Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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April 4, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

आईएसबीटीआई द्वारा आयोजित कांफ्रेस

आईएसबीटीआई द्वारा आयोजित कांफ्रेस

आज हरियाणा के कुरुक्षेत्र के KITM  कुरुक्षेत्र इंस्टीयूट आफ टेक्नोलोजी मैनेजेंमैंट मे आईएसबीटीआई और एनएसएस के सौजन्य से  रक्तदाता और प्रेरको के लिए  कांफ्रेस का आयोजन किया गया.

Kitm- blood donation -isbti

 

इस कार्यक्रम  के मुख्य अतिथि रहे  डाक्टर  युद्द्बीर सिह ख्यालिया. छात्र छात्राओ ने बढ चढ कर हिस्सा लिया और रक्तदान की उपयोगिता को समझा और सराहा. स्पेशल थैक्स संगीता वधवाSangeeta Wadhwa और जगदीश कुमार Jagdish Sharma ji को. मेरी स्पीच में आप दोनो के संदेश और अपील ने सभी को झंकोर के रख दिया और बहुत कुछ् सोचने पर मजबूर कर दिया.

 

March 25, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

इंटरनेट और कमेंटस की दुनिया

comments photo

इंटरनेट और कमेंटस की दुनिया

सिर्फ देखने का नही  …. कमेंट भी करने का …!!!

 

वो क्या है ना कि आज मेरे सहेली बता रही थी कि उसने अपने पेज पर एक पोस्ट डाली. जिसे देखा लगभग 1250 लोगो ने और लाईक आए 10 और कमेंट आया … शून्य यानि जीरो यानि 0

वो 

क्या है ना कि अक्सर लोग पोस्ट देख तो जाते हैं उसे कुछ एक को तो इतनी बेहतर लगती है कि कापी भी कर लेते हैं और खुद के नाम से पब्लिश कर देते है पर कमेंट नही करते. वो क्या है ना कि

ऐसा करना अच्छा नही लगता थोडी हिम्मत जुटा कर कभी कभार कमेंट तो कर ही देना चाहिए. वो क्या है ना कि मनोबल बना रहता है… !!! और कई लोग तो मिस्टर इंडिय़ा होते हैं जो दिखाई नही देते यानि हमारे लिखी हुई पोस्ट  को न लाईक करते और कमेंट लिखना तो बहुत दूर की बात है ये भी अच्छी बात नही है …अरे भई … डरों मत अगर देख ही लिया है तो जरा कमेंट भी कर ही डालिए….  सिर्फ देखने का नही

इसलिए अपनी उपरोक्त पक्ति दोहरा रही हूं सिर्फ मेरी

पोस्ट ही नही किसी की भी पोस्ट के लिए ….

सिर्फ देखने का नही !!!

 

  सिर्फ देखने का नही !!!  कमेंट भी करने का …!!!

 

 

monica gupta

March 25, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

Success story of Blood Donor

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सफलता की कहानी … !!!

 Success story of Blood Donor

वो दिन रात रक्त दान के प्रति लोगो को जागरुक करने की मुहिम मे जुटे थे पर लोगो की भ्रातियां, रक्तदान के प्रति नकारात्मक सोच पीछा ही  नही सोच रही थी. उन्ही दिनो की बात है जब वो एक बार कालिज के बच्चो को रक्तदान के लिए प्रेरित करके लौटे ही थे कि एक बच्चे की मम्मी का फोन  आ गया कि मेरे बच्चे को छोड दो.  बेशक आप एक हजार रुपए ले लो पर मेरे बच्चे को रक्तदान के लिए बिल्कुल मत कहना.

