Swachh Bharat Mission-Gramin
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बात उन दिनों की है जब गांव के लोग खुले में शौच के लिए जाते थे पर जब से जनता में जागरुकता आई और वो सफाई का महत्व समझने लगे तभी से जबरदस्त बदलाव देखने को मिला … उसी का जीता जागता उदाहरण है हरियाणा के सिरसा का गांव वैदवाला ….जिन्होनें स्वच्छता में एक मिसाल कायम की … लोग इस सफाई से बेहद उत्साहित है और खुशी का इजहार नाच गा कर रहे हैं
Training TSC
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सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान 2008-9
स्वच्छ रहना सभी चाह्ते हैं स्वच्छ्ता सभी चाह्ते हैं पर जागरुकता का अभाव है इसलिए जो घर घर जाकर सभी को प्रेरित करें उनको भी तो प्रेरित करने जी जरुरत हैं ये थी हमारी टीम जिन्होनें सिरसा के 333 मे से 260 गांव को सम्पूर्ण स्वच्छता दिलवाई और ये सब सम्भव हुआ डाक्टर युद्दबीर सिह ख्यालिया जो उस समय सिरसा हरियाणा मे एडीसी थे उनके दिखाए मार्ग पर चल कर …
ट्रैनिंग के दौरान प्रेरकों को प्रेरित करके उनमें नया जोश पैदा करती हुई 🙂
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नारी शक्ति पर कविता – आज की भारतीय नारी
नारी शक्ति पर कविता – आज की भारतीय नारी- mahila diwas – आज की नारी अबला नही सबला है. हम भारतीय नारियों की तो बात ही अलग है … ढेरो परेशानियों के बावजूद भी हमेशा सकारात्मक सोच रखती हुई आगे बढती जाती हैं और अपनी बात कुछ इस तरह से कह जाती है
नारी शक्ति पर कविता – आज की भारतीय नारी-
सुनिए मेरी लिखी कविता मेरी ही आवाज में अच्छे लगते हैं … पीले पत्ते
सूखी टहनियां
अंधकार से धिरा आसमान
पथरीला रास्ता
कांटो भरी राह
अनुत्तरित प्रश्नो को तलाशती सूनी निगाह
Audio- Poem- Indian lady -Monica Gupta
आज समय बदल रहा है और हम नारियों की सोच भी बदल रही है वो परेशानी हो या बाधा … उनका सामना करती हुई हर क्षेत्र में आगे आ रही है और यही सब महसूस करते हुए दिल से एक कविता बन निकली …
सुनिए मेरी लिखी कविता मेरी ही आवाज में अच्छे लगते हैं … पीले पत्ते …
अच्छे लगते हैं ( कविता)
अच्छे लगते हैं
पीले पत्ते
सूखी टहनियां
अंधकार से धिरा आसमान
पथरीला रास्ता
कांटो भरी राह
अनुत्तरित प्रश्नो को तलाशती सूनी निगाह
इसलिए नही
कि हौसळे बुलंद हैं
जोश है कुछ कर दिखाने का या मन मे भरा है धैर्य, आत्मविश्वास
जुनून है, लग्न है कि जीतना ही है
नही
बल्कि इसलिए कि
मै हूं नारी
ईश्वर की अनमोल सरंचना
एक तोहफा
जन्मदात्री हू ना
इसलिए जानती हूं
कि
पीडा मे कितना सुख है
इसलिए तो तैयार हूं
अंगारो भरी राह पर खुद को समर्पित करने को
तभी तो
अच्छे लगते हैं
बडे अच्छे लगतें हैं
पीले पत्ते
सूखी टहनियां
अंधकार से धिरा आसमान ….!!!
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अच्छे लगते हैं कविता आपको कैसी लगी ?? जरुर बताईएगा !!!
समाचार पत्र के बारें में – एक व्यंग्य
समाचार पत्र के बारें में – एक व्यंग्य – akhbar अखबार , news paper यानि समाचार पत्र की भूमिका नेट का जमाना होते हुए भी आज भी बहुत ज्यादा है.
समाचार पत्र के बारें में – एक व्यंग्य
आज के दौर में भी अखबार छप रहा है और लोग उसे चाव से पढ रहे हैं पर दो महिलाए अखबार की बुराई करने में जुटी है कि अखबार जरा भी अच्छा नही.. सम्पादक महोदय की आखों से नींद उडना स्वाभाविक ही था कि आखिर अखबार अच्छा क्यों नही… आईए जाने की इन दो महिलाओं को अखबार में क्या खामियां नजर आई और फिर सम्पादक महोदय क्या कहते हैं…
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आज अचानक समाचार पत्र के सम्पादक को आपात कालीन बैठक बुलानी पडी. असल में, हुआ यू कि आज दफतर आते समय लिफ्ट मे दो महिलाए बात कर रही थी कि ( बीप बीप और बीप बीप.. अब आपको वो बात नही बता सकते है ना इसलिए बीप बीप लिखना पड रहा है ) हां,तो महिलाए बात कर रही थी कि…… अखबार तो जरा भी अच्छा नही है हां पहले ठीक था पर अब … !!! अचानक वो सम्पादक महोदय को देखकर चुप हो गई और फिर पहली मंजिल पर उतर कर अपने दफतर चली गई. बस तभी से सम्पादक महोदय का माथा ठनका और आनन फानन मे बैठक बुला ली.
