Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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October 17, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

करवा चौथ – चाँद कितने बजे निकलेगा आज

करवा चौथ - चाँद कितने बजे निकलेगा आज

करवा चौथ – चाँद कितने बजे निकलेगा आज – शाम होते होते सबसे बडा सवाल यही होता जाता है कि चांद कितने बजे निकलेगा पर थैंक्स टू टेक्नोलोजी कि अब पहले ही पता चल जाता है कि कब चांद निकलेगा ?

करवा चौथ – चाँद कितने बजे निकलेगा आज

अगर आप घर की छत पर खडे होकर या सहेलियों को फोन करके इस बार करवा चौथ में चांद कब निकलेगा जानना चाह रहे हैं तो

खबर के मुताबिक खुश हो जाईए क्योकि चांद आपको ज्यादा इंतजार नही करवाएंगें

एक खबर के मुताबिक करवा चौथ में चंद्र उदय का मुहूर्त कुछ ऐसे रहेगा …

karavaa

देखो चांद आया … चांद नजर आया …

दिल्ली में रात 8:29 बजे

चंडीगढ़ में रात 8:46 बजे

जयपुर में रात 8:58 बजे

जोधपुर में रात 9:10 बजे

मुंबई में रात 9:22 बजे

बंगलुरु में रात 9:12 बजे

हैदराबाद में 9:22 बजे

देहरादून में रात 8:44

पटियाला और लुधियाना में रात 8:50 बजे

पटना में रात 8:46 बजे

लखनऊ और वाराणसी में रात 8:37 बजे

कोलकाता में रात 8:13 बजे होंगे चंद्रमा के दर्शन.

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महिलाओं का खूबसूरत पर्व है करवा चौथ व्रत … इस दिन ना जाने कैसे सभी महिलाओं में एक अलग ही शक्ति आ जाती है और पूरे दिन बिना पानी के निकाल लेती है . सारा दिन हाथ में मेंहदी रचे हाथ और खूबसूरत आभूषण और कपडे पहन कर नई नवेली दुल्हन की तरह  खनखनाती  रहती है… करवा चौथ पर सबसे ज्यादा नजरे इस बात पर होती हैं कि चांंद कितने बजे निकलेगा

एक खबर कुछ ये भी है कि

100 साल बाद करवाचौथ का महासंयोग

करवा चौथ का त्यौहार इस बार बुधवार को मनाया जा रहा है. बुधवार को शुभ कार्तिक मास का रोहिणी नक्षत्र है. इस दिन चन्द्रमा अपने रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे. बुध अपनी कन्या राशि में रहेंगे. इसी दिन गणेश चतुर्थी और कृष्ण जी की रोहिणी नक्षत्र भी है. बुधवार गणेश जी और कृष्ण जी दोनों का दिन है. ये अद्भुत संयोग करवाचौथ के व्रत को और भी शुभ फलदायी बना रहा है.  इस दिन पति की लंबी उम्र के साथ संतान सुख भी मिल सकता है.

आप सभी को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं !!

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अगर आप करवा चौथ की कहानी यहां भी सुन सकते हैं …

 

October 14, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

अहोई अष्टमी कथा – अहोई अष्टमी व्रत कथा और महत्व

अहोई अष्टमी कथा

अहोई अष्टमी कथा –  अहोई माता का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन किया जाता है। माताओ के लिए यह व्रत अत्यन्त महत्वपूर्ण है। माताएं दिन भर उपवास रखती हैं होई का पूजन करती हैं और तारों को अर्ध देती हैं

अहोई अष्टमी कथा – अहोई अष्टमी व्रत कथा और महत्व

अहोई अष्टमी  कथा – इस साल अहोई माता का व्रत देश भर में 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा. कार्तिक कृष्ण पक्ष को मनाए जाने वाला होई का त्योहार किसी उत्सव से कम नही होता. जैसे महिलाओ के लिए करवा चौथ एक उत्सव की तरह मनाया जाता है ठीक वैसे ही अहोई माता का व्रत भी किसी उत्सव से कम नही होता. दीवाली से एक सप्ताह पूर्व मनाए जाने वाला ये त्योहार संतान की सुख शांति और खुशहाली के लिए माताओं द्वारा रखा जाता है

सुबह सवेरे नहा धो कर पूजा की जाती है निर्जला उपवास रखा जाता है और तारों को देख कर व्रत खोला जाता है. दीवार पर माता का चित्र बनाया जाता है.  मान्यता है कि अहोई माता संतान की रक्षा करती हैं और उन्हे शुभ आशीर्वाद देती हैं.

