Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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February 2, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Deal with Aggressive Children – Aggressive Children – आक्रामक बच्चे – Monica Gupta

How to Deal with Aggressive Children

How to Deal with Aggressive Children – Aggressive Children – आक्रामक बच्चे – Monica Gupta – #ParentingVideosInHindi – Monica Gupta – Aggression in Children – How to Deal with Aggression in Children – http://https://www.youtube.com/@MonicaGupta/ – Motivational Videos in Hindi –  Aggression क्यों है आज बच्चों में….  इतने आक्रमक किसलिए हो गए है बच्चे…  एक वीडियों में कारण पता लगाने की कोशिश की थी कि क्या क्या वजह हो सकती है कि बच्चे आक्रमक हो.. आज इस बारे में बात करती हूं कि इस Aggression  को दूर कैसे किया जा सकता है…बात कल शाम की है जब मैं चाय बना रही थी… मन में चल रहा था कि बच्चों इतने आक्रमक हो गए हैं उन्हें कैसे समझाए.. कैसे aggressive  हिंसक आक्रमक न हों.. चाय मे उबाल आ रहा था और मैं बार बार फूंक मार कर उसे शांत कर रही थी सोचे जा रही थी और उसे शांत कर रही थे. ऐसा लगा मानो चाय एक aggressive बच्चा है और मैं एक parents उसे शांत कर रही हूं तो सबसे पहली बात तो ये कि इन सब के लिए parents का शांति से काम लेना बहुत जरुरी है…

Aggressive Children – आक्रामक बच्चे – How to Deal with Aggressive Children

तो सबसे पहली बात कि माता पिता का शांत रहना बहुत जरुरी है..

ये Aggression  एक दिन में आता नही इसलिए ये सोचना कि एक दिन में चला जाएगा ऐसा नही है… समय लगता है और बच्चे को भी समय दीजिए पर जरुरी है

माता पिता खुद पर कंट्रोल रखे..

अपने गुस्से पर काबू रखें शब्दों का प्रयोग करें न कि हाथों का यानि खुद  सभ्य civilised और शांत …  calm बने रहिए.. बहुत माता पिता आपा खो देते हैं और बच्चे को मारने लगते हैं.. बच्चे बडो से ही सीखते हैं जैसाकि मान लीजिए एक पिता फोन पर बात कर रहे हैं किसी से.. तू समझता क्या है तुझे तो देख लूंगा… और फोन रखने के बाद भी दस 12 गालियां उसी की बात करते हुए बोले जा रहे हैं कि सामने मिल जाए तो उसका खून कर दूंगा.. समझता क्या है… तो बच्चा क्या सीखेगा क्या उम्मीद रखते हैं Manage your own anger

कारण जानने की कोशिश कीजिए

किस बात पर ज्यादा आक्रमक हो जाता है… कारण बहुत सारे हो सकते हैं  सही नींद न आना, किसी का तंग करना, तनाव, पढाई का, टीवी पर बहुत हिंसक देखना, या शरीर में विटामिन की कमी.. अस्वस्थ होना… Attention Deficit Hyperactivity Disorder (ADHD)

फिर कदम उठाने चाहिए.. मान लीजिए कोई बच्चे को तंग कर रहा है… तो उस दिशा मे सही कदम उठाना होगा… समझदारी के साथ… या बच्चा बहुत ज्यादा हिंसक फिल्में देखता है उसमे ज्यादा रुचि रखता है तो बच्चे को उस तरह से समझाना होगा..

बात करनी होगी… समझाना होगा

समय देना होगा और समय ऐसे भी नही कि हा बता क्या हुआ था… जल्दी बता उसे छोडूगा नही.. ऐसे नही.. आराम से बात सुनकर और फिर उसका निष्कर्ष निकालना होगा…

Discipline में रखना होगा और Consistent रहना होगा…

disciplining बच्चे को अनुशासन में रखने के लिए Consistent रहना होगा… ये नही की कोई बात हुई तब आपने कोई नियम बना दिया.. अगर कोई चीज गलत है तो हमेशा ही गलत है… बचपन से ही इस आदत को डेवलेप करना होगा… कभी डांट दिया कभी कुछ नही कहा कि चलो कोई बात नही… मान लीजिए एक बच्चा हमेशा दूसरों की पिटाई करके घर आता है तब कुछ नही कहते पर एक बार गम्भीर चोट उसके मारने की वजह से लग जाती है तब आप हरकत में आते हैं.. ऐसा नही होना चाहिए… मारना हमेशा ही गलत है… और हमेशा ही अपनी बात पर अडिग रहना चाहिए. बच्चे को समझाने के लिए नियम बनाने होगें और वो सभी पर लागू होंगे.. कि अगर गुस्सा आए तो कोई तोड फोड या मार पिटाई नही होनी चाहिए

कई बार पेरेंटस ही कारण बनते हैं.. बच्चा किसी की पिटाई करके आया… वाह देख मेरा बेटा है… आखिर बेटा किसका है… ऐसे शय मिलती है और बच्चे ज्यादा आक्रमक होते जाते हैं..

