Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

  • About Me
  • Blog
  • Contact
  • Home
  • Blog
  • Articles
    • Poems
    • Stories
  • Blogging
    • Blogging Tips
  • Cartoons
  • Audios
  • Videos
  • Kids n Teens
  • Contact
You are here: Home / Archives for Stories

June 25, 2015 By Monica Gupta

पतंग बनी तीर कमान

पतंग बनी तीर कमान

(बच्चों की कहानी)

पतंग का मौसम वैसे तो उड़न छू हो गया था पर नन्हे गोलू को पतंगों का इतना शौक था कि उसने पतंग सम्भाल कर रखी हुर्इ थी। वह सोच रहा था किसी दिन जब तेज हवा चलेगी तब वो पतंग उड़ाऐगा। एक दिन शाम को जब मौसम सुहावना हुआ। बादलों के साथ-साथ हवा भी खूब तेज चलने लगी तब गोलू अपनी पतंग लेकर छत पर जा पहुँचा। वहाँ अचानक ड़ोर उसके पाँव में उलझ गर्इ और पतंग दो जगह से फट गर्इ। गोलू उदास होकर बैठ गया कि अब क्या करे किससे खेलें।

वो चुपचाप बैठ कर पतंग को उल्ट-पुल्ट कर देखने लगा तभी उसके मन में एक विचार आया। उसने बड़ी सफार्इ से पतंग का कागज फाड़ ड़ाला। अब उसमें रह गर्इ दो सीखनुमा ड़ण्ड़ी । एक थोड़ी गोलार्इ में और एक सीधी। उसने गोलार्इ वाली ड़ण्ड़ी और लम्बी ड़ण्ड़ी को अलग करके गोलार्इ वाली ड़ण्ड़ी में एक दूसरे तरफ लम्बार्इ में धागा बाँध दिया और वो बन गया कमान के आकार का और जो दूसरी ड़ण्ड़ी थी वो अपने आप तीर बन गर्इ थी। गोलू अपनी इस उपलबिध पर बड़ा खुश हुआ कि पतंग से उसने तीर-कमान बना लिया और वो नीचे अपने मम्मी-पापा को बताने भागा। उन्होनें भी उसके विचार की बहुत तारीफ की और समझाया भी कि तीर कमान ध्यान से खेलना किसी को चोट ना पहुँचें। मम्मी की बात का समर्थन करता हुआ वो अपने दोस्त मोना और पिन्टू को दिखाने उनके घर भागा।

 

boy flying kite photo

Photo by G’s memories

 

पतंग बनी तीर कमान … कैसी लगी … जरुर बताईएगा 🙂

June 24, 2015 By Monica Gupta

अजय का सपना

 

kids story by monica gupta

अजय का सपना बिना मात्रा के मजेदार बाल कहानी है

जब कोई बच्चा नया नया पढना सीखता है तो उसे कहानियां पढने का बहुत शौक होता है पर ज्यादा मात्राओं की समझ  न होने के कारण वो पढ नही पाता  इसलिए मैने कुछ अलग अलग प्रयास किए ताकि वो बच्चे जिन्होने हाल ही मे पढना सीखा है और मात्राए लगाना नही जानते बस आ की मात्रा ही आती है ये कहानी उन बच्चों के लिए है देखिए कैसे फटाफट पढ लेंगें वो ये मजेदार बाल कहानी

अजय का सपना

(वह बच्चें जिन्होनें अभी सिर्फ आ की मात्रा लगाना सीखा है वे यह बाल कथा पढ़ सकते हैं क्योंकि इसमें सिर्फ आ की मात्रा का प्रयोग किया गया है।)

अजय चार साल का नटखट बालक था। अमन उसका बड़ा भार्इ था। अमन समझदार था। वह समय पर पाठशाला जाता। अमन पाठ याद करता पर अजय का जब मन करता तब जाता जब मन ना करता तब बहाना बना कर घर पर ठहर जाता। वह पापा का लाड़ला था। अमन सब समझता था। वह पाठशाला जाता-जाता यह गाना गाता जाता कल बनाना नया बहाना।

एक बार अचानक आवश्यक काम आ गया। माँ तथा पापा कार पर शहर गए। अजय साथ जाना चाह रहा था पर पापा दरवाजा बंद कर बाहर ताला लगा गए। बस, घर पर अजय तथा अमन रह गए।

