Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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September 13, 2015 By Monica Gupta

सकारात्मकता

सकारात्मकता

 

 

कार्टून ... मोमिका गुप्ता

कार्टून … मोनिका गुप्ता

सकारात्मकता

क्या ???  आप किसी ऐसे व्यक्ति को खोज रहे हैं जिसकी सोच सकारात्मक हो और आत्मविश्वास से भरी हो … जिससे आप जिंदादिली सीख सकें तो यकीन मानिए आप बहुत सही जगह आए हैं … क्योकि  मैं जानती हूं ऐसे व्यक्ति को और आप कहे तो पता भी बता सकती हूं … !!! बला का आत्मविश्वास और बला का उत्साह है उनमें !!!सोच तो ऐसी की बस पूछिए ही मत !! आप भी मान जाएगें कि मैं सही कह रही हूं !!

और वो हैं … हमारे … आपके … नेता … नेता … नेता … !!! ये नेता लोग कितने आत्मविश्वास से भरपूर होते हैं … चुनाव के समय से नतीजा आने तक … भरपूर सकारात्मकता … अगर खुदा ना खास्ता चुनाव हार गए तो भी आत्मविश्वासी … अगले पाचं साल तक  विपक्ष में शानदार भूमिका निभाते हैं और तो और भले ही पता हो कि चुनाव हार जाएगें फिर भी गजब का  मनोबल बनाए रखते हैं … चेहरे पर ओजपूर्ण स्माईल बिखरी होती है और कभी भी ना उम्मीदी की बात नही करते … !!!

बताना मेरा फर्ज था … आगे आप खुद समझदार हैं !! 🙂

September 12, 2015 By Monica Gupta

हिंदी दिवस

cartoon monica gupta on hindi diwas

 

हिंदी दिवस …

हिंदी दिवस पर मेरा धन्यवाद गूगल को है जिसमे हिंदी की पहचान को बढाया और हमे अपनी बात हिंदी में लिख पाए … बेशक हिंदी का क्रेज विदेशियों में भी बहुत बढा है और पढ कर अच्छा लगता है जब वो हमारी हिंदी में लिखी पोस्ट को पसंद करते हैं

हिंदी दिवस
बेशक पलडा आज भी अंग्रेजी का ही भारी है फिर  भी तुम हमें हमेशा से प्रिय थी , हो और हमेशा रहोगी … मेरी प्यारी हिंदी 🙂

September 11, 2015 By Monica Gupta

कितने दूर कितने पास

कितने दूर कितने पास

किससे  दूर किसके पास …

मैं नेट पर काम कर रही थी कि अचानक गेट पर धंटी बजी. ओफ !! कौन होगा !! असल में, वो क्या है ना कि कई बार कुछ शरारती बच्चे ऐसे ही घंटी बजा कर भाग जाते हैं तो सोचा शायद वही हों पर एक ही मिनट में दुबारा घंटी बजने पर मैं समझ गई कि बाहर जरुर कोई है.बाहर गई तो एक महिला खडी थी. मेरे पूछ्ने पर उस महिला ने इशारा करके बताया कि वो हमारे घर के पीछे ही रहते हैं उनका नया घर बन रहा है इसलिए वो POP देखने आई है क्योकि आपका घर नया बना है ना … मैने उसे कभी नही देखा था इसलिए मैं उसे भीतर लाने में इच्छुक नही थी इसलिए गेट पर ही खडे खडे बोला कि हमने  बिल्कुल साधारण सा पीओपी करवाया है पर जब उसने हमारे अडोस पडोस में रहने वालो के बारे में बताया कि वो उन्हें जानती है तो ना चाह्ते हुए भी मैं एक घर के साथ भीतर ले आई. उसने दो चार मिनट लगाए एक दो कमरे  देखे और कुछ ही पल में हम बाहर आ गए.

मुझे महसूस तो हुआ पर मैने उससे चाय पानी का भी नही पूछा. असल में, आज के माहौल को देखते हुए एक डर सा रहता है कि पता नही कौन है कितनी सही है वगैरहा वगैरहा… !! जाते जाते मैनें उसे जता भी दिया कि क्षमा करें मैने आपको पहले कभी देखा भी नही और आज का समय ठीक नही है इसलिए.. इस पर वो बोली कि वो समझती है और थैक्स कह कर चली गई.

