Monica Gupta

हे भगवान

 mobile photo

हे भगवान

उफ्फ ये मोबाईल

काफी दिनो से मेरी एक सहेली से फोन पर बात नही हुई तो सोचा कि चलो फ्री हूं उसे फोन मिला लू. असल मे, मेरी सहेली जब भी बात करती है इतनी अच्छी तरह बात करती है मानो सारा प्यार ही उडेल रही हो. उससे बात करके मन खुश हो जाता है.

उसी खुशी मे मैने फोन मिला लिया पर मेरी आशा के विपरीत उसने पूछा कि कौन बोल रहा है? पहले मैने सोचा कि मजाक कर रही है फिर सोचा शायद मुझसे नम्बर गलत न मिल गया पर नम्बर भी सही था. जब वो नही पहचानी तो मुझे बताना पडा कि मै कौन बोल रही हूं. उसने तुरंत क्षमा मांगी और बताया कि असल में, उसका मोबाईल चोरी हो गया. नए मोबाईल मे नम्बर फ़ीड नही है इसलिए पहचान नही पाई. खैर उस समय तो मैने फोन रख दिया पर सोचने लगी कि वाकई में मोबाईल हमारी जिंदगी से बहुत बुरी तरह से जुड गया है कि इसके गुम होने पर क्या सब खत्म !!

मैं सोच ही रही थी कि अचानक घर पर मेहमान आ गए. वो बैठे ही थे कि अचानक उनके पास किसी का फोन आया.फोन सुनते ही वो घबरा गए और पूछ्ने लगे कि ये कब हुआ! अचानक ऐसे कैसे हो सकता है! हे भगवान! अब क्या होगा उसके बिना कैसे होगा?कैसे रहेगी ?? मैं बात सुन रही थी और किसी अनिष्ट आशंका को लेकर बुरी तरह धबरा गई. मन मे बुरे बुरे विचार आने लगे. फोन रखते ही मेरे पूछ्ने पर कि क्या हुआ उन्होने धबराए स्वर में बताया कि बिटिया का फोन था अपनी सहेली के मोबाईल से कर रही थी. असल में, उसका मोबाईल खो गया है…. और वो तनाव मे ही बाहर निकल गए.

हे भगवान

उफ्फ  ये मोबाईल 🙂

September 18, 2015 By Monica Gupta

खबरिया चैनल – टीवी चैनल और उकताते दर्शक

खबरिया चैनल

खबरिया चैनल – टीवी चैनल और उकताते दर्शक- आज राजदीप सरदेसाई का छपा लेख पढा. महाराष्ट्र सरकार पर देवेंद्र फडणवीस को पत्र था.तीन बाते लिखी थी और बहुत स्टीक !! पर जैसाकि वो हमेशा पुनश्च: लिखते हैं उसमे लिखा था कि आपकी सरकार की अनुचित प्राथमिकताओं पर सवाल उठाने के बाद मैं यह भी कहना चाहूंगा कि मीडिया का टेबलाईड चरित्र वाला एक तबका उतना ही दोषी है. एक धिनौनी हत्या को तो प्राईमटाईम में प्रमुखता दी जाती है लेकिन किसानों की मौत का उल्लेख तक नही होता.

पढने के बाद मैं बस यही सोचने लगी कि राजदीप सरदेसाई जैसे सीनियर एडिटर भी खबरिया चैनल पर बेसिर पैर की खबरों से परेशान है वही कई बार रवीश जी भी प्राईमटाईम में बातो बातों मे ही सही चैनल्स पर दिखाई जा रही अटरम शटरम खबरों से दुखी होकर बोल जाते हैं. कई बार तो ये दुख उनके चेहरे से भी झलक पडता है. आमंत्रित मेहमान से भी कल के कार्यक्रम में माहौल गरमा सा गया था.

prime time monica gupta

आखिर ये स्वयं प्रमुख पद पर होते हुए दुखी किसलिए हैं??

मेरी सोच  है कि बढते न्यूज  चैनल और बढती गला काट प्रतिस्पर्धा से इनको बच कर कमस कम अपने चैनल में नए आयाम स्थापित करने चाहिए. वैसे सभी खबरिया चैनल का बहुत बुरा हाल है. लगभग सभी एकंर बहस के दौरान बहुत उतेजित दिखाई देतें हैं  और इसी चक्कर में सुर तार सप्तक यानि चिलम चिल्ली तक पहंच जाता है.