अमन छत पर समाचार पत्र पढ़ रहा था। उस पर बदमाश तहलका लाल का नाम छपा था। वह तलवार वाला खतरनाक बदमाश था। अजय उसका नाम जानकर ड़र गया। अचानक आसमान पर काला बादल छा गया। घर का दरवाजा खट-खट बज उठा। अजय छत पर ड़रकर खड़ा गाल पर हाथ रखकर पापा-पापा रट रहा था।

यकायक वह बदमाश छत पर आ टपका। उसका रंग एकदम काला था। हाथ पर लाल कपड़ा बंधा था। वह तलवार पकड़ अजय पर लपका तथा हंसा। जब बालक पाठशाला ना जाता, तब हम आता उसका कान काट का जाता, हा! हा! हा!

अजय अचानक ड़र कर मचल गया। वह जाग गया। वाह! वह सब सपना था। अमन पाठशाला जाकर घर आ गया था तथा खाना खा रहा था। बाहर आसमान साफ था। वह माँ, पापा, अजय आवाज लगाता भागा तथा अपना सारा सपना बताया।

अब वह कल पाठशाला जाना चाह रहा था। अमन खाना खाता, मजाक बनाता कह उठा, हाँ……..हाँ कल बनाना नया बहाना पर अजय कह उठा कल बहाना ना बनाऊँगा झटपट उठकर पाठशाला जाऊँगा तथा अपना कान पकड़ कर हँस पड़ा।

अजय का सपना बहुत साल पहले राजस्थान पत्रिका जयपुर से प्रकाशित हुई थी. आप बताओ कि आपको कहानी कैसी लगी !!!

June 24, 2015 By Monica Gupta

Story Time

Story Time ( बच्चों की कहानी )

W की मिठा E
(अंग्रेजी वर्णमाला से बनी कहानी )

W बहुत ही छोटा पर शरारती बच्चा था। मम्मी k कहने पर उस k  डैD  ने  उसे A टू Z Vधालय में भर्ती करवा दिया। उनका Vधालय   jल  K पास होने कारण वहाँ अक्सर c पाही घूमते रहते थे। बच्चों को उन्हें देखना अच्छा लगता था। सड़क K  दूसरी  Oर Bकानेरी नमकीन और Kक की दुकानें थी। बच्चों की पाठशाला में उन्हें पढ़ार्इ के साथ-साथ अच्छी-अच्छी बातें भी C खाते थे।

Aक बार उनकी कक्षा में नोटिस आया कि जो बच्चा सबसे अच्छी Cख अथवा Vचार देगा उसे प्राध्यापिका E नाम में मिठाE देंगी W तो नया-नया ही Vधालय गया था, पर मिठाE का नाम सुनते ही उसके मुँह में पानी आ गया।

उनकी नैंC   Tचर कक्षा में आर्इ और एक-एक बच्चें को अपने पास बुलाकर उनK Vचार और  Cख सुनने लगी।

सबसे पहले  Aकता ने बताया कि kला खाकर छिलका कूड़ेदान में ही फैंकना चाहिए।

Tटू बोला दूध Pकर ताकतवर बनना चाहिए।

मUर बोला जब दो लोग बातें कर रहें हों तो Bच में नहीं बोलना चाहिए।

कPश ने बताया कि सभी से Sसी वैसी बातें ना करके Cधे मुँह बात करनी चाहिए। कभी भी Pठ  Pच्छे नहीं बोलना चाहिए।

Bना ने कहा के Eश्वर में Vश्वास रखना चाहिए। उनकी पूजा करके Rती उतारनी चाहिए।

Dम्पी चुप बैठा था। Tचर के पूछने पर उसने बताया कि वो Bमार है। अब बारी आर्इ की। खाने के शौकीन ने बताया कि ज्यादा  Kक और Iस्क्रीम नही खानी चाहिए Qकि कर्इ बार चटपT चीजों से भी पेट दर्द हो जाता है, इसीलिए हल्का खाना ही खाना चाहिए। यह सुनकर सभी बच्चे हँस पड़े।

Gतेन्द्र आज कक्षा में नही आया था क्योंकि वो Cकर (राजस्थान) गया था।

सिY   Oमी,  Uवी, Eना और Eशा के इलावा सभी ने अपने Aचार  Vर को बताए। उधर Tना चुपचाप बैठी रही Qकि वो घर से लड़कर I थी।