कुछ देर नेट पर काम करने का मन ही नही किया. सोच रही थी कि हम कितना बदल गए हैं कभी हम भारतीयों की पहचान यही होती थी कि घर आए मेहमान का स्वागत करते थे बेशक गांव में ये परम्परा आज भी है पर छोटे शहरों में किसी अनजाने भय से गुमनाम सी होती जा रही है और मैंट्रो में तो यह खत्म ही हो गई है. तभी देखा कि फेसबुक पर दो तीन मैसेज आए हुए हैं जिन्हें मैं जानती तक नही. मैं सोच रही थी कि फेसबुक या अन्य सोशल नेट वर्किंग साईटस पर हम कितना जानते हैं लोगो को पर उन अनजाने लोगो को जवाब देने  में जरा भी देर नही लगाते … चाहे मित्रता स्वीकार करनी हो या मैसज करना हो पर जो हमारे घर के नजदीक रहते हैं उन्हें हम जानते तक नही….

writer on computer photo

Photo by C.E. Kent

 

कितने दूर कितने पास

September 9, 2015 By Monica Gupta

बच्चे मन के सच्चे

बच्चे मन के सच्चे

बच्चे मन के सच्चे – बच्चे और उनका बचपन . बहुत मासूम होता है. बच्चे मन के सच्चे होते हैं बिना छल के जो भी कहतें हैं सच ही कहते हैं.

बच्चे मन के सच्चे

कल कुछ ऐसा ही देखने को मिला. असल में,  घर पर मेहमान आए हुए थे. उनका बच्चा बहुत ही छोटा था. बहुत शरारती भी था. खाने के मामले में तो अपनी मम्मी को बहुत तंग कर रहा था. वो आगे आगे दौड रहा था उसकी मम्मी उसके भागते भागते ही खाना खिला रही थी. मैने उससे बोला अरे !! आराम से बैठ कर खाओ ना ..

इस पर वो बोला ठीक है आप टीवी लगा दो. मैने तुरंत टीवी चला दिया और कार्टून नेटवर्क लगाने लगी क्योकि बच्चो का कार्टून जैसे मिकी माऊस . छोटा भीम  जैसी कार्टून पसंद आती हैं. इस पर वो बोला अरे नही न्यूज चैनल लगा दो .. ज़ी न्यूज या एबीपी … या कोई भी बस न्यूज चैनल …मैं हैरान !! अरे !! इतना छोटा बच्चा और न्यूज का शौक… मेरा तो दिमाग दौडने लगा कि इस बच्चे का इंटरव्यू ब्लाग पर दूंगी कि देखो इतना छोटा सा खबरों का शौकीन…

तभी अचानक उसने ओह शिट बोला और मेरा ध्यान टूटा.. अरे क्या हुआ बेटा !!उसने बोला न्यूज आ गई. मैने कहा… तो ??? news channel  में तो न्यूज ही आएगी ना … इस पर उसकी मम्मी ने बताया कि इसे विज्ञापन बहुत पसंद हैं और विज्ञापन सबसे ज्यादा न्यूज चैनल्स में ही आते हैं इसलिए ये न्यूज चैनल देखते हुए खाना पसंद करता है इसी बीच में बच्चा बोला “मिलते हैं एक ब्रेक के बाद”, “आप देखते रहिए… !! और फिर भागने लगा… उसकी मम्मी फिर उसके पीछे पीछे प्लेट लेकर … हे भगवान !!! 

वैसे बच्चा सच ही तो बोला … न्यूज चैनल में खबरे कम और विज्ञापनों की भरमार रहती है … धारावाहिको मे फिर भी कम रहती है पर न्यूज चैनल में एक खबर और दस मिनट का ब्रेक … आप उस बीच में अपना बहुत काम निबटा सकते हैं … 🙂

बच्चों की दुनिया बहुत प्यारी है इसे प्यारा ही बने रहने दीजिए

बच्चे मन के सच्चे

बच्चे मन के सच्चे

 

बच्चे मन के सच्चे  आपको कैसा लगा … जरुर बताईगा !!