अहोई अष्टमी कथा

अहोई अष्टमी की कहानी

अहोई अष्टमी की कथा कुछ ऐसे है. प्राचीन काल में एक साहुकार था, जिसके सात बेटे और सात बहुएं थी। इस साहुकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी। दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गई तो ननद भी उनके साथ हो ली। साहुकार की बेटी जहां मिट्टी काट रही थी उस स्थान पर (साही) अपने साथ बेटों से साथ रहती थी। मिट्टी काटते हुए ग़लती से साहूकार की बेटी की खुरपी के चोट से साही का एक बच्चा मर गया। स्याहू इस पर क्रोधित होकर बोली मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी।

स्याहू के वचन सुनकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभीयों से एक एक कर विनती करती हैं कि वह उसके बदले अपनी कोख बंधवा लें। सबसे छोटी भाभी ननद के बदले अपनी कोख बंधवाने के लिए तैयार हो जाती है। इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे होते हैं वे सात दिन बाद मर जाते हैं। सात पुत्रों की इस प्रकार मृत्यु होने के बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका कारण पूछा। पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी।

सुरही सेवा से प्रसन्न होती है और उसे स्याहु के पास ले जाती है। जाते समय रास्ते में थक जाने पर दोनों आराम करने लगते हैं अचानक साहुकार की छोटी बहू की नज़र एक ओर जाती हैं, वह देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है और वो सांप को मार देती है। इतने में गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है और खून बिखरा हुआ देखकर उसे लगता है कि छोटी बहु ने उसके बच्चे के मार दिया है इस पर वह छोटी बहू को चोंच मारना शुरू कर देती है। छोटी बहू इस पर कहती है कि उसने तो उसके बच्चे की जान बचाई है। गरूड़ पंखनी इस पर खुश होती है और सुरही सहित उन्हें स्याहु के पास पहुंचा देती है।

वहां स्याहु छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहु होने का अशीर्वाद देती है। स्याहु के आशीर्वाद से छोटी बहु का घर पुत्र और पुत्र वधुओं से हरा भरा हो जाता है।

अहोई का अर्थ एक प्रकार से यह भी होता है “अनहोनी को होनी बनाना” जैसे साहुकार की छोटी बहू ने कर दिखाया था। मान्यता ये भी है कि कहानी सुनने के बच्चे थाली में रखे फल, पैसे, मिठाई उठा कर भागते हैं और बच्चों की खिलखिलाहट से घर संसार महकता रहता है   आप सभी को अहोई अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं !!

 

स्कंदमाता नवरात्रि – ममतामयी है मां – Monica Gupta

कुष्मांडा माता – देवी दुर्गा का चौथा स्वरुप हैं नवरात्र के चौथे दिन देवी को कुष्मांडा के रूप में पूजा जाता है उदर से अंड अर्थात् ब्रह्मांड को उत्पन्न किया read more at monicagupta.info read more at monicagupta.inf

आईए ये वीडियो भी देखिए माता महागौरी की कहानी भी जरुर सुनिए …

https://monicagupta.info/articles/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A5%8C%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%BE/

October 12, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

करवा चौथ की कहानी

करवा चौथ की कहानी

करवा चौथ की कहानी – बहुत ध्यान से सुनी जाती है. इस  दिन महिलाऐं अपने पति की लम्‍बी उम्र की कामना  करती हैं और दिन भर निर्जला उपवास रखती हैं, खूब सज सवर कर करवा चौथ से सम्‍बंधित कथा-कहानियाँ सुनती और सुनाती हैं रात में चंद्र उदय होने पर उसकी पूजा-अर्चना कर पति के हाथों से पानी का घूंट पीकर  व्रत खोलती हैं.

करवा चौथ की कहानी –  व्रत की कहानी

करवा चौथ अलग अलग कहानियां हैं जोकि बहुत ध्यान से सुनी जाती है इसकी अलग अलग कहानियां प्रचलित हैं. . एक कहानी कुछ ऐसे है…

एक बार अर्जुन नीलगिरि पर तपस्या करने गए। द्रौपदी ने सोचा कि यहाँ हर समय अनेक प्रकार की विघ्न-बाधाएं आती रहती हैं। उनके शमन के लिए अर्जुन तो यहाँ हैं नहीं, अत: कोई उपाय करना चाहिए। यह सोचकर उन्होंने भगवान श्री कृष्ण का ध्यान किया।