T चर सभी बच्चों के Vचार लेकर प्राध्यापिका के पास गर्इ।

उन्हें सभी बच्चों के Vचार इतने पसन्द आए कि खुश होकर उन्होने सभी बच्चों को मिठाE  Eनाम में दी। बच्चों ने Aक साथ मिलकर मिठाE  खार्इ और इतने में छुटटी की घंT भी बज गर्इ।

Publised in 98 in  Rajisthan Patrika Jaipur  articel in rajasthan patrika

कहानी कैसी लगी … जरुर बताईएगा 🙂

 

 

June 24, 2015 By Monica Gupta

बाल कहानी

बाल कहानी

  100रभ की 6तरी

( अंको को शब्दों के साथ जोड़कर कहानी का आनन्द लें)

2पहर के समय बर7 शुरू हो गर्इ। स्कूल से लौटते समय 100रभ ने अपनी कमीज की आस् 3 ऊपर कर ली थी। उसने पिताजी को बहुत बार 6तरी लाने को कहा था पर वो टाल देते थे। आज उसका जन्मदिन है पर उसकी 100तेली माँ ने उसे अभी तक बधार्इ भी नही दी। जब उसने स्कूल में अपने 2स्तों को यह बात बतार्इ तो वह उल्टे ही 100रभ के कान भरने लगे कि 100तेली माँ के आ4-वि4 अच्छे नही होते। वह हमेशा बच्चों में 2ष ही निकालती हैं और अत्या4 करती हैं। कर्इ बार तो उन्हें 6ड़ी से भी पीटती है। कर्इ बार तो बच्चे इतने ला4 हो जाते है कि घर से भागने की 9बत ही आ जाती है।

स्कूल की छुटटी के बाद वह सोचता हुआ जा रहा था कि 100तेली माँ से उसकी कभी अनबन भी नही हुर्इ पर आज उन्होनें बधार्इ क्यों नही दी। क्या वो भी उसे घर से निकाल देंगीं? लगता है, अब तो पिताजी भी उसे प्यार नही करते। 6तरी भी शायद इसीलिए नही लाकर दे रहे हैं। इसी सोच में उसे रास्ते में 1ता दीदी मिली। वो हमेशा वे2 के बारे में अच्छी-अच्छी बातें बताया करती थी। उन्होनें उसके घर का समा4 जाना और 2राहें पर से अपने घर चली गर्इ। वो 6मियाँ राम जी की 2ती थी। उसके और 100रभ के पिताजी बहुत अच्छे 2स्त थे। 1ता दीदी के पिताजी 9सेना में 9करी करते थे और 100रभ के पिता सवार्इ मानसिंह में रोगियों का उप4 करते।

यही सोचते-सोचते उसका घर आ गया और उसने ड़रते-ड़रते दरवाजे़ पर 10तक दी पर दरवाज़ें खुला था। कमरे में किसी की आहट ना पाकर वो चुपचाप अपने कमरे में चला गया। उसकी हैरानी की कोर्इ सीमा नही रही जब उसने अपनी 4पार्इ पर 100गात रखी देखी। 100गात खोलने पर उसमें सुन्दर सी 6तरी मिली। जैसे ही उसने पलट कर देखा तो उसकी माताजी और पिताजी जन्मदिन की बधार्इ ताली बजा कर दे रहे थे। उस समय तीनों की आँखें नम थी।

आज का दिन 100रभ के लिए ढ़ेरो खुशियाँ लेकर आया था। उसे अपनी माँ का प्यार मिला। माँ ने बताया कि शाम को तोहफा देकर चौंका देना चाहते थे। इसीलिए सुबह बधार्इ नही दी। अब उसके मन में कोर्इ शंका नही थी कि मम्मी पापा उसे बहुत प्यार करतें हैं। अपनी नर्इ 6तरी लेकर वो 2स्तों को दिखाने बाहर भागा। बाहर धूप निकल आर्इ थी और सुन्दर सा इन्द्रधनुष सुनहरी 6ठा बिखेर रहा था।

umberella photo

Photo by oatsy40

रोचक बाल कहानी 100रभ की छतरी

राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित हुई कहानी

आपको कैसी लगी … जरुर जरुर बताईगा 🙂

June 17, 2015 By Monica Gupta

एक पत्र चोर के नाम

एक पत्र चोर के नाम

बाल साहित्य लेखन बच्चे की तरह  बहुत  मासूम होता है और इसे लिखते वक्त बाल मन मे उठने वाली सभी भावनाओ को पिरोना होता है… बाल साहित्य लिखना किसी चैलेंज़ से कम नही…