September 8, 2015 By Monica Gupta

दही हांडी उत्सव

cartoon monica gupta dahi haandi

 

दही हांडी उत्सव

अच्छे दिन उत्सव

दही हांडी उत्सव dahi handi utsav बहुत धूमधाम से मनाया गया हालाकि पिछ्ले साल सरकार ने भी कुछ नियम बनाए थे जिसके चलते इस साल उतनी रौनक देखने को नही मिली जितनी हर साल मिला करती थी और दूसरी बात महंगाई और अन्य बातो को लेकर भी जनता में सरकार के प्रति कुछ रोष है जो कि दही हांडी फोडने के रुप मे देखने को मिल रहा है…

हमारी गूगल मूगल लेडी गोविंदा को डर लगता है इसलिए कुर्सी पर खडे होकर हाथ मे डंडा लेकर मटकी फोडने को तैयार है

दही हांडी उत्सव …. आपको कैसा लगा … जरुर बताईएगा !!

दही हांडी खेल एडवेंचर स्पोर्ट

दही हांडी खेल एडवेंचर स्पोर्ट किसी ऎडवेंचर स्पोर्ट से कम नही है दही हांडी फोडने का खेल और हमारे स्किल्ड भारतीय इसे बहुत शान से करते हैं पर अफसोस इसी एडवेंच Read more…

 

 

September 7, 2015 By Monica Gupta

रसोईघर की सफाई

रसोईघर की सफाई

घर का सबसे महत्वपूर्ण कमरा है रसोईघर यानि किचेन .. जहां सुबह से लेकर देर रात तक चहल पहल रहती है खाने बनाने के साथ साथ कभी चाय, कभी खाना तो कभी मीठा कुछ न कुछ बनता ही रहता है.कुल मिलाकर व्यंजनों की महक से महकता रहता है रसोईघर..!! लेकिन रात को रसोई सोई सोई सी हो जाती है. एक दम शांत.मानो पूरा आराम लेकर  अगले दिन के लिए खुद को तैयार कर रही हो..

बात उस रात की है जब पानी पीने के लिए रसोई में जाना पडा. रात का दो बज रहा था. हर जगह सन्नाटा ही सन्नाटा था. सडक पर बहुत दूर से एक आध कुत्ते के भौकने की आवाज आ रही थी. कुल मिला कर माहौल पुरा डरावना था.फिर भी मैं लाईट जला कर रसोई की ओर बढ गई.

कुछ ही पल बाद मै रसोई के बाहर थी और भीतर जाने से पहले मैणे रसोई की लाईट भी जलाई. अचानक कुछ ऐसा देखा की मेरी सांस उपर की उपर और नीचे की नीचे अटक गई. इतने भयावह सीन की तो मैनें सपने मे भी कल्पना नही की थी. मैं तो जहां खडी थी वही ठिठक कर खडी रह गई.

आगे  कुछ बताने से पहले मैं आपको बता दूंकि  आमतौर पर महिलाए रात को गैस चूल्हा और स्लैब साफ करके सोती हैं ताकि सुबह सुबह रसोई साफ न करनी पडी और बच्चों के लिए नाश्ता व अन्य चीजें समय पर बन जाए.

मैं भी ऐसा ही करती हूं और कई बार साफ सुथरी रसोई मे दाल इत्यादि भी भिगो कर रखी या बादाम भिगो कर रखे तो उन्हे ढकने की जरुरत नही समझती कि सारी रसोई साफ है कोई क़ीट, मकौडा तक नही है तो क्या जरुरत और कई बार तो साफ स्लैब पर सुबह बिना कपडा लगाए स्कूल के टिफिन के लिए चपाती भी बना लेती.

पर आज कुछ ऐसा देखा कि …. !!! असल में जब लाईट जलाई तो देखा कि स्लैब पर तीन चार कोकरोच आराम से घूम रहे थे और छिपकली भी अपने परिवार के साथ टहल रही थी. अचानक लाईट पडते थे उनका चौंकना भी स्वाभाविक था. सब इधर उधर दौडने लगे. कभी स्लैब पर रखे तवे पर तो कभी भिगाई हुई दाल पर और धो कर रखे बर्तनों पर ऐसे भाग रहे थे ऐसे भाग रहे थे कि बस पूछिए ही मत…एक तो भाग दौड के चक्कर में मेरे पैरों पर ही आ गिरी. एक तरफ वो मुझे देख  कर भाग रही थी तो दूसरी तरफ मैं उससे  डर कर भाग रही थी

हे भगवान !! वो रसोई जिसे मैं रात को चमका कर जाती थी छिपकली और काकरोचों का अड्डा बना हुआ था.

