Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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January 9, 2018 By Monica Gupta 1 Comment

Avoid Negative People in Life – सकारात्मक कैसे बनें – नकारात्मक लोगों से बचें – Monica Gupta

Avoid Negative People in Life

Avoid Negative People in Life – सकारात्मक कैसे बनें – नकारात्मक लोगों से बचें – Monica Gupta – #MonicaGuptaVideos -Why to avoid negative people –

कई बार बात कहने के लिए बहुत भूमिका बांधनी पडती है और कई बार सीधे ही … कोई भूमिका वूमिका नही स्ट्रेट फार्वर्ड कि कीप डिटटेंस – नेगेटिव लोगो से दूरी बना कर रखनी चाहिए .. उनको avoid  करना चाहिए… उन्हें दूर से ही नमस्कार करें और आगे बढें… क्योकि वो हमारी सोच , हमारा  mindset  को ही बदल कर रख देते हैं…

Avoid Negative People in Life – सकारात्मक कैसे बनें – नकारात्मक लोगों से बचें –

असल में, एक मेरी जानकार की बेटी थी उसका सपना था कि वो नौकरी करे .. और जबरदस्त सपना था पर कुछ समय बाद पता चला कि उसने कुछ नही किया और अब उसकी घर ही बैठी है .. असल में, कुछ नेगेटिव लोगो की उसे ऐसी संगत मिली जिन्होनें उसे जता दिया कि तेरे तो बस का ही नही… और वो आज बस… कोई सपना नही… कोई कुछ नही… अगर उसे अच्छे लोग मिले होते उसे समझते तो यकीनन आज उसकी अलग ही पहचान होती

तो बहुत सारी बाते ऐसी हैं जिनकी वजह से हमें नेगेटिव लोगो को दूर से ही नमस्कार कर देना चाहिए..

हमारी प्रोग्रामिंग ही खराब कर देते हैं…

हमारी सोच ही बदल देते हैं डिमोरोलाईज कर देते हैं…  ये नही हो सकता तुम नही कर सकते … जैसे कि मेरी जानकार बनना चाहती थी पुलिस आफिसर और अब वो क्या बन गई… सिर्फ ये ही नही कि वो कुछ हासिल नही कर पाई अब तो उसकी सोच भी वैसी ही हो गई उसमे किसी तरह का कोई उत्साह नही कोई जोश नही  बेकार है ये दुनिया..

हमें अपनी क्षमता,  काबलियत पर ही शक होने लगता है…

नेगेटिव लोग अपनी बातों में इतना उलझा लेते हैं कि हमें अपनी क्षमता पर ही विश्वास नही रहता… जैसे मान लीजिए एक महिला है वो कुछ लिखती है और मैगजीन में भेजती है और वो वापिस आ जाती है और वो दुबारा लिखने बैठ जाती है कि कोई बात नही दुबारा ट्राई करती हूं तभी उसका एक दोस्त आ जाता है वो बताती है कि एक रचना भेजी थी वो वापिस आ गई… तो मित्र का यही कहना होगा कि अरे कहा.. तेरा तो छप ही नही सकता वहां तो सब सिफारिशी है… और ऐसी बात सुनकर उस महिला को भी शक होगा ही कि हां भी सही कह रहा है कि क्योकि लिखा तो मैंनें अच्छा था… वाकई में,  वहां तो सब सिफारिशी ही हैं… और उसका लेखन बंद, भेजना बंद..

हमारी सेहत खराब हो जाती है…

अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए भी हमें नेगेटिव लोगो से दूर रहना चाहिए.. नेगेटिव लोग कभी खुश नही रहते.. हमेशा दुखी परेशान और बस रोना ही रोते रहते हैं… ये नही हुआ.. वो नही हुआ.. ये ऐसे हुआ ये वैसे हुआ… और फिर हमारी सोच भी वैसी बनती जाती है… हमेशा तनाव Depression में रहेंगे तो तबियत कैसे सही रहेगी…

हमेशा fatigue थकावट रहती है और कई बार वजन भी बढना शुरु हो जाता है

जब किसी काम को करने का जोश ही नही होगा तो क्या होगा .. सारा समय थकावट ही तो रहेगी और ये मैंटली और फीजिकल दोनो ही होती है…और इस वजह से तनाव में कई बार वजन भी बढना शुरु हो जाता है..

