Monica Gupta

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September 1, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

थैलेसीमिया और सफलता की कहानी

थैलेसीमिया

थैलेसीमिया की मरीज और उनकी सफलता की कहानी

Blood donation, रक्तदान , रक्तदाता या स्वैच्छिक रक्तदान  की जब भी करते हैं तो thalassemia का जिक्र जरुर आता है. थैलेसीमिया और सफलता की कहानी भी जरुर पढनी चाहिए कि कैसे वो इससे जूझ रहे हैं.

आखिर क्या है  thalassemia

थैलेसीमिया  और  सफलता की कहानी  जानने से पहले जानना जरुरी है कि आखिर है क्या थैलेसीमिया… थैलेसीमिया एक आनुवशिक रक्त विकार है। इस रोग में रोगी के शरीर में हीमोग्लोबिन सामान्य स्तर से कम हो जाता है। शरीर में ऑक्सीजन का सुचारु रूप से सचार करने के लिए हीमोग्लोबिन की जरूरत होती है। लाल रक्त कोशिकाओं की विकृति रक्त की लाल कोशिकाओं में विकृति आने के कारण थैलेसीमिया होता है।

sangeeta

यह रोग प्रायः आनुवांशिक होता है और अधिकतर बच्चों को ग्रसित करता है, उचित समय पर उपचार न होने पर बच्चे की मृत्यु तक हो सकती है। रक्त के लाल कणों की आयु लगभग 120 दिनों की होती है। लेकिन जब थैलेसीमिया होता है, तब इन कणों की आयु कम हो कर सिर्फ 20 दिन और इस से भी कम हो जाती है।
इससे शरीर में स्थित हीमोग्लोबिन पर सीधा असर पड़ता है। यदि हीमोग्लोबिन की मात्रा शरीर में कम होती है, तो शरीर कमजोर हो जाता है, जिससे शरीर को कई रोग ग्रस्त कर लेते हैं।

मुम्बई में एक कार्यक्रम के दौरान 34 वर्ष की संगीता हरिदास वधवा से मिलना हुआ। उनके जोश और उत्साह को देख कर  मन हुआ कि उनसे बात की जाए कि अखिर उनमे इतनी एनर्जी  कहाँ से आई। उनसे बात करते अचानक मैं चौक गई । असल में, वो थैलीसीमिया मेजर की मरीज हैं।

मैने उनकी इस जिंदादिली को सलाम किया और उनके बारे में और बाते जानने की कोशिश की। संगीता ने बताया कि वैसे वो एक भाई और दो बहने हैं पर दो साल पहले यानि 27 साल की उम्र में उनकी बहन पायल की थैलीसीमिया की वजह से मृत्यु हो गई थी । विस्तार से उन्होने बताया कि उनके शरीर में आयरन की मात्रा बहुत बढ गई जिससे दिल का दौरा पडा और …………।। अपने दिल को मजबूत करते हुए उन्होने बताया कि यह उन्ही का सपना था कि थैलीसीमिया के मरीजो को लेकर एक समूह या एनजीओ बनाया जाए और देश भर में इसके प्रति जागरूकता अभियान चलाया जाए और आज यहां इस कार्यक्रम मे अपनी बात रखने वो यहां  अपने दोस्तों के साथ आई हुई है।

अपने बारे मे वो बता रही थी  कि जब वो पाँच साल की थी तब उन्हे और उनके परिवार को पता चला कि उन्हे थैलीसीमिया है । तभी अचानक मैं पूछ  बैठी कि ये तो जन्म के चार पांच महीने मे ही पता चल जाता है  इस पर संगीत ने बताया कि तब  यानि आज से 30 साल पहले ना तो इतनी  जानकारी थी और ना ही टेस्ट इत्यादि की कोई सुविधा. 5 साल की उम्र में पता चला और डाक्टरों  ने यह कह दिया कि वो बस 15 साल तक ही जिंदा रहेगी ।  खैर , मन को मजबूत करके वो पढ़ाई मे लगी रही  हालांकि हर 15-20 दिन के अंतराल पर उन्हे खून चढ़ाया जाता था और समय ऐसे ही बीत रहा था।

