Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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July 13, 2015 By Monica Gupta

We Care for you

We Care for you

पहले समय मे घडी किसी के पास नही होती थी पर समय सभी के पास होता था और आज घडी सभी के पास है पर समय ही नही है. अरे भई…. भला ये क्या बात हुई… इसमे इतना सोचने की क्या बात है…. .अब आप समझदार हैं और जानते ही होंगे कि समय परिवर्तन शील है बदलता रहता है. पहले नई नई खोज नही हुई थी.जागरुकता नही थी समझ नही थी कि क्या, कब और कैसे करना है. आज का समय देखो. कैसे हो सकती है किसी के पास फुर्सत. सभी व्यस्त, अति व्यस्त बल्कि ये कहिए कि महा व्यस्त है तो गलत नही होगा. है ना….

मैने तो बहुत लोगो को ये भी कहते सुना है कि भई इतना काम है कि मरने तक ही भी फुर्सत ही नही है और आप बात करते है समय की.ये क्या बात हुई भला.काम के बारे मे तो मैं क्या बात करु. काम या कमाने के चक्कर मे पति महोदय दूसरे शहर मे उनकी श्रीमति जी अन्य शहर मे और बच्चे होस्टल मे.

महीने मे एक या दो बार मिलना हो जाता. बस बहुत है और क्या. भई,आज के समय मे नौकरी मिलनी आसान है क्या. दूसरे लोग गिद्द की तरह नजरे गडाए बैठे रह्ते है कि कब किसकी काट करे और नौकरी हथियाए और मंहगाई जो सिर पर खडी होकर ता ता थैया और ब्रेक डांस कर रही है उससे भी तो दो चार होना है, नजरे मिलानी है या नही.

 

care  photo

Photo by Celestine Chua

हाँ, तो मै कह रही रही थी कि परिवार, दोस्त, जोश और हमारा स्वास्थ्य अजी इनकी चिंता छोडिए.

चिंता किसलिए करनी है.ये लोग कही भागे थोडे ही ना जा रहे हैं.आखिर ये क्या बात हुई पर नौकरी चली गई तो सब चला जाएगा रुपया पैसा होगा तो ये सभी लोग हमारे साथ होंग़े.क्यो है ना . है ना..

आखिर हम सभी यही तो कर रहे हैं. काम के चक्कर मे इतने उलझ गए हैं कि सुबह काम पर जल्दी निकल जाना देर रात को लौटना.परिवार का ध्यान  देने का तो समय ही नही है. पत्नी की अलग दुनिया है और पति पत्नी दोनो के चक्कर में बच्चों का किसी को ध्यान ही नही. जबकि आमतौर पर सुनने मे तो यही आता है कि यह सब बच्चो के लिए ही तो कर रहे हैं हमने कौन सा साथ लेकर जाना है. पर इस बारे मे बच्चो की या घर वालो की राय लेने की कभी जरुरत नही समझी.

पता नही, पर सच पूछो तो ऐसा महसूस होता है कि ये क्या बात हुई???? .शायद कही ना कही कुछ गलत हो रहा है. सच पूछो तो यकीनन काम से बढ कर है स्वास्थ्य ,परिवार, दोस्त और हमारा जोश.

काम तो एक रबड की गेंद की तरह है जो उछ्ल कर वापिस आ ही जाएगी पर… पर…. पर…. हमारा परिवार, हमारा शरीर, हमारे दोस्त, हमारा जोश उस कांच की गेंद की तरह है कि उछालते समय अगर एक बार हाथ से छूट गई तो बिखर जाएगी और जिसे सम्भालना या जोडना नामुमकिन हो जाएगा.सच मे,अब यही कहना पडेगा कि वाह ये क्या बात हुई !!

कोई शक नही है कि जिंदगी में काम बहुत जरुरी है और इसे दिल लगा कर करना भी बहुत जरुरी है पर जब हम काम करके बाहर निकले तो बस फिर हम हमारा परिवार, हमारा जोश और हमारे दोस्त ही होने चाहिए. आज के समय मे इन सभी को अहमियत देना बहुत ही ज्यादा जरुरी हो चला है.

वो कहते भी है ना उसे कभी नजर अंदाज मत करो जो आपकी बहुत परवाह करते हैं वरना किसी दिन आपको अहसास होगा कि पत्थर जमा करते करते आपने हीरा गवां दिया…. वाह!!! अब तो यही कहना पडेगा कि यह हुई ना बात !!!! और ये क्या खूब बात हुई !!!!!  We Care for you ….

