Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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September 28, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

7 आदतें जो हमें समय से पहले ही बना देती हैं बूढ़ा – Unhealthy 7 Habits

7 आदतें जो हमें समय से पहले ही बना देती हैं बूढ़ा – Unhealthy 7 Habits . समय बीतता रहता है और समय के साथ हमारी उम्र भी बढती जाती है… और समय के साथ साथ चेहरे पर भी झुरिया या रिंलक्स पडते जाते हैं… समय के साथ साथ चले तो ठीक है पर क्या हो की समय से पहले ही चेहरा मुरझाने लग जाए और समय से पहले ही झुरिया भी आने लगे…   हैरानी इस बात की होती है कि जाने अंजाने हमारी ही कुछ गलतियां समय से पहले हमें बूढ़ा बना देती हैं.

7 आदतें जो हमें समय से पहले ही बना देती हैं बूढ़ा – Unhealthy 7 Habits 

तो क्या हैं वो गलतिया आईए जाने वो 7 गलतियों के बारे में जो हमे समय से पहले ही बूढा बना देती हैं

1.  पुराने लडाई झगडों को पकडे रहना …बहुत पुरानी पुरानी बातों को दिल से लगा कर बैठे रहना और कुढना उसने ये किया उसने ऐसा किसलिए किया और सोचते रहना … ये बातें चेहरे पर बहुत असर डालती हैं.. ज्यादा सोचते रहने से तनाव बढता है और वो तनाव हमें समय से पहले ही बूढा बना देता है…

2.  Crash Dieting

अपना वेट हम सभी कम करना चाह्ते हैं और इसी जल्दबाजी में यानि जल्दी वजन धटाने के चक्कर में बहुत ज्यादा crash dieting कर लेते हैं और होता क्या है हमारे चेहरा पिचक जाता है और चमक खत्म हो जाती है … Crash dieting से अक्सर चेहरे पर झुरिया पडने की सम्भावना हो जाती है इसलिए कितना वेट कम करना है या खाने में क्या और कितना लेना है ये बिना पूछे नही करें ..

 डाइट पर ध्यान न देना fruits and vegetables का सही मात्रा में न खाना और बस जंक फूड ही ज्यादा खाना सही डाईट न लेने पर हमारा  हमारा डाईजेशन खराब हो जाता है इसलिए ऐसा खाना खाना चहैए ये सेहत दे पौष्टिकता दे .. सही खान अनही खाएगें तो हमारे ब्लड सर्कुलेशन में कमी आएगी जिससे स्किन की इलास्टिसिटी कम हो जाएगी और झुरिया और उम्र यानि बुढापा झलकने लगता है।

3. चेहरे के प्रति लापरवाही

दिन भर अपने काम में इतना व्यस्त रहते हैं कि ध्यान ही नही देते चेहरे की तरफ … इससे हमारा चेहरा डल हो जाता है दिनभर की धूल-मिट्टी से हमारे चेहरे में गंदगी बैठ जाती है जिससे हमारी स्किन के पोर्स बंद हो जाते है और हम जरुरत से ज्यादा उम्र के दिखने लग जाते है

4. Not Getting Enough Sleep – अच्छी नींद न लेना

. अक्सर जब सही से नींद नही आती तो हम परेशान रहने लगते हैं चेहरे पर थकावट झलकने लगती है…और वो थकावट तनाव की जगह ले लेता है और ये वजह बनता है झुरियों की इसलिए जरुरत इस बात की है कि हम नींद सही से लें..

एक तो हम अच्छी नींद नही लेते और अगर हमारा तरीका गलत हो तो भी झुरिया पड जाती है ये कहा जाता है कि अगर हम पेट के बल सोएगें तो हमारा चेहरा तकिया से दब जाता है जिससे झुर्रियां आती है और ये झुर्रियां हमेशा के लिए पड़ जाती है तो कोशिश कीजिये के आप छाती के बल ना सोये

5.  Makeup भी अक्सर चेहरा खराब कर देता है

मेकअप करने में कोई बुराई नही पर जब हम हैवी मेकअप करते हैं और बहुत लम्बे समय तक रखते हैं और बाद में चेहरा अच्छे से साफ नही करते तो जल्द ही झुरिया पडने की सम्भावना रहती है… मेकअप करने पर हमारे चेहरे के रोम छिद्र बंद हो जाते हैं wrinkles और लाईन पडने लग जाती है इसलिए काम खत्म होने पर यानि रात को सोने से पहले चेहरा बहुत अच्छी तरह धो कर साफ करना बहुत जरुरी है..

6.  हमेशा बैठे रहना

कुछ लोगो का तो काम ही बैठे रहने का होता है जैसाकि आफिस का काम है तो बैठे रहते है वही कुछ लोग जानबूझ कर बैठे रहते हैं जैसाकि टीवी देखते हुए बस बैठे ही रहते हैं घंटो टीवी ही देखते रहते हैं दोनो ही सही नही है … बहुत देर तक बैठे रहना सही नही है… इससे हमारे पाचन तंत्र पर असर पडता है और असर आता है सीधा चेहरे पर … सारा दिन मोबाइल, लैपटॉप के सामने बैठना गर्दन झुकाकर जिससे गर्दन पर प्रेशर पड़ता है जिससे आसपास भी झुर्रियां पड़ जाती है।

7.  नशा भी है कारण …

या तो शराब का नशा या सिग्रेट का नशा भी चेहरे पर बहुत असर डालता है इसलिए कोशिश कीजिए कि इनसे दूरी बनाए रखें.. क्योकि किसी भी हालत में ये नशे अच्छे नही है…

तो जरुरी है अपनी आदतों में बदलाव लाने की. आप बताईए आप क्या सोचते हैं

 unhealthy-7-habits-that-makes- us – older

September 27, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

खाने की temptation हो तो क्या करें – How to Resist Food Temptation – How to Stick to Our Health Goals