हमें अच्छे इंसान बनना है

हमे उनसे दूर रहना है कि हमें अच्छे इंसान बनना है

Law of nature है कि जो देंगें वही मिलेगा… तो हम क्या देंगें… नेगेटिविटी… बुरा देंगें उससे क्या होगा … बुराई और ज्यादा बढेगी… तो इसलिए भी हमे उनसे दूर रहना है कि हमें अच्छे इंसान बनना है

Energy लेवल को कमजोर बना देते है.. डिमोटिवेट कर देते हैं हमारे अंदर जितना उत्साह होता है लग्न होती है वो सब खत्म कर देते हैं… हमारी एनर्जी लेवल एक दम डाऊन कर देते हैं…

जिंदगी बहुत छोटी है

दूर इसलिए भी रहना चाहिए कि जिंदगी बहुत छोटी है और हमें जो समय मिला है उसमें बहुत कुछ करके दिखाना है.. समय वेस्ट नही करना… इन लोगो के चक्कर में पड कर हम कुछ नही कर पाएगें …

नेगेटिव लोग न खुद बदलते हैं न दूसरो को बदलने देखना चाह्ते हैं न किसी के Grateful होते हैं और न किसी से माफी मांगते हैं बहुत अजीब ही दुनिया होती है जिसमें बस अंधकार ही अंधकार होता है… कोई रोशनी की किरण नजर नही आती..

इसलिए इसलिए मैं कह रही हूं कि ऐसे लोगो avoid कर देना चाहिए.. avoid कैसे करना चाहिए इस बारे में भी मैं जल्दी ही बताऊंगी…

Avoid Negative People in Life – सकारात्मक कैसे बनें – नकारात्मक लोगों से बचें – Monica Gupta – #MonicaGuptaVideos -Why to avoid negative people –

January 8, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Praise Children – बच्चों की प्रशंसा कैसे करें – Ways to Praise Your Kids – Monica Gupta

How to Praise Children

How to Praise Children – बच्चों की प्रशंसा कैसे करें – Ways to Praise Your Kids – Monica Gupta #MonicaGuptaVidoes – #ParentingVideosInHindi – Monica Gupta – How to Praise Your Child – http://https://www.youtube.com/@MonicaGupta/ – Motivational Videos in Hindi – मोनिका गुप्ता Parenting Videos in Hindi – Monica Gupta Videos – Parenting Tips in Hindi –

How to Praise Children – बच्चों की प्रशंसा कैसे करें – Ways to Praise Your Kids

बच्चे जब कुछ गलत करते हैं तो हम पेरेंटस क्या करते हैं… गुस्सा करते हैं डांटते हैं और कई बार पिटाई भी कर देते हैं वही जब कुछ अच्छा काम करते हैं तो … तो क्या हमेशा पीठ थपथपाते हैं शाबाशी देते हैं … दो मीठे बोल बोलते हैं जबकि दो शब्द एनकरेजमैंट के बोल कर बच्चों का आत्म सम्मान बढता है , कोफिडेंस आता है मैंटली खुशी मिलती है और मोटिवेशन भी आगे बढने की…

तो हमें अगर बच्चा कुछ अच्छा करे तो उसे एनकरेज करते रहना चाहिए पर इसके लिए भी कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए… क्योकि कई बार हम पेरेंटस अपनी तरफ से तो बच्चे को एनकरेज करते हैं पर हो कुछ और जाता है… चलिए एक उदाहरण देकर मैं अपनी बात समझाती हूं किस किस तरह से एनकरेज करना चाहिए… बच्चों को Encourage कैसे करें

मान लीजिए एक बच्चा साईकिल चलाना सीख रहा है और उसने दो दिन में अपना बैलेंस बनाना सीख लिया है तो उसकी मम्मी खुश तो है कि दो दिन में साईकिल चलानी आ गई पर साथ ही साथ क्या बोल रही हैं कि… तेरे भाई ने तो एक ही दिन में सीख ली थी…  पहले ही दिन चला ली थी उसने साईकिल चलानी… तो क्या होगा … बच्चे को यकीनन बुरा लगेगा क्योकि उसकी तुलना में प्रशंसा हुई है अगर उसकी मम्मी ये कहती कि अरे वाह… दो दिन में… सीख भी गए साईकिल चलाना.. कमाल हो गई तो बच्चे का उत्साह अलग ही होता … बच्चे को Encouragement  मिलती पर हो गया बिल्कुल गलत… तो इस तरह की अलग अलग हम कई बार गलती कर जाते हैं तो इससे क्या सीखा कि हमें एनकरेज करना तो चाहिए पर Comparison  Praise कभी नही करनी चाहिए नही कीजिए… इससे बच्चे के आत्मसम्मान को चोट पहुंचती हैं…