जब 12वी क्लास पास कर ली और आगे पढाई का मन हुआ तो लोगो ने कहा कि क्या करेगी पढ़ कर कोई फायदा नही होगा शायद दूसरे शब्दो मे यही बताना चाहते थे कि उसका अंत बहुत नजदीक है । वो भी लोगों की बातों में आ गई और आगे की पढाई का विचार छोड कर अलग अलग  जैसे स्पोकन इंगलिश, ब्यूटिशियन , कम्प्यूटर जैसे कोर्स में दाखिला ले लिया और कोर्स पूरा होने के बाद पिछडे वर्ग की महिलाओं और गरीब लोगों को अपने घर पर ही उसकी ट्रैनिंग  देने लगी। उनके मम्मी- पापा का बहुत सहयोग मिलता  रहा  जिससे उनका मनोबल कभी नही गिरा ।

इस बीच दस साल बीत गए पर आगे पढ़ाई करने की इच्छा कम नही हुई फिर अपने मम्मी -पापा के सहयोग से उन्होने आगे दाखिला ले लिया और पढाई जारी रखी । आज वो थैलीसीमिया  अभियान से जुडी  जगह -जगह जाकर लोगों को इसके प्रति जागरूक बनाने में प्रयासरत है।

एक सर्वे के अनुसार संगीत ने बताया कि देश की जनसख्या के कुल मिलाकर 4 प्रतिशत लोग थैलीसीमिया से ग्रस्ति हैं और सही मायनो मे देखा जाए तो 1 प्रतिशत भी स्वैच्छिक रक्तदाता नही मिलते । सही रक्त  ना मिलने  से अनेक बीमारियां लग जाती है और इसी वजह से हम थैलीसीमिया के मरीज समय से पहले ही दम तोड देते हैं इसलिए रक्तदान  के बारे मे भी लोगों को जागरूकता होनी बहुत जरूरी है। यह उनके भविष्य के लिए भी अच्छा है और उनके दिए गए रक्त से चार लोगों की जान बचेगी वो तो उससे भी ज्यादा पुण्य का काम है ।

यकीनन उनकी बात बहुत सही है और थैलीसीमिया के मरीज होने के नाते वो जितनी सही ढंग से अपनी बात कह पा रही थी वो सीधा दिल में उतर रही थी । उन्होने बताया कि साईप्रस जैसे देश में जागरूकता के चलते थैलीसीमिया का स्तर शून्य पा आ गया है तो हम अपने देश मे यह अभियान छेड़ कर इसे शून्य के स्तर तक क्यो नही ला सकते।

सच पूछों तो वो मुझे किसी देवदूत के कम नही लग रही थी जो इतनी परेशानियों और दुखों के बाद भी बस एक ही मिशन मे जुटी हुई हैं। इसलिए वो यूथ थैलीसीमिया एलाईस के साथ जुडी उसकी स्थापना की और बस एक ही मिशन लेकर चली कि Face, Fight & Finish..  लोग थैलीसीमिया को झेल रहे है इसका सामना कर रहे है इससे लड़ रहे है। पर इसे खत्म क्यो नही करने के लिए कदम उठा रहे जबकि जागरूकता लाने से यह हमेशा के लिए खत्म हो सकता है।

एक समय ऐसा था जब संगीता जिंदगी से हार गई थी पर उनके माता पिता ने हौंसला  बढाया और   आह संगीता अपने जैसे मरीजो का जो जिंदगी से हिम्मत हार गया है उन को परामर्श देकर उनमे नई रोशनी का संचार करती दिखाई देती है ।

मै कुछ पूछने को ही हुई थी। कि इतने में उस कार्यक्रम में उनकी स्पीच का समय हो गया और वो मन मे एक नया जोश भर कर सैकड़ो लोगों के सामने अपने विचार रखने के लिए स्टेज की तरफ चल दी और मै भी उनको शुभकामनाए देती हुई आगे बढ गई ।

