Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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August 31, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वास्थ्य ही जीवन है

अच्छे स्वास्थ्य का महत्व

स्वास्थ्य ही जीवन है और इसे समझने के लिए हमें व्‍यक्तिगत स्‍वच्‍छता को समझना बहुत जरुरी है व्‍यक्तिगत स्‍वच्‍छता  दो शब्‍दों से मिलकर बनी है  ”व्‍यक्ति”  एवं ”स्‍वच्‍छता” इस बात में कोई दो राय नही कि हमारा  स्वास्थ्य हमारे स्वच्छ हाथों में है… हाथ कैसे धोऎ यानि hand wash पर तो बहुत बातें हैं पर कुल मिला कर हमारा स्वास्थय हमारे हाथों में ही है.

हाथ धोने की विधि

स्वास्थ्य ही धन है

स्वास्थ्य ही जीवन है और इतना ही नही हमारा स्‍वास्‍थ्‍य ही धन है. इसकी महत्ता हमे समझनी होगी. व्यक्तिगत स्वच्छता और स्‍वास्‍थ्‍य का ख्याल रखना बेहद जरुरी है.  व्यक्तिगत स्‍वास्‍थ्‍य में शरीर की स्‍वच्‍छता,  दॉंतों की सफाई, नाखूनों तथा पैरो की देखभाल,  भोजन,  आहार,  व्‍यायाम,  विश्राम एवं नींद ध्रूमपान लत,  मानसिक विचार तथा मद्यपान संबंधी नियमों का पालन आतें हैं। इनके प्रति लापरवाही हमारे स्‍वास्‍थ्‍य पर बुरा प्रभाव डाल सकती है उदाहरण के तौर पर दॉंतों की सफाई भरे मैल में जमे रोगाणुओं से ऑंतों में कृमि तथा अन्‍य विकार पैदा हो सकते हैं।

इससे बहुत सारी बीमारियों को निमत्रंण मिल जाता है और वो हाथो के जरिए या नाखूनों के माध्यम से मुह में चले जाते है और जाने कितनी तरह तरह की बीमारियों फैलती चली जाती है। इसलिए हाथों को राख या साबुन से भली प्रकार धोना चाहिए। कई बार घरो में लोग और खासतौर पर महिलाए नंगे पांव रहना ज्यादा पसंद करती है। नंगे पाव से हुकवार्म शरीर में घुस जाते है और इसकी वजह से शरीर में कमजोरी और खून की कमी हो जाती है।

त्वचा की सफाई ना होने पर पसीने और मैल की परत चढ़ती चली जाती है इसकी वजह से दाद खाज, खुजली और त्वचा के रोग हो जाते है। इस तरह के रोग बहुत जल्दी फैलते है इसलिए शरीर की सफाई रखनी बहुत ही जरूरी हो जाती है दांतो की सफाई भी उतनी ही जरूरी है अगर नियमित रूप से दात साफ नहीं होगे तो खाने के कण दांतो में पड़े पड़े सड़ जाऐगे इससे ना सिर्फ दांतो में सड़न होती है बल्कि पेट सम्बन्धी रोगो के होने का भी अंदेशा रहता है इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत सफाई बहुत जरूरी है खाने से पहले और खाना खाने के बाद हाथ या तो साबुन अथवा राख से अच्छी तरह धोने बहुत जरूरी है

एक सर्वे से पता चला है कि अगर हाथ सही प्रकार से wash हो तो दस्त जैसे अनेक रोगो में 50 प्रतिशत से भी ज्यादा कमी आई है इसलिए शौच के बाद या खाना बनाने से पहले और खाते समय हाथ साफ रखने बहुत जरूरी है जिन महिलाओं के बच्चे अभी बहुत छोटे है और उन्ही का दुग्धपान करते है उनके लिए यह और भी जरूरी हो जाता है कि हाथों को साफ रखे।

शौच त्यागने के बाद भी भली प्रकार हाथ धोने चाहिए हाथों के नाखूनों को भी नही बढ़ने देना चाहिए। इन नाखूनों में अन्दर की तरफ रोगाणु लम्बे, गंदे नाखूनों से भोजन करते वक्त भोजन में चले जाते है और  दूषित कर देते है इस भोजन का सेवन करने से दस्त व अन्य रोग पैदा हो जाते है