ये बात अगर अपने ऊपर ले जाए तो ज्यादा समझ आएगी… उसकी मम्मी भी तो कितनी अच्छी कार चलाती है आपको तो ढंग से चलानी भी नही आती … तो क्या रिएक्श्न होगा आपका.. बुरा लगता है बहुत बुरा लगता है… इसलिए तुलना करते हुए प्रशंसा नही करनी चाहिए बल्कि ये बोलना चाहिए.. आप बहुत अच्छा कर रहे हो… कल तब बिल्कुल आ जाएगी…

छोटी छोटी बात यानि आसान कामों पर बार बार praise करना या फिर overdo overpraise करना भी सही नही है उससे नेगेटिव असर पडता है…

बात बात पर प्रशंसा करना बच्चे की मोटिवेशन कम ही करता है बढाता नही है… छोटी छोटी बात पर अगर हम बच्चे की प्रशंसा कर रहे हैं इसका मतलब ये है कि हमें ज्यादा उम्मीद नही है… और फिर बच्चा भी कुछ ऐसा नही करने की कोशिश करता… उसे पता है कि छोटी छोटी बात पर प्रंशसा हो ही रही है तो कुछ और करने की क्या जरुरत है… कई बार ज्यादा प्रेज करने से प्रेज करने की वेल्यू भी कम हो जाती है…कभी कभार करेंगें तो उसकी महत्ता भी रहेगी…

जब हम किसी को एनकरेज कर रहे हैं तो Specific होना पडेगा और विस्तार से भी ..

मान लीजिए एक बच्चा क्लास में फर्स्ट आया तो आमतौर पर हम क्या बोलते हैं वाव !! बहुत अच्छे… जबकि हमें बोलना चाहिए कि जिस तरह से आपने पढाई की और शानदार नतीजा लाए… ये बहुत बढिया है.. खाली वाह , बहुत अच्छा नही होना चाहिए अगर जिस बारे में किसी को एनकरेज करना है तो उसे विस्तार से बताना होगा…

हमे प्रंशसा Honestly करनी पडेगी..

सच्चे मन से और ईमानदारी से… दिखावा नही करना… हम कई बार बच्चों को ऐसे ही प्रेज कर देते हैं… एक सहेली ने बताया जब वो छोटी थी तो उनके घर एक अकंल आते और हमेशा बोलते अभी तक जितने बच्चों से मैं मिला हूं ये सबसे अच्छी बच्ची है… तो बहुत खुशी होती  और जब वही अंकल किसी और घर जाते तो भी यही बोलते कि आपका बच्चा बहुत अच्छा है अभी तक जितने बच्चों से मैं मिला हूं ये सबसे अच्छा है… उनका ये डायलॉग था…  अब बताईए.. हो गई न गलत बात … अगर हम वाकई बहुत खुश हैं तभी कीजिए नही तो ..

एक बात का और ख्याल रखना चाहिए कि हमें बच्चे की Ability की बजाय Effort की या Process की Praiseकरनी चाहिए

जैसाकि मान लीजिए एक बच्चा मेरे पास अपनी ड्राईग लेकर आता हि कि देखो… मैं देखती हूं और ये कहती हूं कि कितनी अच्छी ड्राईंग है तो ये बात नही बनेगी.. क्योकि वो तो अच्छी है ही पर अगर मैं ये कहूंगी कि वाह ये पेड और ये पहाड कितने अच्छे बनाए हैं तो उसे बहुत एनकरेजमेंट मिलेगी कि वाकई में मैंने अच्छा बनाया है या उन्होने ध्यान से देखा तो वो और भी अच्छा बनाने का प्रयास करेगा..

How to Praise Children – बच्चों की प्रशंसा कैसे करें

January 7, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Lohri – लोहड़ी – Lohri Festival – लोहड़ी का त्यौहार – लोहड़ी की कथा – Monica Gupta

Lohri Festival

Lohri – लोहड़ी – Lohri Festival – लोहड़ी का त्यौहार – लोहड़ी की कथा – Monica Gupta –  जनवरी महीना पूरे भारत के लिए त्योहार लेकर आता है.. ऐसा ही एक त्योहार है लोहडी… आपसी प्रेम और भाई चारे की मिसाल कायम करने वाला अनूठा पर्व है लोहडी. लोहड़ी शब्द तिल + रोड़ी शब्दों के मेल से बना है, जो समय के साथ बदल कर तिलोड़ी और बाद में लोहड़ी हो गया