Monica Gupta

खाने की temptation हो तो क्या करें – How to Resist Food Temptation – How to Stick to Our Health Goals – food craving यानि भोजन लालसा से कैसे बचें.  भूख को कैसे कंट्रोल करें. Temptation कैसे कंट्रोल करे…. बहुत मुश्किल है.. बहुत सारी मेरी सहेलियां ये कहती है कि वो अपना वजन कम करना चाह्ती है पर कुछ भी पसंद का देख कर मुंह में पानी आ जाता है.. तो आज मेरी बात उन्ही के लिए जो Temptation को नही रोक पाते.. how to eat healthy. अच्छा रहने के लिए हमें healthy तो खाना पडेगा…

खाने की temptation हो तो क्या करें – How to Resist Food Temptation – How to Stick to Our Health Goals 

तो क्या क्या करना चाहिए जब हमारा मन ललचाएं.. बेशक कोई त्योहार हो, शादी हो, बहुत ज्यादा मन विचलित हो जाता है तो हमें करना चाहिए इसके लिए हैं 11 टिप्स

 

1 Stay motivated.  सबसे पहले तो आप खुद से पूछिए कि क्या आप वाकई में चाह्ती हैं ?? या सिर्फ ऊपर ऊपर से दिखावा है  अगर वाकई इस Temptation को रोकना चाह्ती हैं.. यानि मोटिवेटिड रहिए कि यस मैं खुद को रोकना ही रोकना है.

2 दिमाग की ही सुनें

अक्सर हम दिल की सुनते हैं पर इस मामले में दिमाग की सुननी है तो दिल की नही दिमाग की ही सुनें… ये सुने कि अनहैल्दी फूड खाकर क्या नुकसान होगें इसलिए ना खाया जाए..

3  ना कहना सीखे

अगर कोई सर्व करे तो ये न कहें कि नही रहने दीजिए … पर दिख रहा हो कि आप खाना चाह रही हो .. मजबूती से न कर दीजिए .. नो थंक्स नही खाना बिल्कुल नही खाना..

4 अपना वेट रोज देखिए… Weight yourself daily

एक सर्वे ये कहता है कि जो लोग अपना वेट हर रोज देखते हैं वो अपनी टेम्प्टेशन को रोक सकते हैं अगर घर पर मशीन ही नही होगी तो पता कैसे लगेगा इसलिए मशीन होनी भी चाहिए और रोज देखना भी जरुरी है.

5 लड़ना चाहिए भूूूूख से

हर रोज लडे और बार बार लडे .. अपनी भूख से… कि नही देख मैं कितना कंट्रोल कर सकती हूं तू समझती क्या है तू मुझे हरा देगी … नही … मैं कंट्रोल कर सकती हूं

6 टीवी देखना कम कर दीजिए…

अक्सर ज्यादा देर तक टीवी देखे तो खाते भी हैं कोल्ड ड्रिक या चिप्स या नमकीन या कुछ भी अटरम शटरम… मुंह चलता रहता है

7 पानी पीजिए

अगर आप इस इच्छा को रोकना चाह्ती हैं तो जब भी खनए का मन हो पानी पी लीजिए एक अया दो गिलास.. पानी पीते ही आपका पेट भरा भरा से लगेगा …वैसे हलका गर्म अपनी पीने के फायदे भी बहुत हैं सेहत के लिए तो ये बहुत ही अच्छा माना जाता हि .. खैर ये तो बहुत बडा विषय है इसके बारे में विस्तार से बताऊंगी … फिलहाल बात हो रही है कि टेम्पटेशन को कैसे रोका जाए ..

8 दूरी बना लीजिए

जब भी कुछ खाने का मन हो .. मान लीजिए आपकी रसोई की शैल्फ में रखा है कुछ पहली बात तो उसे साफ कर दीजिए .. किसी अन्य सदस्य को खाने को दे दीजिए और अगर वही रखा है तो ध्यान हटा लीजिए . बाहर धूमने लगिए या नहाने चले जाईए वैसे ये भी पढा है chewing gum से इस तरफ से ध्यान हटता है.. भूख भी कम होती है और ध्यान भी हटता है..

9 Plan Your Meals  ‌‌‌‌‌- डाईट प्लान 

जो खाना है उसका प्लान बना लीजिए. उसका फायदा ये होता है हम मैंटली तैयार होते हैं कि हमने क्या खाना है क्या नही तो हमारा ध्यान वहां नही जाएगा कि चलो आह आलू पूरी बना लेते हैं या छोले भठूरे बना लेते हैं प्लान भी एक हफ्ते का बनाना ठीक है.

10 Avoid Getting Extremely Hungry

बहुत ज्यादा भूखे नही रहना है. दिक्कत तब आती है जब हम कंट्रोल करने के चक्कर में बहुत देर तक भूखे रह जाते हैं जबकि ऐसा नही करना … जब भी भूख लगे. सलाद, फल या नमकीन डाईत की जिसमें फेट्स न हो वो खा लेनी चाहिए.. तीन से चार धंटे से ज्यादा काा गेप नही हो

 11 Fight Stress – दूर भगाना है Stress  

आमतौर पर हम चिंता को दिल से लगा कर रखते हैं और उससे क्या होता है कई बार हमारी भूख बढ जाती है हम बहुत कुछ खाने लग जाते हैं और वो चीज बहुत नुकासन देती है… इसलिए इसे भी दूर कर दीजिए… योगा करके या कसरत करके या मैडीटेशन करके भी अपना ध्यान हटा सकते हैं

वैसे टिप्स तो और भी बहुत सारी हैं पर अगर कुछ बातों पर ध्यान देंगें तो फर्क पडना शुरु हो जाएगा …

आप क्या सोचते हैं इस बारे में अगर आपके पास भी अच्छी टिप्स हो तो जरुर बताईएगा … 

September 26, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

कार्टून की दुनिया के सम्राट हैं सुखवंत कलसी – एक मुलाकात

कार्टून की दुनिया के सम्राट हैं सुखवंत कलसी

कार्टून की दुनिया के सम्राट हैं सुखवंत कलसी – एक मुलाकात. मेरी ये मुलाकात बहुत यादगार रही इसलिए आप सभी से शेयर कर रही हूं. बच्चों और बचपन का नाम लेते ही मन में बहुत सारी बातें उभर कर आती हैं, जैसेकि पढाई, मासूमियत, शरारतें, मस्ती और कार्टून. जी हाँ, बच्चों और कार्टून का गहरा नाता रहा है. चाहे वो टी.वी. पर देखें या बच्चों की पत्रिका में पढ़ें. खुद को तनाव रहित और रिलैक्स करने के लिए यह कार्टून वाकई में बहुत ताज़गी दे जाते हैं.