बच्चे का पैगाम, चोर के नाम

समझ नहीं आ रहा कि तुम्हें किस नाम से सम्बोधन करूँ प्रिय, तो तुम हो ही नहीं सकते क्योंकि तुमनें घर में मेरे मम्मी-पापा और बूढ़े दादा-दादी को बहुत रूलाया है। अन्य कोर्इ आपत्त्तिजनक सम्बोधन मैं कर नहीं सकता क्योंकि मेरे परिवार से मुझे ऐसे संस्कार ही नहीं मिले। लेकिन एक बात तो तय है कि तुम बुरे हो…………बहुत बुरे हो।

child photo

कल ही की तो बात है सुबह से हम कितने खुश थे। मुझे पता लगा था कि हमारे घर नन्हा-मुन्हा मेहमान आने वाला है। मम्मी भी कितनी प्यारी लग रही थी, भगवान जी के सामने हाथ जोड़कर वह कितनी देर तक लक्ष्मी माँ को निहार रही थी और सुबह से ना जाने कितनी बार मेरा माथा चूम रही थी।

शाम को मैंने ही जिदद की थी कि हम होटल में खाना खाने जाऐंगे, मम्मी का भी चटपटी चीज खाने को मन था। अत: पापा भी दफ्तर से जल्दी छुटटी लेकर आ गए थे। वह सरकारी नौकरी में हैं, पहले मेरे दादू भी सरकारी नौकरी में थे पर रिटायर होने के पश्चात वह गाँव में रहने लगे। मम्मी की खुशखबरी सुनकर वह और दादी भी बधार्इ देने आए थे।

अगले महीने मेरे चाचा की शादी होनी थी तो खूब खरीददारी भी चल रही थी। मैंने घोड़ी पर चाचा के साथ बैठना था इसलिए मेरी अचकन, पगड़ी और बहुत बड़ा मोतियों का हार लाए थे। मम्मी ने सब सम्भाल कर अपनी अलमारी में रखा हुआ था। माँ ने भी अपने पसन्द की सुन्दर साडि़यां खरीदी थी और पापा ने भी ढ़ेर सारी खरीददारी की थी।
चोर, तुम तो जानते ही हो, र्इमानदारी से सरकारी नौकरी करने वाले की आय क्या होती है। वैसे, मेरे पापा ने हमें किसी भी चीज़ की कभी तंगी नहीं होने दी। वह सिर ऊँचा करके चलते और कभी भी गलत बात सहन नही करते थे। अच्छा तो मैं बता रहा था कि शाम को होटल से खाना खाकर जब हम निकले तो सोचा अगर सिनेमा के टिकट मिल जाते हैं तो शो ही देख लेंगे। भाग्यवश कहो या दुर्भाग्य वश टिकट मिल गए और हम रात को बारह बजे घर पहुंचे।
पापा को घर पहुंचते ही कुछ गड़बड़ लगी। पापा लार्इट जला कर जेब से चाबी निकाल ही रहे थे कि दरवाजे का ताला टूटा पड़ा था। पापा स्वयं को संयत करके दादू का हाथ पकड़ कर घर के अन्दर दाखिल हुए तो घर खाली-खाली सा नजर आ रहा था। टी.वी., टेप-रिकार्डर  और दीवार घड़ी कहीं नजर नहीं आ रहे थे।
पूरे घर को इस तरह से उलट-पुलट कर रखा था मानों अभी-अभी भूचाल आया हो। मम्मी की अलमारी से सारे कपड़े जमीन पर बिखरे पड़े थे और उसमे रखा नकदी और जेवर सब गायब था। वैसे मुझे पता नहीं मम्मी के पास क्या-क्या था पर इतना पता है कि मम्मी एकदम सन्न होकर पलंग पर गिर पड़ी थी और पापा ने मुझे पानी लाने के लिए दौड़ाया।
रसोर्इघर के पास ही हमारा छोटा सा मंदिर है उस लक्ष्मी गणेशजी के मंदिर में रखा सारा चढ़ावा भी ले गए और हनुमान जी की गुल्लक को जमीन पर फैंक कर उसे तोड़ कर उनकी रोजगारी भी ले गए। मुझे परसों ही कक्षा में प्रथम आने पर सोने का तमगा (गोल्ड़ मैड़ल) मिला था जोकि मैंने गणेश जी की मूर्ति गिरा कर ले गए।
हर कमरे का ताला टूटा हुआ था। कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। पडोसी भी सब घर पर इकटठा हो रहे थे। सदा मुस्कुराने वाली मेरी मम्मी को देख कर मेरी आँखों से आँसू बहे ही जा रहे थे। मम्मी की नर्इ साडि़यां, मेरी शादी के लिए तैयार की गर्इ अचकन भी ले गए। हमारे ही घर का सामान, हमारी ही अटैची और बैग में भर-भर कर ले गए।
पता नहीं, तुम कितने लोग आए थे और क्यों आए थे। आखिर हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था। मुझे पता है कि पापा ने किस तरह रूपया-रूपया जोड़कर छोटा सा रंगीन  टेलिविज़न खरीदा था और मेरी मम्मी कालोनी के बच्चों को घर पर पढ़ाती ताकि मैं सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ संकू।
लेकिन आज मैं बहुत उदास बेबस और मायूस महसूस कर रहा हूँ