Lohri – लोहड़ी – Lohri Festival – लोहड़ी का त्यौहार – लोहड़ी की कथा –

लोहड़ी पर्व पौष के अंतिम दिन, सूर्यास्त के बाद माघ संक्रांति की पूर्व संध्या पर सभी एक साथ खुशी खुशी मिलजुल कर नाच गाकर  मनाते हैं।

लोहड़ी शब्द तिल + रोड़ी शब्दों के मेल से बना है, जो समय के साथ बदल कर तिलोड़ी और बाद में लोहड़ी हो गया। पंजाब के कई इलाकों मे इसे लोही या लोई भी कहा जाता है।

लोहड़ी के कुछ दिन पहले से ही दिन बच्चे और बडे अपनी-अपनी टोलियाँ बना ‘दे माई लोहड़ी, तेरी जीवे जोड़ी’ गाते हुए या सुंदर मुदरिए गाते हुए ढोल की थाप के साथ घर-घर जा कर लोहड़ी माँगते हैं।

पूरा वातावरण संगीतमय हो जाता  है

समस्त उत्तर भारत में लोहड़ी तो दक्षिण भारत के लोग पोंगल और असम में बिहू पर्व ऐसे ही हर्ष उल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है।

हर त्योहार के पीछे कोई न कोई कहानी होती है…

लोहरी की लोक कथा  कुछ इस तरह से है
कहा जाता है की सुंदरी और मुनरी नाम की दो बहनें थी। बचपन में ही उनके माता -पिता का स्वर्गवास हो गया था। जवान होने पर उनके चाचा उन्हें किसी राजा के हाथों बेच देना चाहते थे।
जब इसकी जानकारी दुल्ला भट्टी नामक एक डाकू को हुई तो वो उन जालिमों से इन बच्चियों को बचाकर जंगल में लाए और उनके पिता बनकर उनका विवाह योग्य वर से वहीं आग जलाकर के सात फेरे करवा दिए। क्यूकि शादी बहुत जल्दी में हुई ,दुल्ला को उस समय देने के लिए कुछ भी नही था अतः लड़कियों के आँचल में एक एक सेर गुड डालकर विदा किया।
तबसे लोहड़ी को त्यौहार, उत्सव इस के रूप में मनाने की प्रथा चली आ रही है। जिसे पूरे  देशभर में हर्षोलास के साथ मनाया जाता है।

लोहड़ी का त्यौहार उमंग और उत्साह का प्रतीक है। रात को आग के अलाव जलाकर उसके चारों ओर नाच किया जाता है और जलती हुई आग में तिल गुड और मूंगफली आदि का भोग लगाकर लोगों को भी मूंगफली ,रेवड़ी आदि बांटी जाती है

इस त्योहार का सबंध फसल से भी है, इस समय गेहूँ और सरसों की फसलें अपने यौवन पर लहरा रही होती हैं,

बेशक , लोहड़ी,  उत्तर भारत का एक सबसे लोकप्रिय त्यौहार है. पंजाब के अतिरिक्त इसे हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भी बहुत उत्साह से मनाया जाता है.

कुल मिलाकर लोहडी पर्व न सिर्फ रिश्तों की मधुरता, सुकून और प्रेम का प्रतीक है बल्कि सदभावना से रहने का संदेश भी देता है।

Lohri Festival

January 6, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Sakat Chauth Katha – कैसे करें सकट चौथ – Sakat Chauth Vrat Katha – सकट चौथ व्रत की कथा

Sakat Chauth Katha

Sakat Chauth Katha – कैसे करें सकट चौथ – Sakat Chauth Vrat Katha – सकट चौथ व्रत की कथा – सकट चौथ का व्रत माघ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन किया जाता है। इसे ‘तिल चौथ’ या ‘माही चौथ’ के नाम से भी जाना जाता है।

Sakat Chauth Katha – कैसे करें सकट चौथ – Sakat Chauth Vrat Katha – सकट चौथ व्रत की कथा

‘सकट’ शब्द संकट से बना है। गणेश जी ने इस दिन देवताओं की मदद करके उनका संकट दूर किया था। तब शिव ने प्रसन्न होकर गणेश को आशीर्वाद देकर कहा कि आज के दिन को लोग संकट मोचन के रूप में मनाएंगे। जो भी इस दिन व्रत करेगा, उसके सब संकट इस व्रत के प्रभाव से दूर हो जाएंगे। ‘वक्रतुण्डी चतुर्थी’, ‘माही चौथ’ अथवा ‘तिलकुटा चौथ’ सकट चौथ के ही अन्य नाम हैं