कैसा लगा आपको ये लेख … जरुर बताईएगा !!!

July 13, 2015 By Monica Gupta

एक पाती प्यार भरी- बेटे का पत्र मां के नाम

 Art of Public Speaking in Hindi

एक पाती प्यार भरी – बेटे का पत्र मां के नाम – एक खूबसूरत रिश्ता , रिश्ता प्यार भरा , एक अच्छी किताब 100 दोस्तो के बराबर होती है पर एक उत्साहित करने वाला दोस्त तो पूरी की पूरी लाईब्रेरी होता है
और आप मेरे बहुत अच्छे दोस्त हो ….. (एक पाती प्यार भरी)
पिछ्ले संडे हमारे पडोसी की बिटिया की शादी थी… वैसे तो इतना आना जाना नही था पर पर जब भी मिलते स्माईल एक्सेंज होती और उसके जाने के बाद एक खामोशी सी है….

एक पाती प्यार भरी – बेटे का पत्र मां के नाम

ऐसा ही होता है और यही है जिंदगी … हर माता पिता की जिंदगी मॆं ये लम्हा जरुर आता है जब बच्चा पढने के लिए या नौकरी के लिए उनकी आखों से ओझल होता है … हम सभी को उसे सकारात्मक लेना है और बच्चॉं के सामने कमजोर नही पडना ….मुझे याद आया एक आर्टिकल जो इसी बारे मे मैने लिखा था और आज आपसे शेयर कर रही हूं ये उन मममियों को समर्पित है जो बच्चो को याद करके सारा समय रोती रहती है  ये एक बेटे ने लिखा है अपने मम्मी पापा के नाम …  जब उसने पहली बार अकेले घर से बाहर कदम रखा

 

paper and pen photo

एक पाती प्यार भरी- बेटे का पत्र मां के नाम

प्यारी सी माँ,

कैसी हो? कल मैने पहली बार 17 साल के बाद घर से बाहर होस्टल मे जाने के लिए कदम निकाला है. मां, मै चोरी चोरी निगाहो से आपकी आँखे देख रहा था जब आप अपने आंसूओ को मुस्कान मे छिपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी. पता है, मै भी बहुत ज्यादा उदास था पर मैने खुद को पक्का किया हुआ था कि कुछ भी हो जाए आपके सामने कमजोर नही दिखूगा. आपका राजा बेटा हू ना और आपने ही तो कहा था कि जो राजा बेटा होता है वो कभी नही रोता.

माँ, आप बैग से सामान निकाल कर मेरे होस्टल की अलमारी मे लगा रही थी और मै सोच रहा था कि आपके जाने के बाद मैं  कैसे रहूगां.कौन मुझे सुबह सुबह बालों में हाथ फेरते हुए उठाएगा. कौन मेरे लिए नाश्ते पर इंतजार करेगा. मेरे तैयार होने के बाद और वापिस लौटने पर कौन गेट पर खडा रहेगा.

 

 

 

 

मेरे लिए यह मुश्किल होगा पर मुझे विश्वास है कि आपका राजा बेटा सब कर लेगा. बस आप मेरी चिंता मत करना. पिछ्ले दस दिनो से देख रहा था जब से आप मेरे लिए पैंकिग कर रही थी कि बात बात पर आप उदास हो जाती थी. मेरा सामान पैक करते करते दस मिनट बाथरुम मे लगाती और वहाँ से ऐसे बाहर निकलती मानो कुछ हुआ ही ना हो. मै सब देखता रहता था. कई बार आपकी और पापा की बाते भी सुनता जब पापा आपको समझाते हुए कई बार नाराज भी हो जाते थे.

मैने पापा की हिम्मत को देखा है और मै आज आप दोनो के प्यार और विश्वास से जिंदगी मे बडा आदमी बन कर दिखाउगाँ. आपने जो संस्कार मुझे दिए है वो अब बहुत काम आएगें. हो सकता है शुरु शुरु मे मेरा मन ना लगे. ये भी हो सकता है कि मै जल्दी जल्दी घर के चक्कर लगाऊ या ये भी हो सकता है कि कई बार आप मेरा मोबाईल मिलाओ और वो बंद आए. आप किसी भी हालत मे फिक्र नही करना. आपका राजा बेटा खुद को मजबूत बनाएगा ताकि हर हालात का सामना कर सके और पढाई के साथ साथ अन्य गतिविधियो मे भी अव्वल आए जैसे स्कूल मे आया करता था.