भगवान वहाँ उपस्थित हुए तो द्रौपदी ने अपने कष्टों के निवारण हेतु कोई उपाय बताने को कहा। इस पर श्रीकृष्ण बोले- ‘एक बार पार्वती जी ने भी शिव जी से यही प्रश्न किया था तो उन्होंने कहा था कि करवाचौथ का व्रत गृहस्थी में आने वाली छोटी- मोटी विघ्न-बाधाओं को दूर करने वाला है। यह पित्त प्रकोप को भी दूर करता है। फिर श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को एक कथा सुनाई-

प्राचीनकाल में एक धर्मपरायण ब्राह्मण के सात पुत्र तथा एक पुत्री थी। बड़ी होने पर पुत्री का विवाह कर दिया गया। कार्तिक की चतुर्थी को कन्या ने करवा चौथ का व्रत रखा। सात भाइयों की लाड़ली बहन को चंद्रोदय से पहले ही भूख सताने लगी। उसका फूल सा चेहरा मुरझा गया। भाइयों के लिए बहन की यह वेदना असहनीय थी। अत: वे कुछ उपाय सोचने लगे।

उन्होंने बहन से चंद्रोदय से पहले ही भोजन करने को कहा, पर बहन न मानी। तब भाइयों ने स्नेहवश पीपल के वृक्ष की आड़ में प्रकाश करके कहा- देखो ! चंद्रोदय हो गया। उठो, अर्ध्य देकर भोजन करो।’ बहन उठी और चंद्रमा को अर्ध्य देकर भोजन कर लिया। भोजन करते ही उसका पति मर गया। वह रोने चिल्लाने लगी। दैवयोग से इन्द्राणी देवदासियों के साथ वहाँ से जा रही थीं। रोने की आवाज़ सुन वे वहाँ गईं और उससे रोने का कारण पूछा।

ब्राह्मण कन्या ने सब हाल कह सुनाया। तब इन्द्राणी ने कहा- ‘तुमने करवा चौथ के व्रत में चंद्रोदय से पूर्व ही अन्न-जल ग्रहण कर लिया, इसी से तुम्हारे पति की मृत्यु हुई है। अब यदि तुम मृत पति की सेवा करती हुई बारह महीनों तक प्रत्येक चौथ को यथाविधि व्रत करो, फिर करवा चौथ को विधिवत गौरी, शिव, गणेश, कार्तिकेय सहित चंद्रमा का पूजन करो और चंद्र उदय  के बाद अर्ध्य देकर अन्न-जल ग्रहण करो तो तुम्हारे पति अवश्य जीवित हो उठेंगे।’

ब्राह्मण कन्या ने अगले वर्ष 12 माह की चौथ सहित विधिपूर्वक करवा चौथ का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उनका मृत पति जीवित हो गया। इस प्रकार यह कथा कहकर श्रीकृष्ण द्रौपदी से बोले- ‘यदि तुम भी श्रद्धा एवं विधिपूर्वक इस व्रत को करो तो तुम्हारे सारे दुख दूर हो जाएंगे और सुख-सौभाग्य, धन-धान्य में वृद्धि होगी।’ फिर द्रौपदी ने श्रीकृष्ण के कथनानुसार करवा चौथ का व्रत रखा। उस व्रत के प्रभाव से महाभारत के युद्ध में कौरवों की हार तथा पाण्डवों की जीत हुई

करवा चौथ की एक कहानी कुछ ऐसे है .. पुराणों के अनुसार करवा नाम की एक पतिव्रता धोबिन अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित गांव में रहती थी। उसका पति बूढ़ा और निर्बल था। एक दिन जब वह नदी के किनारे कपड़े धो रहा था तभी अचानक एक मगरमच्छ वहां आया, और धोबी के पैर अपने दांतों में दबाकर यमलोक की ओर ले जाने लगा। वृद्ध पति यह देख घबराया और जब उससे कुछ कहते नहीं बना तो वह करवा..! करवा..! कहकर अपनी पत्नी को पुकारने लगा।

पति की पुकार सुनकर धोबिन करवा वहां पहुंची, तो मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुंचाने ही वाला था। तब करवा ने मगर को कच्चे धागे से बांध दिया और मगरमच्छ को लेकर यमराज के द्वार पहुंची।

उसने यमराज से अपने पति की रक्षा करने की गुहार लगाई और बोली- हे भगवन्! मगरमच्छ ने मेरे पति के पैर पकड़ लिए है। आप मगरमच्छ को इस अपराध के दंड-स्वरूप नरक भेज दें।