चप्पल पहनना भी बहुत जरूरी हो जाता है ताकि कीटाणु पैरो के जरिए शरीर में प्रवेश करके बीमार ही ना कर दे।

शरीर में सिर के बालों की सफाई भी बहुत जरूरी होती है क्योंकि गन्दे सिर में जुए आ जाती है जोकि इसे नुकसान पहुंचाती है इसी प्रकार दांतो की सफाई बहुत जरूरी है ताकि मुंह की दुर्गन्ध ओर सड़न से बचा जा सके इसके लिए या तो दातुन या फिर नमक का भी इस्तेमाल किया जाता है

हर रोज नहाने से शरीर भी स्वच्छ और तरो ताजा रहता है इसलिए नहाना धोना बहुत जरूरी है जब हम खुद साफ और स्वच्छ होगे तो हमारा मन करेगा स्वच्छ जगह पर ही खेलने का सफाई का ध्यान सिर्फ खुद रखे बल्कि दूसरों को भी इसकी महता समझाए।

कई लोग चलते फिरते सड़क पर ही थूक देते है। उन्हें इसके होने वाले नुकसान बता कर स्वच्छता के प्रति जागरूक करना हमारा पहला कर्तव्य है। यही बात लागू होती है कि जिस व्यक्ति को जुकाम है। कई बार बच्चे या बड़े नाक आने पर अपनी आस्तीन से या कमीज से और महिलाएं अपने दुपटटे से ही साफ कर लेती है। जोकि सीधे तौर पर बीमारी को न्यौता देता है इसलिए ऐसे कामों से बच कर ही रहें। अपने पास साफ रूमाल ही रखे और उसे ही इस्तेमाल करे।

घर की सफाई

खेतो को पॉस्टिक खाद तो मिलेगी ही जिससे मिटटी की उर्वरकता बढ़ेगी। और जो कूड़े कचरे और प्लास्टिक के सामान से पर्यावरण का नुकसान हो रहा है उससे बचाव हो जाऐगा कई बार गांव वासियों द्वारा खाद के ढ़ेर पर सफाई के दौरान इतनी गन्दगी डाल दी जाती है कि वो खाद का ढेर कम और गन्दगी का ढेर ज्यादा लगता है जिससे बीमारियों का निमत्रंण मिलता है।

गडडों में इसे डाल कर ना सिर्फ बीमारियों से बचेगे बल्कि उन कूड़े के ढेर की बजाय सड़क पर पेड़ लगाए जा सकेगे जिससे पर्यावरण की स्वच्छता बढ़ेगी। चूल्हा एक ही कमरे में होने की वजह से घर के लोगो को सांस की दिक्कत हो जाती है और चूल्हे के धुएं से आंखो में भी जलन हो जाती है

आकडे तो यहा तक बताते है कि महिलाओं के खाना बनाते वक्त जितना धुआं सांस के साथ अन्दर जाता है। वो 200 सिग्रेट के धुए के बराबर होता है ऐसे में गर्भवती महिलाए खुद भी बीमार रहेगी और होने वाला बच्चा भी किसी ना किसी बीमारी से ग्रस्ति होगा ये तो रही घर की बात। अब लोग जब खेतो में शौच जाते है तो खुले में मल पड़ा रहने से संक्रामक रोगाणु फलो और सब्जियों में लग जाते है यही फल सब्जियां बिना धोए खा लेने पर दस्त या अन्य ऐसे रोग हो सकते है जो जानलेवा भी साबित हो सकते है।

तो इतनी सारी दिक्कतों के चलते इससे छुटकारा पाने का क्या कोई तरीका हो सकता है या नही तो जवाब सीधा सा है कि जिस घर में लोग रहते है सबसे पहले तो वो हवादार हो, पूरी रोशनी आए और घर में मच्छर मक्खी के बचाव के लिए जालीदार दरवाजे भी लगे हो अगर घर में धुए वाले चूल्हे है तो ऐसे चूल्हे बनाए जाए जो धुआ रहित हो इससे आखों की जलन के साथ साथ संास के रोगो में भी कमी आऐगी।

अब बात आती है सफाई की घर को खासकर फर्श को साफ रखना चाहिए।

घर का कूड़ा उठाकर सड़क पर फेकने की बजाय कूड़े के डि़ब्बे में ही डालना चाहिए। भोजन पर मक्खियां बैठ कर उसे दूषित ना कर दे उसके लिए जाती का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी हो जाता है जो बना हुआ भोजन है उसे भी ढ़क कर ही रखना चाहिए ताकि वो प्रदूषित ना हो।

