Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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June 16, 2015 By Monica Gupta

प्रसन्न हुए भगवान

प्रसन्न हुए भगवान

 

  milk in a bowl photo

Photo by Joelk75

गाँव में साधु बाबा पधारे हुए थे। उन्होंने गाँव वालों के मन में यह बात ड़ाल दी थी कि मुझे भगवान ने भेजा है। वह तुम सभी से नाराज है। इसका प्रमाण भी दिखाया कि जब वह पूजा के लिए कच्चा दूध रखतें हैं तो वह स्वयं उबलने लगता है।भोले-भाले गाँव वाले उनकी बातों में आ गए। बाबा की तो चांदी हो गर्इ। वह दोनों हाथों से धन लेने लगे बहुत से लोग बाबा की सेवा भी करने लगे किसलिए? अरे भार्इ। भगवान का गुस्सा कम करने के लिए दान, दक्षिणा और सेवा का काम जरूरी था।

समय बीतता रहा। लेकिन हर रोज कच्चे दूध में उबाल आता रहा और बाबा कहते भगवान अब भी नाराज है, दान बढ़ाओ। बहुत दिन बीते बाबा वहाँ से जाने की सोचने लगे कि  रूपया खूब इक्ठ्ठा  हो गया अब खिसका जाए बहुत बुद्धु बना लिया यहाँ के लोगों को।

एक दिन बाबा के यहाँ झाड़ू-बुहारी करने वाले चंदू ने सफार्इ के दौरान एक थैले में ढ़ेर सारा चूना देखा। उस नासमझ ने सोचा शायद कोर्इ गलती से यहाँ रख गया होगा। भला चूने की डलियां बाबा के किस काम की। यह सोच कर वह दीवारों पर पुतार्इ करने के लिए उसने तुरन्त वो चूना भिगो दिया। पर यह क्या ? पानी में से तो बुलबुले उठने लगे। पहले तो उसने सोचा कि वह भगवान की ही नाराजगी है पर बाद में उसने सोचा कि चूना गरम होता है बुलबुले या भाप तो उठेगी ही।

अब चन्दू को बाबा की पोल समझ आ रही थी। वह समझ गया था कि चूना, बाबा ने अपनी कुटिया में क्यों रखा ? उसने असल में कुछ चीजें ताप या उष्मा क्रियाए करती है। कुछ उष्मा शोषी होती हैं। जिस कारण पानी के संयोग से ठंडी हो जाती हैं। जबकि पानी के संयोग से ठंडी हो जाती हैं। जबकि चूना उष्माक्षेपी है वह पानी के संयोग कर उष्मा देता है। चूने की डलिया पानी में डालने पर भाप निकलना इसका उदाहरण है। अब रही बात दूध उबलने की तो उस दूध में उपसिथत पानी से कि्रया कर उष्मा निकालता है और दूध उबलता हुआ प्रतीत होता है।

हर शाम की तरह इस शाम को भी बाबा की कुटिया के आगे भारी भीड़ जमा होने लगी यह जानने के लिए कि भगवान अभी प्रसन्न हुए या नाराज ही चल रहे हैं। पूजा का समय हो चला था, बाबा ने पूरी कुटिया छान मारी पर उन्हें कही चूना ही नहीं मिल रहा था। उन्होंने सोचा कि आज मैं गांव वालों को कच्चे दूध से ही पूजा करवा देता हूँ, कह दूँगा भगवान खुश हो गए और मैं यहाँ से किसी दूसरे गाँव चला जाऊँगा। पर लालच का क्या करते ? बाबा ने सोचा यहाँ तो इतना पैसा, सोना, चांदी मिल रहा है। दूसरे गाँव में मिले ना मिले। वह सोच ही रहे थे तभी उन्हें बाहर से कुछ आवाजें आती सुनार्इ दी। वो बाहर आए तो चंदू लोगों को कुछ बताकर पूजा करवा रहा था। उसने गाँव वालों को बतालाया कि किस तरह बाबा हमारी आंखों में धूल झोंक कर कच्चे पानी मिले दूध में चूने की ड़लियां ड़ालते रहे। और हमें यह कुछ ही देर में उबलता हुआ दिखने लगता।
पोल खुल चुकी थी। चारों तरफ से बाबा घिर चुके थे। मरता क्या न करता उन्होंने अपनी गलती मान ली और मुझे पुलिस के हवाले ना किया जाए यह हाथ जोड़कर निवेदन करने लगे। गाँव वालों को दया आ गर्इ।
गाँव वालों ने सारा पैसा, सोना, चाँदी, जवाहरात लौटा देने पर बाबाा को माफी दे दी और उसे गाँव से निकाल दिया गया। आखिर कुछ गलती तो उनकी भी थी। इस तरह अंधविश्वास में जीना भी तो गलत है।