बस, चार साल की तो बात है इंजीनियरिंग की पढाई तो पलक झपकते पूरी हो जाएगी और फिर तो हमने हमेशा ही साथ रहना है .. है ना माँ.

आप अब मेरी चिंता छोड कर अपना और पापा का ख्याल रखना. आप अपनी दवाई और कैलशियम हर रोज लेना और दूध पीना तो बिल्कुल मत भूलना और बासी रोटी और सब्जी छोड कर ताजी रोटी ही खाना और खुश रहना. अगर आप खुश रहोगे तो समझ लेना मै भी खुश हू और अगर आप रो रहे होंगे तो समझ लेना कि मै भी …

याद है ना आप मेरे लिए हमेशा कहा करती थी कि सीढियाँ उनके लिए बनी है जिन्हे छ्त पर जाना है ….. आसमान पर जिनकी नजर है उन्हे अपना रास्ता खुद बनाना है … बस माँ, मै रास्ता बनाने ही निकला हूँ आपके आशीर्वाद के साथ.

आज मुझे भी आपके लिए दो लाईने कहनी है मैने पढी थी…. एक अच्छी किताब 100 दोस्तो के बराबर होती है पर एक उत्साहित करने वाला दोस्त तो पूरी की पूरी लाईब्रेरी होता है

और आप मेरे बहुत अच्छे दोस्त हो और मुझे बहुत खुशी है कि भगवान जी ने इतने प्यारे मम्मी पापा दोस्त रुप मे दिए हैं सच मे , मुझे अपने पर बहुत गर्व महसूस हो रहा है. अच्छा, अब पत्र लिखना बंद करता हू शायद डिनर का समय हो गया है.

अच्छा…. अपना ख्याल रखना और रोना रोना नही करना… याद है ना …

आपका राजा बेटा

हर माता पिता की जिंदगी मॆं ये लम्हा जरुर आता है जब बच्चा पढने के लिए या नौकरी के लिए उनकी आखों से ओझल होता है … हम सभी को उसे सकारात्मक लेना है और बच्चॉं के सामने कमजोर नही पडना …. !!!

एक पत्र दुल्हनियां के नाम – Monica Gupta

एक पत्र दुल्हनियां के नाम …. बचपन मे घर घर खेलने वाली देखते ही देखते इतनी बडी हो गई कि आज अपना ही घर बसाने पिया के घर जा रही है.जहां read more at monicagupta.info

 

कैसी लगी आपको ये पाती … जरुर बताईएगा !!!

 

 

 

July 13, 2015 By Monica Gupta

ऐसा प्यार कहां

ऐसा प्यार कहां

 

man drinking beer photo

Photo by Matthew Black

वाह !!! आज एक महाशय … मेरे हिसाब से महानुभाव बोलना ऊचित रहेगा .. हां, तो आज एक महानुभाव से मिलना हुआ. वो खुदकुशी कर रहे थे. उन्हे और उनके प्यार को देखकर मै उनसे प्रभावित हुए बिना नही रह सकी. अरे!! हैरान होने की जरुरत नही है और ना ही मैने कुछ गलत लिखा है. असल में, उन्हे ब्लड शूगर है और वो बस मीठा और तला चोरी छिपे खाए चले जा रहे है भले ही घर वाले नाराज हो पर खाने से वो अपना प्यार, मोह नही छोड पा रहे है.
वही मेरी प्रिय सहेली मणि के एक मित्र है मुहं पका हुआ है एक छाला महीने से ठीक नही हो रहा पर पान मसाले और गुटखे का प्रेम इतना है कि उसे छोड नही पा रहे.
वही एक अन्य जानकार है दोनो गुर्दे जवाब देने को है पर शराब… अजी, इतना प्यार है उससे कि छूट ही नही रही. जाने अंजाने ये सभी लोग खुदकुशी पर आमादा है.. भले ही घर परिवार वाले नाराज हो लडे मरे या खुद अपने शरीर के साथ कितने भी दुख उठाए पर छोड नही सकते.
देखा है आपने ऐसा प्यार!!! अब प्यार हो तो ऐसा हो वर्ना ना हो !! वैसे आप कही आप भी तो खुदकुशी ….. !!!!