पीने के पानी को भी ढ़क कर रखने के साथ साथ मटके या किसी अन्य बर्तन से निकालने के लिए डण्डी वाले लोटे का प्रयोग करना चाहिए और पानी का हमेशा जमीन से थोड़ा उचां रखना चाहिए। इसके साथ साथ या तो सुराही या फिर ऐसे मटकें या डिब्बे जिनमें नलके की सुविधा हो तो इस्तेमाल करने चाहिए। कच्ची सब्जी को बनाने से या कच्ची सब्जी खाने से पहले भली प्रकार धो लेनी चाहिए ताकि सारे कीटाणु दूर हो जाए। बर्तनों को भी साफ पानी से ही धोना चाहिए अगर गन्दे पानी से धोऐगें तो बर्तनों के साथ-2 उनमें रखा सामान भी दूषित हो जाऐगा

खोमचे वाले से खुला रखा खाना खाने से भी बीमार होने के लक्षण जल्दी दिखने लगते है इसलिए वहां का भोजन ना ही करे और जो भोजन घर पर भी बनाए उसे अच्छी तरह हाथ धोकर ही बनाए अब हाथ या तो साबुन से या राख से धोने बहुत जरूरी है ताकि खाने के साथ-2 अपनी और घर के सदस्यों की स्वस्थता भी बनी रहे।

इन सभी बातों के साथ साथ अपना अड़ोस-पड़ोस भी साफ रखना चाहिए। कूडे को घर के बाहर ना फेंक कर गडे में डालना चाहिए छोटे बच्चों के घर में ही शौच करने की स्थिति में उसे तुरन्त साफ करके हाथ धो लेने चाहिए ताकि ना मच्छर, मक्खी आए और ना कोई बीमारी फैले। जानवरो के गोबर को भी कूड़े के गडडे में ही डाल देना चाहिए और उनके मूत्र के लिए नाली द्वारा सोख्ता गडडे में ही बहने देना चाहिए।

इसके लिए घर से अलग पशुशाला का प्रावधान होना चाहिए। इसमें पक्का फर्श और नाली की ओर ढलुवा हो ताकि उनका मूत्र वहां इकठठा रहने की बजाय बह जाए।

नाली को सोख्ता गडडे से मिला देना चाहिए इसमें सफाई का ध्यान देना बहुत जरूरी है ताकि दुधारू पशु किसी भी तरह की बीमारी से बचे रहे।

स्वच्छता अपनाने से  फायदे बहुत है …

कम मृत्यु दर और बेहतर स्वास्थ्य

पैसे की बचत

उत्पादकता में वृद्धि

ज्यादा आय के साधन

आत्म सम्मान

और सबसे बड़ी बात तो यह होगी कि स्वच्छता अपनाने से ड़ाक्टरों के चक्कर नही लगाने पड़ेगें जिससे पैसे बचेगें। पैसे बचेगें तो खुशियाँ आऐगी, खुशियाँ होगी तो आय के साधन और बढेगें क्योंकि अक्सर तनाव में रहने से काम नही हो पाता जब तनाव ही नही होगा तो और काम करने को मन करेगा, जिससे आय बढे़गी और आय बढे़गी तो जीवन स्तर में सुधार होगा और फिर देश को आगे बढ़ने से कोई  रोक ही नही सकता।

 

खुले में शौच, महिलाएं और स्वच्छता अभियान – Monica Gupta

खुले में शौच, महिलाएं और स्वच्छता अभियान स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 हो या जन आंदोलन के रुप में चला स्वच्छता अभियान. महिलाओ को इसकी महत्ता समझ कर बढ चढ कर आगे आना ही होगा. अपनी और अपने गांव की स्वच्छता की ,कामयाबी की कहानी बनानी होगी. आज अचानक एक खबर ने फिर चौंका दिया. बदायूं बरेली … read more at monicagupta.info

वैसे स्वच्छता के बारे में आपका क्या ख्याल है … जरुर बताईएगा !!