इस छोटी सी मुकालात से एक बहुत बड़ी बात सीखने को मिली कि कभी भी हिम्मत नही हारनी चाहिए। दुःखों तकलीफो का सामना मजबूत होकर करेगें तो वे भी ज्यादा  देर तक हमारे सामने टिक नही पाएगें। जैसे भी किसी ने सच कहा है कि हमे तक तक कोई नही हरा सकता जब तक हम अपने आप से ना हार जाए।

 

थैलीसीमिया जड से खत्म हो सकता है बस जागरुकता होनी चाहिए…

August 5, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

रक्तदान, रक्तदाता और असली खुशी का अहसास

कार्टून - रक्तदान महादान

रक्तदान, रक्तदाता और असली खुशी का अहसास – ब्लड नेगेटिव पर सोच सकारात्मक. Blood Donation …कल किसी जानकार को नेगेटिव ब्लड चाहिए था. मैने तुरंत अजय चावला जी को फोन लगाया और रक्तदाता तुरंत मिल गए. वो आए और उन्होनें  blood donate किया और जानकार की जान बच गई.

रक्तदान, रक्तदाता और असली खुशी का अहसास

ऐसा एक बार नही दो तीन बार हुआ है अजय जी तुरंत नेगेटिव ब्लड के लिए रक्तदाता उपलब्ध करवा ही देते हैं. असल में, बात कुछ समय पहले की है जब मैं रक्तदान से सम्बंधित कुछ लेख खोज रही थी तब अचानक एक खबर पर नजर पडी कि नेगेटिव रक्त होते हुए भी सोच पॉजीटिव.. मुझे यह खबर हट कर लगी और जब ध्यान से खबर पढी तो भाग्यवश उस पर एक वटसअप नम्बर 09871455456 भी दिया हुआ था. मैने बिना समय गवाएं उन्हे फोन मिला लिया तब उनसे विस्तार से बात हुई थी.

negetive blood donor

रक्तदान, रक्तदाता और असली खुशी का अहसास

अजय जी ने बताया कि बात 2008 की है जब पहली बार हरियाणा के फरीदाबाद मॆ आफिस मे लगे कैम्प मे वो रक्तदान करने गए थे. वहां पता चला कि उनका blood O negative है और यह भी पता चला कि यह बहुत rare है तब सोचा कि अगर ये इतना rare है तो क्यो ना इसका एक ग्रुप बनाया जाए. उन दिनो एसएमएस सर्विस ही होती थी. तब उसी के माध्यम से फरीदाबाद, गुड्गांव और दिल्ली एनसीआर से ऐसे नेगेटिव ब्लड ग्रुप वालो को खोजना शुरु किया.

इसी बीच उन्हें फरीदाबाद के ही गौरव सचदेवा मिले. उनका भी नेगेटिव ब्लड ग्रुप था.फिर दोनो ने मिलकर नेट वर्क बनाया और तब से आज तक ओ नेगेटिव के 60 रक्तदाता है.

आज फिर अखबार मे एक खबर देखी कि प्लेटलेट्स की नही होने देगे कमी और उसमे अजय जी ने बताया हुआ था कि उनका ब्लड एंड ह्यूमेनिटी के नाम से ग्रुप बना हुआ है और वो हर सम्भव सहायता करेगे कि नेगेटिव ब्लड ग्रुप वालो को कोई दिक्कत न आए.

पढ कर बहुत अच्छा लगा फिर दुबारा उनसे बात हुई तो उन्होने बताया कि न सिर्फ रक्तदान में बल्कि खुशी एक अहसास नाम से सोशल ग्रुप भी बनाया हुआ है जोकि गरीब बच्चो या old age home, बुजुर्गो के लिए काम करती है 2012 मे पहली बार बिग एफएम Big FM 92.7 के साथ मिलकर हुई फिर जैसे जैसे लोग जुडते गए काम करने का दायरा भी बढता चला गया..

और अब  अलग अलग क्षेत्रो मे काम कर रहें हैं  चाहे चैन्नई की बाढ हो, उत्तराखंड की flood हो, नेपाल मे भूकम्प हो या किसी भी तरह की आपदा हो मदद हो वो कभी पीछे नही हटते.