इस दिन संकट हरण गणेश तथा चंद्रमा का पूजन किया जाता है। यह व्रत संकटों तथा दुखों को दूर करने वाला तथा प्राणीमात्र की सभी इच्छाएं व मनोकामनाएं पूरी करने वाला है।

इस दिन माताएं अपनी संतान की रक्षा और लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। व्रती महिलाएं शाम को गणेश पूजन और चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही वह प्रसाद के साथ भोजन ग्रहण करती हैं। माना जाता है कि महाभारत काल में श्रीकृष्ण की सलाह पर पांडु पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर ने सबसे पहले इस व्रत को रखा था। तबसे अब तक महिलाएं अपने पुत्र की कुशलता के लिए इस व्रत को रखती हैं।

इस व्रत की अनेक कहानियों में से एक कहानी कुछ इस प्रकार है..

एक बार विपदा मे  पडे देवता भगवान शंकर के पास गए। उस समय भगवान के पास स्वामी कार्तिकेय तथा गणेश भी विराजमान थे। शिव जी ने दोनों बालकों से पूछा- ‘तुम में से कौन ऐसा वीर है जो देवताओं का कष्ट निवारण करे?’ तब कार्तिकेय ने स्वयं को देवताओं का सेनापति प्रमाणित करते हुए खुद को देव रक्षा योग्य सिद्ध किया। यह बात सुनकर शिव ने गणेश की इच्छा जाननी चाही।

तब गणेश ने विनम्रता से कहा- ‘पिताजी! आपकी आज्ञा हो तो मैं बिना सेनापति बने ही सब संकट दूर कर सकता हूं।’ यह सुनकर हंसते हुए शिव ने दोनों लड़कों को पृथ्वी की परिक्रमा करने को कहा तथा यह शर्त रखी- ‘जो सबसे पहले पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करके आ जाएगा वही वीर तथा सर्वश्रेष्ठ देवता घोषित किया जाएगा।’ यह सुनते ही कार्तिकेय बड़े गर्व से अपने वाहन मोर पर चढ़कर पृथ्वी की परिक्रमा करने चल दिए। गणेश  ने सोचा कि चूहे के बल पर तो पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाना अत्यंत कठिन है, इसलिए उन्होंने एक युक्ति सोची। वे 7 बार अपने माता-पिता की परिक्रमा करके बैठ गए।परिक्रमा करके लौटने पर निर्णय की बारी आई। कार्तिकेय जी गणेश पर कीचड़ उछालने लगे तथा स्वयं को पूरे भूमण्डल का एकमात्र पर्यटक बताया। इस पर गणेश ने शिव से कहा- ‘माता-पिता में ही समस्त तीर्थ निहित हैं, इसलिए मैंने आपकी 7 बार परिक्रमाएं की हैं।’

गणेश की बात सुनकर समस्त देवताओं तथा कार्तिकेय ने सिर झुका लिया। तब शंकर जी ने उन्मुक्त कण्ठ से गणेश की प्रशंसा की और  आशीर्वाद दिया-

‘त्रिलोक में सर्वप्रथम तुम्हारी पूजा होगी।’ तब गणेश ने पिता की आज्ञानुसार जाकर देवताओं का संकट दूर किया।

यह शुभ समाचार जानकर भगवान शंकर ने अपने चंद्रमा को यह बताया कि चौथ के दिन चंद्रमा तुम्हारे मस्तक का (ताज) बनकर पूरे विश्व को शीतलता प्रदान करेगा। जो स्त्री-पुरुष इस तिथि पर तुम्हारा पूजन तथा चंद्र अर्ध्यदान देगा। उसका त्रिविधि ताप यानि  (दैहिक, दैविक, भौतिक) दूर होगा और एश्वर्य, पुत्र, सौभाग्य को प्राप्त करेगा। यह सुनकर देवगण खुश हुए और भगवन को  प्रणाम कर अंतर्धान हो गए।

सकट चौथ का उपवास जो भी भक्त संपूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ करता है, उसकी बुद्धि और ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होने के साथ-साथ जीवन में आने वाली विघ्न बाधाओं का भी नाश होता है।