Consequences – परिणाम क्या हो सकते हैं

कभी कुछ ऐसे बात हो जाए कि बच्चे को बहुत गुस्सा आ रहा है तो आराम से बच्चे को बैठा कर बात कीजिए कि इसका परिणाम क्या होगा… अगर आपने इसे मारा और इसे खून निकला और पुलिस आ गई तो… इसलिए ऐसा काम ही नही करते… हम भावना पर गुस्से पर कंट्रोल करते है… ताकि ऐसी कोई बात हो ही नही…

समय समय पर गुस्से पर कंट्रोल करना भी सीखना चाहिए.. कि अपनी भावनाओं पर खासतौर पर जब गुस्सा आए तो किस तरह से रिएक्ट करना है

बच्चों को सीखाए कि दूसरो की Feelings को समझे Empathy भी बोलते हैं इसे…

ये बहुत जरुरी है कि बच्चों की सीखाना कि वो दूसरे की भावनाओं को समझे.. और वो क्या महसूस कर रहा है इसे समझना… मान लीजिए एक बच्चा बहुत शाररती है दूसरे बच्चे को किताब फाड दी… अब दूसरा बच्चा कैसे रिएक्ट करेगा… अगर बच्चे को ये पता होगा कि वो वापिस से मेरी किताब भी फाड देगा या टीचर से शिकायत कर देगा या सजा भी मिल सकती है  तो वो ऐसा नही करेगा.. या उसने मेरी भी किताब फाड दी तो मैं कैसे रिएक्ट कर रहा हूं ऐसे ही वो करेगा…  समानुभूति का मतलब है, दूसरा जैसा महसूस कर रहा है, वैसा ही महसूस करना… इसके लिए स्वयं को दूसरे के स्थान पर रखकर सोचना…

बच्चे का ध्यान बढाने की कोशिश कीजिए या माहौल बदलने की कोशिश कीजिए

चलो आज आपके पसंद का केक बनाते हैं या चलो बाजार से पैटीज लेकर आते हैं फिर कार्टून देखेंगे मिलकर… तनाव हटाने के लिए कुछ ऐसा करना चाहिए कि चेहरे पर स्माईल आ जाए या हंसाने की कोशिश से भी तनाव दूर हो सकता है.. एक बार तो बच्चा बोलेगा.. क्या है… पर फिर नॉर्मल होने लगेगा…

उदाहरण दीजिए…

ऐसे में कुछ उदाहरण जोकि वाकई में प्रेरणा है वो दीजिए या फिर कोई कहानी बना लीजिए कि एक बार मुझे भी बहुत गुस्सा आया था फिर तुम्हारे दादा जी ने मुझे किस तरह से समझाया… या किसी बचपन के दोस्त का उदाहरण जोकि उसे सच भी लगे…

Reawrd भी देना है बच्चे को..

आपने एक बार समझाया और बच्चे ने वैसा रिएक्ट नही किया यानि कहना माना तो शाबाशी देनी भी जरुरी है ताकि उसे मोटिवेशन मिले…

Enhance Your Parenting Skills बच्चों से सम्बंध बेहतर बनाएं…

बहुत लंबा gap न हो… बात करते रह्रे.. ताकि अगर कोई भावना उसके अंदर घर कर रही है… वो अंदर आने से पहले ही दूर कर दें.

 

 How to Deal with Aggressive Children – Aggressive Children – आक्रामक बच्चे – Monica Gupta

January 31, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Why Being A Housewife – Why be a Housewife – क्यों बनें housewife – Benefits of being a Housewife – Monica Gupta

I am Proud to be an Indian

Why Being A Housewife – Why be a Housewife – क्यों बनें housewife – Benefits of being a Housewife – Monica Gupta – गृहणी बनने के फायदे  – हाऊस वाईफ का नाम जहन में आते ही मन में तस्वीर उभरती है… सारा दिन काम काम और काम, 24 घंटे काम, न आराम, न छुट्टी न कोई सोचता है उनके बारे में तो.. thankless job है पर ये भूमिका बहुत ही अच्छी है…  बहुत अहम है और आज  के समय में तो ये किसी blessings से कम नही…

Why Being A Housewife – Why be a Housewife – क्यों बनें housewife – Benefits of being a Housewife –

बेशक,  एक समय ऐसा था जब हाऊस वाईफ सुन कर मुंह बिचकाया जाता था पर अहमियत तब भी थी और आज भी है… मैं बताती हूं कि

क्या और कितने benefits है housewife की.. तो सबसे पहले तो इस नेगेटिविटी, कॉम्प्लेक्स को निकाल फेंकिए कि आप एक हाऊस वाईफ हैं कुछ नही करती…

घर घर लगता है..