ये तो बात हुई बच्चों की, जो कार्टून पढ़ते हैं. आईए, आज आपकी मुलाकात एक ऐसी शखसियत से करवाते हैं जो अपने बचपन से ही ऐसे मनोरंजक और मसालेदार कार्टून बनाने लगे थे.

जी हाँ, उन्होंने बच्चों के साथ-साथ हर उम्र के पाठकों के लिए सौ नहीं, हज़ार नहीं बल्कि दस हज़ार से भी ज़्यादा कार्टून्स और कॉमिक्स बनाई हैं. चलिए आपको मैं हिंट देती हूँ और आप ही बताईए कि उन असाधारण प्रतिभा का नाम क्या है..?

पहला हिंट- मूर्खिस्तान… और दूसरा हिंट – जूनियर जेम्स बाँड !!!

अरे क्या !!! आप पहचान गए ??? अरे वाह !! आप तो बहुत जल्दी पहचान गए. बिल्कुल सही पहचाना.

वो दमदार कार्टूनिस्ट हैं श्री सुखवंत कलसी

कार्टून की दुनिया के सम्राट हैं सुखवंत कलसी

कार्टून की दुनिया के सम्राट हैं सुखवंत कलसी

सुखवंत कलसी न सिर्फ़ कार्टून सम्राट हैं बल्कि टेलिविज़न की दुनिया में भी उन्होंने एक से बढ़ कर एक लेखन कार्य किया है और उन धारावाहिकों को शीर्ष तक ले कर गए हैं.

सुखवंत जी से मिलने से पहले कई बार मन में यह बात आई कि इतने बड़े और व्यस्त कलाकार हैं, पता नहीं बात करेंगे या नहीं, समय देंगे या नहीं, पर मेरी हैरानी और खुशी की सीमा नहीं रही जब सुखवंत जी ने न सिर्फ समय दिया बल्कि अपने बचपन के बारे में भी बहुत सी बातें बताने का वायदा किया. उनसे मिलने के बाद शुरु हुआ बातों का सिलसिला.

चिर परिचित सहज मुस्कान से साथ सुखवंत कलसी जी ने बताया कि उनका जन्म 14 जुलाई को कानपुर में हुआ था. पापा इंजीनियर थे और मम्मी घर का काम सम्भालती थीं. चार भाई बहन यानि उनके एक बड़े भाई और दो बहनें हैं. वो सबसे छोटे हैं और छोटा होने के नाते वो थोड़े शरारती थे और सबके लाडले थे.

मैंने जब बात पढ़ाई की छेड़ी, तो मुस्कुराते हुए बताने लगे- “मैं पढ़ाई में बस ठीक – ठाक ही था, पर स्कूल में पढ़ते-पढ़ते मैंने स्टेज पर अभिनय, नाटक लेखन और कार्टून्स बनाने में हाथ-पैर मारने शुरू कर दिए थे.”

उन्होंने अपने बचपन को याद करते हुए बताया कि केन्द्रीय विद्यालय आई.आई.टी. कानपुर में जब उनके हाउस की डयूटी लगती थी, तो वो ब्लैक बोर्ड पर रोज़ एक कार्टून बनाकर डालते थे.

“उस समय मॉर्निंग असेंबली के बाद पूरा स्कूल उमड़ पडता था, यह देखने के लिए कि आज मैंने क्या बनाया है. मेरे दोस्तों के साथ-साथ टीचर भी बहुत खुश होते और पीठ थपथपा कर मुझे उत्साहित करते थे.”

इसके बाद मैंने इंटरव्यू का रुख पत्र-पत्रिकाओं की तरफ मोड़ा, इस पर सुखवंत जी ने हँसते हुए बताया कि उन दिनों घर में मम्मी ‘सरिता’ मैगज़ीन पढ़ा करती थीं. बस तभी यह विचार आया कि ‘सरिता’ में कार्टून भेजकर देखते हैं.

“तो क्या आपने ‘सरिता’ में कार्टून भेजा था ?” मेरा ये पूछ्ना स्वाभाविक था.

“जी हाँ, लाइफ का पहला कार्टून ‘सरिता’ में भेजा था, लेकिन वो रिजैक्ट हो गया. कार्टून के साथ एक लैटर भी था. जिसमें सम्पादक जी ने लिखा था, ‘महोदय, पहले आप अपना रेखांकन सुधारिए, सफलता अवश्य मिलेगी.’ मैंने वो कार्टून और पत्र अभी तक सम्भाल कर रखा हुआ है.”

इसके बाद सुखवंत जी ने प्रयास जारी रखा और ईश्वर की कृपा से ‘सरिता’ मैगज़ीन में कार्टून्स छ्पने शुरु हो गए.

इसके अलावा एक और भी मज़ेदार बात हुई. एक बार सुखवंत जी कार्टून बना कर जब स्वयं ‘सरिता’ के सम्पादक से मिलने गए, तो उनकी दीदी के देवर भी साथ में थे. सम्पादक महोदय कार्टून के बारे में जो भी बात कर रहे थे, वो दीदी के देवर से ही कर रहे थे. उनको लगा कि यही सुखवंत है.