June 16, 2015 By Monica Gupta

नारियल का फैसला – कैसे बचे बाबाओं से

naariyala-ka-faisala

नारियल का फैसला – ( बाल कहानी) टोने टोटके , पाखंड के खिलाफ पोल खोलती कहानी है नारियल का फैसला. भारतीय संस्कृति में नारियल को बहुत पवित्र माना जाता है… नारियल का फैसला क्या लिया ये जानने के लिए पढनी होगी कहानी

नारियल का फैसला – कैसे बचे बाबाओं से

आज दोपहर ही गांव से दादी अम्मा का तार आया है। उसमें लिखा था कि दादी बीमार है, तुरन्त चले आओ. तार पढ़ने के बाद मनोज के पापा का मन दफ्तर में नहीं लगा।

वह तुरन्त ही दो-तीन दिन की छुट्टी लेकर मनोज और अपनी पत्नी मनीषा के साथ गांव रवाना हो गए। रास्ते भर वह सोचते रहे कि अम्मा को शहर ले आएंगे। यहीं उनका इलाज करवाएंगे। तीन घंटे में वह गांव पहुंच गए।

वहाँ अड़ोसी-पड़ोसी इकटठे हुए थे। गांव की यही बात अच्छी है कि एक-दूसरे का सब बेहद ख्याल रखतें हैं। दादी के घर पहुंचे तो देखा, दादी बैठी हुर्इ थी। वह बहुत ही परेशान दिख रही थी। पापा ने उन्हें हाथ लगा कर देखा पर वह गर्म नहीं था।

मनोज के पापा ने राहत की साँस ली। दादी अम्मा के पड़ोसी छाछ ले आए। थोड़ा रूक कर मनोज के पापा ने पूछा, अम्मा बुखार कब उतरा?  अम्मा बोली बुखार तो था ही नहीं। पर अब चढ़ेगा। मनोज के पिता हैरान रह गए।

लेकिन वो तार भिजवाया था आपने ? पापा बोले। हाँ, भिजवाया तो था, तुझे जो बुलवाना था। इसलिए भिजवाना पड़ा। अम्मा रूआंसी होकर बोली। मनोज के साथ-साथ उसके मम्मी-पापा को दाल में कुछ काला लगा। उन्होंने पूछा, भर्इ, बताएं ना आखिर क्या बात है?

तभी गांव के सरपंच दीनू काका बोले, बेटे बात ये है कि हमारे गांव में एक साधु महाराज पधारे हैं और अम्मा भी उनके दर्शनों के लिए गर्इ थी। अब बात यह है कि किस व्यक्ति का  और किसके परिवार का भविष्य उज्ज्वल होता है ? यह सब बाबा एक नारियल देकर ज्ञात कर लेते हैं। क्या नारियल से?

मनोज के मम्मी-पापा ने उत्सुकता से पूछा। मनोज की मम्मी को भी ऐसे जादुर्इ बाबा के किस्से बहुत अच्छे लगते थे। तब दीनू काका ने बताया कि, बाबा एक नारियल लेने को कहते हैं। वहां बहुत से नारियल रखे होते हैं।

जिस नारियल को हम हाथ लगाते हैं, बाबा उसे खोलते हैं। अब अगर उसमें से फूल निकले तो उसका तथा  उसके परिवार का जीवन खुशहाल रहता है पर जिस नारियल में आग लग जाती है, उसके परिवार का नाश हो जाता है।

बस, अम्मा तीन बार से बाबा के पास नारियल दिखवाने जा रही है और हर बार नारियल में आग निकल रही है। अम्मा को वहम हो गया कि उनके परिवार पर जरूर मुसीबतें आने वाली हैं। इसलिए उन्होंने आप सभी को तार देकर बुलवाया है।

मनोज की मम्मी को चिंतित हो गर्इ पर मनोज समझदार बालक था। वह जिस विधालय में पढ़ता था, वहां उनको यह शिक्षा भी दी जाती थी कि ढ़ोंगी साधु कैसे भोली-भाली जनता को लूटते हैं, उसे पता था कि उस बाबा ने क्या पाखंड किया होगा।