घर सारा समय चहकता और महकता रहता है… बहुत घर मैं भी ऐसे देखती हूं जिनमे बस ताला ही लटका मिलता है… सारा दिन घर मे हलचल रहती है.. शोर शराबा रहता है… खाने की महक, लडाई झगडा… सब गूंजता रहता है.. आंर जाने वालो से भी घर हरा भरा रहता है

 बच्चों के लिए पूरा समय होता है

उनकी हर छोटी बडी जरुरत में आप उनके साथ खडी होती है… चाहे होमवर्क करवाना है चाहे पार्क में खेलने जाना है चाहे घ पर दोस्त आते हैं उनके लिए कुछ खाने को बनाना है, कहानी सुनानी है…

मैं आपको बतात्ती हूं एक मेरी जानकार हैं 40 हजार महीना की नौकरी उन्होने छोड दी अब घर पर अपनी बच्ची डेढ साल की बच्ची की देखभाल करती हैं उनका कहना है कि नौकरी तो कभी भी कर लूंगी पर ये पल दुबारा नही आएगा… अभी पूरा फोकस बच्ची की परवरिश पर लगा रही है…

स्ट्रेस लेवल थोडा कम होता है क्योकि भागदौड नही होती

कम इसलिए होता है कि आपको सारा दिन घर पर ही रहना है और टाईम मैंनेज करके चलती हैं तो भागदौड नही रहती… सुबह अगर बच्चे को स्टॉप पर छोडना है तो ये हबडा तबडी नही रहती कि खुद भी आफिस जाना है तैयार होना है काम वाली आई नही.. नही आई तो क्या होगा.. बच्चे को समय न दे पाने का स्ट्रेस भी कम नही होता.. कल घर पर एक सहेली आई हुई थी… जल्दी जल्दी चाय पीकर बस भागने की कर रही थी बोली सीधा आफिस से आ रही हूं फिर मार्किट काम करना है और फिर घर का समेटना है.. पूरी तरह से स्ट्रेस में थी…

अपने लिए समय निकाल पाती हैं

जो हाउस वाईव्स पूरे दिन घर पर रहती है उनकी एक Routine  सेट हो जाती है.. उन्हें पता है किस समय क्या काम करना है किस समय आराम करना है.. और वो अपने लिए समय दे पाती है अपनी हैल्थ का ख्याल रख पाती हैं…

नई skills सीख सकती है.. अपना समय सेट करके नई नई चीजे सीख सकती हैं चाहे कुकिंग है मार्डनिंग है.. बच्चों को कुछ समझाना है तो उसकी वीडियो देख कर बच्चों को समझा सकती है… क्राफ्ट का कुह्ह सीख सकती है… लिखने का शौक है तो ब्ळोग लिख सकती है … समय का पूरा सद्य्पयोग कर सकती है…

freedom होती है कुछ भी करने की पूरी आजादी होती है.. कभी काम करने काम मन नही किया तो कोई बात नही… टीवी देख रहे हैं किसी को फोन कर रहें हैं कभी मार्किट में चले गए… पूरी स्वतंत्रता होती है..

पति पत्नी के रिश्तों में मजबूती आती है… कल्पना कीजिए कि आप नौकरी करती है… पति अलग बिजी आप अलग बिजी… पति अपने बिजनेस टूर पर, आप आफिस मीटिंग, प्रोजेक्टस… आपस में न मिलना हो पाता, न समय दे पाते.. वही बहुत कपल्स तो ऐसे हैं जो नौकरी के चक्कर में एक साथ रह ही नही पाते.. अलग अलग रहते है… वहीं एक हाऊस वाईफ न सिर्फ पति के लिए हमेशा खडी है बल्कि छोटे ,मोटे कामों में उनकी मदद भी करवाती हैं.

सम्बंध मजबूत बनते हैं..

