Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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April 15, 2015 By Monica Gupta

दीदी की चिठ्ठी

Monica Gupta

 दीदी की चिठ्ठी

  दैनिक नवज्योति , जयपुर से नियमित हर रविवार दीदी की चिठ्ठी प्रकाशित होती रही है.

दीदी की चिठ्ठी

April 4, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

IIT JEE

 

IIT JEE

BEST OF LUCK … !!!

आईआईटी और एनआईटी में प्रवेश के लिए होने वाली आईआईटी जेईई मेन्स परीक्षा आज है. एक जानकार को शुभकामनाएं देने के लिए फोन किया तो पता चला कि वो तो सुबह सुबह ही सेंटर के लिए निकल गए ताकि समय से पहुंच जाए और दूसरी जोकि कोटा मे है उसे फोन किया तो उसने बताया कि पंडित जी से मुहुर्त निकलवाया है

बस थोडी देर तक निकलेंगें. मैने कुछ नही कहा बस शुभकामनाएं देकर फोन रख दिया पर यह भी सच है कि आज की परीक्षा बेहद अहम है इसलिए मातापिता को बच्चों से उम्मीदे होना स्वाभाविक है .

exams photo

Photo by JustABoy

मैं जानती हूं कि उनका बेटा दो साल अपने घर से बहुत दूर रहा और पिछ्ले साल तो उसकी मम्मी भी वहीं  चली गई थी क्योकि खाना पसंद नही आ रहा था तो वही कमरा लेकर रही और पूरे साल उसका ख्याल रखा, बेशक जितनी बच्चे की परीक्षा है उतनी ही शायद माता पिता की भी है … वैसे नए सिस्टम के हिसाब से आन लाईन परीक्षा कुछ दिनों बाद है… पर बच्चों और उनके पेरेंटस से बस एक ही बात रिलेक्स !!! रिलेक्स !! और शुभकामनाए… जो होगा बहुत अच्छा होगा !! स्माईल प्लीज 🙂 

IIT JEE

March 22, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

Feelings

Mouth organ photo

Photo by Nina A.J.

Feelings

बच्चों का अपने मम्मी पापा के प्रति प्यार …

जहां माता पिता में अपने बच्चों के प्रति भावनाए होती हैं वही बच्चों में भी  अपने माता पिता के प्रति भावनाए होती हैं.

बहुत दिनों के बाद मणि का बेटा दो दिन के लिए घर आया. नौकरी में इतना व्यस्त हो गया है कि कई कई बार तो बहुत बहुत दिन फोन पर बात ही नही हो पाती.मणि उसकी आवभगत में जुटी थी. नाश्ते के बाद प्लेट उठा कर रसोई के जा ही रही थी कि बेटे ने आवाज देकर उसे रोका .अपना बैग खोला और बोला आखॆ बंद करो आपके लिए कुछ है. फिर मणि के हाथ कुछ पकडा दिया. हाथ मे लेते ही मणि चौंक गई और आखें खोलती हुई बोली अरे !!!

इतने साल हो गए ..

इसका क्या करुगी.. भूल भाल गई हूं सब !!बेटे ने कहा जब बचपन में आप हमे बजा कर सुनाती थीं तो आप खुद ही कहती थीं कि एक बार बजाना आ जाए तो जिंदगी भर नही भूल सकते ..

मणि ने भी जानॆ अनजाने माउथओरगन होठों से लगा लिया .वही मणि मुझे दिखाने लाई थी और डबडबाई आखें, खुशी … उससे कुछ बोला ही नही जा रहा था. मैं उसकी तरफ देख कर सोचे जा रही थी बहने दे ये आसूं … .. सच, छोटी छोटी खुशियों में Feelings में  कितना सारा प्यार अपनापन और अहसास छिपा होता है देख रही हूं..

Feelings पर अगर आपका भी कोई अनुभव हो तो जरुर बताईगा !!!

March 19, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

Brave boy Siddesh

 

Brave boy Siddesh9-Yr-Old-Siddesh-Brave-School-Boy-Averts-Train-Accident

 

Brave boy Siddesh

 

Std IV student Siddesh’s timely alert about a broken track saves many lives on Bengaluru-bound trains

एक से बढ कर एक खबरो का बाजार गर्म है. बेसिर पैर की, फालतू और अंट शंट  खबरों के शोर मे बहुत अच्छी और प्रेरक खबरें खो जाती है और पटडी के  किनारे पर पडे पडे दम तोड देती है.

नेट सर्च करने के दौरान मैने बैंगलौर के  बहादुर बच्चे सिद्देश की खबर पढी जिसने एक भयंकर रेल  हादसा होने से बचा लिया. उस दिन मैने सारे चैनल खंगाल डाले पर कही भी इस बच्चे की खबर नही दिखाई दी फिर मैने अलग अलग अखबार जोकि आन लाईन थे उन पर देखा तो विस्तार से खबर पढी.

खबर कुछ ऐसे थी  कि नौ साल के बच्चे  Siddesh सिद्देश  ने एक ट्रेन हादसा होने से बचा लिया। वो   सरकारी स्कूल, Davanagere मे चौथा कक्षा  में पढ़ते  है। घटना रविवार सुबह की है।सिद्देश  ने  न सिर्फ अपने पिता मंजुनाथ को टूटी रेललाइन के बारे में बताया बल्कि अपनी लाल टी शर्ट लहराकर ट्रेन भी रोकी ।