एक अन्य कथा कुछ इस प्रकार है

पौराणिक मान्यता के अनुसार सतयुग में राजा हरिश्चंद्र के राज्य में एक कुम्हार रहता था। एक बार उसने बर्तन बनाकर आंवा यानि भट्टी लगाई पर आंवा पका ही नहीं और बर्तन कच्चे रह गए। इसी तरह लगातार नुकसान होते देख वह राजा के पास गया। राजा ने राजपंडित को बुलाकर कारण पूछा तो राज पंडित ने कहा की हर बार आंवा लगते समय बच्चे की बलि देने से आंवा पक जाएगा ।

राजा का आदेश हो गया । बलि आरम्भ हुई । जिस परिवार की बारी होती वह परिवार अपने बच्चो में से एक बच्चा बलि के लिए भेज देता ।

इसी तरह कुछ दिनों बाद सकट के दिन एक बूढी अम्मा  के लड़के की बारी आयी । बूढी अम्मा के लिए वही जीवन का सहारा था ।बेटे को भेजे जाने के गम में अम्मा बहुत दुखी हो गई वो भगवान गणेश की भक्त थी जब बेटा जाने लगा तो  अम्मा ने उसे सकट की सुपारी और दूब का बीड़ा देकर कहा “भगवान का नाम लेकर आंवा में बैठ जाना । ” बालक को आंवा में बिठा दिया गया और अम्मा  मन ही मन पूजा करने लगी ।

अगली सुबह कुम्हार ने देखा तो आंवा पका हुआ था और उस बालक के साथ साथ अन्य बालक भी सुरक्षित बाहर खडे हुए थे .. कुम्हार ये सब देखकर हैरान रह गया और उसने ये सारी बात राजा को बताई ….राजा ने बालक की माता को बुलाकर उनका पुत्र सौंपा और इस चमत्कार का कारण पूछा तो अम्मा ने बताया कि वो सकट चौथ के दिन भगवान गणेश का व्रत और पूजन करती थी। इस दिन के बाद से कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकट हारिणी माना जाता है.

सकट चौथ का उपवास जो भी भक्त संपूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ करता है, उसकी बुद्धि और ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होने के साथ-साथ जीवन में आने वाली विघ्न बाधाओं का भी नाश होता है। मान्यता हैं कि विघ्नहर्ता गणेश जी इस व्रत को करने वाली माताओं के संतानों के सभी दुःख दर्द हर लेते हैं और उन्हे सफलता के नये शिखर पर पहुंचाते हैं।

हे विध्नहर्ता गणेश सभी की रक्षा करना और अपना आशीर्वाद सदा बनाए रखना

सकट चौथ व्रत की कथा

January 6, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Teach Kids to Stay Organized – बच्चों को सिखाएं organized रहना – Parenting Tips – Monica Gupta

Teach Kids to Stay Organized

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Teach Kids to Stay Organized – बच्चों को सिखाएं organized रहना – Parenting Tips

कैसे रखें बच्चे Organized –  बहुत सारे पेरेंटस की शिकायत रहती है कि बच्चे Organize नही रहते.. कमरा फैला, अलमारी भी बिल्कुल फैली न स्कूल बैग का ख्याल क्या करें कैसे करें.  पेरेंटस किन बातों का ख्याल रखें ??

1.  मदद करनी छोड दीजिए –

अगर हम सही मायनो में चाहते है कि बच्चा Organize  बनें तो उसकी सहायता करना छोड दीजिए… एक बार तो आपको अच्छी नही लगेगी बात पर ये जरुरी है… हर बात मे आपकी हैल्प मिलती जाएगी तो वो कैसे खुद बनेगा Organize. responsible  तभी बनेगा…

2.  सामान कम कीजिए

बच्चे अव्यवस्थित तभी होते हैं जब बहुत सामान होता है  जब सामान की कम होगा तो कमरा कैसे फैलेगा… आप इतने सारे गेम्स हो या खिलौने या गेम्स  ले कर आते है तो बच्चा बहुत जल्दी ऊब जाता है..

तो जो टूट फूट गए हैं उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दीजिए…

जो बहुत अच्छी कंडीशन में है पर बच्चा खेलता नही उसे पैक करके किसी जगह रख दीजिए… कुछ दिनों बाद जब बच्चा उन को देखेगा तो उसे बहुत अच्छा लगेगा

3. One in – one out rule

भी बना सकते है कि नया खिलौना तभी आएगा जब पुराना किसी को दे देंगें… यही बात कपडो के लिए भी कर सकते हैं … डोनेट करने की भावना आएगी

4.  सामान ऐसी जगह रखिए जहां से वो आराम से ले पाएं..