सिर्फ पति पत्नी का ही नही बल्कि दूसरों के साथ भी रिश्तों में मजबूती आती है… कुछ दिन सास ससुर भी रहने आ सकते हैं दूर दराज के मेहमान भी आ सकते हैं नही तो कोई नही आता क्योकि कोई रहता ही नही घर पर तो क्या करेंगें आकर…

अब बात आती है जिसके लिए हाऊस वाईव्स में कॉम्प्लेक्स होता है कि वो कुछ कमाती नही.. आज घर बैठे दस काम कर सकती है… अपने खाली समय का उपयोग करके कुछ न कुछ काम करके आय का जरिया बना सकती है… तो किसलिए ये सोचना कि हम कुछ नही करते किसी काम के नही… बल्कि अपने आप को ऐसा बनाईए कि दूसरे भी आपको देख कर आपकी तरह बनना चाहें

Why Being A Housewife – Why be a Housewife – क्यों बनें housewife – Benefits of being a Housewife – Monica Gupta – गृहणी बनने के फायदे

January 31, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Skipping Meals to Lose Weight – Effects of Skipping Meals – खाना ना खाने से बढ़ेगा वजन – Monica Gupta

Skipping Meals to Lose Weight

Skipping Meals to Lose Weight – Effects of Skipping Meals – खाना ना खाने से बढ़ेगा वजन – Monica Gupta – वजन कैसे कम करें ?? बहुत लोगो इसी विचार में रहते हैं कि वजन कैसे कम करें… इसमे एक धारणा बहुत आम है कि अगर एक समय का खाना skip कर देते हैं इससे वजन कम हो जाएगा..चाहे वो कुछ भी हो डिनर या ब्रेक फास्ट… वो हमे इसलिए सही लगता है कि खाना वैसे तो कम हो नही रहा न कसरत हो पाती है तो खाना ही  skip कर देते हैं… खाएगें तो ज्यादा खाया जाएगा…

Skipping Meals to Lose Weight – Effects of Skipping Meals – खाना ना खाने से बढ़ेगा वजन – Monica Gupta

Out of site out of mind वाला फार्मूला अपनाते हैं… और वो नियमित रात का खाना या दिन का एक समय का खाना छोड देते हैं .. तो क्या ये सही है या  skip करने से वजन कम हो जाएगा..

देखिए अगर कभी कभार ऐसा होता है कि हम खाना  skip कर रहे हैं ठीक है कोई नुकसान नही पर अगर हम इसे लॉग ट्रम फीचर बना लेंगें तो इसका असर उल्टा ही होगा…

आज इसी बारे में बात करते हैं कि खाना स्किप करके क्या क्या नुकसान हो सकते हैं…

एक स्टडी बताती है कि बेशक एक बार तो कम हो जाएगा पर वो शार्ट टर्म होगा उसके बाद जब वजन बढेगा तो फेटस बहुत ज्यादा बढ जाएगें..

स्किप करने के चक्कर में ओवर ईटिंग हो जाती है…

मान लीजिए मैंने सुबह से कुछ नही खाया ब्रेक फास्ट स्किप कर दिया और लंच तक मुझे जबरदस्त भूख लग गई और मैं क्या करुंगी ऐसे में .. मेरी ओवर ईटिंग हो जाएगी.. यही होता है आप फास्ट का उदाहरण ही ले लीजिए जब भी व्रत खोलते हैं सारा दिन रखने के बाद जब रात को खाते हैं तो खाने पर टूट पडते हैं… वो नुकसान दायक है क्योकि ज्यादा कैलोरी जाएगी एक बात ये भी है कि जब हम ज्यादा समय के लिए भूखे रहते हैं तो एक दम से ज्यादा भूख लगेगी और हम ज्यादा खाएगें.. जब खाएगें तो… इस वजह से हमारा वजन बढने के ज्यादा चांस रहते हैं…

Temptation बढ जाती है.. जंक फूड ले लेते हैं

क्योकि खाते नही क्योकि खाना नही है तो कंट्रोल करते हैं पर होता नही इसलिए अक्सर जंक फूड ले लेते हैं जैसा कि चिप्स, नमकीन सोचते हैं कि ये क्या नुकसान करेगी पर वो डबल नुकसान करती है.. जंक फूड तो बहुत ज्यादा नुकसान करता है.

खाना स्किप करने से हमारा मैटाबोलिजम स्लो हो जाता है.. उस वजह से शरीर में ताकत कम हो जाएगी…

हम किसी काम में फोकस नही कर पाएगें..