वही एक दूसरे उदाहरण में जब वो घर घर जाकर लोगो को रक्तदान के लिए लोगो को जागरुक कर रहे थे तब एक व्यक्ति हाथ जोड कर बोला कि मैं बाल बच्चेदार  आदमी हूं खून दान करके अपनी जिंदगी खतरे मे नही डाल सकता. एक अन्य उदाहरण मे तो और भी आश्चर्यजनक बात हुई. सुबह सवेरे एक प्रोफेसर साहब के पास फोन आया कि रक्तदान केंद्र मे खून की जरुरत है. उन्होने अपनी पत्नी को बताया कि वो खून दान कर के अभी वापिस आते हैं. जब तक वो रक्तदान केंद्र पहुंचे  तब तक एक अन्य व्यक्ति रक्तदान कर चुका था इसलिए प्रोफेसर साहब कुछ देर रुकने के बाद चाय ठंडा पी कर जब घर वापिस लौटे तब पत्नी ने उन्हे देखते ही कहा कि ओह … आप कितने कमजोर लग रहे हो!!! इस पर उन्होने मुस्कुराते हुए बताया कि खून दान तो उन्होने किया ही नही. यह सुनकर उनकी पत्नी बहुत झेप सी गई.

 

जरा सोचिए कि ऐसे वातारवरण मे लोगो मे जागरुकता पैदा  करना  कितना कठिन काम रहा होगा पर उनके भीतर  लग्न, जोश, जनून ने ऐसे मुश्किल काम को सम्भव कर दिखाया. भले आज वो हमारे बीच नही है सन 2011 की 20 अगस्त को वो पंच तत्व मे विलीन हो गए पर रक्त दान के क्षेत्र मे जो मिसाल कायम कर गए वो एक मील का पत्थर बना खडा सभी का पथ प्रदर्शक कर रहा हैं.

 

रक्तदान के क्षेत्र मे अपनी एक अलग ही पहचान बनाने वाली उस शख्सियत का नाम है स्वर्गीय श्री हजारी लाल बंसल. 22 सितम्बर 1935 को भटिंडा के कटार सिह वाला मे जन्मे और सन 1962 मे हमेशा के लिए रामपुरा फूल मे बस गए. सब कुछ अच्छा चल रहा था कि अचानक जिंदगी ने एक ऐसा मोड लिया कि उनकी सोचने की दिशा ही बदल गई या ये भी कह सकते हैं कि जिंदगी को  एक नया मकसद मिल गया.

 

बात सन 1975 की है. उनकी बिटिया रजनी  की अचानक तबियत खराब हो गई  और उनके शरीर मे बस दो ग्राम खून ही रह गया. वो पहली बार था जब उन्होने  रक्तदान किया. हालाकि उनके एक अन्य रिश्तेदार ने भी रक्तदान किया पर खून और भी चाहिए था. वो खून के लिए इधर उधर बहुत भटके, घूमे  फिरे और खून नही मिल पाया फिर पीजीआई चंडीगढ ले जाया गया और ईश्वर का शुक्र रहा रहा कि उनकी बिटिया की जान बच गई और वो कुछ समय बाद सकुशल घर लौट आई. पर इस धटना ने हजारी लाल जी को बुरी तरह से झंझोर दिया और उन्होने निश्चय किया कि चाहे कुछ हो जाए रक्तदान की वो एक मुहिम चलाएगे. तब उन्होने अपने  जीवन को एक नई दिशा दी और उसी दिन से वो रक्तदान की मुहिम मे जुट गए. फिर झेलने पडी ढेरो नकारात्मकता और लोगो का रक्तदान के प्रति विपरीत रवैया. पर बस  एक अजीब सा जनून था जोकि उनके कमजोर नेत्र रोग के सामने भी कमजोर नही पडा. असल मे, जब वो दसवी कक्षा मे थे. तभी उन्हे नेत्र रोग हो गया था जिसकी वजह से लगातार उनकी नेत्र ज्योति क्षीण होती जा रही थी. दसवी कक्षा मे वो मात्र 50% ही देख पाते थे. धीरे धीरे यह ला ईलाज रोग बढता ही जा रहा था और जिंदगी के आखिरी 15 सालो मे वो पूरी तरह से नेत्र विहीन हो चुके थे और दूसरो की मदद के बिना कुछ् नही कर पाते थे. पर यह बात भी माननी पडेगी कि भले ही खुद वो बिना नेत्र ज्योति के रहे पर लोगो के दिलो मे रक्तदान के प्रति रक्तदान की ऐसी आलौकिक रोशनी जगा गए कि वो आज भी सभी का मार्ग प्रशस्त कर रही है.  Success story of Blood Donor