और चोर, तुमको पत्र लिख रहा हूँ। पापा मेरे आँसू पोंछते हैं लेकिन खुद के दस-दस आंसू टपक जाते हैं, मुझे हिम्मत देते हैं और खुद………… कमजोर पड़ जाते हैं। अचानक मम्मी को रात ही को अस्पताल ले जाना पड़ा मुझे नहीं पता क्या बात है पर दादी ने बताया कि अचानक उनकी तबियत खराब हो गई अब वह कल वापिस घर आऐंगी। मुझे ज्यादा समझ तो नही पर इतना जरुर कह सकता हूं कि कोई न कोई बात मुझसे जरुर चिइपाई जा रही थी क्योकि अस्पताल से आने के बाद सभी दबी आवाज में कुछ बातें कर रहे थे.
घर में पुलिस भी आर्इ। उन्होंने हमारे बयान  भी लिखे पर सामान कब मिलेगा और मिलेगा या नहीं इसका किसी को नहीं पता। पर इतना पता है आज खुशी हमारे घर से दो सौ मील दूर भाग गर्इ हैं। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि वह समय के साथ सब ठीक कर देगा और मेरी मम्मी भी अस्पताल से जल्दी ही वापिस आ जाएगी।
चोर, अगर जाने-अनजाने तुम मेरा यह लेख पढ़ रहे हो तो मैं तुम्हारे सामने आँसू भरी आँखें और हाथ जोड़ कर विनती करता हूँ कि प्लीज़, चोरी करना छोड़ दो। इस महंगार्इ के समय में हर आदमी तिनका-तिनका जोड़ कर अपना आशियाना बनाता है तुम उसे एक झटके में मत ले जाओ…….. मत ले जाओ…….. मत ले जाओ……..

एक बच्चे का चोर के नाम पैगाम आपको कैसा लगा ??? जरुर बताईएगा !!!

June 17, 2015 By Monica Gupta

बाल कहानी अहसास

 

 writing on paper photo

बाल कहानी अहसास

प्रिय मम्मी,

मुझे समझ नहीं आ रहा कि आपको क्या और कैसे लिखूं पर मुझे माफ कर दो। मेरी उन गलतियों की जोकि मैंने की और आपको तंग किया। आप आज अस्पताल में मेरी ही वजह से हैं, लेकिन सच मानो, मेरा न तो कोर्इ गन्दा दोस्त है और न ही मैं इंटरनेट या टी.वी. देखकर बिगड़ा हूं। मुझे खुद भी नहीं पता कि मैं ऐसा क्यों हो रहा हूं। वैसे तो मैंने बहुत गलतियां की हैं पर कुछ एक के लिए मैं ………………!आपको याद होगा कि एक दिन आपने मुझसे बार-बार पूछा था कि चुप-चुप क्यों हूं। असल में मैंने जानबूझ कर अनिल को बाल मारी थी। उसे आँख के नीचे सात टांके लगे थे। नोटिस मिला कि आपको बुलाया है तो मैंने झूठ-मूठ अपनी तरफ से ही लिख दिया कि मैं बीमार हूं इसलिए आ नहीं सकती। आपके सार्इन भी कर दिए थे। झूठ के हस्ताक्षर किये थे ना इसलिए डर रहा था कि सच्चार्इ पता लगेगी तो मैं फँस ही ना जाऊँ। एक बार जब आपने मेरी पसन्द का खाना नहीं बनाया तो मैं मुंह फुला कर अपने कमरे में चला गया था।