बात खत्म होने के बाद देवर ने जब सम्पादक जी को बताया कि सुखवंत तो ये है, तब वो इतना हैरान हुए कि इतना छोटा बच्चा और इतने अच्छे कार्टून्स बना रहा है ! उन्हें विश्वास ही नही हुआ. उन्होंने पूछा कि आप कौन सी क्लास में पढ़ते हैं, तो मैंने कहा- नाइन्थ में. इस पर सम्पादक जी ने स्टाफ के अन्य क्रिएटिव लोगों को केबिन में बुलाकर मेरा परिचय करवाया. सब लोग मुझे देख कर हैरान भी थे और बहुत खुश भी थे.

‘सरिता’ के बाद सुखवंत जी ने उन दिनों की मशहूर पत्रिकाओं- ‘धर्मयुग’, ‘साप्ताहिक हिदुस्तान’, ‘माधुरी’, ‘मुक्ता’ ‘लोटपोट’, ‘दीवाना’, ‘मधु मुस्कान’ वगैरह में भी अपने कार्टून्स भेजे, लेकिन रास्ता इतना आसान नहीं था. पर सुखवंत जी ने हिम्मत नहीं हारी. निरंतर प्रयास करते रहे. और एक वक़्त ऐसा भी आया जब ‘दीवाना’ में उनकी परमानेंट वीकली कार्टून स्ट्रिप ‘बात-बे-बात की’ छपने लगी. इतना ही नहीं, ‘दीवाना’ में ही उनका एक और वीकली कार्टून पृष्ठ छपने लगा था, जिसका नाम था, ‘चरणदास’. इसके बाद ‘दीवाना’ में ‘परोपकारी’ भी बनाया. इन सबकी कामयाबी के बाद सुखवंत जी को युवाओं की पत्रिका ‘मुक्ता’ में परमानेंट दो पेज मिले, जिसमें वो युवाओं से रिलेटेड कार्टून स्ट्रिप्स बनाते थे.

इसके बाद बारी आई ‘मधु मुस्कान’ की. उसमें सुखवंत जी की परमानेंट चार पेज की चित्रकथा ‘चंद्रू’ छपती थी, जो आज भी पुराने कॉमिक्स के शौकीनों को याद है.

सुखवंत जी ने बताया कि ये सारी बातें उन्होंने इसलिए डिटेल में बतायीं क्योंकि ज़्यादातर बच्चे हौंसला अफज़ाई ना मिलने से हिम्मत हार जाते हैं. वो अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय कड़ी मेहनत और घर वालों की हौंसला अफज़ाई को देते हैं.

सुखवंत जी ने आगे बताया, “स्कूल में हायर सेकेन्ड्री तक मेरे पास साईंस विषय था. कॉलेज में आते ही मैंने साइंस छोड़ कर कामर्स को पकड़ लिया. क्योंकि मेरे लिए कॉमिक्स और साइंस एक साथ चला पाना मुश्किल था.”

बी.कॉम पास करते ही उनके लिए उसी वर्ष ‘डायमंड कॉमिक्स’ के द्वार खुल गए थे.

बकौल सुखवंत जी- “1979 में जैसे ही मैं कॉलेज से निकला, उसी साल ‘डायमंड कॉमिक्स’ लॉन्च हो गयी और मैंने ‘राजन-इकबाल’ की कॉमिक्स बनानी शुरू कर दीं. देखते ही देखते ‘राजन-इकबाल’ की कॉमिक्स सुपरहिट हो गयीं और मेरे सामने कॉमिक्स की लाइन लग गई.”

सुखवंत जी की कामयाबी का सफ़र आगे से आगे बढ़ता गया. वो आगे कहते हैं-  ‘‘डायमंड कॉमिक्स’ के बाद ‘चित्र भारती कॉमिक्स’ ‘मनोज कॉमिक्स’,’त्रिशूल कॉमिक्स’, ‘चॉकलेट’ आदि के लिए मैंने बहुत सारे कामयाब करैक्टरर्स क्रिएट किये, जिनमें ‘सीक्रेट एजेंट 005 जूनियर जेम्स बाँड’, ‘भाभी जी’, ‘चाचा परोपकारीलाल’, ‘पेटूराम-लपेटूराम’. ‘चंद्रू’, और ‘तोपचंद-बन्दूकदास’ प्रमुख हैं.”

कॉमिक्स की दुनिया में कामयाबी के झंडे गाड़ने के बाद सुखवंत जी ने दिल्ली के दीवान पब्लिकेशन्स के प्रकाशक श्री आनंद दीवान जी से हाथ मिलाया और उनको एक मासिक बाल पत्रिका का आईडिया सुझाया. और इस तरह से बच्चों की सबसे लोकप्रिय पत्रिका ‘नन्हे सम्राट’ की नींव रखी गई.

1988 में शुरू हुई ‘नन्हे सम्राट’ पत्रिका के बारे में सुखवंत जी का कहना है- “मैंने जब आनंद दीवान जी को बाल पत्रिका शुरू करने की बात कही, तो उन्होंने कहा, ‘मार्केट में ऑलरेडी ‘नंदन’, ‘पराग’, ‘चंदामामा’, ‘चंपक’ और ‘सुमन-सौरभ’ जैसी कामयाब बाल पत्रिकाएं छाई हुई हैं, तो हम एक और बाल पत्रिका क्यों निकालें ? आप पत्रिका में ऐसा क्या डालेंगे, जो बच्चे हमारी पत्रिका की तरफ आकृषित होंगे ?’ इस पर मैंने कहा, ‘हमारी बाल पत्रिका में मनोरंजन ही मनोरंजन होगा.

हम बच्चों को शिक्षाप्रद कहानियाँ भी देंगे लेकिन मनोरंजन की चाशनी में डुबो कर. हमारे स्थाई स्तम्भ रोचक होंगे. हर पन्ने पर कहानियों के साथ-साथ मज़ेदार चित्र पहेलियाँ, चटपटे जोक्स, फिल्म कलाकारों के इंटरव्यूज़ और खेल वगैरह होंगे. दीवान साहब को मेरे व्यूज़ काफी पसंद आये… और इस तरह से ‘नन्हे सम्राट’ का जन्म हुआ और साथ ही जन्म हुआ आपके प्रिय कार्टून कॉलम ‘मूर्खिस्तान’ का.”

