अच्छे स्वास्थ्य का महत्व
स्वास्थ्य ही जीवन है और इसे समझने के लिए हमें व्यक्तिगत स्वच्छता को समझना बहुत जरुरी है व्यक्तिगत स्वच्छता दो शब्दों से मिलकर बनी है ”व्यक्ति” एवं ”स्वच्छता” इस बात में कोई दो राय नही कि हमारा स्वास्थ्य हमारे स्वच्छ हाथों में है… हाथ कैसे धोऎ यानि hand wash पर तो बहुत बातें हैं पर कुल मिला कर हमारा स्वास्थय हमारे हाथों में ही है.
स्वास्थ्य ही धन है
स्वास्थ्य ही जीवन है और इतना ही नही हमारा स्वास्थ्य ही धन है. इसकी महत्ता हमे समझनी होगी. व्यक्तिगत स्वच्छता और स्वास्थ्य का ख्याल रखना बेहद जरुरी है. व्यक्तिगत स्वास्थ्य में शरीर की स्वच्छता, दॉंतों की सफाई, नाखूनों तथा पैरो की देखभाल, भोजन, आहार, व्यायाम, विश्राम एवं नींद ध्रूमपान लत, मानसिक विचार तथा मद्यपान संबंधी नियमों का पालन आतें हैं। इनके प्रति लापरवाही हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकती है उदाहरण के तौर पर दॉंतों की सफाई भरे मैल में जमे रोगाणुओं से ऑंतों में कृमि तथा अन्य विकार पैदा हो सकते हैं।
इससे बहुत सारी बीमारियों को निमत्रंण मिल जाता है और वो हाथो के जरिए या नाखूनों के माध्यम से मुह में चले जाते है और जाने कितनी तरह तरह की बीमारियों फैलती चली जाती है। इसलिए हाथों को राख या साबुन से भली प्रकार धोना चाहिए। कई बार घरो में लोग और खासतौर पर महिलाए नंगे पांव रहना ज्यादा पसंद करती है। नंगे पाव से हुकवार्म शरीर में घुस जाते है और इसकी वजह से शरीर में कमजोरी और खून की कमी हो जाती है।
त्वचा की सफाई ना होने पर पसीने और मैल की परत चढ़ती चली जाती है इसकी वजह से दाद खाज, खुजली और त्वचा के रोग हो जाते है। इस तरह के रोग बहुत जल्दी फैलते है इसलिए शरीर की सफाई रखनी बहुत ही जरूरी हो जाती है दांतो की सफाई भी उतनी ही जरूरी है अगर नियमित रूप से दात साफ नहीं होगे तो खाने के कण दांतो में पड़े पड़े सड़ जाऐगे इससे ना सिर्फ दांतो में सड़न होती है बल्कि पेट सम्बन्धी रोगो के होने का भी अंदेशा रहता है इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत सफाई बहुत जरूरी है खाने से पहले और खाना खाने के बाद हाथ या तो साबुन अथवा राख से अच्छी तरह धोने बहुत जरूरी है
एक सर्वे से पता चला है कि अगर हाथ सही प्रकार से wash हो तो दस्त जैसे अनेक रोगो में 50 प्रतिशत से भी ज्यादा कमी आई है इसलिए शौच के बाद या खाना बनाने से पहले और खाते समय हाथ साफ रखने बहुत जरूरी है जिन महिलाओं के बच्चे अभी बहुत छोटे है और उन्ही का दुग्धपान करते है उनके लिए यह और भी जरूरी हो जाता है कि हाथों को साफ रखे।
शौच त्यागने के बाद भी भली प्रकार हाथ धोने चाहिए हाथों के नाखूनों को भी नही बढ़ने देना चाहिए। इन नाखूनों में अन्दर की तरफ रोगाणु लम्बे, गंदे नाखूनों से भोजन करते वक्त भोजन में चले जाते है और दूषित कर देते है इस भोजन का सेवन करने से दस्त व अन्य रोग पैदा हो जाते है
चप्पल पहनना भी बहुत जरूरी हो जाता है ताकि कीटाणु पैरो के जरिए शरीर में प्रवेश करके बीमार ही ना कर दे।