नीचे नीचे के शेल्फ हों जहां खिलौने किताबें रंग, कहानी की किताब के अलग अलग सेक्शन हों और बच्चों को बताए कि जहां से जो निकालें वही वापिस सहेज कर रखे… इससे बार बार पेरेंटस की सरदर्दी भी कम होगी कि ये सामान चाहिए वो चाहिए.. बच्चे को समझाईए कि अगर जहा से समान लिया वहां वापिस नही रखा तो एक एक सामान गुम होता रहेगा.. अगर नही रखा तो एक एक करके चीजे गायब होती जाएगी..

5.  बच्चों का कैलेंडर बना लीजिए…

एक महीने का कैलेंडर calendar बनाईए और उसमे कुछ बातें लिखिए जिसमे सिर्फ उन्हें टिक मार्क ही करना है जैसे

सुबह समय से उठे / ब्रुश किया / टिफिन खाया/ होमवर्क पूरा किया / सोने से पहले ब्रुश किया / पौधे को पानी दिया/ चिडिया के लिए अपनी रखा

आखिर मे आपके रिमार्क्स – फिर आपने महीने में अगर इसमें 90% से ज्यादा टिक मार्क हैं तो प्राईज मिलेगा… वो भी बच्चा अपनी विश की स्लिप कही डाल कर रहेगा और फिर मम्मी पिक करेगीं और उसकी इच्छा पूरी करेगी… इससे क्या होगा कि बोझ नही लगेगा बच्चे को वो ओरेगेनाईज बनेगा …

6.  बच्चे के टेबल या बैड साईड पर अलार्म क्लॉक रखी हो ताकि बच्चा खुद उठने की आदत बना सके…

7.  दिन फिक्स कर दीजिए..

बजाय हर रोज सारा कमरा साफ होना चाहिए आप दिन फिक्स कर मनडे को स्ट्डी टेबल साफ रखनी है.. सनडे को अपनी अलमारी साफ रखनी है… हर रोज धोने वाले कपडे वाशिंग मशीन में या बाल्टी में डालने हैं.. हर संडे स्कूल बैग साफ करना है.. और इसके भी एकस्ट्रा पोईंटस मिलेगें..

8.  Be a Role Model

इसके लिए पेरेंटस को खुद भी ओरगेनाईज रहना होगा.. अगर खुद ही नही होंगें बच्चा सीख ही नही सकता और खुद होगें तो बच्चे के लिए एक उदाहरण बनेंगें

जितना ईजी रखेंगें उतना ही जल्दी बच्चा सीखेगा… जितना सिम्पल रखेंगें बच्चा उतना ही एंज्वाय करेगा…

Punishment, frustration से भी कुछ नही होगा इससे बच्चे कभी भी नही सीखेंगे बल्कि बहुत Patience  से काम लेना होगा Patience रखनी होंगी

ये सब एक रात में ही नही हो जाएगा पर इतना अभी पक्का है कि अगर आप patience रखेगें और बच्चे को मौका देंगें तो सब हो जाएगा…  ओरेगानाईज रखने की आदत बचपन से ही आदत डालनी जरुरी है…

पर ये भी नही है बच्चे अब बडे हो गए तो अब वो ओर्गेनाईज रह ही नही सकेंगें ऐसा नही है…

Teach Kids to Stay Organized – बच्चों को सिखाएं organized रहना – Parenting Tips

January 5, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Improve Relations with Parents – Parents से रिश्ते कैसे बेहतर बनाएं – Monica Gupta

How to Improve Relations with Parents

How to Improve Relations with Parents – Parents से रिश्ते कैसे बेहतर बनाएं – Monica Gupta – Good Relationship Tips In Hindi – Monica Gupta Videos Relationship with Parents as Adults – How to Improve Relationship with Parents – जीवन में माता पिता का महत्व – माता पिता के प्रति कर्तव्य – रिश्तों को बेहतर तरीके से कैसे निभाएं.  एक मेरी सहेली है जब भी सर्दी शुरु होती है हमेशा एक ही शॉल हमेशा लेती है लगभग 5 साल से तो मैं ही देख रही हूं उसकी बिटिया भी गुस्सा करती है कि मम्मी आप शॉल तो दूसरी लो पर वो नही लेती पता है उसका क्या कारण बताती है… वो बताती है कि ये उसकी मम्मी की शॉल है इसे पहन कर खुद ब खुद गर्मी और नर्मी आ जाती है इसलिए कोई दूसरी शॉल लेने का तो सोच ही नही सकती… वैसे ऐसा बहुत बार होता है दादा जी का पैन अगर उनके पोते को मिल जाए तो खुद ब खुद लेखन में सुधार आ जाता है या बडे बुजुर्ग की कुर्सी पर अगर बैठो तो उनकी गरमाई महसूस होती है…