अगले दिन मनोज और उसके मम्मी-पापा तथा दादी सब उसी दरबार में गए। मनोज ने कहा, इस बार नारियल वो ही उठाएगा। बाबा के दरबार में खूब भीड़ थी। गांव वाले बाबा पर खूब चढ़ावा चढ़ा रहे थे। चारों तरफ जबर्दस्त धूप की खुशबू फैली हुर्इ थी।

मनोज अपने साथ एक नारियल लेकर गया और बाबा से बोला, बाबा मेरा भविष्य बताइए। बाबा ने उसे ड़ांटा, मूर्ख, तू हमारा अपमान करता है, सिर्फ हमारे द्वारा रखे नारियल से ही भविष्य बताया जाएगा क्योंकि ये पूजा किए गए नारियल हैं। तब उसने अपना नारियल अपने पापा को दे दिया और बाबा द्वारा रखे नारियल में से एक नारियल उठा लिया। मनोज नारियल उठाते ही उसे सूंघने लगा।

अब बाबा कुछ सकपकाए। बोले, मूर्ख, नारियल क्यों सूंघता है? मनोज बोला, बाबा मैं परिवार की सुख-समृद्धि वाला नारियल चाहता हूँ। इसलिए आपको ऐसा ही नारियल सूंघ कर दूंगा, जिसमें हमारे परिवार का कल्याण हो।

भीड़ के सभी लोग सकते में आ गए। पूरी भीड़ में खामोशी सी छा गर्इ। बाबा भी कुछ परेशान हो गए। मनोज ने एक नारियल हाथ में लिया और बोला , बाबा, आप इसे खोलें , इसमें अवश्य ही फूल होंगें। बाबा ने उसे हाथ में लेकर पानी के कुछ छींटे देकर उसे पवित्र कर कुछ मंत्र पढ़े और जब उसे खोला तो उसमें फूल निकले।

क्यों, दादी माँ, अब तो कोर्इ बीमार नही पड़ेगा, देखो, अब फूल निकला है नारियल में।

बाबा को पोल खुलती नज़र आर्इ। उन्होंने शिष्यों से कहा कि आज उनकी तबियत ठीक नहीं है। अब वह दरबार कल सुबह लगाएंगे। लेकिन अब पासा पलट चुका था। बाबा को स्टेज पर जबर्दस्ती रोककर मनोज ने बताना शुरू कर किया, आमतौर पर साबुत नारियल के सिर पर तीन काली बिन्दी बनी होती है।

बस थोड़ी सी सावधानी से, इसमें से एक बिन्दी में छेद करके छोटी सी फूलों की 2या 3 कलियां नारियल में ड़ाल दी जाती हैं। करीब सात घण्टे पहले ही और फिर छेद को आराम से बंद कर दिया जाता है। ये तो बात रही कि नारियल में फूलों के निकलने की। अब बात बची है नारियल में आग लगने की।

तो होता यूं है कि नारियल के बालों या जटाओं में सोडियम के बहुत ही छोटे छोटे टुकड़े जो तेल से भिगो कर निकाले जाते हैंं। उन्हें इसमें छिपा कर रख देतें है और जब आप लोग नारियल चुन कर देतें हैं तो बाबा, उसमें जल छिड़क कर उसे शु़द्ध करते हैं, जो कि एक बहाना ही है।

असल में,  होता यह है कि केरोसिन युक्त सोडियम धातु पर पानी डलते ही वह जलने लगती है। बस, बाबा कह देते हैं कि परिवार पर कष्ट आएगा और वो भोली-भाली जनता से धन, गहने, जमीन आदि खूब ऐंठते हैं। क्यों बाबा, मैंने सब ठीक कहा ना। अगर कुछ भूल गया हूँ तो बता देंं।

मनोज ने अपनी बात पूरी की। बाबा सिर झुकाए बैठे रहे। उनकी पोल खुल चुकी थी। ये कुछ और नही बस जादू की ट्रिक्स ही थीं  उनके पास सारे गहने, रूपया, जमीन आदि वापिस करने के अलावा कोर्इ दूसरा रास्ता नहीं था। चारों तरफ मनोज की जय-जयकार होने लगी। दादी तो एकदम हक्की-बक्की सी बैठी ही रह गर्इ। वो बहुत खुश हुर्इ कि ढ़ोंगी को सबक मिल गया।

नारियल का फैसला

नारियल का फैसला

नारियल का फैसला कहानी आपको कैसी लगी … ???