मैंने गौर किया कि ‘नन्हे सम्राट’ के बारे में विस्तार से बताते हुए सुखवंत जी काफी रोमांचित हो गए थे. खुशी की एक ख़ास चमक उनके मुस्कुराते हुए चेहरे पर साफ़ झलक रही थी.

आइये, अब नज़र डालते हैं सुखवंत कलसी जी के एक और टैलेंट पर, और वो है हास्य से भरपूर टी.वी. सीरियल्स लिखने का टैलेंट.

अपने टी.वी. के सफर के बारे में उन्होंने बताया कि 1998 में वो कानपुर से मुम्बई शिफ़्ट हो गए थे और फिर शुरु हुआ टी.वी. पर लेखन का दौर.

“मेरा पहला टी.वी. सीरियल डी.डी. मेट्रो पर टेलीकास्ट हुआ था- ‘सब गोलमाल है’. जो बस ठीक-ठाक था. इसके बाद मिला सोनी चैनल का स्टैंडअप कॉमेडी शो- ‘मूवर्स एंड शेकर्स’. इस डेली कॉमेडी शो की अपार सफलता ने मुझे मुंबई में मज़बूती से पैर जमाने का मौका दिया.

‘मूवर्स एंड शेकर्स’ ने जहाँ मुझे लीड राइटरों की श्रेणी में लाकर खड़ा किया,  वहीँ मुझे एक्टिंग का मौका भी दिया. इसमें मैं ‘साइंटिस्ट खोजी सिंह’ और ‘रेडियो कवि बन कर आता था. ‘साइंटिस्ट खोजी सिंह’ अजीबोग़रीब चीज़ें खोज कर लाता था और शेखर सुमन को उनके ऊटपटांग फायदे समझाता था. इसी तरह से ‘रेडियो कवि’ दर्शकों के सवालों के जवाब हास्य कविताओं के ज़रिये देता था.”

‘मूवर्स एंड शेकर्स’ के बाद सुखवंत जी ने शेखर सुमन के लिए ‘नीलाम घर’, ‘सिम्पली शेखर’ और ‘कैरी ऑन शेखर’ लिखा. इसके बाद जॉनी लीवर के लिए ‘जॉनी आला रे’ , कपिल शर्मा के लिए ‘कॉमेडी नाइट्स विद कपिल’, राजू श्रीवास्तव के लिए ‘राजू हाज़िर हो’ तथा ‘नॉनसेंस अनलिमिटेड’ वगैरह… ‘फंजाबी चक दे’, ‘लाफ्टर चैलेंज’ और ‘कॉमेडी सर्कस’ आदि जैसे कामयाब कॉमेडी शोज़ भी सुखवंत जी ने लिखे.

कार्टून की दुनिया के सम्राट हैं सुखवंत कलसी

कार्टून की दुनिया के सम्राट हैं सुखवंत कलसी

सुखवंत कलसी जी ने करीब 35 साल पहले एक एक्शन कॉमिक हीरो की रचना की थी. और वो कॉमिक हीरो है, आप सबका लाडला, ‘सीक्रेट एजेंट 005 जूनियर जेम्स बॉन्ड’. एक ऐसा जासूस बालक, जो अपने चाचू बलवंत राय चौधरी के साथ मिलकर अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुँचाता है. ‘सीक्रेट एजेंट 005 जूनियर जेम्स बॉन्ड’ की इसी कॉमिक सीरीज़ ने लिया है एक नया अवतार. जी हाँ, आपका फवरेट कॉमिक हीरो और उसका चाचू धमाल, मस्ती और हंगामा मचा रहे हैं ‘हंगामा टीवी’ पर. और इस एनीमेशन सीरीज़ का नाम है, ‘बुरे काम का बुरा नतीजा, क्यों भई चाचा हाँ भतीजा’.

“सुखवंत जी, टाइटल कुछ ज़्यादा ही लंबा नहीं है ?” क्योकि ये बात मुझे बहुत सोचने पर मजबूर कर रही थी.

इस पर वो हँस कर बोले- “लंबे चलने वाले सीरियल्स के नाम लंबे ही होते हैं. मसलन, ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी,’ ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा,’ ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ वगैरह-वगैरह… इसी तरह से ‘बुरे काम का बुरा नतीजा, क्यों भई चाचा हाँ भतीजा’. वैसे शॉर्ट में आप ‘CB’ भी कह सकती हैं.” उनका ये जवाब लाजवाब था.

“जी ‘CB’ ठीक है. इसे कौन सा प्रोडक्शन हाउस बना रहा है ?”

“फिल्मकार केतन मेहता और दीपा साही की कंपनी ‘कॉसमॉस-माया’ डिजिटल ‘CB’ सीरीज़ को बना रही है. इसके प्रोड्यूसर हैं अनीश मेहता और डायरेक्टर हैं धीरज बेरी. मुझे ख़ुशी है कि कई हिट एनीमेशन सीरीज़ बनाने वाली कंपनी मेरे कॉमिक हीरो पर टीवी धारावाहिक बना रही है.”

“सुखवंत जी, क्या यह सच है कि आपकी बेहद लोकप्रिय कार्टून सीरीज़ ‘मूर्खिस्तान’ पर भी एनीमेशन की प्लानिंग चल रही है ?”

“जी हाँ यह सच है. करीब तीस वर्षों से ‘मूर्खिस्तान’ कार्टून सीरीज़ प्रिंट मीडिया के अलावा सोशल मीडिया पर भी काफी पॉपुलर है. फेसबुक और वॉट्सएप्प के ज़रिये मैं अपने फ्रेंड्स के साथ-साथ बॉलीवुड के कई बड़े दिग्गजों को ‘मूर्खिस्तान’ का एक कार्टून डेली पोस्ट करता हूँ, जोकि काफी सराहा जाता है. अगले साल से ‘मूर्खिस्तान’ की भी एनीमेशन सीरीज़ शुरू हो जायेगी.”