सन्नी लिख ही रहा था तभी दरवाजे की घंटी बजी। सन्नी ने फटाफट अपनी चिठ्ठी तकिए के नीचे छिपा दी और दरवाजा खोलने चला गया। बाहर सन्नी के दादा जी खड़े थे। वो अन्दर आ गए और बोले कि उसकी मम्मी को ग्लूकोज लग रहा है, ब्लड़ प्रेशर बहुत कम है। एक घण्टे में उसके पापा खिचड़ी लेने आएंगे। चाची बनाकर तैयार रखेगी। सभी ने हामी की मुद्रा में गर्दन हिला दी। चाची मम्मी की बीमारी के कारण कुछ दिनों के लिए यहां आर्इ हुर्इ हैं, पर चाची को अपने बेटे नमन के अलावा कोर्इ दिखता ही नहीं, सन्नी से तो वो सीधे मुंह बात ही नहीं करती। कल मैगी बनार्इ और चाकलेट केक बनाया तो सारा अकेले ही नमन ही खा गया। सन्नी सोच रहा था कि मम्मी होती तो उसका कितना ख्याल रखती। सन्नी ने दादाजी को बताया कि उसकी चाची अभी बाजार गर्इ हुर्इ है। आने वाली होगी।

दादाजी अपना न्यूज चैनल लगा कर बैठ गए। सारा घर कितना गंदा हो रहा था। उसकी मम्मी सारा दिन घर कितना साफ रखती थी। सन्नी अपनी बात मम्मी तक चिठ्ठी के माध्यम से पहुंचाना चाह रहा था। उसे डर लग रहा था कि वो जल्दी से चिठ्ठी लिखे, और वो उड़ कर उसकी मम्मी तक पहुंच जाए और मम्मी उसको माफ करके ठीक होकर जल्दी से घर आ जाए।
सन्नी की मम्मी सन्नी को बहुत प्यार करती थी। पर जबसे सन्नी आठंवी क्लास में आया है तभी से कुछ बदल गया है। सीधे मुंह बात नहीं करता, उलटे सीधे जवाब देता, मम्मी कोर्इ घर का काम कहती तो साफ मना कर देता। मम्मी ने कर्इ बार प्यार से तो कर्इ बार गुस्से से समझाया पर उसने कभी समझने की कोशिश नहीं की। लेकिन आज शायद मम्मी को अस्पताल तक ले जाने का दोषी शायद वो खुद ही है।
सन्नी जल्दी से चिठ्ठी लिख कर मम्मी तक पहुंचाना चाहता था। वो चाह रहा था कि जब अस्पताल में मम्मी के लिए खिचड़ी जाए तो वो चिठ्ठी भी चली जाए। उसकी चाची भी बाजार से आ गर्इ थी और बर्तनों की उठा-पटक तेज हो गर्इ।
सन्नी अपने कमरे में गया और तकिए के नीचे से चिठ्ठी निकाली ………….. कमरे में चला गया था। उसने आगे लिखना शुरू किया …………. मम्मी, आपने बहुत मनाया और रात को होटल से खाना मंगवाने का वायदा भी किया पर मैं मुँह बना कर ही पड़ा रहा और उसी शाम मैंने आपके पर्स से पाँच सौ रूपये चुरा लिए थे। आप तो मेरे ऊपर शक कर ही नहीं सकती थी और काम वाली बाई तुलसी को आपने काम से निकाल दिया। वो बेचारी रोती रही कि उसने चोरी नहीं की ……….। उसके बाद आपने दूसरी कामवाली भी नहीं रखी और मैंने भी आपको सच्चार्इ नहीं बतार्इ। एक बार संजय अंकल आए थे तो मैंने उनकी सिग्रेट भी पी थी पर थोड़ी सी।
जब आप हर रोज सुबह मुझे स्कूल जाने के लिए उठाती, मुझे दूध देती और मेरे बालों को सहलाती तो मुझे बड़ा गुस्सा आता कि क्या है, सुबह-सुबह मेरी नींद खराब कर देती हैं ……….. काश मम्मी की तबियत ही खराब हो जाए ताकि न मुझे दूध पीना पड़े और न ही स्कूल जाना पड़े। सारा दिन घर पर मजे से बैठ कर टी.वी. देखूं। पर मम्मी, सच, आज आपको अस्पताल गए चार दिन हो गए हैं। लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि चालीस दिन हो गए हैं।