 

 

August 30, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छता और स्वास्थ्य

स्वच्छ भारत अभियान के असली हीरो

स्वच्छता से स्वास्थ्य रक्षा

स्वच्छता और स्वास्थ्य की बात चलती है  तो हमारे जहन में सबसे पहले स्वच्छता से स्वास्थ्य रक्षा ही आती है आमतौर पर लोग स्वच्छता का सीधा सम्बंध शौचालय बनाने या इसका इस्तेमाल करने से ही निकालते है. यह बात ठीक है कि शौचालयों का बनाना और इस्तेमाल करना स्वच्छता का जरूरी अंग है पर इसक साथ साथ दूसरी बात भी उतनी ही जरूरी है जितनी शौचालयों के बारे में जागरूकता का होना…

क्या हैं स्वच्छता के अन्य जरूरी अंग

स्वच्छता और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कुछ बातो का ध्यान रखना बहुत जरुरी है

  1. पीने का पानी का रख रखाव और बर्ताव
  2. बेकार पानी की निकासी
  3. मानव मल का सही निबटान
  4. कूड़े कचरों का सही निबटान
  5. घर तथा भोजन की स्वच्छता
  6. व्यक्तिगत सफाई
  7. ग्रामीण स्वच्छता सामुदायिक एवं पर्यावरण स्वच्छता

पीने के पानी का रख रखाव और बर्ताव

जब बात पीने के पानी की चलती है और खास तौर पर गांवों की बात होती है ता हमारे मन में पनघट कुऐं या हैंंड पम्पों की तस्वीर ही घूमती है जहां पर ठेठ घूघंट में ढकी महिलाए मटको में पानी भर भर के ले जा रही है  और वही दूसरी तरफ औरते कपडेे भी धो रही है.   बच्चे नहा भी रहे है और तो और  उसी पास खड़े गंदे पानी में  मच्छर, मक्खी भिनभिना रहे है वही पानी कच्चे रास्ते को गंदा बदबूदार बनाता हुआ जोहड़ में जा मिलता है   वही पशु स्नान कर रहे होते है बस यही से शुरू होती है बीमारियों की जड़ अगर ऐसे वातावरण दूषित जल का प्रयोग किया जाए तो हैजा, दस्त, पीलिया जैसे रोगों का खतरा बना रहता है इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि साफ और स्वच्छ पानी ही इस्तेमाल करे। पर ऐसे माहौल में पानी स्वच्छ पानी कैसे हो। उसके लिए हमें कुछ बातों का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए जैसे कि जहां से पानी भरे… अगर कुआ है तो ढ़का हो अगर वहां जल हत्था लगा है तो वो जगह एकदम से सूखी और साफ हो वहां सही प्रकार से नाली बनाई हो ताकि पानी वहां जमा ही ना होने पाएं आमतौर पर खुली नदी या तालाब बीमारियों के घर माने जाते है इसलिए इसे बचे।

पानी भरने के जो भी स्त्रोत है वो सब पक्के होने चाहिए अब एक बात और बहुत जरूरी है कि जब भी पानी भरे उसे बर्तन का पहले धो ले और उसमें अपनी अगूलियां ना डुबवाए

पानी पीने के लिए डण्डी वाले लोटे का इस्तेमाल करे और पानी के बर्तन को हमेशा ढक कर ही रखें। हां कई बार पीने का सुरक्षित स्थान नही होता तो ऐसे में पानी का उबालना चाहिए।

20 मिनट उबाल कर पानी के रोगाणु नाष्ट हो जाते है उबालने के साथ साथ एक अन्य साधन भी है क्लोरीन से उसे साफ करना  असुरक्षित पानी का सुरक्षित बनाने का यह सबसे सरल, असरदार रसायन है क्लोरीन की दवाई स्थानीय चिकित्सा केद या दुकानों से मिल जाती है। इसलिए हमें अगर स्वस्थ रहना है तो पानी का स्वच्छ पान बहत जरूरी है इसलिए यह जरूरी है कि पानी जहां से ले वो जगह ढ़की हुई। साफ हो।

–           साफ बर्तन में पानी भरना चाहिए या फिर पानी भरने से पहले बर्तन साफ पानी  में धोना बहुत जरूरी है।

