Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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February 14, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

दर्द

husband wife sketch photo

Photo by Internet Archive Book Images

दर्द  ( कहानी)

 पचास वर्षीय राजेश बाबू ने सुबह सुबह करवट ली और हमेशा की तरह अपनी पत्नी मीता  को चाय बनाने को कहा और फिर रजाई ढक कर करवट ले ली.

कुछ पल उन्होने इंतजार की पर कोई हलचल ना होने पर उन्होने दुबारा आवाज दी.

ऐसा कभी भी नही हुआ था इसलिए राजेश बाबू ने लाईट जलाई और मीता को हिलाया पर कोई हलचल ना होने पर ना जाने वो घबरा से गए.

रजाई हटाई तो मीता निढाल सी  एक ओर पडी थी.

ना जाने रात ही रात मे क्या हो गया.

अचानक मीता का इस तरह से उनकी जिंदगी से हमेशा हमेशा ले लिए चले जाना …. असहनीय था.

धीरे धीरे जैसे पता चलता रहा लोग इकठठे होते रहे और उसका अंतिम संस्कार कर दिया.

एक हफ्ता किस तरह बीता उन्हे कुछ याद ही नही.  उन का एक ही बेटा था जोकि अमेरिका रहता था.

पढाई के बाद वही नौकरी कर ली थी.

बेटा आकर जाने की भी तैयारी कर रहा था.

उसने अपने पापा को भी साथ चलने को कहा और वो तैयार भी हो गए. पर मीता की याद को अपने दिल से लगा लिया था.

अब उन्हे हर बात मे उसकी अच्छाई ही नजर आने लगी.उन्हे याद आता कि कितना ख्याल रखती थी मीता उनका पर वो कोई भी मौका नही चूकते थे उसे गलत साबित करने का. ना कभी उसकी तारीफ करते और ना कभी उसका मनोबल बढाते बल्कि कर काम मे उसकी गलती निकालने मे उन्हे असीम शांति मिलती थी.

उधर मीता दिनभर काम मे जुटी रहती थी.

एक बार् जब काम वाली बाई 2 महीने की छुट्टी पर गई थी तब भी मीता  इतने मजे से सारा काम बिना किसी  दर्द और शिकन के आराम से गुनगुनाते  हुए किया जबकि कोई दूसरी महिला होती तो अशांत हो जाती .

दिन रात राजेश बाबू उनकी यादो के सहारे जीने लगे.

काश वह तब उसकी कीमत जान पाते. काश वो तब उसकी प्रशंसा कर पाते. काश …. !!! पर अब बहुत देर हो चुकी थी. 

 आज राजेश अमेरिका जाने के लिए  सामान पैक कर रहे थे.

पैक करते करते मीता की फोटो को देख कर अचानक फफक कर रो पडे और बोले मीता,मुझे माफ कर दो.

प्लीज वापिस आ जाओ . मै तुम्हारे बिना कुछ नही हूं. आज जान गया हूं  कि मै तुमसे कितना कितना प्यार करता हूं…

तभी उन्हें किसी ने पीठ से झकोरा.

इससे पहले वो खुद को सम्भाल पाते अचानक उनकी आखं खुल गई.

 मीता उन्हे घबराई हुई आवाज मे उठा रही थी.

 वो सब सपना था.

एक बार तो उन्हे विश्वास ही नही हुआ पर दूसरे पल उन्होने मीता का हाथ अपने हाथो मे ले लिया पर आखो से आसूं लगातार बहे जा रहे थे.

बस एक ही बात कह पाए … आई लव यू मीता !!!! आई लव यू !!!

और  मीता नम हुई आखो से अपलक राजेश को ही  देखे जा रही  थी… 

 

“दर्द “कहानी ने आपके दिल के किसी कोने को अगर छुआ है तो   … जरुर बताईगा……

 

 

February 14, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

Love you

लव यू …!!!

Love you

मणि का बेटा होस्टल जाने के लिए तैयार था पर मणि का काम ही खत्म नही हो रहा था.

कभी कपडे धोने बाथरुम मे चली जाती तो कभी रसोई मे जाकर प्याज काटने लगती.

कैसे कैसे बहाने करके बस अपने आसूओ को छिपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी.

किसी से बात ना करने के चक्कर मे अपना मोबाईल भी उसने साईलेंट पर रख छोडा था.

बेटे को बस स्टाप छोडने की बात हुई तो बहाना बना दिया कि काम वाली किसी भी समय आ सकती है.

ताला देख कर लौट ना जाए.

जाते जाते बेटा जब आशीर्वाद लेने आया तो चोरी चोरी मां की आखो मे देख ही लिया.

मणि इसके लिए भी तैयार थी बोली बदलता मौसम है ना आज नाक और आखो से पानी बहुत बह रहा है.छीके भी बहुत आ रही है कहती हुई मुस्कुरा दी.बेटा चला गया और वो चुपचाप उदास मन से कमरे मे आकर बैठ गई.

इतने मे बेटॆ का मैसेज आया ” क्या मम्मी आपको तो झूठ बोलना भी नही आता. अपना ख्याल रखना और मै भी अपना ख्याल रखूगा”

Love you

लव यू मां !!! वैसे आप स्माईल करती ही अच्छी लगती हो !!

अब मणि खुल कर रो रही थी!