‘मूर्खिस्तान’ एनीमेशन सीरीज़ की एडवांस में बधाई के साथ ही मैंने सुखवंत कलसी जी से मुस्कुराते हुए विदा ली. वाकई ये मुलाकात बेहद यादगार रहेगी. कलसी जी को बहुत सारी शुभकामनाएं !!

 

September 26, 2017 By Monica Gupta 1 Comment

छोटे बच्चों को जरुर सीखानी चाहिए ये Skills – Parenting Tips in Hindi – बच्चों की परवरिश के तरीके

Monica Gupta

छोटे बच्चों को जरुर सीखानी चाहिए ये Skills – Parenting Tips in Hindi – बच्चों की परवरिश के तरीके – अकसर पेरेंट्स बच्चों की पढ़ाई लिखाई के इलावा कुछ नही सोचते जबकि पढ़ाई लिखाई के साथ कुछ ऐसी Skills ऐसी हैं जिन्हें हम अगर बच्चों को बचपन से ही सीखाएगें तो जिंदगी में न सिर्फ काम आएगी बल्कि पर्सनल डेवलेमेंट में अहम रोल निभाएगीं..

छोटे बच्चों को जरुर सीखानी चाहिए ये Skills – Parenting Tips in Hindi

तो ऐसी क्या बातें हैं और ऐसी बातें हैं ये ..

 

1 Defense Skills

आत्मरक्षा की ट्रेनिंग जरुर देनी चाहिए ये बहुत ज्यादा जरुरी है अगर स्कूल में नही सीखाते तो भी कहीं बाहर से जरुर सीखवाएं … ये बहुत जरुरी है … You can’t be with your kids all the time to protect them from life’s unpleasant surprises. Survival Skills बच्चे को ये सीखना कि अगर कोई आपके साथ जबरदस्ती करे या या गलत काम करे तो खुद को कैसे बचाना है  self-confidence  होना चाहिए और किस तरह से समझदारी से काम लेना है. उसके लिए

2 First Aid Skills की पूरी जानकारी देना

जैसे मान लीजिए बच्चे को खेलते हुए चोट लग जाए तो उसे training मिली हो accidents and emergencies.पता हो कि क्या करना है कौन सी दवाई लगानी है … ये बहुत ही ज्यादा जरुरी है. फैमली डाक्टर का फोन नम्बर याद रखना आदि

3 बच्चे अपना काम करने की आदत डाले 

बच्चों को अपना काम खुद करने की आदत डालनी चाहिए कई बार क्या अक्सर मम्मी ही बच्चों का स्कूल बैग तैयार करती है और बच्चा टीवी देख रहा होता है … बच्चे को बोलिए कि आप खुद करिए बेशल वही खडे रहिए और उसे सीखाईए … बडे होकर कभी दिक्कत नही आएगी.. बडे होकर जब होस्टल  जाएगें तो उन्हें बहुत दिक्कत आ सकती है.

4 कुकिंग

बेटा हो या बेटी कुछ बातें हमें बच्चों को जरुर सीखानी चाहिए. कुकिंग यानि खाना बनाना … बचपन में हम बच्चे से छोटी मोटी मदद ले सकते हैं और कुछ आसान चीजे खुद बनाने का इंटर्स्ट बनाना चाहिए … आज वो समय तो रहा नही कि सिर्फ खाना बनाना लडकी को ही आना चाहिए अब तो लडकी भी बराबर का काम करती है नौकरी करती है इसलिए दोनो मिलकर घर की गाडी चलाते हैं इसलिए उन्हें आना भी चाहिए … बहुत सारा नही पर थोडा बहुत जैसे चाय बनाना , कॉफी बनाना, खाना गर्म करना सूप बनाना,

5 Laundry

यानि कपडे धोना .. आ सोच रहे होंगें अरे नही … मेरा बच्चा कपडा धोएगा … जी धोएगा नही पर उसे आना चाहिए … कभी उससे रुमाल धुलवा लिया तो कभी जुराबे … ताकि उसे पता हो कि कपडे कैसे धोते हैं …

6 Use of Public Transportation

आमतौर पर हम बच्चे को दिक्कत नही देन चाहते इसलिए अपनी कार से स्कूल छोडना फिर लेने जाना … शाम को टयूशन पर भी ऐसा ही करना … पर बच्चे को आदत डालिए कि कैसे लिया जाता auto, या cab  या बस … ताकि बडे होकर उसे कभी इनका सहारा लेना पडे तो उसे दिक्कत न हो असहज न हो app कैसे डाऊनलोड किया जाता है या  कैब  कैसे बुक करवाई जाती है या metro में जब जाते हैं तो कैसे टिकट ली जाती है.. एक दो बार खुद ले जा कर फिर अकेले की आदत डलवाए

7 Shopping करवाना

बच्चों को समय समय पर बाहर शापिंग के लिए भेजते रहिए उससे वो हिसाब भी रखते हैं और उनमे फीलिंग भी आती है कि उन्होनें कुछ काम किया है. कैसी लानी है पढ कर लानी एक्स्पायरी न हो … कब बनी ??

8 Money Management Skills –  पैसे की वेल्यू समझाना

ये बहुत जरुरी स्किल है जो बच्चों को समझानी चाहिए ये भी समझाना चाहिए कि पैसा की वेक्यू करना बे फालतू खर्च न करना और जमा करके रखना किसलिए जरुरी है. इसके लिए बच्चों को गुल्लक भी दे सकते हैं या बैंक में उनके नाम से एकाऊंट भी खोल कर उन्हें समझा सकते हैं

9 Time Management

समय की वेल्यू करना सीखाना भी बहुत जरुरी है ..समय पर काम न हो तो कितनी सारी प्रोब्लम आ सकती है… टाईम टेबल के हिसाब से चलना उसे जरुर सीखाईए. प्रकृति का ही उदाहरण देकर समझा सकते हैं. दिन अपने समय पर होती है रात अपने समय पर होती है ये समय से न चले तो सब ग़डबड हो जाए..  खुद समय पर उठने की आदत… Wake themselves up on time. बच्चों को अक्सर माता पिता ही उठाते है और ये नही कि बच्चे एक आवाज में उठ गए .. उन्हें उठाते ही रहते हैं इसके लिए जरुरी है बच्चे के अपस अलार्म रख दे और बताए कि आपने खुद ही उठना है..