–           पाने के पानी को ढ़क कर रखना निहायत जरूरी है और उससे भी ज्यादा जरूरी है कि डंंडी वाला लोटा इस्तेमाल किया जाए या फिर लम्बी गर्दन वाली सुराही पीने के पानी के लिए इस्तेमाल की जाएं इसमें पानी दूषित होने के कारण बहुत कम होते है वैसे भी आजकल मटको एवं घड़ो में नलके लगे आने लेग है यह भी सुविधा जनक तथा स्वच्छता लिए होते है क्योंकि बार-बार ढ़कन्न हटा कर पानी पीने की जरूरत ही नही रहती

इसके पीने वाले पानी को हमेशा उंची जगह पर रखना चाहिए ताकि जल्दी से घूल मिटटी ना पड़े तो हमने देखा कि अगर साफ पानी का कोई साधन ही ना मिले तो पानी का उबाल कर या फिर क्लारीन की टिकिया डाल कर उसका इस्तेमाल करना चाहिए।

बेकार पानी की निकासी:-

जैसा कि पहले बताया गया है कि आमतौर पर पानी भरने वाली जगह सही ढ़ग से निकासी ना होने के कारण पानी खड़ा रह जाता है ऐसे मे ना सिर्फ गन्दगी बदबू फल जाती है बल्कि मच्छर, मक्खी बीमारियों का केन्द्र बन जाते है ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि बेकार पानी की निकासी सही ढ़ग से हो घर में अगर रसोई घर में पानी बाहर निकलने का पक्का रास्ता हो तो वो सबसे बेहतर है और वो रसोई घर से निकला बेकार पानी अगर बगीचे में लगी सब्जियों और खेते में जाए तो सोने पर सुहागा हो जाए। इससे पानी का सही इस्तेमाल भी हो जाता है और बगीचा और खेतो को भी पानी मिलता रहता है।

कूड़े कचरे का सही निबटान:-

गांव का नाम लेते ही हमारे दिलों दिमाक में बस भैंसे गाय, गौबर, गन्दगी ही आते है तो क्या यह गोबर और गन्दगी ही गांव की पहचान बन चुकी है इससे छुटकारा नही पाया जा सकता। जी हां, इसे बिल्कुल दूर किया जा सकता है सड़क और गलियों में पड़ा कूड़ा ना सिर्फ मच्छरों को जन्म देकर बीमारियों बढ़ाता है बल्कि टेटनस के रोगाणु खुले घाव से शरीर मे आते है और इससे नवजात बच्चों की जान का भी जबरदस्त खतरा हो सकता है।

अकसर कूड़े और गदगी के ढेर के पास सूअर, कुतो सांड़ो आदि जानवरों का जमावड़ा लगा रहता है और मच्छर, मक्ख्यिों और कॉकरोच की संख्या तो पूछिए ही मत … अगर बीमारी से बचना है तो स्वच्छता रखनी ही पडेगी.

मानव मल का सही निबटान

जहां खुल्ले में मल बीमारियों को निमत्रंण देता है  इसको बनाने के लिए ज्यादा जगह की भी जरूरत नही होती अब यह अपनी घरेलू स्थिति, भूजल विज्ञान, क्षेत्र में प्राप्त निर्माण वस्तुओं का प्रकार, आदत, निवाज और खुद की सहुलियत और दुष्टिकोण पर निर्भर करता है कि वो किस प्रकार का शौचालय बनाना चाहते है।

घर की सफाई, सुव्यवस्था एवं सुरक्षित भोजन

गांव के लोगों के ज्यादातर घर छोटे, अंधेरे वाले होते है जहां ताजी हवा की निकासी सही प्रकार से नही होती इसके साथ-2 सारा परिवार एक ही कमरे में रहता है और ज्यादातर रसोई घर भी वही एक कोने में बना होता है ऐसे में सहज ही कल्पना इससे ना सिर्फ गांव स्वच्छ और सुन्दर बनेगा बल्कि निर्मल ग्राम पुरस्कार के लिए भी दावेदार हो सकते है।

व्यक्तिगत सफाई

अभी तक हमने बात की घर व आस पड़ोस की सफाई की। अब हम आते है अपनी व्यक्तिगत सफाई पर। जी हां जितनी जरूरी घर की सफाई है उतनी ही जरूरी खुद की सफाई भी है। कई रोग ऐसे है जो व्यक्तिगत सफाई के अभाव में ही फलते है हमे विश्वास नही होगा लेकिन हाथो की सफाई हममें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। आमतौर पर झाडू या बर्तन धोने के बाद या शौच जाने के बाद या सिर्फ बच्चे का शौच साफ करने के बाद हाथो को उतनी अच्छी तरह नहीं धोते जितने धोने चाहिए।