मम्मी, आपकी बहुत याद आ रही है अब प्लीज, घर आ जाओ। मेरी सारी गलतियों की सजा पिटार्इ करके दे दो। सन्नी के लिखे अक्षर धुंधले हो गए। पर वो जल्दी से चिठ्ठी लिखकर उसे मम्मी तक पहुंचाना चाह रहा था इसलिए उसने फटाफट आँसू पोंछे और लिखना जारी रखा।
मम्मी, मैं आपसे माफी मांगता हूं और वायदा करता हूं कि जितना प्यार से आप मुझसे बात करती हो उससे भी ज्यादा प्यार से रहूंगा आपका कहना मानूंगा और आपके हाथ से सुबह-सुबह दूध पी पीऊंगा। मम्मी पता है आज मैं मंदिर भी गया था वहां से चरणामृत पीकर आपकी तबियत की भगवान से विनती की कि हे भगवान जी, मेरी मम्मी को फटाफट ठीक कर दो।
तभी आवाज आर्इ कि उसकी चाची ने सारा सामान टोकरी में रख दिया है। सन्नी के पापा भी घर आ गए थे बोले कुछ तबियत ठीक है। उसने फटाफट कागज मोड़ कर उस पर ‘सिर्फ मम्मी के लिए लिख दिया और प्लेट के नीचे नैपकिन के ऊपर अपनी चिठ्ठी को धड़कते दिल से रख दिया। मम्मी का हँसता चेहरा बार-बार उसे नज़र आ रहा था।
पापा जल्दी में थे और चले गए। सन्नी डर रहा था। मम्मी पढ़ेगी तो क्या सोचेगी ……….. अगर उस चिठ्ठी को किसी और ने पढ़ लिया तो ……….!!
पर अब कुछ नहीं हो सकता था चिठ्ठी जा चुकी थी। सन्नी को खुद पर गुस्सा आने लगा कि उसने इतनी जल्दी में चिठ्ठी क्यों दे दी। ना नीचे ढ़ंग से अपना नाम लिखा। बिना खाना खाए अपना कमरा ठीक करके वो चुपचाप सो गया। चाची एक बार उससे खाने का पूछने आर्इ लेकिन उसके मना करने पर उन्होंने दुबारा उससे पूछा नहीं। बस, अब सन्नी मन ही मन चाह रहा था कि मम्मी जल्दी घर आ जाए …………. तो वो कभी भी मम्मी को तंग नहीं करेगा। उधर उसे चिठ्ठी का भी डर लग रहा था कि मम्मी उसके बारे में क्या सोचेंगी। वो मन ही मन चाहने लगा कि मम्मी वो कागज देखे ही नहीं और खाना वापिस आने पर वो उस चिठ्ठी को फाड़ कर फैंक देगा। और हमेश के लिए अच्छा बच्चा बन जाएगा। यह बात भी बिल्कुल सच है कि उसकी मम्मी बहुत प्यार करती थी और जब वो बतमीजी से बोलता, कहना नहीं मानता तो वो उसकी बातें दिल से लगा लेती उधर से काम वाली बार्इ के जाने के बाद वो सारा काम खुद करने लगी। टैन्शन और काम के बोझ से अचानक उनकी तबियत बिगड़ गर्इ और अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा। आज सन्नी को महसूस हो रहा था कि वो मम्मी के बिना  कुछ भी नहीं। पापा तो काम में ही व्यस्त रहते हैं और दादी-दादा गाँव में रहते हैं चाची-चाचा दूसरे शहर में रहते हैं।
यहीं सोचते-सोचते वो सो गया। शाम को आँख खुली तो पापा की आवाज आ रही थी कि अस्पताल में उन्होंने खाना नहीं खाया। पर तबियत बेहतर है शायद कल घर ही आ जाए। सन्नी उठ कर बाहर भागा। उसने टोकरी में देखा तो चिठ्ठी वैसी ही रखी मिल गर्इ शायद किसी ने पढ़ी ही नहीं थी। सन्नी ने फटाफट टोकरी से वो चिठ्ठी निकाल कर उसे अपनी अलमारी में छिपा दिया। सोच कि समय मिलने पर फैंक दूंगा।
मम्मी कल घर आ जाएगी तो आज घर का माहौल कुछ हलका था। सन्नी सभी से बात कर रहा था और चाची के साथ घर की सफार्इ भी करवा रहा था। उसमें एक नया जोश भरा था।
बड़ी मुश्किल से दिन बीता। दोपहर को मम्मी घर आ गए। वो बहुत कमजोर लग रही थीं। सन्नी ने मम्मी को फल काट कर दिए। शाम को मम्मी के पास ही लेटा रहा था। एक-दो दिन में चाची और दादा जी भी चले गए थे। मौका मिलते ही उसने वो चिठठी भी फाड़ कर फैंक दी थी। मम्मी अब काफी ठीक होने लगी थी।