जब शरीर में पोषक तत्व नही जाएगे तो काम करने की क्षमता कम हो जाएगी.. सिरदर्द, थकावट, चक्कर आना चिडचिडाहट ऐसी प्रोब्लम हो जाएगी..  होगी.. ऊपर से भले ही हम दिखाए कि हमारा वजन कम हो रहा है या हो जाएगा.. पर अंदर ही अंदर स्ट्रेटस लेवल बढता जाएगा… खाने का मन है खा रहे नही… हम स्ट्रेस में भी जा सकते हैं..

 लगातार स्किप करने से हमारी स्किन, बाल, नाखून, और मसल्स सब कमजोर हो जाएगें.. त्वचा रुखी रुखी बाल भी रुखे, नाखून भी टूटने लगेगें और ऐसे समय में अगर सैल्फी लेने से भी कतराएगें क्योकि अच्छी ही नही आएगी…

तो अच्छा यही होगा कि पैशेंस रखें बजाय स्किप करने के संतुलित डाईट लें.. हैल्दी लें खाना ऐसा लें खाने में फाईबर हो, दलिया हो, आटे में चोकर मिला कर लें,

उतना ही खाएं जितनी भूख हो..   जिसमें फल, सब्जी, अनाज, प्रोटीन, मिनरल, विटामिन

आपने कहावत तो सुनी होगी

सुबह का नाश्ता राजा की तरह, लंच राजकुमार की तरह और रात का भोजन भिखारी की तरह खाएं तो सही रहेगा..

Skipping Meals to Lose Weight – Effects of Skipping Meals – खाना ना खाने से बढ़ेगा वजन – Monica Gupta

January 31, 2018 By Monica Gupta 1 Comment

Improve Memory in Kids – How to Keep Kids Brain Sharp – बच्चों का दिमाग तेज कैसे रखें – Monica Gupta

Improve Memory in Kids

Improve Memory in Kids – How to Keep Kids Brain Sharp – बच्चों का दिमाग तेज कैसे रखें – Monica Gupta – Keep Your Child’s Brain Sharp.. पेरेंटस को अकसर शिकायत रहती है बच्चा पढता नही, याद नही करता, या याद रहता नही तो मैं पूछ्ती हूं कि बच्चे का ब्रेन शार्प हो इसके लिए आप क्या करते हैं.. तो उनके पास कोई जवाब नही होता.. तो चलिए आज मैं कुछ बातें बताती हूं कैसे ब्रेन शार्प हो सकता है बच्चों का… वैसे इसी से रिलेटिड एक वीडियो भी बनाई थी जिसमें ब्रेन गेम्स थे इसका लिंक नीचे दिया है… और आज कुछ ऐसी बातें जिनसे बच्चे का ब्रेन शार्प हो सकता है… तो क्या हैं वो..

Improve Memory in Kids – How to Keep Kids Brain Sharp – बच्चों का दिमाग तेज कैसे रखें –

बेशक आप माने या न माने बच्चे का खेलना बहुत जरुरी है…

Physical Exercise

 

अगर मैं कहूं कि शार्प ब्रेन के लिए बच्चे को खेलने देना चाहिए जितना भागेगें या खेलेंगें दिमाग इतना ही तेज होगा क्योकि इससे हमारा ब्लड  circulation बढेगा और वो दिमाग को ज्यादा oxygen मिलेगी

getting enough sleep एक अच्छी नींद और

अच्छा खाना एक अच्छे ब्रेन के लिए बहुत जरुरी है

तनाव जहां भी सबसे बडा दुश्मन होता है वही खुल कर हसंना ब्रेन मजबूत करने का सबसे अच्छा माध्यम होता है

इसी के साथ साथ बात आती है हमारे पढने की आदत की… Reading  की…. आदत पढने की आदत का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है.. इसके लिए जरुरी नही कि आप कोर्स की ही किताब पढने को बोले बल्कि जिस विषय में उसकी रुचि है उससे सम्बंधित किताबें लाकर देंगें तो ज्यादा रुचि भी बनेगी… पढना और इसी के साथ साथ कुछ चीज को याद करने के लिए या तो लिख लेना या बार बार बोल कर याद करना…

Try New Things नई नई चीजे सीखने दें.. जैसा कि कोई musical instruments, या मान लीजिए बच्चे को सारा दिन बैठ कर टीवी देखने का शौक है तो उसके डांस क्लास, या कोई नई भाषा.. कुछ भी ऐसा जिससे ब्रेन पर जोर पडे… हां रेडियो सुनने से जरुर जोर पडता है क्योकि हम कल्पना करते हैं कि ये जो बोल रहा है कैसा होगी.. जंगल जा रहे है जंगल कैसा होगा… इस तरह की कल्पना … चाहे कोई नई Hobby हो…