सामुदायिक एंव पर्यावरण स्वच्छता:-

स्वच्छता के बारे में जागरूकता होनी बहुत ही जरूरी है। क्योंकि अगर वातावरण स्वच्छ नहीं होगा तो स्वच्छ जीवन शैली नही बन पाऐगी। मान ले कि हमने अपना घर तो साफ करके चमका लिया पर कूड़ा बाहर ही सड़क पर फेंक  दिया। ऐसे में गन्दगी के कीटाणु मच्छर, मक्खी सब गन्दगी पर जाने के बाद आराम से घर के भीतर भी आऐगे और ज्यादा गन्दगी फैलाऐगे अब लोग घरो में सोख्ता गडडे तो बनवा लेते है पर उसकी देखभाल ना होने की वजह से उसका पानी सड़क पर ही बहे जाता है और गन्दगी फैलाता है।

स्वच्छ भारत

स्वच्छ भारत बनाम गांधी जयंती पिछ्ले साल यानि सन 2014 में 2 अक्टूबर से स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई. आरम्भ में झाडू हाथ मे लेकर फोटो खिचवाने See more…

 

तो यह हुए स्वच्छता के सात विभिन्न अंग सभी बहुत जरूरी है और इनको अपनाने से जीवन खुशहाल और रोग मुक्त हो जाएगा।

अगर आपके भी स्वच्छता को लेकर कोई विचार हों तो जरुर सांझा करें …

 

 

August 12, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छ भारत मिशन – सफलता की कहानी(वीडियो)

स्वच्छ भारत मिशन – सफलता की कहानी(वीडियो)

स्वच्छ भारत मिशन – सफलता की कहानी(वीडियो)

ये सफलता की कहानी किसी एक व्यक्ति की नही बल्कि पूरे गांव की है.  पूरा गांव  जय स्वच्छ्ता के नारे गूंज उठा. एक कहानी नही हकीकत है और हकीकत है हरियाणा के जिला सिरसा के गांव फूलकां की.

ये तभी सम्भव हुआ जब जिला प्रशासन की टीम ने गांवों का दौरा किया और लोगो में जागृति  आई…

गांव की निवासी पुष्पा देवी बताती है कि पहले अपने गांव में आते जाते जाते शर्म आती और आज इस गांव में इतनी स्वच्छता आ गई है कि हमारा गांव अपने नाम जैसा  फूल जैसा खूबसूरत हो गया है..

वही गांव के बच्चों प्रदीप और कलावती ने बताया कि वो निगरानी करते और लोगो को खुले में शौच जाने को मना करते जब लोग नही मानते तो इनके शौच पर मिट्टी डाल कर आते ताकि बीमारियों से बचाव हो सके.

स्कूली टीचर श्री जगदेव फौगाट ने भी बताया कि बच्चों ने स्वच्छता के मह्त्व को बहुत जल्दी समझा.

आज ये गांव पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त है यही इस गांव की सफलता की कहानी है क्योकि सभी के सांझे प्रयासों से स्वच्छता आई तभी आज इस गांव की महिला नाच रही है गा रही है और जय स्वच्छता नारे गूंज रहे हैं

स्वच्छ भारत मिशन – सफलता की कहानी(वीडियो)

Swachh Bharat Mission-Gramin

Swachh Bharat Mission-Gramin Swachh Bharat Mission-Gramin – Kanganpur – Nirmal Bharat Abhiyan – TSC – DOST बात उन दिनों की है जब गांव के लोग खुले में See more…

 

 

August 1, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

Swachh Bharat Mission-Gramin – Tarkanwali

Swachh Bharat Mission-Gramin – Tarkanwali 

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण  गांव तरकावाली , सिरसा , हरियाणा, सफलता की कहानी success story

स्वच्छ्ता अभियान गांव गांव मे जोर शोर से चला और अच्छी बात यह भी रही कि उन्होने दिल से अपनाया और स्वच्छ्ता ला कर दिखाई. जब गांव वालो से बात की तो जहां स्कूली बच्चे स्वच्छ्ता देख कर बहुत उत्साहित थे और बढ चढ कर इस अभियान में हिस्सा लिया  वही  गांव की चंदो ताई ने बताया कि सभी ने मिल कर बहुत बढिया काम किया है.