Photo by YIM Hafiz

June 9, 2015 By Monica Gupta

नई मां

mother and son photo

Photo by mooglet

आज मेरी सहेली मणि ने एक ऐसी कहानी सुनाई कि जिसे सुनकर मैं निशब्द रह गई.
उसने नई मां कहानी कही पढी थी. कहानी कुछ ऐसे है

एक आदमी ने अपनी पत्नी के मरने के बाद दूसरी शादी की और अपने 5 साल के बेटे से पूछा कि उसे अपनी नई मां कैसी लगी. इस पर बेटा मासूमियत से बोला कि मेरी मां झूठी थी पर नई मां सच्ची है इस पर पिता हैरान हो गए और पूछा कि वो ऐसे कैसे कह सकता है इस पर बेटा बोला जब मैं शरारत करता था तो मां नाराज होकर कहती थी कि ठहर जा… तुझे तो मैं खाना ही नही दूंगी पर थोडी ही देर मे लाड प्यार करके पुचकार के गोद मे बैठा कर खाना खिलाती थी.

नई मां भी यही कहती है कई बार नाराज होकर कहती है कि तुझे खाना नही दूगी पर वो सच्ची है वो वाकई मे खाना नही देती “आज दो दिन हो गए मुझे खाना खाए” !!!!

( वैसे कहानियों का भी अलग ही संसार होता है कुछ कहानियां हसांती हैं गुदगुदाती है वही कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जो कुछ सोचने पर मजबूर ही कर देती हैं. नई मां कहानी कुछ ऐसी की कहानी है …)

May 23, 2015 By Monica Gupta

स्वीट होम

 

स्वीट होम

होम स्वीट होम ( छोटी सी कहानी )

कामना न्यूयार्क एयरपोर्ट पहुची. आज वो अपने होम स्वीट होम यानि भारत आ रही थी. कुछ खाली समय था तो टहलने लगी. जेब मे हाथ डाला तो दो चार फालतू के कागज थे. फेंकने लगी तो को कोई कूडादान नही दिखाई दिया. उसने उसे वापिस जेब मे डाल लिया. समय बीता.

उसकी फ्लाईट थी. कुछ ही देर मे उसका जहाज नई दिल्ली पहुंच गया था. अपने सामान का इंतजार करते करते उसका हाथ फिर अपनी जेब मे गया. वही बेकार कागज पडे थे. उसने तुरंत उसे जमीन पर फेक दिया. इतना ही नही पर्स मे भी कुछ फालतू का छोटा मोटा सामान पडा था. वो भी उसने ऐसे ही जमीन पर फेक दिया.

अब वो अपने “होम स्वीट होम” मे जो आ चुकी थी…

वैसे आप तो ऐसे हरर्गिज नही होंगें … है ना … !!!

air port photo

Photo by bfishadow

 

May 18, 2015 By Monica Gupta

kids stories

kids stories

घर के बाहर अक्सर साईकिल चलाता रवि मिल जाता था. आज वो बहुत दिनों के बाद दिखा. स्कूल बैग लेकर सिर झुकाए जा रहा था. मेरे आवाज देने पर वो रुका .उसने बताया कि पिछली क्लास मे उसके नम्बर बहुत कम आए थे इसलिए उसका बाहर धूमना और खेलना बंद कर दिया है. अब वो सिर्फ स्कूल और टयूशन जाता है. मेरे दुबारा पूछने पर और वो जो ड्राईग बनाता था वो … उसने जवाब दिया कि वो भी बंद है और अब तो पापा ने टीवी देखने पर भी रोक लगा दी है अब बस सिर्फ पढाई पढाई ही है. और चुपचाप चला गया.

हमेशा हंसता खेलता रवि आज गुमसुम और चुप हो गया है. आखों के नीचे काले गड्डे इस बात को दिखा रहे हैं कि कितना तनाव मे है वो. पर इस तरह से सब कुछ बंद करने पर क्या उसके अच्छे नम्बर आ जाएगें ..???? मैं उसे बहुत समय से जानती हूं अभी सातंवी क्लास मे ही आया है …

क्या एक बार नम्बर कम आने पर सभी चीजों से भी कट जाना चाहिए .. ये बात माता पिता को जरुर सोचनी चाहिए.

और मैने उसके पेरेंटस से मिलने का मन बना लिया…

A real kid story 🙁

kids stories

kids  photo

April 29, 2015 By Monica Gupta

काकी कहे कहानी

monica gupta-NBT- book

काकी कहे कहानी

3 dec. 2012 …. प्रगति मैदान मे विश्व पुस्तक मेले के दौरान नेशनल बुक ट्र्स्ट मे मेरी किताब “काकी कहे कहानी” होर्डिंग पर .एक लेखक के लिए इससे ज्यादा खुशी का मौका और क्या हो सकता है 🙂 🙂

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