तो ये तो है थोडी स्किल्स … आप बताईए आप क्या सोचते हैं इस  बारे में …

September 25, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

How can a teenager live a better life – Life of a Teenager – How a teenager can become successful

Life of a Teenager

How can a teenager live a better life – Life of a Teenager . How a teenager can become successful? 13teen से 19teen तक होती है teenage  की तो teenagers को कुुुुछ बातों का ख्याल रखना  बहुत जरुरी है .. तो क्या हैं वो बातेंं!!

 खूब मेहनत

स्कूल में खूब पढाई करनी. इस उम्र में हमे लक्ष्य बनाना पडेगा कि हमें करना क्या है और फिर हमें जो सोचा है उसे पाना भी है. कई बार हम दोस्तों के चक्कर में स्कूल बंक skip कर देते हैं तो इस बात का कभी नही सोचना क्योकि पढाई बहुत जरुरी है भविष्य में यही पढाई हमारे बहुत काम आएगी इसलिए बहुत ध्यान से पढना और सीखना है.

Be confident

सबसे पहला तो यही है कि पूरे आत्मविश्वास से रहना चाहिए हो… अपने सामने एक लक्ष्य रखिए और उस पर जुटे रहिए जैसा मान लीजिए मेरा लक्ष्य है कि मैंने 90 % मर्क्स लाने हैं तो पूरी विश्वास के साथ जुटना पडेगा..

कहने का मतलब है कि कई बार अगर हम जितना चाह्ते हैं उतना नही कर पाए तो उम्मीद नही छोडनी चाहिए हिम्मत नही हारनी चाहिए … अपने आप को समझाना चाहिए चलो इस बार नही तो कोई ना अगली बार जरुर जीत कर दिखाऊंगा पर उम्मीद नही छोडनी चाहिए.

 

Be friendly

सबसे दोस्ताना रहना चाहिए हैलो हाय, मिलना , बात करना , होना चाहिए.. सभी से मिलना है चाहे कोई बहुत अच्छी से जानता ही नही फिर भी सभी से बात करनी है.. हमेशा कुछ जानने की इच्छा रखना.. नया सीखना.

Personal Style

अपना स्टाईल अच्छा बना कर रखना है. अच्छे से बन कर रहना है सही से dress up होकर रहना है. वैसे आजकल तो लडकियों को अपने बाल बनाने में इतना समय नही लगता जितना लडको को लगता है …

तो अपना एक खास स्टाईल बना कर रखना है और स्टाईल भी वही जो सूट करे ये नही कि दोस्त ने बनवाया है तो मैंने भी बनवाना है स्टाईल के साथ साथ पहनावा भी वही हो जो सूट करे…  suit नही करना..

girls  की भी आदत होती है जो फिल्म में पहना है वैसा ही चाहिए.. जबकि अपनी फिगर देखते हुए पहनना चाहिए और जो है उसी को दिखाना है आमतौर पर इस age में show off  मारने की बहुत आदत होती है जबकि नही..

अपने माता पिता की सुनना Listen to your parents

आपके मन में आ रहा होगा कि वो तो हमेशा गुस्सा करते और डांटते रहते हैं … पर अगर आप उनकी बात ध्यान से सुनेगें तो शायद उन्हें चिल्लाने या गुस्सा करने की जरुरत ही नही पडेगी अपने अनुभव के आधार पर वो आपको एक अच्छी सलाह दे सकते हैं … कई बार हमारा एक दोस्त हमें अच्छी सलाह नही दे सकता पर हमारे parents अपने अनुभव के आधार पर हमें अच्छी सलाह दे सकते हैं… तो उनकी जरुरी सुननी चाहिए  और कहा मानना भी चाहिए. Spend time with your family समय भी बीताना चाहिए!!

Be Patient

patience रखनी तो बहुत ही जरुरी है. हर बात पर उतावला होना , जल्दबाज होना सही नही इसलिए…

Be creative

हमें सीखने की इच्छा होनी चाहिए और जिस भी चीज में हम अच्छे हैं उसे निखारना चाहिए .. मान लीजिए ड्राईंग बहुत अच्छी है तो आप उसकी क्लास ज्वाईन कर लीजिए या आप डांस अच्छा करते हैं तो उसकी पर बहुत जरुरी है अप्ने भीतर छिपी प्रतिभा को पहचानना

Be yourself! Don’t copy everyone

जो हम हैं वही बनने की कोशिश करनी चाहिए.. हर किसी का अपना अलग यानि  unique style होता है और हम किसी तरह बनने के चक्कर में अपना स्टाईल भी खो देते हैं इसलिए हम जो हैं वही बने रहे और उसके बारे में पूरी तरह आश्वस्त confident भी रहें

नशे से दूर रहना चाहिए 

बेशक ये हमें बहुत लुभाती हैं पर साफ साफ न कर दीजिए… क्योकि एक बार इसके चक्कर में पड गए तो तो बहुत नुकसान हो जाएगा … नशा करेगें तो झूठ बोलेगें … कि हमने तो पी नही फिर स्कूल बंक करेंगें चोरी करेंगें फिर जेल भी हो सकती है यानि हमारा भविष्य खराब … इसलिए इन्हें दूर से ही नमस्कार कर दीजिए आपके दोस्त अगर बुरा मानते हैं तो आप उनका साथ छोड दीजिए.. पर नशे के चक्कर में पडने की ये कोई उम्र नही!