ऐसा प्यार कहां

 

July 13, 2015 By Monica Gupta

मैं तीस हजारी से बोल रही हूं

मैं तीस हजारी से बोल रही हूं

आज मणि बहुत घबराई हुई घर आई और बोली कि वो जेल जाएगी. वो जेल जाएगी … !!! मैने उसे आराम से बैठाया और सारी बात पूछी क्योकि जितना मै मणि को जानती हूं वो और जेल !!! असम्भव !! पर हुआ क्या!!! मैंने उसे पानी का गिलास पकडाया. गिलास हाथ मे लिए लिए  उसने घबराई हुई आवाज मे बताया कि उसके पास एक महिला का फोन आया. वो दिल्ली तीस हजारी कोर्ट से बोल रही थी. उसने नाम पूछ कर कहा कि आपके नाम से केस रजिस्टर हुआ है. क्या आपको नोटिस मिला ? मणि की तो वही सासं फूल गई. उसे कुछ समझ नही आ रहा था. उसने फोन काट दिया और मेरे पास दौडी चली आई. मैने उसे संयत करके बैठाया और विश्वास दिलाया कि ऐसा कुछ नही होगा क्योकि जब उसने कुछ किया ही नही तो !!! जब उसी नम्बर पर दुबारा फोन किया तो नही मिला. मैने यही कहा कि किसी ने मजाक किया है.

तभी उसी नम्बर से फोन आ गया. मैने बात करके पूछा तो उस महिला ने बताया कि हाई कोर्ट के सरकारी वकील है वो आपको सारी हिस्ट्री बताएगे और उसने उनका नम्बर तो दिया ही साथ मे मणि की केस फाईल नम्बर भी दे दिया. मै हैरान !! उस नम्बर पर फोन किया तो कोई आदमी बोल रहा था. इसने बताया कि पिछ्ले साल आपका आईडिया का नम्बर था उसका भुगतान नही किया इसलिए उन्होने केस दर्ज करवाया है. या तो पैसे जमा करवा दो या केस तो डल ही चुका है. मैने यह कह कर फोन रख दिया कि बाद मे बात करती हूं. फिर मणि से पूछ कि कभी किसी मोबाईल का बकाया था. इस पर वो याद करती हुई बोली कि एक बार एक नम्बर का प्लान बदलवाया था पर आईडिया वालो ने बदला की नही लगभग दो महीने तक वो लगातार फोन करके कहती रही पर बिल पहले वाले प्लान का लग कर आता रहा.इस चक्कर मे तंग आकर उसने दूसरा नम्बर ले लिया.

उसके बाद आईडिया से तो तीन बार भुगतान के लिए फोन आए पर उसने कहा कि गलती उनकी है कि प्लान बदला क्यो नही और हमे भी इतनी दिक्कत दी है इसलिए आपकी ही गलती है हम पैसे नही देंगे और उसके बाद कोई फोन नही आया. और आज आया तो !!! वो बता ही रही थी कि इतने मे उसी महिला का दुबारा फोन आया कि आपकी बात हो गई क्या उनसे. और मेरी हैरानी की सीमा नही जब वो महिला अपशब्द बोलने लगी. मै हक्की बक्की रह गई. ये क्या तरीका हुआ. बहुत बुरा लगा. दुख इस बात का हुआ कि मणि के पास कोई इमेल या कार्यवाही नही थी जिसका सबूत वो दिखा सकती कि आईडिया वालो ने कितना तंग किया था. खैर, दो तीन वकीलो और न्यायाधीश मित्र से बात की तो उन्होने बताया कि ऐसा बहुत हो रहा है और ये लोग बहुत गंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं. इस बारे मे जब दो चार लोगो ने आईडिया मे बात की तो वो तुरंत माफी मांग ली कि क्या करे जी.!!!

खैर, मणि अपने दो हजार रुपए तो अगले दिन ही जमा करवा दिए पर उस महिला के खिलाफ केस करने का मन भी बना रही है जिसने इतने अपशब्द बोले!
वाह रे आईडिया वालो …. वट एन आईडिया !!! वैसे ये अक्टूबर 2012 की बात है पर याद इतनी ताजा है मानो कल की ही बात हो …

मैं तीस हजारी से बोल रही हूं

jail photoमैं तीस हजारी से बोल रही हूं

July 11, 2015 By Monica Gupta

Sick Leave

thums up photo

Photo by Zappy’s

Sick Leave

बचपन मे क्लास english  की हो या हिंदी की एक पत्र यानि application  का हमें रट्टा लगा होता था और वो है Sick Leave. सविनय निवेदन है कि आज मुझे बुखार है मैं दो दिन स्कूल नही आ पाऊंगी. कृपया करके दो दिन का अवकाश प्रदान करॆं..