खैर, तीन चार मिनट के अंदर अंदर सब नार्मल हो गया पर मुझे बडी सीख दे गया सबसे पहली तो जो भी रसोई मे रखो सब ढक कर रखना चाहिए. प्लेट कटोरी आदि सोने से पहले भीतर या स्टेट्ड पर लगा देने चाहिए. और रात को रसोई कितनी भी साफ करके क्यो न सोए सुबह एक बार स्लैब पर कपडा जरुर लगाना चाहिए.

उस रात मैं फिर  सोई नही और गूगल सर्च करने की छिपकली या काकरोचों आदि को कैसे भगाना चाहिए.

 

lizard photo

Photo by incidencematrix

Natural Alternatives To Pest Control |

मच्‍छर पर रोक- मच्‍छरों को भगाने के लिये आप नीम, तुलसी और गंजनी की पत्‍तियों को अपने घर के आस-पास लगाएं। इस बात का ध्‍यान रहे कि इनको प्रभावित करने वाली चीजें घर पर ना रखें। गहरे रंग के कपड़े, परफ्यूम और हेयर स्‍प्रे से यह काफी आकर्षित होते हैं।

कपूर का प्रभाव- कपूर में सल्‍फर पाया जाता है जो कि कीट को दूर रखने के लिये बहुत ही कार्यगर है। इसके अंदर एंटी बैक्‍टीरियल और एंटी फंगल तत्‍व पाए जाते हैं। अपने घर पर कपूर की दो-तीन गोलियां जलाएं जिससे आपको छोटे-मोटे कीटों से छुटकारा मिल सके।

चींटी उपचार- क्‍या आपके किचन में चिटियों का प्रकोप है, जो आपके चाय के कपों और अलमारी में रखी चॉकलेट को खा जाती हैं। अगर ऐसा है तो अपने किचन को हमेशा साफ-सुथरा बनाएं रखनें में ही भलाई है। इसके साथ ही हफ्ते में एक बार कैरोसीन से पोछा लगाने पर भी वह गायब हो जाती हैं। Read more…

Ajab Gjab

जानिए छिपकली से जुड़े शकुन और अपशकुनों के बारे में। 1 – नए घर में प्रवेश करते समय यदि गृहस्वामी को छिपकली मरी हुई व मिट्टी लगी हुई दिखाई दे तो उसमें निवास करने वाले लोग रोगी हो सकते हैं, ऐसा शकुन शास्त्र में लिखा है। इस अपशकुन से बचने के लिए पूरे विधि-विधान से पूजन करने के बाद ही नए घर में प्रवेश करना चाहिए। 2 – अगर छिपकली समागम करती मिले तो किसी पुराने मित्र से मिलना हो सकता है। लड़ती दिखे तो किसी दूसरे से झगड़ा संभव है और अलग होती दिखे तो किसी प्रियजन से बिछुडऩे का दु:ख सहन करना पड़ सकता है। 3 – शकुन शास्त्र के अनुसार दिन में भोजन करते समय यदि छिपकली का बोलना सुनाई दे शीघ्र ही कोई शुभ समाचार मिल सकता है या फिर कोई शुभ फल प्राप्त हो सकता है। हालांकि ये घटना बहुत कम होती है क्योंकि छिपकली अधिकांश रात के समय बोलती है। 4 – छिपकली अगर माथे पर गिरती है तो संपत्ति मिलने की संभावना बढ़ जाती है। 5 – यदि छिपकली आपके बालों पर गिरती है, इसका मतलब मृत्यु सामने खड़ी है। Read more…

वैसे पढा ये भी है कि मोर पंख रखने से छिपकली नही आती अब उसी की तालाश मे हूं … शायद काम बन जाए … फिलहाल तो बस बहुत सर्तक हो गई हूं …

रसोईघर की सफाई के बारे में आपके पास भी कोई टिप्स हो तो जरुर बताईएगा …

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