वहीं रवीश जी जैसे एंकर्स  जिन्हे दर्शक पसंद करता है और  फैन लिस्ट भी बहुत लम्बी है  इसलिए उन्हें ही कोई सकारात्मक पहल करनी पडेगी बेशक, एक बार चैनल की टीआरपी धटेगी, पर कम से कम , किसी न किसी चैनल पर दर्शक विश्वास तो कर पाएगी अन्यथा अभी तक तो आमंत्रित मेहमान तू तू मैं मैं और एक दूसरे को पीटते   नजर आते हैं  भगवान न करे कि कभी एंकर्स का नम्बर भी  आ गया तो …. !!!

खबरिया चैनल

September 17, 2015 By Monica Gupta

दिखावा

दिखावा

कुछ देर पहले मणि बता रही थी कि उसकी एक जानकार घर पर गणपति लाए और लाते समय, स्थापित करते समय फोटो पे फोटो … फोटो पे फोटो, कोई एंगल नही छोडा… और फिर जुट गए फोटो अपलोड करने मे … पर नेट मे किसी खराबी की वजह से फोटो नही डाल पाए तो श्रीमती जी का मूड खराब हो गया और बच्चों का पारा चढ गया …

वो बौखलाए बार बार बीएसएनएल फोन करने लगे और फोन न मिलने पर मुंह बना कर बैठ गए और बोले क्या फायदा हुआ लाने जब फोटो ही नही डाल पा रहे .. पिता ने जब कहा कि कोई न कल तक ठीक हो जाएगा तो इस पर वो बोले कि आपको तो पता ही नही.. कल तक फोटो तो बहुत पुरानी हो जाएगी और अपने मे जाकर फैल गए..

वैसे,वाकई में,सोचने की बात ये है कि क्या हम ये सब दिखावे के लिए ही करते हैं दिल से नही करते … अगर नेट नही चलता तो सारा प्रोग्राम कैंसिल. हवाई यात्रा की बजाय रेल से जाएगे…बडे होटल मे खा कर पैसे किसलिए वेस्ट करने ढाबें पर ज्यादा ठीक रहेगा खाना सस्ता का सस्ता भी … क्या ऐसी ही सोच है ??? सोच रही हूं !!!

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September 17, 2015 By Monica Gupta

डेंगू का कहर

कैसे रहें सावधान डेंगू के कहर से अरे भई.. डेंगू का कहर  या चिकनगुनिया का नही बल्कि कहर आप लोगो ने गंदगी को लेकर ढाया हुआ है.. गंदगी रखते हो तभी तो हमें आना पडा  नही तो हम इतने सफाई प्रेमी हैं कि साफ पानी में ही पनपते हैं … 

cartoon on dengue bymonica gupta

डेंगू का कहर

कैसे रहें सावधान डेंगू के कहर से

अरे भई.. डेंगू का कहर या चिकनगुनिया का नही बल्कि कहर आप लोगो ने गंदगी को लेकर ढाया हुआ है .

सभी कहते हैं डेगू का कहर .. डेंगू का कहर … असल में, कहर तो जनता ने ढाया हुआ है गंदगी का तभी तो हमे आना पडता है बार बार भारी मात्रा में … सम्भल जाओ लोगो अन्यथा ….

 

हर साल चुपके से आपके घर में घुस आने वाला डेंगू का वाइरस मच्छरों की एडीज़ प्रजाति में पनपता है। किसी मरीज को डेंगू है या नहीं इसका पता करने के लिए होने वाले टेस्ट का खर्च प्राइवेट अस्पतालों में एक से डेढ़ हजार रुपये है।

http://khabar.ndtv.com/news/india/of-dengue-virus-and-the-vaccine-is-not-1218369

September 17, 2015 By Monica Gupta

श्री गणेशा

श्री गणेशा

शिवपुराणमें भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को मंगल मूर्ति गणेश की अवतरण-तिथि बताया गया है जबकि गणेश पुराणके मत से यह गणेशावतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था। गण + पति = गणपति। संस्कृतकोशानुसार ‘गण’ अर्थात पवित्रक। ‘पति’ अर्थात स्वामी, ‘गणपति’ अर्थात पवित्रकोंके स्वामी है श्री गणेशा !!!

श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं

गणेशा ( मोनिका गुप्ता)

गणेशा ( मोनिका गुप्ता)

श्री गणेशा

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