करवा की पुकार सुन यमराज ने कहा- अभी मगर की आयु शेष है, मैं उसे अभी यमलोक नहीं भेज सकता। इस पर करवा ने कहा- अगर आपने मेरे पति को बचाने में मेरी सहायता नहीं कि तो मैं आपको श्राप दूंगी और नष्ट कर दूंगी।

करवा का साहस देख यमराज भी डर गए और मगर को यमपुरी भेज दिया। साथ ही करवा के पति को दीर्घायु होने का वरदान दिया।

तब से कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत का प्रचलन में आया। जिसे इस आधुनिक युग में भी महिलाएं अपने पूरी भक्ति भाव के साथ करती है और भगवान से अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

12 अक्तूबर शनिवार अहोई अष्टमी है

हिन्दू मुस्लिम एकता पर कबूतर ने दी सीख – एक प्रेरक कहानी – Monica Gupta

हिन्दू मुस्लिम एकता पर कबूतर ने दी सीख – एक प्रेरक कहानी – पशु और पक्षी हमारे मित्र हैं और पशु पक्षियों का हमारे जीवन में महत्व Hindu Muslim ekta kabootar read more at monicagupta.info

 

https://monicagupta.info/articles/%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF-%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A4%BE/

8 अक्तूबर 2017 sunday को करवा चौथ है और 12 अक्तूबर शनिवार अहोई अष्टमी है…

October 9, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छ भारत अभियान – गांव टीटू खेडा

स्वच्छ भारत अभियान - गांव टीटू खेडा

 

स्वच्छ भारत अभियान – गांव टीटू खेडा  की  सफलता की कहानी शानदार और सबसे अलग है.स्वच्छता अभियान के मामले में यह गांव आगे रहा. Swachh Bharat Abhiyan – Village Titu Khera की देखिए कहानी…

स्वच्छ भारत अभियान – गांव टीटू खेडा में गांव वालों की भूमिका

स्वच्छ भारत अभियान – गांव टीटू खेडा  की कहानी देखिए . गांव टीटू खेडा सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के अन्तर्गत   एक मिसाल बना. स्वच्छता अभियान में गांव वालों की भूमिका सराहनीय रही क्योकि सभी ने मिलकर कार्य किया जिससे स्वच्छता आई.

स्वच्छ भारत अभियान जोर शोर से चल रहा है. गांव वालो को जब सरकार और प्रशासन द्वारा स्वच्छता का मह्त्व समझाया गया और सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के चलते  टीटू खेडा गांव एक मिसाल बन गया .

गांव टीटू खेडा की सफलता की कहानी सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के अंतर्गत देखिए

पहले गांव की महिलाएं, बच्चे, बडे और बुजुर्ग कैसे खुल्ले में शौच जाते थे और जब स्वच्छता अभियान चला और पूरे गांव ने ना सिर्फ इसका मह्त्व समझा बल्कि एकजुट होकर स्वच्छता पर काम किया तो बन गई कामयाबी की कहानी…

बात है 2007-08 की .  हरियाणा के जिला सिरसा में सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के चलते जब प्रशासन और सरकार की ओर से स्वच्छता का महत्व समझाया गया तब गांव वालों में इतना जोश आ गया कि पूरा गांव ही एक परिवार बन गया और स्वच्छता को दिल से अपना लिया. गली गली में जय स्वच्छता के नारे   गूंजने लगे..

https://youtu.be/mnQ6hyA6WA8

इस Campaign का नेतृत्व किया  Dr. Yudhbir Singh, Additional Deputy Commissioner & Project Director, DRDA, Sirsa ने उन्होनें  NGO, “Jai Swachhta Samiti” के साथ मिलकर मात्र 90 दिन सिरसा के 333  गांवों को खुल्ले मे शौच मुक्त बना दिया.

This achievement of making all the 333 villages of District Sirsa, Open Defecation Free (ODF)in less than 90 days.

इतना ही नही बल्कि इस बात का जिक्र लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड edition 2009. में भी है. It was also published in the “Limca Book of Records” edition 2009.

October 8, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छ भारत अभियान – गांव वैदवाला – सफलता की कहानी

स्वच्छ भारत अभियान - गांव टीटू खेडा

स्वच्छ भारत अभियान – गांव वैदवाला की सफलता की कहानी  भी सबसे अलग है. स्वच्छ भारत अभियान – गांव वैदवाला स्वच्छता अभियान के मामले में आगे रहा.