बच्चे को एक्टिव रखिए…

उसके बहुत सारे तरीके हैं सब्जी वाला आया है धोबी का हिसाब करना है आज मार्किट गए थे कितने पैसे कहा  खर्च हुए बच्चे को दीजिए हिसाब करने के लिए.. कई बार मार्किट जाए तो बच्चे को भी कुछ पैसे दीजिए और बोलिए कि खुद रखे अपना हिसाब… कही बाहर धूमने जाए तो आगे वाली कार का नम्बर एक बार पढने दीजिए फिर पूछिए कि क्या नम्बर है याद करके बताओ…

या फिर जब पार्क में जाएं तो बोले की अलग अलग कलर्स की चीजे लिखिए जो यहां देखी हैं या दस ग्रीन चीजे जो यहां दिखाई दे रही है… आज सारा दिन एक भी शब्द अंग्रेजी का नही बोलेंगें…

बात बात पर technology का इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए.. stop relying on technology एक बात बहुत जरुरी कि बात बात पर हम नेट के गुलाम हो गए हैं.. मान लीजिए कही जा रहे हैं तो GPS global positioning system को ओन कर लेते हैं और दिमाग पर जोर ही नही डालते.. तो उसे बंद कर दीजिए और दिमाग पर जोर दीजिए कि कहां से मुडना है अब कितनी दूर है या जहां जा रहे हैं वहा कौन सी दुकान थी…

या फिर कुछ मैथस की प्रोब्लम का हल निकाल रहे हैं और बार बार केल्कूलेटर यूज कर रहे हैं..

Use your brain instead of your smartphone

हमें अपना नम्बर ही याद नही होता या मम्मी पापा का नम्बर नाम सेव करके रखा होता है याद ही नही रहता… याद रखिए.. एक यही कोम्पीटिशन रख लीजिए पूरा परिवार कि किसे याद हैं फोन नम्बर… Impress your friends by memorizing their phone numbers

खेल तो हैं ही … Play Memory Games,  Puzzles Games , chess are ideal brain exercises because there is always more to learn.

इसके साथ साथ कुछ मजेदार भी कर सकते है जैसा कि राईडल्स पूछ सकते हैं…

उससे मस्ती की मस्ती .. और ब्रेन  को सोचने का मौका भी मिलता है…

What do the numbers 11, 69, and 88 all have in common?

What has to be broken before you can use it? ऐसी क्या चीज है जिसे इस्तेमाल करने के लिए तोडना पडता है.. अंडा

मैं odd number हूं पर अगर एक  letter निकाल देंगें तो मैं even. हो जाऊंगा…  What number am I? मैं कौन सा नम्बर हूं
 Seven  ‘even’

मैं ‘P’ से शुरु होता हू और ‘E’, पर खत्म होता हूं पर मेरे पास thousands of letters हैं मैं क्या हूं  Who am I?
Post Office

Improve Memory in Kids – How to Keep Kids Brain Sharp – बच्चों का दिमाग तेज कैसे रखें – Monica Gupta

 

January 31, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Aggression in Children – बच्चों में आक्रामकता – Reasons for Aggression in Children – Monica Gupta

Aggression in Children

Aggression in Children – बच्चों में आक्रामकता – Reasons for Aggression in Children – Monica Gupta – Aggression क्यों है आज बच्चों में….  इतने आक्रमक किसलिए हो गए है बच्चे… वो उम्र जो  खेलने खाने की थी उसमे चाकू मार रहे हैं गोली मार रहे हैं चिल्ला रहे हैं क्या करण है… बहुत गम्भीर मुद्दा है…

Aggression in Children – बच्चों में आक्रामकता – Reasons for Aggression in Children –

यही बात मैंनें यू टयूब के जरिए जाननी चाही थी तो बहुत सारे पेरेंटस के कमेंटस आए…जहां बहुत सारे पेरेंटस बहुत चिंतित थे कि आज के बच्चे को हो क्या गया है ?  वही स्टूडेटस का ये कहना कि बहुत प्रेशर है पढाई का…

समाज में,  बेशक,  दो चार ही इस तरह के incident हो पर आखें खोलने के लिए बहुत हैं तो बच्चा इस तरह से आक्रमक हो रहा है कारण है क्या ??