How to Improve Relations with Parents – Parents से रिश्ते कैसे बेहतर बनाएं – Monica Gupta

कुल मिलाकर बहुत अच्छा लगता है इसलिए हमें अपने रिश्ते उनके साथ हमेशा ऐसे ही बनाए रखने चाहिए. पेरेंटस के साथ कई बार तो हमारे रिश्ते सही चलते हैं पर कई बार मन मुटाव भी हो जाता है तो कैसे रखें ख्याल की रिश्ता मजबूत भी रहे और प्यार भी बना रहे…

पहला तो यही कि उनका ख्याल रखिए..

पास हो या दूर.. हमेशा उनका ख्याल रखिए.. और नेट एक blessing बन कर उभरा है.. दूरदराज बैठे बच्चे भी अपने पेरेंटस से वीडियो कॉल या फोन के माध्यम से जुडे रह सकते हैं…

उन्हें अहसास दिलाईए जैसा कि मेरी सहेली हमेशा उनकी शॉल लेती हैं… ये रिश्ते की गर्मी ही तो है…

उनके साथ समय बिताईए

आजकल की व्यस्त जिंदगी में समय ही नही है पास बैठ कर बात करने का इस वजह से दूरिया बढ जाती हैं तो जब भी मौका मिले उनके साथ समय बिताईए.

जताईए कि उन्हें आपका ख्याल है… मान लीजिए एक पिता है सुबह कसरत नही करते तो सारा दिन उनके शरीर में दर्द रहता है मम्मी को शूगर है पर वो कंट्रोल नही करती.. तो उन्हें अहसास दिलाईए कि आप उन्हें बहुत प्यार करते हैं आपकी तबियत खराब हो तो उन्हें भी अच्छा नही लगता..

उनके अनुभव शेयर करें जब भी उनके पास बैठे उनके अनुभव शेयर करें… कोई पुरानी फोटो निकाल कर ये कब की है… उनसे जानिए … और उनके अनुभव ध्यान से सुनिए… जिस चीज में उनका शौक है मान लीजिए भक्ति में है तो प्रेरक कहानियां सुनिए… राजनीति में है तो राजनीति की बातें सुनिए…

खुद solve कीजिए अपनी प्रोब्लम –

हमारी कोई भी प्रोब्लम है उसे खुद ही निबटाईए.. ये नही कि पैसे की दिक्कत है तो आप अपने पेरेंटस के पास जाकर उन्हें बोल रहे हैं कि बहुत जरुरत है पैसे नही हैं.. बल्कि खुद solve कीजिए.. आप यकीन नही करेंगें पर हमारे रिश्ते मजबूत बनेंगें क्योकि ज्यादातर रिश्ते टूटते ही इस वजह से हैं…

उनकी प्रोबलम solve कीजिए

उस उम्र में उन्हें किस चीज की जरुरत है क्या चैक अप या क्या टेस्ट करवाना है उनसे पूछिए..

For granted भी नही लीजिए इस रिश्ते को…

कई बार क्या होता है कि पति पत्नी दोनो दफ्तर जाते हैं तो बुजुर्ग पेरेंटस को इसलिए बुला लिया कि घर की देखभाल हो जाएगी… चोरियां बहुत बढ गई है…

या बच्चा छोटा है और कोई आया रखने की बजाय माता जी को बुला लेते हैं .. इससे क्या होगा .. रिश्ते अच्छे बनेंगें नही .. खराब होंगें…

सलाह तभी लें जब बहुत ज्यादा जरुरत हो..

मान लीजिए आप किसी रिश्तेदार की शादी में जा रहे हैं और आपका मन है शगुन 1100 ही दें आप वैसे ही अपने पापा से पूछ लेते हैं कि कितना दें और वो कहते हैं कि 2100 तो देना ही चाहिए तो आप क्या करेंगें… आपकी जेब 1100 कहती है अब बात रखी तो आपको दिक्कत नही रखी तो झगडा कि मेरी बात नही मानता..

How to Improve Relations with Parents – Parents से रिश्ते कैसे बेहतर बनाएं – Monica Gupta

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छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही

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