गांव की महिला संतोष भी बहुत उत्साहित थी उन्होने बताया कि पहले लोग माने नही बोले की बाहर शौच जाएगें इअस पर उसने कहा कि ठीक है आप बाहर शौच जाओ हम मिट्टी डाल दिया करेंगें …

वही स्कूल टीचर ने बताया कि स्कूल में सुबह सवेरे प्रार्थना के समय स्वच्छता का महत्व समझाया जाता ताकि बच्चे समझे और स्वच्छ्ता अपनाए..

कुल मिला कर बच्चे, बडे युवा और बुजुर्ग सभी की मेहनत रंग लाई all are very happy … They are singing and dancing …

 

July 29, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छता का महत्व और हमारी जागरुकता – ऑडियो

रिश्वतखोरी - आईए रिश्वत दें
मोनिका गुप्ता

मोनिका गुप्ता

https://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/07/audio-our-earth-by-monica-gupta.wav

क्लिक करिए और सुनिए दो मिनट और 37 सैकिंड का स्वच्छता पर ऑडियो

स्वच्छता का महत्व और हमारी जागरुकता – ऑडियो

धरती को रहने लायक कैसे बना जाए ? क्या वाकई में स्वच्छता अभियान में हमारा कोई योगदान हो सकता है ? या फिर  दान पुण्य के नाम पर गंदगी फैलाना ही जायज है…!! हास्य और मनोरंजन के माध्यम से  इसी विषय पर  मेरी आपबीती….

धरती को रहने लायक कैसे बनाया जाए ??आज मैं इस बारे में बाहर बैठ कर सोच रही थी. तभी माली आ गया क्योकि घास बहुत बढ गई थी तो वो उसे काटने लगा. अचानक मैने देखा सामने सडक पर गाय आ रही है  मैने सोचा अरे वाह…. आज तो गउ माता को ताजी ताजी घास खिला देती हूं पुण्य का काम हो जाएगा… इसलिए कटी घास उठाई और गेट के बाहर सडक पर डाल  दी.

पहले तो  गाय  ने  लेफ्ट राईट देखा …फिर अपनी गर्दन झटकते हुए भवें हिलाई  शायद हैरान हो रही होगी क्योकि मैंने कभी उसे घास नही डाली … हा हा यानि कभी कुछ खाने को नही दिया और वैसे भी  सडक पर कुछ भी डालने के हमेशा से ही खिलाफ रही हूं पर आज् शायद  मेरा कोई पुण्य जाग उठा था या अपने पास पडोस को देख कर …

खैर वजह जो भी रही मैने कटी घास डालनी शुरु कर दी  उसने घास खाना शुरु ही किया था कि उसके चार पांच दोस्त और शायद  भी सहेलिया भी आ गई. मैने मन ही मन सोचा रे वाह … आज तो सारी घास इन सभी को ही खिला दूगी तो देवी देवता सब प्रसन्न हो जाएगें…

माली घास काटता रहा और मैं बाहर डालती रही. कुछ ही पल में बाहर देखा तो मेरी वजह से सारी सडक घास युक्त हो चुकी थी और तो और बैल अपने दोस्तो सहित सडक के बीचोबीच आसन जमा चुके थे  और दो ने तो गोबर तक करना शुरु कर दिया था..

कहां तो मैं कभी धास भी नही डालती थी और कहां उन्होने सारा गुड गोबर कर दिया …यकीनन  आने जाने वालो को परेशानी भी हो रही होगी…

एक मोटर साईकिल वाले ने वहां से जाते हुए मुझे ऐसे गुस्से से  देखा मानो कह रहा हो ये क्या हाल बना रखा है … अरे बाप रे ..!!!