एक कारण ये हो सकता है कि या तो घर पर उसकी ओर कोई ध्यान नही देता.. सब अपने अपने में बिजी हैं… मम्मी किटी पार्टी पापा आफिस या बिजनेस टूर उसे कोई केयर नही मिलती तब वो अपनी फीलिंग अपनी बाते शेयर नही कर पाता .. कोई सुनने वाला ही न हो तो क्या करेगा… तब वो मन में भरता भरता जाता है और उसकी नेचर aggressive होती जाती है…

या फिर बहुत ध्यान रखा जाता है बहुत केयर की जाती है छोटी छोटी जिद पूरी की जाती है.. कुछ ऐसी मांगे भी पूरी की जाती हैं जो उस उम्र में जरुरी नही है जैसाकि छोटा बच्चा है उसे महंगे वाला मोबाईल खरीद कर देना या बच्चा अभी 10 क्लास में है उसे महंगी मोटर साईकिल जैसा कि बुलेट खरीद कर देना..

जब बच्चे को उचित आत्मसम्मान नही मिलता

जब उसके आत्मसम्मान को चोट पहुंचती है तब अक्सर ऐसा होता है मान लीजिए वो बहुत काला है या कद छोटा है और सभी हंसते हैं मजाक बनाते हैं तो मन ही मन गुस्सा बहुत बढने लगता है और वो इस कदर बढ जाता है कि  लगता है और कुछ अलग कर दिखाने के लिए वो कुछ भी कर तो वो आक्रमक हिंसक हो जाता है.. Depressed उदास

घर का माहौल  – घर का खराब माहौल भी कई बार इसकी वजह बन सकता है… परिवार में चल रहा कोई तनाव भी इसकी वजह हो सकता है… कोई टेंशन चल रही है जिसकी वजह से पेरेंटस अपने मे ही उलझे हैं या अपने बडो को देखकर … बार बार बच्चे को मारना शराब पीना और हुडदंग करना… बच्चा आक्रोश भर देता है… कुछ बच्चे अपने बडो को देखकर वैसा ही रिएक्ट करते हैं बडे घर आते हैं हमेशा लडते झगडते रहते हैं तो यही वो भी सीखते हैं.

बच्चों की खराब संगत भी उन्हें ऐसा बनने पर मजबूर कर देती है.. छोटा हो या बडा बच्चा जब उसकी संगत खराब हो जाती है जहां बच्चे नकल भी करते हैं चोरी भी करते है और नशा भी करते हैं… बच्चा एक बार उसमे घिरा तो घिरता ही चला जाता है और कुछ भी गलत कदम उठाने से नही हिचकिचाता..

जब बडे बच्चे छेडते या provoke तंग करते हैं या ब्लेक मेल करते हैं तो उसे उनकी बात माननी पडती है…और वो अपनी बात घर पर नही कह पाता… frustration निराशा में चला जाता है

पढाई का बहुत प्रेशर.. और पेरेंटस का डर जब बहुत ज्यादा प्रेशर हो पेरेंटस की बहुत ज्यादा उम्मीदें हो और बच्चा उनसे बोल न पाए और कुछ कर भी न पाए… पेरेंटस जब बार बार तुलना करते हैं.. तो भी बच्चे में आक्रोश भर जाता है.. क्या और किस तरह से ध्यान देना चाहिए ये अगली वीडियो में बताऊंगी ….

Aggression in Children – बच्चों में आक्रामकता – Reasons for Aggression in Children –

January 24, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Be Mentally and Emotionally Strong – खुद को कभी कम ना समझें महिलाएं – Tips for Women – Monica Gupta

Be Mentally and Emotionally Strong

Be Mentally and Emotionally Strong – खुद को कभी कम ना समझें महिलाएं – Tips for Women – Monica Gupta – आज जिस बारे में मैं बात कर रही हूं वो हम सभी महिलाओं से जुडी बात है और बात है कि Emotionally और  Mentally Strong कैसे बनें महिलाएं Woman.. बेशक, हम महिलाएं बहुत स्ट्रांग होती है पर बार बार खुद ही underestimate करती हैं दिखाने से वो वाकई में कमजोर बन जाती है… मैं अपनी बात बताने के लिए उदाहरण देती हूं..