शरीर में सिर के बालों की सफाई भी बहुत जरूरी होती है क्योंकि गन्दे सिर में जुए आ जाती है जोकि इसे नुकसान पहुंचाती है इसी प्रकार दांतो की सफाई बहुत जरूरी है ताकि मुंह की दुर्गन्ध ओर सड़न से बचा जा सके इसके लिए या तो दातुन या फिर नमक का भी इस्तेमाल किया जाता है
हर रोज नहाने से शरीर भी स्वच्छ और तरो ताजा रहता है इसलिए नहाना धोना बहुत जरूरी है जब हम खुद साफ और स्वच्छ होगे तो हमारा मन करेगा स्वच्छ जगह पर ही खेलने का सफाई का ध्यान सिर्फ खुद रखे बल्कि दूसरों को भी इसकी महता समझाए।
कई लोग चलते फिरते सड़क पर ही थूक देते है। उन्हें इसके होने वाले नुकसान बता कर स्वच्छता के प्रति जागरूक करना हमारा पहला कर्तव्य है। यही बात लागू होती है कि जिस व्यक्ति को जुकाम है। कई बार बच्चे या बड़े नाक आने पर अपनी आस्तीन से या कमीज से और महिलाएं अपने दुपटटे से ही साफ कर लेती है। जोकि सीधे तौर पर बीमारी को न्यौता देता है इसलिए ऐसे कामों से बच कर ही रहें। अपने पास साफ रूमाल ही रखे और उसे ही इस्तेमाल करे।
घर की सफाई
खेतो को पॉस्टिक खाद तो मिलेगी ही जिससे मिटटी की उर्वरकता बढ़ेगी। और जो कूड़े कचरे और प्लास्टिक के सामान से पर्यावरण का नुकसान हो रहा है उससे बचाव हो जाऐगा कई बार गांव वासियों द्वारा खाद के ढ़ेर पर सफाई के दौरान इतनी गन्दगी डाल दी जाती है कि वो खाद का ढेर कम और गन्दगी का ढेर ज्यादा लगता है जिससे बीमारियों का निमत्रंण मिलता है।
गडडों में इसे डाल कर ना सिर्फ बीमारियों से बचेगे बल्कि उन कूड़े के ढेर की बजाय सड़क पर पेड़ लगाए जा सकेगे जिससे पर्यावरण की स्वच्छता बढ़ेगी। चूल्हा एक ही कमरे में होने की वजह से घर के लोगो को सांस की दिक्कत हो जाती है और चूल्हे के धुएं से आंखो में भी जलन हो जाती है
आकडे तो यहा तक बताते है कि महिलाओं के खाना बनाते वक्त जितना धुआं सांस के साथ अन्दर जाता है। वो 200 सिग्रेट के धुए के बराबर होता है ऐसे में गर्भवती महिलाए खुद भी बीमार रहेगी और होने वाला बच्चा भी किसी ना किसी बीमारी से ग्रस्ति होगा ये तो रही घर की बात। अब लोग जब खेतो में शौच जाते है तो खुले में मल पड़ा रहने से संक्रामक रोगाणु फलो और सब्जियों में लग जाते है यही फल सब्जियां बिना धोए खा लेने पर दस्त या अन्य ऐसे रोग हो सकते है जो जानलेवा भी साबित हो सकते है।
तो इतनी सारी दिक्कतों के चलते इससे छुटकारा पाने का क्या कोई तरीका हो सकता है या नही तो जवाब सीधा सा है कि जिस घर में लोग रहते है सबसे पहले तो वो हवादार हो, पूरी रोशनी आए और घर में मच्छर मक्खी के बचाव के लिए जालीदार दरवाजे भी लगे हो अगर घर में धुए वाले चूल्हे है तो ऐसे चूल्हे बनाए जाए जो धुआ रहित हो इससे आखों की जलन के साथ साथ संास के रोगो में भी कमी आऐगी।
अब बात आती है सफाई की घर को खासकर फर्श को साफ रखना चाहिए।