दीपावली पर भी गरीब बच्चों की मदद के लिए अभियान चलाते हैं बांटिए खुशियां, बढाए हाथ, मनाएं दीपावली कुछ जरुरतमंद बच्चों के साथ…. उन्होनें बताया कि इसे करने से उन्हे मन में असीम शांति मिलती है जिसका वर्णन शब्दों में नही किया जा सकता. और जहां तक ओ नेगेटिव रक्त की बात है उनका कहना है कि अगर  रक्तदान की महत्ता  को समझ कर उनके  साथ नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाले और ज्यादा जुडेंगें तो उनका नेटवर्क और भी ज्यादा मजबूत होगा.

वैसे वो कहते भी हैं ना कि सेवा करने वाले हाथ प्रार्थना करने वाले होठों से ज्यादा पवित्र होते हैं. भलाई के और नेक कार्य करते रहने चाहिए इतना आत्मविश्वास और आत्मबल बढता है कि चेहरे पर खुद ब खुद मुस्कुराहट आ जाती है. अजय जी और उनकी पूरी टीम को शुभकामनाऎं

blood news

 रक्तदान, रक्तदाता और असली खुशी का अहसास

 

रक्तदान और अमिताभ बच्चन – Monica Gupta

read more at monicagupta.info

 

June 2, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

एच आई वी और रक्तदान के प्रति जागरुकता

एच आई वी और रक्तदान के प्रति जागरुकता

एच आई वी और रक्तदान के प्रति जागरुकता – एच आई वी , रक्तदान के प्रति जागरुकता और सावधान इंडिया – दो तीन दिन पहले सावधान इंडिया के एक एपिसोड में एक महिला को एचआईवी से संक्रमित दिखाया गया. ये पता चलने के बाद उस महिला और पति के बीच काफी अनबन और टेंशन हो जाती है

एच आई वी और रक्तदान के प्रति जागरुकता

बाद में पता चलता है कि महिला को डेंग़ू हुआ था वो अस्पताल में कुछ दिन रही थी तभी उसे खून चढा था और बाद में दिखाया जाता है कि जिस व्यक्ति ने खून दिया था उसे एडस था और वो एक अस्पताल मे आखिरी सांसे गिन रहा था.

एच आई वी , रक्तदान के प्रति जागरुकता और सावधान इंडिया –

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आज टवीटर पर सर्च करते हुए ये आकडे देखे तो लगा कि रक्त जहां जान बचा सकता है वही एक अच्छे खासे हसंते खेलते परिवार में HIV एड्स भी दे सकता है …

बहुत जागरुकता की आवश्यकता है … और सभी को मिल कर जानकारी और जागरुकता फैलानी होगी ताकि रक्तदान noble cause ही बना रहे …

इसलिए रक्तदान करने से भी ज्यादा जरुरी है जागरुकता… जब भी रक्त की जरुरत हो कोशिश रहनी चाहिए कि टेस्टिड ब्लड ही लें ताकि किसी भी तरह का संशय न हो और इसी के साथ साथ जब हम रक्तदान के लिए अपना फार्म भरे वो सही भरे ताकि किसी दूसरे को जिंदगी भर तकलीफ का सामना न करना पडे ..

और सबसे ज्यादा जरुरी है स्वैच्छिक रक्तदान करना

आपको याद होगा कि बच्चन साहब को भी ऐसी दिक्कत का सामना करना पडा था …

रक्तदान और अमिताभ बच्चन – NavBharat Times Blog

इसकी ख़बर उन्हें 18 साल बाद लगी, उनका 75 फीसदी लि‍वर संक्रमित हो चुका है और सिर्फ एक चौथाई हिस्सा ही काम कर रहा है और वो सिर्फ़ 25 फ़ीसदी के सहारे जी रहे हैं। सुनकर बेहद हैरानी और दुख हुआ। सोचने की बात है कि इसमें अमिताभ जी का क्या दोष ? वो बेकसूर होते हुए भी एक ऐसी सजा भुगत रहे हैं जो कसूर उन्होनें कभी किया ही नही।