 

Monica Gupta

 

January 9, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

सहयोग की भावना पर कहानी

सहयोग की भावना पर कहानी

सहयोग की भावना पर कहानी है ये लघु कथा जोकि दैनिक भास्कर समाचार पत्र की मधुरिमा में प्रकाशित हुई थी. ये कहानी आपसी रिश्तों का अहसास करवाती है…

सहयोग की भावना पर कहानी

दो दोस्तों के बीच में प्यार और विश्वास की कहानी है.. कहानी दो दोस्तों और उनके बीच एक अनोखी दोस्ती की है …

सहयोग की भावना पर कहानी

सहयोग की भावना पर कहानी

 

 

Audio- मेरी कहानी -सहयोग-मोनिका गुप्ता – Monica Gupta

कहानी – सहयोग

सुबह से ही दिनेश बहुत परेशान सा घूम रहा था.  असल मे, कुछ देर पहले ,उसके बचपन के दोस्त रवि की पत्नी का फोन आया था वो धबराई हुई आवाज मे बोल रही थी  कि भाई साहब, हमे आपकी मदद चाहिए. वैसे तो दिनेश और रवि बहुत ही अच्छे दोस्त  थे…

read more at monicagupta.info

बाउ जी( एक अन्य कहानी)

करीब एक साल से विन्नी के ससुर बहुत बीमार चल रहे थे। उसके पति डॉ. भूषण जी-जान से उसकी सेवा में जुटे थे। पहले तो घर में ही उनका इलाज हो रहा था पर ज्यादा तबीयत ठीक न देखते हुए पिछले तीन महीने से वो उन्हीं के अस्पताल में थे। विन्नी का एक पाँव अस्पताल में तो दूसरा घर पर रहता।

एक शाम डॉ. भूषण की तबीयत ठीक नहीं थी, इसीलिए वो अस्पताल नहीं जा पाए। उन्हें पूरा आराम मिले और देर रात उन्हें अस्पताल से फोन आने की वजह से उठना न पड़े, इस कारण विन्नी ने उनका मोबाइल बंद कर दिया और लैंडलाइन के फोन के तार निकाल दिए। उसके मन में बस यही विचार था कि ससुर जी की सेवा करते-करते उसके पति खुद ही बीमार न पड़ जायें।
सुबह आँख किसी के दरवाजा खटखटाने से खुली। पड़ोसी के घर विन्नी के लिए फोन था। रातभर उसके परिवार के लोग फोन लगाते रहे, पर फोन नहीं मिला। विन्नी की छोटी बहन रोते-रोते फोन पर बता रही थी कि उनके बाउ जी के साथ रात सड़क दुर्घटना हो गई और उनके जीजा का फोन नहीं मिला, इसीलिए सही डॉक्टरी सेवा न मिल पाने के कारण उन्हें जान से हाथ धोना पड़ा।

विन्नी हक्की-बक्की-सी खड़ी-की-खड़ी रह गई।

कात्यायनी माता – मां दुर्गा का छ्ठा रुप – Monica Gupta

कात्यायनी माता – मां दुर्गा का छ्ठा रुप हैं माँ का नाम कात्यायनी कैसे पड़ा इसकी भी एक कहानी है- कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बेहद कठिन तपस्या की थी।

उनकी इच्छा थी माँ भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। माँ भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। कुछ समय बाद् जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया तब ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाईं। Read more…

 

December 9, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

Nice story

Nice story !!!!

Must read !!!

In 1923, nine  of the wealthiest people in the world met at Chicago ‘s Edge
water Beach Hotel. Their combined wealth, it is estimated, exceeded the
wealth of the government of the United States at that time. These men
certainly  knew how to make a living and accumulate wealth.

Attending the meeting were the following  men:

The president of the largest steel company,
The president of the largest utility company,
The president of the largest gas company,
The president of the New York Stock Exchange,
The president of the Bank of International Settlements,
The greatest wheat speculator,
The greatest bear on Wall Street,
The head of the World’s greatest monopoly, & a member of President
Harding’s cabinet.

That’s a pretty impressive line-up of people by anyone’s  yardstick.

Yet, 25 years later, where were those nine industrial  giants?

But let’s examine what happened to them 25 years  later.

1.      The  President of the then largest steel company (Bethlehem  Steel
Corp), Charles M Schwab, lived on borrowed capital for five years before  he
died bankrupt.
2.      The President of the then largest gas company, Howard Hubson, went
insane.
3.      One of the greatest commodity traders (Wheat Speculator) , Arthur
Cutten, died insolvent.
4.  The then President of the New York Stock Exchange, Richard Whitney,
was sent to jail.
5.      The member of the US President’s Cabinet (the member of President
Harding’s cabinet), Albert Fall, was pardoned from jail just to be able to
go  home and die in peace.
6.      The greatest “bear” on Wall Street, Jesse Livermore committed
suicide.
7.      The President of the then world’s greatest monopoly, Ivar Krueger,
committed suicide.
8.      The President of the Bank of International Settlement, Leon Fraser,
committed Suicide.
9.   The president of the largest utility company, Samuel  Insull, died
penniless!!

What they forgot was how to “make” life while they got  busy making money!
Money in itself is not evil; it provides food for the hungry,  medicine for
the sick, clothes for the needy; Money is only a medium of exchange.

We need two kinds of education:
…..a) One that teaches us how to make a living;  and
…b) One that teaches us how to live.
There are many of us who are so engrossed in our professional life  that we
neglect our family, health and social responsibilities.  If asked why we do
this we would reply that “We are doing it for our  family”.

Yet, our kids are sleeping when we leave home. They are sleeping when  we
come back home!! Twenty years later, we’ll turn back, and they’ll all be
gone, to  pursue their own dreams and their own
lives…………………….

………………………

Without water, a ship cannot move.  The ship needs water, but if  the water
gets into the ship, the ship will face existential problems. What was once
a means of living for the ship will now  become a means of destruction.

Similarly we live in time where earning is a necessity but let not  the
earning enter our hearts, for what was once a means of living will surely
become a means of destruction for us as well!!

So take a moment and ask yourself………. Has the water  entered my ship?

I surely hope it hasn’t yet done  so!

Nice story  !!!

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