Be Mentally and Emotionally Strong – खुद को कभी कम ना समझें महिलाएं –

कल मार्किट में  महिला सब्जी ले रही थी.. और उसने दुकानदार को 100 रुपये दिए और दुकान दार ने उसे 15 रुपये वापिस किए उसे हिसाब समझ नही आया और उसने दो बार पूछा… मैं भी वही खडी थी… दुकानदार ने उसे समझाया कि नही आपने ये ये सब्जी ली है और इसका ये रेट है…

जिस तरह से दुकानदार ने कहा तो उस महिला को लगा कि शायद उसने ही हिसाब सही नही लगाया और हंसते हुए बोली अरे भईया मेरा मैथस बहुत कमजोर है और सामान लेकर चली गई.. उसके जाने के बाद जब दुकानदार मुझे सामान दे रहा था तो उस महिला को देखते हुए हंस रहा था कि लेडीज ऐसी ही होती है हिसाब किताब में.. और यकीन मानिए मुझे उसका ये कहना मुझे जरा भी अच्छा नही लगा.. आखिर बात बात पर हम खुद को किसलिए कमजोर दिखाती हैं…

अब मैंटली का भी उदाहरण सुनिए,,, बात बात पर रोना… हाय हाय करना.. घबराना… कमजोर दिखाता है… जबकि हम कमजोर नही है और अगर हैं भी तो भी हमें दिखाना नही है… तो कैसे बनें मजबूत …

सबसे पहले तो पता करनी है अपनी कमजोरी और उसे पर काम करना है खुद को मजबूत बनाना है.. ना कि जग को दिखाना है…  कैसे मान लीजिए सब्जी वाले से ही बात करनी है तो मजबूती से और किसलिए कमजोरी दिखानी है… पैसे दे रहे हैं इसलिए पूछ्ना तो बनता है कि नही…!!

परवाह नही करनी चाहिए

कोई क्रिटिसाईज कर रहा है या किसी ने रिजेक्ट कर दिया तो जिंदगी खत्म नही हो जाती.. अपनी जिंदगी का कंट्रोल हमारे हाथ में ही रखना चाहिए किसी ने बोला तुम खाना अच्छा नही बनाती तो हां किसी ने बोला कि तुम सुंदर नही हो तो हां मैं सुंदर नही.. और रोने लग गए किसलिए भई… ये हमारी जिंदगी है हमें पता है… कोई हमें रिमोट कंट्रोल से थोडे ही न चलाएगा और हम चल पडेगें…… परवाह नही करनी चाहिए ऐसी बातों से जो हमारा दिल दुखाए..

स्वीकार कर लेना चाहिए… तैयार रहना चाहिए

स्ट्रांग होने का मतलब ये भी नही है कि हम पत्थर दिल हो गए हैं… कई बार भावनाएं छ्लक जाती हैं. कोई हमारा दिल दुखाता है तो दर्द भी होता है पर जरुरत इस बात की है कि हमें स्वीकार कर लेना चाहिए कि कई बार रिश्ते ऐसे ही होते हैं जो दिल तोड देते हैं दिल दुखा जाते हैं… इसलिए मन मजबूत पक्का कर लेना चाहिए पर उन्हें अपने ऊपर इतना हावी नही होने देना चाहिए कि हमारी सेहत ही खराब हो जाए.. उसे दिल से लगा कर बैठ जाएं…

अपने प्रति अच्छा रहना है

किसी ने कुछ कहा और खुद को टार्चर करने लगते हैं खाना नही खाना.. बात नही करनी… खुद को सजा किसलिए देनी है… खुद को मजबूत बनाना है ना कि कमजोर.. वो इसलिए कि आप उसी की हकदार हैं..

मन ही मन ये निश्चय करना है कि नेगेट्विटि को आने ही नही देना.. हमेशा पॉजीटिव सोच रखनी है.. खुद अच्छे रहना है.. कोए बुरा वर्ताव कर रहा है तो कोई नही ये उसका स्वभाव है…

जाने दीजिए कोई बात हो गई तो – दिल से नही लगानी

जब भी कुछ ऐसी बात हो मन को हटा लीजिए.. एक मेरी जानकार ने बताया था कि वो क्या करती है कि

उसको कोई बात बहुत तंग कर रही है जिसकी वजह से बहुत तनाव है.. तो वो हाथ में एक छोटा सा पत्थर ले लेती है और सोचती है ये ही है सारी परेशानी की जड.. इसी से हुई है सारी दिक्कत.. इसे उठा कर ही फेंक देती हूं या पैर से किक कर देती है.. वो बोलती है ऐसा करने से अच्छा महसूस होता है.. कहने का मतलब ये है कि कैसे भी करके हमें अपने आप को स्ट्रांग बनाना है…

कुछ लोगो का मानना होता है बेचारी औरत.. ये चीज हटानी है बेचारी है.. किसलिए बेचारी हैं हम !! जरा भी बेचारी नही हैं हम बहुत स्ट्रांग हैं हम…

Be Mentally and Emotionally Strong – #TipsForWomenInHindi – Monica Gupta – Never Underestimate Yourself – http://https://www.youtube.com/@MonicaGupta/ – Motivational Videos in Hindi – मोनिका गुप्ता

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छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही

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