इस बात में भी कोई दो राय नही कि इन सभी के ऐसे प्रयासों से, जागरुकता की वजह से अनगिनत लोगो की जिंदगियां भी बच रही हैं पर फिर भी रक्तदान के क्षेत्र में हम बहुत पीछे हैं बहुत कार्य करना है, बहुत प्रयास करना है और सफर बहुत लम्बा है …!! डॉक्टर से लेकर ब्लड बैंक और टेक्नीशियन स्टाफ मे पारदर्शिता और हम रक्तदाताओं में जागरुकता जब तक नही आएगी हम उस लक्ष्य को नही जीत सकते जिसमे हम कहते हैं हमारे देश में खून की कमी से कोई नही मरना चाहिए और शत प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदाता हो। read more at indiatimes.com

रक्तदान और अमिताभ बच्चन  (एक खुलासा)    जरुर पढिए

 

March 2, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

ब्लड ग्रुप ओ और मच्छर

हे भगवान

ब्लड ग्रुप ओ और मच्छर

 

ब्लड ग्रुप ओ और मच्छर

आज मैं गूगल सर्च पर Blood group और हमारी diet क्या हो देख रही थी तभी एक खबर ने चौंका दिया … और मुंह से निकला ओ नो … !!O noooo .. !!! असल में, मैंने पढा कि O ब्लड ग्रुप वाले लोगों को A ब्लड ग्रुप की तुलना में दोगुना मच्छर काटते हैं. वहीं B ब्लड ग्रुप के लोगों को सामान्य रूप से मच्छर काटते हैं. एक रिसर्च के मुताबिक अगर आपके मम्मी पापा को ज्यादा मच्छर काटते हैं तो सम्भव है कि आपके साथ भी ऐसा हो. मच्छर हमारे ब्लड से प्रोटीन लेते हैं, मच्छर उन लोगों को भी ज्यादा काटते हैं जिन्हें ज्यादा पसीना आता है क्योंकि पसीने में लैक्टिक ऐसिड, यूरिक ऐसिड, अमोनिया जैसे तत्व होते हैं, जिनसे मच्छर जल्दी आकर्षित होते हैं.
अरे बाप रे !! खबर ने तो चौंका दिया जबकि मैं खुश थी कि क्योकि (ओ पॉजिटिव )यूनिवर्सल डोनर होते हैं और रक्तदान में सभी के काम आने वाले मे से हैं. इतना ही नही मैने यह भी पढा था कि इस ग्रुप के लोग मलेरिया की गंभीर स्थिति से सुरक्षित हैं. राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान ने विभिन्न ब्लड ग्रुप पर मलेरिया के प्लाज्मोडियम का असर देखने के लिए रिसर्च की और जाना कि A, B व AB पॉजिटिव की अपेक्षा O पॉजिटिव ग्रुप के लोगों पर मलेरिया होने का असर दूसरों की अपेक्षाकृत कम देखा गया है.

अचानक मच्छर कान के पास आकर गुनगुनाने लगा मानो कह रहा हो… हैलो मैडम ओ …पढ लिया ना लेख… अब भाग दौड करोगी या मुझे खून आराम से पीने दोगी .. !! आराम से तो नही पीने दूंगी क्योकि मैने यह भी पढा है कि ओ ब्लड ग्रुप वाले किसी पर अत्याचार होते नही सहा कर सकते और अगर वो अपने उपर ही हो रहा हो तो बिल्कुल ही नही …और मैं कभी ताली बजा कर तो कभी सामने रखे अखबार को गोल करके उसको मारने की कोशिश में जुट गई…

 

People having O+ of blood group are more bitten by mosquitos – Navbharat Times

http://navbharattimes.indiatimes.com/world/science-news/people-having-o-of-blood-group-are-more-bitten-by-mosquitos/articleshow/48421859.cms read more at indiatimes.com

 