पर एक बात सन्नी को कभी पता नहीं लगेंगी कि उस दिन मम्मी ने उसकी चिठ्ठी पढ़ ली थी लेकिन सन्नी को महसूस तक नहीं होने दिया ताकि उसे दुख न हो कि उनके बेटे ने कितने गलत काम किए हैं। पर अब उसने गलती सुधार ली है और वायदा किया है तो उनके लिए यही बहुत था। उस दिन अस्पताल में चिठ्ठी पढ़ने के बाद उनसे खाना नहीं खाया गया और सन्नी की बाल सुलभ भावनाओं को समझते हुए चिठ्ठी उसकी जगह पर रखकर उन्होंने वापिस भिजवा दी थी। घर में ये बात किसी को भी पता नहीं चली।
अब सब ठीक है। सन्नी अच्छा बच्चा बन गया है। मम्मी का कहना मानता है और स्कूल में किसी से झगड़ा नहीं करता। सन्नी खुश है कि मम्मी ने उसकी चिठ्ठी नहीं पढ़ी और मम्मी खुश है कि सन्नी ने चिठ्ठी में अपनी सारी गलितयों को मानकर माफी माँग ली है और अब वो सुधर रहा है। तुलसी ने भी काम पर आना दुबारा से शुरू कर दिया। सन्नी ही उसे लेकर आया। मम्मी के पूछने पर सन्नी ने बताया कि जब आपकी तबियत बिल्कुल ठीक हो जाएगी तब दुबारा हटा देना। मम्मी ने सब जानते-बूझते उससे कुछ नहीं कहा और मेरा अच्छा बेटा कहकर उसे बाँहों में ले लिया।

बाल कहानी अहसास …. कहानी आपको कैसी लगी… आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार है 🙂

  • « Previous Page
  • 1
  • …
  • 6
  • 7
  • 8
  • 9
  • 10
  • Next Page »

Stay Connected

  • Facebook
  • Instagram
  • Pinterest
  • Twitter
  • YouTube

Categories

छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही

Blogging Tips in Hindi

Blogging Tips in Hindi Blogging यानि आज के समय में अपनी feeling अपने experience, अपने thoughts को शेयर करने के साथ साथ Source of Income का सबसे सशक्त माध्यम है  जिसे आज लोग अपना करियर बनाने में गर्व का अनुभव करने लगे हैं कि मैं हूं ब्लागर. बहुत लोग ऐसे हैं जो लम्बें समय से […]

GST बोले तो

GST बोले तो

GST बोले तो –  चाहे मीडिया हो या समाचार पत्र जीएसटी की खबरे ही खबरें सुनाई देती हैं पर हर कोई कंफ्यूज है कि आखिर होगा क्या  ?  क्या ये सही कदम है या  देशवासी दुखी ही रहें …  GST बोले तो Goods and Service Tax.  The full form of GST is Goods and Services Tax. […]

डर के आगे ही जीत है - डर दूर करने के तरीका ये भी

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन – Social Networking Sites aur Blog Writing –  Blog kya hai .कहां लिखें और अपना लिखा publish कैसे करे ? आप जानना चाहते हैं कि लिखने का शौक है लिखतें हैं पर पता नही उसे कहां पब्लिश करें … तो जहां तक पब्लिश करने की बात है तो सोशल मीडिया जिंदाबाद […]

  • Home
  • Blog
  • Articles
  • Cartoons
  • Audios
  • Videos
  • Poems
  • Stories
  • Kids n Teens
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Terms of Use
  • Disclaimer
  • Anti Spam Policy
  • Copyright Act Notice

© Copyright 2024-25 · Monica gupta · All Rights Reserved