उनके सपुत्र श्री सुनील बंसल ने सारी जानकारी देते हुए बताया कि उनके पिता जी के बारे मे कुछ भी कहना सूरज को दीया दिखाने के बराबर है. पापा का जोश और जनून था जब हमारे गांव रामपुरा फूल मे 1 अक्टूबर 1978 को पहली बार रक्तदान कैम्प लगा. जिसमे पहली बार 46 रक्तदाताओ ने रक्तदान किया. उनके पिता ब्लड डोनर फांउडेशन के संस्थापक भी रहे. जब भी वो रक्तदान पर बोलते सभी चुप होकर बहुत गम्भीरता से उनकी बात सुनते और रक्तदान के प्रति प्रेरित होते. उनके पिता को सन 84 मे रेड क्रास सोसाईटी ने और 1996 तथा 2008 मे इंडियन सोसाईटी आफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन ने भी विशेष रुप से सम्मानित किया था. सुनील जी ने बहुत गर्व से बताया कि आज उनके गांव रामपुरा फूल मे शत प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदाता हैं. दूर दराज जानी मानी संस्थाए यहां रक्तदान कैम्प लगाती है और खून की वजह से कोई व्यक्ति की जान जाए ऐसा कभी नही हुआ. आज वो स्वय भी रक्तदान के प्रति लोगो को प्रेरित करने मे दिन रात जुटे हैं और खुद 34 बार रक्तदान भी कर चुके है.

वाकई मे , हजारी लाल जी के बारे मे जान कर बहुत खुशी हुई. इसी दौरान रजनी जी जोकि इस मुहिम  का कारण बनी. उनसे भी बात की. रजनी जी ने बताया कि हर कोई चाहता है कि वो बीमार ना पडे पर मेरा बीमार पडना मेरे पापा की जिंदगी मे एक नई क्रांति ले आएगा यह कभी नही सोचा था. खुद नेत्र ज्योति ना के बराबर होते हुए भी लोगो को रक्तदान के क्षेत्र मे राह दिखाई. मुझे गर्व है कि मैं ऐसे पिता की बेटी हूं. उनके जज्बे के आगे मैं नत मस्तक हूं.  

यकीनन श्री हजारी लाल बंसल जी का नाम रक्तदान के क्षेत्र मे अग्रणी रहेगा. आईएसबीटी आई परिवार की और से उन्हे सादर श्रधांजलि!!!Success story of Blood Donor!!!

 

 

मोनिका गुप्ता

सिरसा


हरियाणा

March 14, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

अच्छी बातें

अच्छी बातें ….( सकंलित)

Thoughts !!!

 

जनहित मे जारी …!!!

दो दो बात करने से काम बनता है
और
दो दो हाथ करने से काम बिगडता है

है ना 🙂

 

ऐसी ही है हम महिलाएं ….

मासूम इतनी कि पलक का बाल अगर चेहरे पर गिरा होगा तो झट से आखॆ बंद करके wish मांगने लग जाएगी
और
इरादो में मजबूत इतनी कि कई बार ईश्वर को ही चलेंज कर देगी

🙂

 

 

खूबसूरत है वो मुस्कान जो दूसरो के चेहरे पर भी मुस्कान ले आए…..!!! है ना 🙂

 

बेशक फिल्में तीन वजह से चलती हो पर फेसबुक एक ही वजह से चलती है और वो वजह है …
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INTER NET..!!!!!

🙂

 

 

कृप्या ध्यान दें !!!

कठिन समय में धैय धारण करने का मतलब है कि आधी लडाई जीत लेना !!!

तो धैर्य धारण करने मे ही असली समझदारी है !!! है ना 🙂

 

 

कृप्या ध्यान दीजिए ..