मैं टेंशन में आ गई पर भगवान का शुक्र है कि उसी समय सडक साफ करने वाली जमादारनी आ गई और उसने बची घास  एक किनारे पर रख कर सडक साफ कर दी  तब तक घास भी खत्म हो गई थी और उसने और माली ने मिलकर जानवरों को भगा दिया …

उस समय मेरे मन में फिर आया कि धरती रहने लायक तभी बनाई जा सकती है जब हम उसे साफ सुथरा रखेंगें और ऐसे गंदा नही करेंगें भले ही पुण्य का कार्य हो जैसाकि हम हरिद्वार या गंगाजी जा कर करते हैं… वहां अस्थियां बहाते हैं पोलीथीन बहाते हैं जिसकी वजह से गंगा व अन्य पावन नदियां प्रदूषित हो रही है…

पता नही मेरे यह बताने  की क्या वजह है… है भी या नही पर इतना जरुर है कि धरती रहने लायक तभी बन सकती  है जब वो स्वच्छ हो, साफ हो और गंदगी से कोसो दूर हो…

एक सैल्फी स्वच्छता के नाम – Monica Gupta

एक सैल्फी स्वच्छता के नाम बेशक दुनिया में सैल्फी का इतिहास बहुत पुराना हो पर अगर अपने देश की बात करें तो बात ज्यादा पुरानी भी नही है…लाखों लोगो को सैल्फ read more at monicagupta.info

 

स्वच्छता के नारे – Monica Gupta

स्वच्छता के नारे स्वच्छता हम सभी के लिए बेहद जरुरी है जानते हैं हम सब पर फिर भी मानते नही है और गंदगी फैलाए चले जाते हैं. read more at monicagupta.info

वैसे आपके क्या विचार है इस बारे में जरुर बतईएगा कल फिर मिलूगी एक नए टापिक के साथ तक तक सफाई रखिए और स्वस्थ रहिए….

October 25, 2015 By Monica Gupta

स्वच्छता और मन की बात

radio photo

स्वच्छता और मन की बात

आश्चर्य जनक किंतु सत्य
आज न्यूज चैनल वाले बहुत खुश हैं क्योकि आज मन की बात कार्यक्रम  में मोदी जी ने कुछ न्यूज चैनलो और अखबारों की प्रशंसा की कि स्वच्छता में मीडिया ने बढ चढ कर सहयोग किया.

हर चैनल अपनी अपनी पीठ थपथपा रहा था. इस खबर को बार बार बार बार दिखाया जा रहा था चाहे ज़ी न्यूज  हो या एबीपी या आजतक या दैनिक जागरण  सभी बता रहे है कि मोदी जी ने विषेष रुप से उनका धन्यवाद किया   कि देखिए हमने कैसे जागरुकता जगाई  लोगो में…..

इस खबर के खत्म होने के बाद भारत की राजधानी दिल्ली पर आ गए  कि देखिए  आज खास खबर…. दिल्ली हुई कूडा कूडा … और फिर वही मुद्दा फिर वही बहस गंदगी पर कूडा पर  … मैं सोच रही हूं कि इन न्यूज चैनलो ने अगर  इतना अच्छा काम किया कि इनकी प्रशंसा की जाए …  अगर  इन न्यूज चैनल वालो ने जनता को जागरुक किया है तो फिर ये गंदगी, कूडा की खबर का क्या ओचित्य है ….  क्या अपनी पीठ थपथपाने के लिए ही स्वच्छता का कार्यक्रम बनाया था या …. ??? या हो सकता है कि दिल्ली वाले टीवी ही नही देखते  या अखबार नही पढते होंगें वरना स्वच्छता आ ही जाती… ओह अच्छा अच्छा.. यही बात होगी कि दिल्ली वालो ने स्वच्छता का कार्यक्रम ही नही देखा होगा नही तो ये हो ही नही सकता था कि उनमें स्वच्छता ही न आए …

स्वच्छता और मन की बात

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GST बोले तो –  चाहे मीडिया हो या समाचार पत्र जीएसटी की खबरे ही खबरें सुनाई देती हैं पर हर कोई कंफ्यूज है कि आखिर होगा क्या  ?  क्या ये सही कदम है या  देशवासी दुखी ही रहें …  GST बोले तो Goods and Service Tax.  The full form of GST is Goods and Services Tax. […]

डर के आगे ही जीत है - डर दूर करने के तरीका ये भी

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन – Social Networking Sites aur Blog Writing –  Blog kya hai .कहां लिखें और अपना लिखा publish कैसे करे ? आप जानना चाहते हैं कि लिखने का शौक है लिखतें हैं पर पता नही उसे कहां पब्लिश करें … तो जहां तक पब्लिश करने की बात है तो सोशल मीडिया जिंदाबाद […]

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