स्वच्छ भारत अभियान – गांव वैदवाला में गांव वालों की भूमिका

सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के अन्तर्गत  गांव वैदवाला एक मिसाल बना. स्वच्छता अभियान में गांव वालों की भूमिका सराहनीय रही क्योकि सभी ने मिलकर कार्य किया जिससे स्वच्छता आई. Swachh Bharat Abhiyan – Village Vaidwala – A Success Story

स्वच्छ भारत अभियान जोर शोर से चल रहा है. सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के चलते  गांव एक मिसाल बन गया – गांव वैदवाला की सफलता की कहानी सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के अंतर्गत देखिए पहले गांव की महिलाएं, बच्चे, बडे और बुजुर्ग कैसे खुल्ले में शौच जाते थे और जब स्वच्छता अभियान चला और पूरे गांव ने ना सिर्फ इसका मह्त्व समझा बल्कि एकजुट होकर स्वच्छता पर काम किया तो बन गई कामयाबी की कहानी…

बात है 2007-08 की .  हरियाणा के जिला सिरसा में सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के चलते गांव वालों में इतना जोश आ गया कि पूरा गांव ही एक परिवार बन गया और स्वच्छता को दिल से अपना लिया. गली गली में जय स्वच्छता के नारे   गूंजने लगे..

इस Campaign का नेतृत्व किया  Dr. Yudhbir Singh, Additional Deputy Commissioner & Project Director, DRDA, Sirsa ने उन्होनें  NGO, “Jai Swachhta Samiti” के साथ मिलकर मात्र 90 दिन सिरसा के 333  गांवों को खुल्ले मे शौच मुक्त बना दिया  This achievement of making all the 333 villages of District Sirsa, Open Defecation Free (ODF)in less than 90 days. इस बात का जिक्र लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड edition 2009. में भी है. It was also published in the “Limca Book of Records” edition 2009.

https://youtu.be/t6QpgTvi79Y

October 4, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

मां सिद्धिदात्री – माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम

मां सिद्धिदात्री

मां सिद्धिदात्री – माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम है. सिद्धिदात्री  siddhidatri maa को देवी सरस्वती का भी स्वरूप कहा जाता है जो श्वेत वस्त्र धारण किए भक्तों का ज्ञान देती है।हे माँ! सर्वत्र विराजमान और माँ सिद्धिदात्री के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है

मां सिद्धिदात्री – माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम

नवरात्रि का नवां दिन मां सिद्धिदात्री का है जगत के कल्याण हेतु नौ रूपों में प्रकट हुई और इन रूपों में अंतिम रूप है देवी सिद्धिदात्री। जिनकी आराधना से  सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है उसे बरे कर्मों से लडऩे की शक्ति मिलती है.कमल के आसान पर विराजमान मां सिद्धिदात्री के हाथों में कमल, शंख गदा, सुदर्शन चक्र है जो हमें बुरा आचरण छोड़ सदकर्म का मार्ग दिखाता है। देवतागण, ऋषि-मुनि, असुर, नाग, मनुष्य सभी मां के भक्त हैं। देवी जी की भक्ति जो भी हृदय से करता है मां उसी पर अपना स्नेह लुटाती हैं। मां की आराधना करने से भक्तों को यश, बल व धन की प्राप्ति होती है।

 

जय माता की

मां सिद्धिदात्री – माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम है …मां के आर्शीवाद से ही हमारे भीतर क्रियाशीलता उत्पन्न होती है जिससे हम कठिन से कठिन मार्ग पर भी सहजता से आगे बढ़ते जाते हैं देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इन्हीं शक्ति स्वरूपा देवी की उपासना करके सभी शक्तियां प्राप्त की थीं जिसके प्रभाव से शिव का आधा शरीर स्त्री का हो गया था। शिवजी का यह स्वरूप अर्धनारीश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

मां सिद्धिदात्री सिंहवाहिनी, चतुर्भुज तथा सर्वदा प्रसन्नवंदना है। सिद्धिदात्री को देवी सरस्वती का भी स्वरूप कहा जाता है जो श्वेत वस्त्र धारण किए भक्तों का ज्ञान देती है।

हे माँ! सर्वत्र विराजमान और माँ सिद्धिदात्री के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है

मां सिद्धिदात्री

 

देवी सिद्धिदात्री का रूप अत्यंत सौम्य है, देवी की चार भुजाएं हैं जिसमे चक्र, गदा, शंख और कमल का फूल है। कमल आसन पर विराजमान मां की सवारी सिंह हैं।

मां शैलपुत्री – क्या है कहानी – Monica Gupta

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की कहानी देवी दुर्गा के नौ रूप हैं. पहले स्वरुप मां शैलपुत्री की क्या है कहानी सुनिए या पढिए 3 मिनट 9 सैकिंड का ऑडियो read more at monicagupta.info

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