बजाय यह कहने के कि “No One Likes Me
ये कहिए कि “There Is No One Like Me.”

Feel The Change. ….!!! 🙂

 

 

सबसे मुश्किल काम … खुद को सुधारना
सबसे आसान काम …. दूसरो मे दोष निकालना

🙂

 

पते की बात …

हमेशा सच बोलना चाहिए ताकि कसम खाने की जरुरत ही ना पडे….!!!:)

 

जनहित मे जारी 🙂

महिलाए कृप्या ब्लड Donor से पहले ब्लड owner बनें…!!! अच्छी बातें हमेशा ही अच्छी लगती हैं … है ना 🙂

 

मोनिका गुप्ता

 

 

March 4, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

Mahila Diwas

Mahila Diwas

Mahila Diwas 

महिला दिवस

एयर पोर्ट पर एक नवयुवती पुरुषो के पास जा जा कर रोता हुआ मासूम चेहरा लिए नम्र निवेदन कर रही थी कि उसका सामान ज्यादा हो गया है प्लीज इसे आप रख ले. अपने गंतव्य पर पहुंच कर वो ले लेगी. पर यह बात सिर्फ पुरुषो  से ही कह रही थी. महिलाओ के पास नही जा रही थी और जब भी समय मिलता एक किनारे पर खडी होकर  किसी से हंस बोल कर मोबाईल पर बतियाने लगती. आदमी जंहा उसकी मदद को तैयार थे वही महिलाए उसे गुस्से वाली निगाहों से  देख रही थी कि किस तरह अपनी मासूमियत का फायदा उठा रही है.

दो दिन पहले एक महिला से मुलाकात हुई. उसने बताया कि करीब चार महीने पहले एक जानी मानी पत्रिका के सम्पादक ने उसका साक्षात्कार लिया और उसे पहले कहा कि अगले महीने साक्षात्कार आएगा और इसी सिलसिले मे ना सिर्फ उसकीफोन पर बात हुई  बल्कि पर्सनली मुलाकातें भी हुई. अब इस बात को महीनो बीत गए. महिला लगातार फोन कर रही है पर अब शायद मतलब निकल गया है तो सम्पादक ने फोन उठाना बंद कर दिया है. वैसे ऐसा ही कुछ फिल्म लाईन मे  अकसर सुनने मे  आता  है कि  हीरोईन बनने की चाह मे महिला कई बार बेवजह बहुत आगे बढ जाती है और उसका अंत दुखद होता है.

वही एक अन्य महिला अपने आसूं के बल पर ना सिर्फ आफिस मे अपने बॉस बल्कि बहुत लोगो की भावनाओ के साथ खेल रही हैं. कुल तनखाह मात्र 5000 है पर 15 हजार के फ्लैट मे रह रही है और 25 हजार फीस वाले स्कूल मे अपनी बच्ची को दाखिल करवाया हुआ है. हैरानी हो रही है ना पर ये हकीकत है.  एक परिवार मे माता पिता अपनी ही लडकी को जोर देते है कि तु जा और अपने मालिक से पर्सनल तालुकात रख.

वही कुछ पति भी जल्दी प्रमोशन के चक्कर मे बास के आगे पीछे धूमने को बुरा नही मानते. इससे भी ज्यादा दुखद बात तब होती है जब कोई महिला पर पुरुष से अपना मतलब ना निकलने पर उस पर उल्टा ही रेप जैसा धिनौना अपराध का नाम लगा देती है और बात बिगडने की दशा मे अपनी शिकायत वापिस ले लेती है.

 ऐसी महिलाए देर सवेर अपने ही जाल मे  फस जाती है और  उबरना मुश्किल नही नामुमकिन सा हो जाता है और ऐसी सीख मिलती है कि जिंदगी भर उस बात की भरपाई नही हो पाती.एक अन्य उदाहरण मे एक महिला को एक व्यक्ति ने प्राईवेट कालिज मे नौकरी दिलवाई अब उनका आभारी होने के नाते वो उनके बच्चो को ट्यूशन पढाती है और पेपर मे क्या क्या आएगा उन्हे परोक्ष रुप मे जानकारी भी देती है.  ऐसे ना जाने अनगिणत उदाहरण है.