Siddesh के पिता मंदुनाथ रेल लाइन से थोड़ी दूर पर एक छोटा होटेल चलाते हैं। उनके अनुसार  बच्चे ने   बताया, ‘मैंने टूटी हुई रेल लाइन देखी और परेशान हो गया। मैं जल्दी से अपने पिता जी को बताने के लिए दौड़ा।’ मंजुनाथ ने पहले तो बच्चे की बात को गंभीरता से नहीं लिया लेकिन नन्हा सिद्देश उन्हें खींचकर रेलवे ट्रेक की ओर ले गया। वहां मंजुनाथ ने देखा की रेल लाइन तो सचमुच टूटी हुई है। वहां कुछ और लोग भी इकट्ठे हुए थे लेकिन वह समझ नहीं पा रहे थे कि इस बारे में क्या किया जाए। तब तक तो कुछ ट्रेनें वहां से गुजर भी चुकी थीं।

मंजुनाथ ने बताया  कि Siddesh हर रोज ट्रेनों को आते-जाते सुनता है और उनकी आवाज से अच्छी तरह वाकिफ है। सिद्देश की मां अंसुयम्मा ने बताया कि उनके  बेटे ने अपनी लाल टी शर्ट एक डंडे में लपेट दी और उसे लहराने लगा। उस समय हुबली- चिद्रांगदा एक्सप्रेस वहां से होकर गुजरने वाली थी।’

 वही रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि गर्मियों में अक्सर रेल लाइनें टेढ़ी-मेंढ़ी हो जाती हैं। कुछ यात्रियों ने सिद्देश की तारीफ की और जिला प्रशासन से उस बहादुरी के लिए अवॉर्ड दिलाने की अपील की। सिद्देश के स्कूल की हेडमास्टर गायत्री देवी एमसी ने कहा कि वह एक औसत स्टूडेंट है और पढ़ाई के अलावा दूसरी गतिविधियों में भी आगे रहता है। अब हेडमास्टर को लगता है कि वह एक बहादुर बच्चा है जिसने कई जिंदगियां बचाईं हैं।रेलवे स्टेशन मैनेजर ने कहा कि हमारे इंजिनियर ने बच्चे का शुक्रिया अदा किया और इनाम को तौर पर 500 रुपये दिए। हम  Brave boy Siddesh को ब्रेवरी अवॉर्डदिलाने की सिफारिश भी करेंगे।

 बात किसी भी तरह के पुरस्कार की नही है बात है कि किस खबर की कितनी अहमियत है अगर इस बहादुर बच्चे की खबर दिखाई जाए तो निसंदेह और भी बच्चे प्रेरणा ले कर अपने चारो तरफ हो रही गतिविधियों के प्रति सजग रह सकते है और एक भारतीय होने का फर्ज अदा कर सकते है.

मुझे व्यक्तिगत रुप से खबर बेहद प्रेरक लगी . इसलिए इसे विस्तार मे दिया. और भविष्य मे भी इस तरह की खबरों पर मेरी नजर रहेगी और ऐसे बहादुर बच्चों  के बारे मे लगातार लिखती रहूगी

बधाई और ढेर सारी शुभ कामनाएं सिद्देश !!! Siddesh  हमें आप पर गर्व है!!!  Brave boy Siddesh … Wow !!!

March 9, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

Woh Tees Din

woh tees din monica

Woh Tees Din

http://www.nbtindia.gov.in/books_detail__10__nehru-bal-pustakalaya__1676__wo-tees-din.nbt  “नेशनल बुक ट्र्स्ट” की और से प्रकाशित मेरा लिखा बाल उपन्यास ” वो तीस दिन”अब On line हो गया है
अब ना सिर्फ आप इसे आर्डर पर भी मंगवा सकते हैं बल्कि On line पढ भी सकते हैं… !!

 मुझे पूरी उम्मीद है कि आप इसे जरुर पढेंगें और अपने विचारों से अवगत करवाएगें ताकि लेखन में और ज्यादा निखार ला सकूं !!!

Woh Tees Din

February 26, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

दीदी की चिठ्ठी

   दीदी की चिठ्ठी

हैल्लो नन्हे दोस्तों,


कैसे हो?

कुछ दिन पहले नेहा स्कूल जाते हुए साईकिल से गिर गई. ज्यादा चोट तो नही आई पर डाक्टर ने उन्हे पांच दिन आराम करने को कहा. नेहा बहुत पढाकू लडकी थी. हर रोज स्कूल जाना ही उसे पसंद था. इसलिए जब उसकी टीचर को पता चला तो उन्होने कहा कि कोई बात नही. वो जो भी स्कूल मे पढाएगी शाम को उसके घर आकर समझा जाया करेगी. चार पाचं दिन टीचर उनके घर आकर स्कूल का पाठ समझाने लगी.

नेहा के बीमारी वाले दिन कैसे आराम से बीत गए पता भी नही चला. ऐसे ही दीपा के दादा रिटायर हो गए थे. सारा दिन कैसे घर मे खाली रहेगें यही सोच सोच के वो बहुत परेशान थे. रिटायरमेंट के अगले ही दिन पडोस मे रहने वाली अनु अपनी बिटिया को लेकर आ गई कि दादा जी आप इसे इतिहास पढाईए.

वहीं कालिज मे पढने वाला राजेश हर शाम अपना लेपटाप ले आता और दादा जी को नेट का इस्तेमाल सीखाता.इतना ही नही उनकी उम्र के लोगो ने हर सुबह और हर शाम सैर का प्रोग्राम बना लिया. ऐसे ही मिल जुल कर दिन हंसी खुशी मे दिन बीतने लगे. इसलिए जितनी भी हम खुशियां बांट् सके बाटंनी चाहिए. या दूसरे शब्दो मे यह भी कह सकते हैं कि खुशियां चंदन की तरह होती हैं अगर हम दूसरे के माथे पर लगाएगे तो हमारी भी ऊगंलियां महक उठेगी.
आपकी दीदी

मोनिका गुप्ता

दीदी की चिठ्ठी कैसी लगी … जरुर बताना 🙂

 

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