ब्लड ग्रुप ओ और मच्छर के बारे मे अगर आप कोई और जानकारी देना चाहे तो आपका स्वागत है…

 

Photo by noricum

February 19, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

Motivational Speech on Voluntary Blood Donation

Motivational Speech on Voluntary Blood Donation

स्वैच्छिक रक्तदान महादान है रक्तदान पुण्य का काम है…

बात उन दिनों की है जब मुझे रक्तदान के एक कार्यक्रम में जाने का मौका मिला. सच पूछिए तो आज से पहले मैं न कभी किसी रक्तदान के कार्यक्रम में गई थी और ना ही रक्तदान के बारे में जानकारी थी … हां … सुना जरुर था कि रक्तदान करना चाहिए … पुण्य का काम होता है … ये प्रोग्राम डाक्टर युद्दबीर सिह जी की अध्यक्षता में हरियाणा के जिला सिरसा में  हो रहा था. डाक्टर ख्यालिया  उस समय ना सिर्फ जिले के उपायुक्त थे बल्कि रक्तदान के क्षेत्र में जबरदस्त काम भी कर रहे थे..

मैंने भी पूरा कार्यक्रम देखा और रक्तदाताओं का जोश और जुनून भी देखा … मैं हैरान थी कि मुझे इस बात की जानकारी अभी तक क्यों नही थी …. क्योकि कहती तो मैं भी रहती थी कि मैं भी रक्तदान कर सकती हूं पर करुंगी तभी जब किसी को जरुरत होगी … उस दिन उस कार्यक्रम में मेरी बहुत सी भ्रांतियां दूर हो गई और मैं प्रोग्राम देखते देखते इतनी प्रेरित हो गई कि स्टेज पर ही चली गई और अपने मन की बात सभी को बता दी

बचपन में मैने एक बच्ची को डूबने से बचाया था और यही बात मैं सभी को बताती रहती पर आज मैं इस बात को शायद भूल गई हूं कि बीते कुछ सालों में मैने एक छोटा सा रक्तदाताओं का नेटवर्क तैयार किया है जोकि पंजाब, चंडीगढ, जयपुर, सूरत, दिल्ली राजस्थान , भीलवाडा, मुम्बई आदि जगह में हैं वहां बेहद  प्रेरित करने वाले मोटिवेटर और  रक्तदाता रहते हैं जोकि एक फोन पर जरुरत मंद के लिए रक्त का इंतजाम करवा देते हैं और किसी की जान बच जाती है…

उस नेटवर्क की वजह से अभी तक बहुत लोगों को रक्त उपलब्ध करवा चुकी हूं और सभी  ठीक होकर हंसते गाते अपने घर वापिस लौट गए हैं इसलिए बचपन में उस जान बचाने की घटना को मैं भूल चुकी हूं…  और बस किसी जानकार या अनजाने  के फोन आने पर कि उन्हें फलां फलां रक्त की जरुरत है जुट जाती हूं कि किसी भी तरह से मदद कर पाऊं 🙂

किसी की मदद करके…. जान बचाकर इतना खूबसूरत अहसास होता है जिसकी शब्दों में कल्पना भी नही की जा सकती…

क्या आपने रक्तदान किया है या रक्तदान किया है या रक्तदान के लिए प्रेरित किया है तो अपना अनुभव जरुर बताईएगा

जय रक्तदाता

blood-donate

February 13, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

Valentine Day / Well In Time

blood donation by monica gupta
blood donation by monica gupta

blood donation by monica gupta

हमें Valentine Day का बेहद इंतजार रहता है और इंतजार रहता है अपने प्रिय से उपहार मिलने का पर कितना खूबसूरत हो जब ये उपहार जिंदगी का ही बन जाए …   यानि जब रक्त की जरुरत हो और रक्तदाता मिल जाए तो उससे खूबसूरत लम्हा और क्या होगा इसलिए तो यही कहा जा रहा है कि Valentine   नही Well In Time आपने रक्तदान करके एक जिंदगी बचाई 🙂

Valentine Day / Well In Time  BLOOD DONATION

 

 

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