ये application हमारे दिल के इतना करीब है इतना करीब है कि आज भी हम सभी  कही न कही बहाना ही खोजते हैं बीमार होने का …अब देखिए ना बीमार होना यानि मुसीबतों का पहाड टूट पडना. लम्बी लाईन, फिर ढेर सारे टेस्ट और फिर महंगी दवाईयां और दवाई के आफ्टर ईफेक्टस … इतना सब कुछ होते हुए भी बीमार होना हमे प्रिय है … बेहद प्रिय है… अब देखिए ना…  बच्चा अगर बाहर नौकरी कर रहा है तो मां ये कहेगी कि अगर छुट्टी नही मिल रही तो मेरी बीमारी की छुट्टी का बहाना ले कर आजा, मेरे बच्चे… !!!

बाहर बरसात हुई मौसम चाऊ माऊ हुआ कि हमें और किसी की याद आए न आए छुट्टी की याद जरुर आती है और बहाना … अजी बहाना तैयार है कि सर …  कल बरसात मे भीगने के कारण सर्दी लग गई और बुखार भी हो गया. इसलिए आज आफिस  नही आ पाउगां… और फिर बच्चों को लेकर निकल जाते है long drive पर ….  अगर लिख कर दे रहे हैं तो अलग बात है पर अगर फोन करके बताना है तो एक दो फर्जी छीकें तो मारनी पडेगी और एक दो बार नाक से भी बोलना पडेगा अरे भई … आपकी नाक भी तो बंद है ना 🙂 🙂

और तो और आप जरा फेसबुक पर स्टेटस डाल कर तो देखिए कि आपकी  तबियत  ठीक नही है  कमेंटस की लाईन न लग जाए तो अपना नाम बदल लेना( अब भई मेरा नाम तो भला चंगा है)

तो हुआ ना  बीमारी का बहाना हमारे दिल के करीब …

वैसे बहुत देर हो गई कामवाली बाई अभी तक नही आई … सारी रसोई फैली पडी है .. अरे ये किसका मैसेज है मोबाईल पर … नहीईईईईईईईईईईई… काम वाली बाई का है लिखा है आज तबीयत ठीक नही लग रही… दो दिन काम पर नही आएगी रे बाबा … !!

हाय ये क्या ??? मुझे भी अचानक सिर दर्द हो गया ऐसा लग रहा है बुखार भी … अरे नही ये वाकई में  सचमुच वाला है .. 🙁

July 11, 2015 By Monica Gupta

Indian House wife

Indian House wife

मेरी एक सहेली हाऊस वाईफ है. आज सुबह उसके घर गई तो बच्चों के शोर से घर गूंज रहा था. बोली आज और कल ओवर टाईम करना है ?? मैने पूछा अरे !! कैसे कही ज्वाईन किया क्या तो हंस कर बोली नही री … आज इनकी और बच्चों की छुट्टी है ये सब मस्त है पूरा दिन धमा चौकडी मचाने वाले हैं जबकि उसका आज पूरा दिन रसोई मे बीतेने वाला है … बारी बारी करके सो कर उठेंगें …अलग अलग नाश्ते की फरमाईश होगी फिर बाजार भी शापिंग पर ले जाना होगा फिर बच्चों के दोस्त भी आएगें और इनके भी दो चार दोस्त तो आ ही जाएगें …

मौसम अच्छा है तो पकौडे शकौडे … फिर … मैने कहा … बस बस बस … ओह मैं तो सुनते सुनते ही थक गई इसे तो सारा दिन काम करना है पर वो बोली हां पर खुशी खुशी. एक दो दिन ही हो मिलते हैं बच्चों को मस्ती करने के नही तो सुबह से शाम तक स्कूल पढाई, टयूशन …ना आराम न नींद … !! मैने मुस्कुरा दी.. वाकई छ्ट्टी के दिन तो गृहणी की भूमिका डबल ट्रिपल ही होती है और  ये बात तो एक मां ही सोच सकती है …

मैं अक्सर फेसबुक य अन्य सोशल नेट वर्क साईट पर देखती हूं बहुत लोग हैप्पी संडे करके अपना स्टेटस डालते हैं अगर एक हाऊस वाईफ डाले तो … 🙂 

खैर !! जरुरी ये बात है हर काम खुशी खुशी किया जाए …कई महिलाए “रुस” जाती है मेरा मतलब मोदी जी की यात्रा वाला रुस नही बल्कि नाराज हो जाती है. इतना काम देख कर मुहं बना लेती है अरे भई   छुटी है  आप भी खुश रहो  इसलिए खूब खाओ और खिलाओ …. !!!!

Indian House wife

 lady working in kitchen photo

Photo by Internet Archive Book Images

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