 कृप्या अपने मतलब के लिए अपना शोषण मत होने दें. चाहे नौकरी की बात हो, शादी ब्याह की बात हो या किसी भी अन्य तरह के लालच या प्रलोभन की बात हो. इससे पहले की कोई अनहोनी हो जाए. लोग आपका फायदा उठा जाए और आप  सिर पर हाथ पे हाथ धर के बैठे रह जाए. और तब आत्महत्या के इलावा कोई दूसरी राह ही ना सूझे. आपको स्वयं ही जागरुक बनना पडेगा.

बेशक, राह बहुत कांटो भरी है इसलिए कई बार मन का विश्वास डगमगा जाता है पर ऐसी बाते ना हो उसके लिए अपने मन मे पक्का विश्वास पैदा करना होगा और  और जल्दबाजी भी नही दिखानी होगी.अगर  हम कदम सोच समझ कर चलेगी तो राह मुश्किल जरुर लगेगी पर सफलता भी जरुर मिलेगी. बस किसी भी वजह से खुद को शोषित ना होने दें, जागरुक बनें.

Mahila Diwas पर आपकी राय आपके विचारों का स्वागत है !!

 

 

February 20, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

खोजी पत्रकारिता

rain strom photo

Photo by KadKarlis

खोजी पत्रकारिता

बात कुछ समय पहले की है. जब हमारे शहर मे जबरदस्त बारिश के साथ भयंकर ओलाबारी हुई और देखते ही देखते ना सिर्फ सडको पर पानी भरने लगा बल्कि घरो मे भी पानी धुसने लगा.करीब धंटा बारिश चली पर मेरी सहेली मणि का घर आश्चर्य का विषय बना हुआ था.

मणि के घर 6-7 ओले अभी भी जस के तस थे. यानि पिघले नही थे. बारिश, ओले की वजह से सर्दी बहुत बढ गई थी और रात भी होने वाली थी अगली सुबह फिर देखा तो वैसे ही थे. लोगो का जमावडा बढने लगा और मेरा रिपोर्टरी दिमाग भी सोचने लगा कि आखिर यह पिघले क्यो नही. कही कोई उल्कापात के कण तो हमारे यहां नही आ गए है.खैर, किसी को उसे हाथ नही लगाने दिया गया.बहुत पत्रकार भी उसकी तस्वीर लेकर गए. शहरी बच्चो ने तस्वीरे फेसबुक पर डाल दी वही और मधुबन से एक जांच टीम भी गठित करके वहा से रवाना हो गई.

उस दिन पूरी धूप निकल गई, मैं दुबारा मणि के घर गई तो वो ट्रंक के गर्म कपडे बाहर सुखा रही थी क्योकि उसके स्टोर मे पानी चला गया था. तभी मैने पूछा कि क्या स्टोर मे फिनाईल की गोलियां भी थी तो वो बोली कि हां बहुत थी. कुछ ट्रंक के अंदर तो कुछ ट्रंक के पीछे गलती से गिर गई थी. बस, मैंने वही सिर पकड लिया. वो ओले, वोले कुछ नही फिनाईल की गोलियां थी जो बरसात के पानी के साथ अंदर से बह कर बाहर आ गए थे.इतने मे कुछ चैनल की ओबी लाईव टेलिकास्ट के लिए वहां पहुच चुकी थी. मैं उनको मना कर ही रही थी कि अचानक मोबाईल की आवाज से मेरी नींद खुल गई.

चैनल की तरफ से फोन था कि शहर के पास के गांव मे दो गैंगस्टर घुस आए है उनकी ताजा अपडेट चाहिए. फोन रखने के बाद मैने ऐसे सपने के लिए सिर को झटका और फिर नई खबर की जानकारी जुटाने मे जुट गई. … !!! 🙂

खोजी पत्रकारिता

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