Help out in your community

जिसे मदद की जरुरत हो उसकी मदद भी करे. और volunteer बनें इससे उसे बहुत खुशी मिलेगी … बहुत तरह के काम है उसमें अपना योगदान दें जैसाकि स्वच्छता , पर्यावरण, पेड लगाना , कैम्प लगाना लोगो को जागरुक करना

Stay organized

समयबद्द रहना बहुत जरुरी है. नींद समय पर लेंगें तो हम उठेगें भी समय पर और नींद पूरी लेना बहुत जरुरी है …  अगर हम अपना काम समय से करेंगें तो खुश रहेगें पर अगर समय से नही करेगें तो परेशान stress ही रहेंगें और सब बातें बिगडती चली जाएगी.

How can a teenager live a better life – Life of a Teenager

September 24, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

सास बहू का रिश्ता कैसा हो – Saas Bahu Relationship

Monica Gupta

सास बहू का रिश्ता कैसा हो – Saas Bahu Relationship – सास बहु की लड़ाई – सास बहू का रिश्ता कैसे सही हो. अगर आप ये सोच रहे हैं कि मैं आठ दस टिप्स बताऊंगी और आपके रिश्ते में प्यार भर जाएगा.. तो ऐसा कुछ नही है और अगर आप ये सोच रहे हैं कि मैं बहू की साईड हू या सास की साईड हूं तो  कुछ भी कहने से पहले मैं बता दूं कि ना मैं बहू की साईड हूं और न सास के… मैं दोनों के साथ हूं और दोनो को सही ठहरा रही हूं दोनो ही बहुत अच्छी हैं…

सास बहू का रिश्ता कैसा हो – Saas Bahu Relationship 

बस कई बार ego के चक्कर में बहुत छोटी छोटी बातों को बडा कर देती हैं…

या इधर उधर बात करके बात बिगाड देती हैं

या फिर कई बार किसी दूसरे की बात में आ जाती हैं

जबकि आमने सामने बैठ कर खुल कर बात करें तो हल भी जरुर निकल आएगा.

 

 

चलिए एक कहानी सुनाती हूं. ये कहानी नेट पर पढी..

एक लडकी की शादी हुई और वो नए घर आ गई. पर उसने लगने लगा कि उस की अपनी सास के साथ नही बैठ रही.. वो पुराने ख्याल की .. उनकी सोच पुरानी … सूट नही पहनने देना.. कुछ समय बाद जब वो घर गई तो पापा से बोली कि मुझे वो जरा भी पसंद नही मन करता है उन्हें मार दूं .. पापा डाक्टर थे बोले मार देगी तो तू भी तो जेल चली जाएगी …

तो क्या करुं … इस पर उसके पापा कहते हैं कि एक काम करता हूं एक दवाई बना कर देता हू तू उसे हर रोज खाने में मिलाकर खिलाना 6 महीने तक … दवाई असर करेगी और वो मर जाएगी लोग समझेंगे कि वह स्वाभाविक मौत मर गई. और तुझ पर शक भी नही जाएगा…

वो खुश हो गई पर उसके पापा ने बोला कि एक काम ये करना कि आज के बाद से 6 महीने तक सास से अच्छा व्यवाहर रखना न लडना न झगड़ना , प्यार से बात करना न पलट कर जवाब देना… ताकि शक न जाए किसी को  बोलो कर पाओगी ये सब ?
लडकी ने सोचा, छ: महीने अरे बाप रे … फिर सोचा कि चलो 6 ही महीनों की ही तो बात है, फिर तो छुटकारा मिल ही जाएगा.

उसने पिता की बात मान ली और दवाई की पुडिया लेकर ससुराल चली आई.

ससुराल आते ही अगले ही दिन से उसने सास के भोजन में एक दवाई मिलाना शुरू कर दिया
साथ ही सास के प्रति अपना बर्ताव भी बदल लिया. अब वह सास के किसी भी ताने का जवाब नहीं देती बल्कि गुस्सा पीकर मुस्कुराते हुए सुन लेती
रोज़ उसके पैर दबाती और उसकी हर बात का ख़याल रखती
सास से पूछ-पूछ कर उसकी पसंद का खाना बनाती, उसकी हर आज्ञा का पालन करती….

2 महीने बीतते सास के स्वभाव में भी परिवर्तन आना शुरू हो गया. जब बहू नही बोलती तो सास भी चुप हो जाती … अब तो कई बार वो उसे आशीर्वाद भी देने लगी …
धीरे-धीरे चार महीने बीत गए. दवाई वो बिना नागा दे रही थी…
किन्तु उस घर का माहौल अब एकदम से बदल चुका था. अब तो सास दस जगह जा कर बहू की तारीफ ही करती … और बहू को भी उनके अपनी मम्मी दिखाई देने लगी…

अब शुरु हो गया दवाई का पांचवा महीना … बहू को तनाव हो गया कि जो वो द्वाई दे रही है उससे उसकी सास कुछ ही दिनों में मर जाएगी

इसी तनाव में एक बार फिर वो अपने पापा के घर और बोली पापा मुझे उस दवाई के असर को ख़त्म करने की दवा दीजिये क्योंकि अब मैं अपनी सास को मारना नहीं चाहती … !
वो बहुत अच्छी हैं और अब मैं उन्हें अपनी माँ की तरह चाहने लगी हूँ!

पापा बोले कि दवाई तो अपना असर दिखाएगी ही .. विटामिन जो दिए थे … फिर पापा ने बताया कि हां,  उन्हें विटामिन दिए थे…

तो इस रिश्ते में समझदारी से काम लेने की जरुर है…  सास बहू दोनो अच्छी होती हैं पर एक बात जरुर जहन में रखनी चाहिए कि ताली एक हाथ से नही बजती कहीं न कही जाने अनजाने  कुछ न कुछ ऐसा हो जाता है कि झगड़ा हो ही जाता है… पर प्यार और संयम से जीता जा सकता है…

जो झुक सकता है वो पूरी दुनिया को झुका भी सकता है…   वैसे आप क्या सोचते हैं इस बारे में  

सास बहू का रिश्ता कैसा हो – Saas Bahu Relationship

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