Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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April 20, 2015 By Monica Gupta

माँ

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माँ

सुखद अहसास है माँ
जिसमे रुई की सी कोमलता
शहद की सी मिठास
तेल की धार जैसा सतत बहता प्यार
लेकिन एक दिन
अचानक

मायने बदल गए
शादी के बाद
माँ के माँजी होते ही वो सुखद अहसास हवा हो गए
क्योकि उस “जी” मे छिपी थी

कठोरता, कडकपन और पराएपन की सी अनबुझी दीवार
यौवन पर था ईर्ष्र्या का ज्वार भाटा

वक्त बेवक्त कुछ तलाशती पैनी निगाहें
दिल मे मचा रही थी अजीब हलचल,
ऐसा क्यू होता है
सच
“जी” लगाते ही आखिर क्यो बदल जाते हैं मायने

क्यो खत्म हो जाता है अपनापन
मानो “ज़ी” की खडी हो गई हो इक दीवार
जिसमे ना कोई खिडकी ना ही रोशन दान

है तो बस घुटन ही घुटन
काश
हमेशा के लिए हट जाए “जी”
माँ माँ ही बनी रहे
“ज़ी” को जमीन निगल जाए
और माँ बरसात की पहली फुहार जैसे
सौंधी सौंधी महक लिए
तन मन को महका जाए

बस , माँ के दोनो ही रुप
अथाह स्नेह सागर बरसाए

क्योकि सुखद अहसास है माँ

आपको कविता कैसी लगी ?? जरुर बताईएगा !!

April 20, 2015 By Monica Gupta

जी में आता है

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जी में आता है  … (कविता)

जी में आता है
ये बदल दू
वो बदल दूं
कुछ ऐसा लिखू
कि मच जाए हलचल
सुप्त समाज मे भर दूं नव चेतना
भर दू रंग इस बेरंग दुनिया में
अंधियारी गलियो मे भर दूं नई रोशनी
फिर
अनायास ही ठिठक जाती हूं
क्योंकि
मैं भी उसी समाज का हिस्सा हूं
कौन देगा मौका
कौन सुनेगा बात
ना रुपया ना सिफारिश मेरे पास
मेरी कलम कैसे कह पाएगी अपने दिल की बात
फिर बैठे बैठे जी भर आया
अपनी लिखी कविता को फिर दिल से लगाया …

जी में आता है…. कविता कैसी लगी ? जरुर बताईएगा !!!

April 20, 2015 By Monica Gupta

इतवारी धूप

sun rays photo

 

इतवारी धूप ( कविता)

रोजमर्रा की भाग दौड में
अक्सर धूप नजर नही आती

पर

मेरे घर का है एक कोना
जंहा से इतवारी धूप छ्न छ्न कर है आती
उस कोने मे

किरणे
अपने कणो से अठखेलियां है करती
रिझाती, उलझाती, सहलाती
और
अपनी तपिश से
नई स्फूर्ति जगाती

खिला खिला रहता है
सर्द इतवारी धूप से वो कोना
क्योकि
रोजमर्रा की भागदौड में
अक्सर वो नजर नही आता ….!!!

इतवारी धूप

 

March 15, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

Mahila

मोनिका गुप्ता

मोनिका गुप्ता

Mahila

Mahila नामक  कविता मैनें नारी जगत को प्रेरित करने के लिए लिखी है. असल में, हम महिलाए, अक्सर  घबरा कर चुपचाप बैठ जाती है जबकि अगर हम हिम्मत , बहादुरी और दिलेरी से सामना करेंगें तो  मुसीबत दुम दबाती नजर आएगी .. ऐसे  तनाव भरे माहौल से  महिलाओ को जागृत करने के लिए इसे लिखा है ….

बढती चल …

बढती चल तू कदम बढा. दुनिया मे अलग पहचान बना

कर हिम्मत मत सिर को झुका

संशय नही

अनूप तू, अपवाद तू

विराट तू और इष्ट तू

अविरल है तू रत्नाकर तू

उदगम है तू उन्मुक्त तू

उल्लास और  उडान तू

चपल तू करिशमा तू

योग्य तू सरताज तू

ज्वलंत तू ,नियति है तू

परिवेक्ष का है साक्ष्य तू

यश तू प्रतिभा है तू

सहज तू सोम है तू

कर सुधा का पान तू 

कर नव विहान का सूत्रपात

जन जागरुकता की ऐसी  अलख जगा

बस बढती चल तू कदम बढा

दुनिया मे अलग पहचान बना.

 Mahila आज के माहौल में महिला सशक्तिकरण की बात करने से पहले हमें इस सवाल का जवाब ढूंढना जरूरी है कि क्या सशक्तिकरण के जमानें में क्या वास्तव में महिलायें सशक्त हैं ?

इतिहास गवाह है कि मानव सभ्यता के विकास के साथ साथ “ताकतवर को ही अधिकार” मिला है। और धीरे-धीरे इसी सिद्धांत को अपनाकर पुरुष जाति ने अपने शारिरीक बनावट का फ़यदा उठाते हुऐ महिलाओं को दोयम दर्जे पर ला कर खड़ा कर दिया औऱ महिलाओं  ने भी उसे अपना नसीब व नियति समझकर, स्वीकार कर लिया।

चाहे सीता हो या  द्रौपदी तक को पुरुषवादी मानसिकता से दो-चार होना पड़ा.  हर युग में पुरुष के वर्चस्व की कीमत औरतों ने चुकाई है या उसे चुकाने पर मजबूर होना पड़ा. आज के समय मेंसंयमी और आत्मविश्वासी बनने की बहुत अधिक आवश्यकता है और उनका मनोबल बढाने के लिए ये कविता लिखी है.

महिला (Mahila) कविता कैसी लगी ?? जरुर बताईएगा !!

July 2, 2014 By Monica Gupta Leave a Comment

फिर कभी और सही

Photo by Leda Carter

Photo by Leda Carter

 फिर कभी और सही …. (कविता)

कुछ अल्फाजों को मन के पिंजरे से आजाद तो करना चाह्ती हूं

पर

डरती हूं

कोई इन्हे आहत न कर दे

या

पढ कर किसी के अश्रू न छ्लक जाए

या

चुरा कर कोई अपने ही पिंजरे मे कैद न कर ले

सोचती हूं

हर खुशी , गम , नाराजगी में बरसों से सहेजा है इनको

बहुत अजीज हो चुके हैं ये मेरे

बस

एक टक निहार कर कैद ही रहने दिया

और

रोक लिया आज भी इन्हे उडान भरने से

कभी खुद ब खुद ही ढलक जाए तो अलग बात है

वैसे

फिर कभी और सही ( मोनिका ग़ुप्ता)

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