घर का कूड़ा उठाकर सड़क पर फेकने की बजाय कूड़े के डि़ब्बे में ही डालना चाहिए। भोजन पर मक्खियां बैठ कर उसे दूषित ना कर दे उसके लिए जाती का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी हो जाता है जो बना हुआ भोजन है उसे भी ढ़क कर ही रखना चाहिए ताकि वो प्रदूषित ना हो।
पीने के पानी को भी ढ़क कर रखने के साथ साथ मटके या किसी अन्य बर्तन से निकालने के लिए डण्डी वाले लोटे का प्रयोग करना चाहिए और पानी का हमेशा जमीन से थोड़ा उचां रखना चाहिए। इसके साथ साथ या तो सुराही या फिर ऐसे मटकें या डिब्बे जिनमें नलके की सुविधा हो तो इस्तेमाल करने चाहिए। कच्ची सब्जी को बनाने से या कच्ची सब्जी खाने से पहले भली प्रकार धो लेनी चाहिए ताकि सारे कीटाणु दूर हो जाए। बर्तनों को भी साफ पानी से ही धोना चाहिए अगर गन्दे पानी से धोऐगें तो बर्तनों के साथ-2 उनमें रखा सामान भी दूषित हो जाऐगा
खोमचे वाले से खुला रखा खाना खाने से भी बीमार होने के लक्षण जल्दी दिखने लगते है इसलिए वहां का भोजन ना ही करे और जो भोजन घर पर भी बनाए उसे अच्छी तरह हाथ धोकर ही बनाए अब हाथ या तो साबुन से या राख से धोने बहुत जरूरी है ताकि खाने के साथ-2 अपनी और घर के सदस्यों की स्वस्थता भी बनी रहे।
इन सभी बातों के साथ साथ अपना अड़ोस-पड़ोस भी साफ रखना चाहिए। कूडे को घर के बाहर ना फेंक कर गडे में डालना चाहिए छोटे बच्चों के घर में ही शौच करने की स्थिति में उसे तुरन्त साफ करके हाथ धो लेने चाहिए ताकि ना मच्छर, मक्खी आए और ना कोई बीमारी फैले। जानवरो के गोबर को भी कूड़े के गडडे में ही डाल देना चाहिए और उनके मूत्र के लिए नाली द्वारा सोख्ता गडडे में ही बहने देना चाहिए।
इसके लिए घर से अलग पशुशाला का प्रावधान होना चाहिए। इसमें पक्का फर्श और नाली की ओर ढलुवा हो ताकि उनका मूत्र वहां इकठठा रहने की बजाय बह जाए।
नाली को सोख्ता गडडे से मिला देना चाहिए इसमें सफाई का ध्यान देना बहुत जरूरी है ताकि दुधारू पशु किसी भी तरह की बीमारी से बचे रहे।
स्वच्छता अपनाने से फायदे बहुत है …
कम मृत्यु दर और बेहतर स्वास्थ्य
पैसे की बचत
उत्पादकता में वृद्धि
ज्यादा आय के साधन
आत्म सम्मान
और सबसे बड़ी बात तो यह होगी कि स्वच्छता अपनाने से ड़ाक्टरों के चक्कर नही लगाने पड़ेगें जिससे पैसे बचेगें। पैसे बचेगें तो खुशियाँ आऐगी, खुशियाँ होगी तो आय के साधन और बढेगें क्योंकि अक्सर तनाव में रहने से काम नही हो पाता जब तनाव ही नही होगा तो और काम करने को मन करेगा, जिससे आय बढे़गी और आय बढे़गी तो जीवन स्तर में सुधार होगा और फिर देश को आगे बढ़ने से कोई रोक ही नही सकता।
खुले में शौच, महिलाएं और स्वच्छता अभियान – Monica Gupta
खुले में शौच, महिलाएं और स्वच्छता अभियान स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 हो या जन आंदोलन के रुप में चला स्वच्छता अभियान. महिलाओ को इसकी महत्ता समझ कर बढ चढ कर आगे आना ही होगा. अपनी और अपने गांव की स्वच्छता की ,कामयाबी की कहानी बनानी होगी. आज अचानक एक खबर ने फिर चौंका दिया. बदायूं बरेली … read more at monicagupta.info
वैसे स्वच्छता के बारे में आपका क्या ख्याल है … जरुर बताईएगा !!