अखबार अच्छा नही …… इस मामले को इतनी गम्भीरता से लिया गया कि जो सुबह सवेरे हॉकर अखबार फेंक कर आते हैं उन्हें तक को बुला लिया गया. सब अपने अपने विचार रख रहे थे. सम्पादक को डर लग रहा था कि कभी मालिक को पता चल गया तो उनकी छुटटी ही ना हो जाए. अखबार वाले ने बताया कि वो अपना काम सुबह सवेरे कर देता है दूसरे सम्पादक ने कहा कि बीच मे गल्तियाँ बहुत होने लगी थी पर उसका ध्यान रखा जाएगा. दूसरे ने कहा कि वह लेख नेट से सीधा ही उठा कर बिना कांट छांट किए पेस्ट कर देता था पर अब ध्यान रखेगा एक ने अपनी राय दी कि हो सकता है कि अखबार मे विज्ञापन बहुत आते है शायद इसलिए … !!! पर इस बात को भी सिरे से नकार दिया गया क्योकि अगर विज्ञापन ही नही आऐगे तो अखबार का खर्चा कैसे चलेगा.
सम्पादक को चिंता इस बात की थी कि आज के इस कॉम्पीटीशन के युग मे अगर कोई नया अखबार आ गया तो … आज दो महिलाए बात कर रही है कल दस करेगी….परसो सौ ….उन्होने सिर को झटका और बहुत गम्भीर मुद्रा मे बैठक करीब दो धंटे तक चली.
एक सर्वे कम्पनी को कोंट्रैक्ट देने का निश्चय कर लिया गया कि वो अखबार के लेख व खबरो की कमियां लोगो से पूछे ताकि सुधार किया जा सके.
शाम को दफ्तर से जाते वक्त सम्पादक महोदय को फिर वही महिलाए लिफ्ट मे मिली. सम्पादक ने सोचा कि चलो सबसे पहले इनके ही विचार लेते है और बहुत शालीनता से पूछा कि उनके अखबार मे उन्हे कौन से लेख ना पसंद और पसंद है. दोनो पहले तो सकपकाई फिर बोली कि बोली कि ऐसी कोई बात नही है. इस पर सम्पादक ने कहा कि बताईए आप सुबह तो बात कर रही थी ना ..तो इस पर दोनो बोलने लगी कि बात लेख या खबर की नही है हमारे पास इतना समय ही नही होता कि अखबार बैठ कर पढा जा सके.
इस पर सम्पादक ने कहा पर आप लोग सुबह तो (बीप बीप .. बीप बीप ) की बुराईयां कर रही थी अखबार अच्छा नही…. इस पर वो मुस्कुराते हुए बोली अ…ओ अच्छा वो … असल मे,क्या है ना कि वो बच्चो को सुबह टिफिन देती है यानि पराठी उस अखबार मे मे पैक कर के देती हैं और बच्चे स्कूल से घर पर आकर अक्सर शिकायत करते है कि परांठी पर कागज के अक्षर की छाप आ जाती है.
बताईए अच्छा नही लगता ना.. इतने मे दूसरी बोली कि वो सुबह सुबह अखबार से घर पर बाश बेसिन के उपर लगा शीशा और उसके पति कार का शीशा साफ करते है तो अखबार ही शीशे पर चिपक जाता है. साफ ही नही होता अब बताईए अखबार कैसा अच्छा लगे. डबल मेहनत करनी पडती है साफ करने मे उसे. बस यही सोच रहे है है कि बीप बीप या बीप बीप …
तभी पहली महिला बोल उठी कि इतना ही नही कई बार चाय पीते वक्त मक्खी आकर बैठ जाती है तो अखबार को गोल लपेट कर ही तो उससे मक्खी मारेंगें…. पर नही… अजी ग्रिप ही नही बनती … और मक्खी उड जाती है मरती ही नही … अब ऐसे अखबार कैसे अच्छा हो …कोई मजबूती तो हो कि मारों और मक्खी गिर कर मर जाए….. इसलिए लगा कि अखबार अच्छा नही !!
सम्पादक महोदय का हैरानी से मुहँ खुला का खुला ही रह गया और अब उनके पास बीप बीप के इलावा कहने को कुछ नही बचा था.
इतने मे लिफ्ट का दरवाजा खुला और दोनो महिलाए मटकती हुए बाहर चली गई और सम्पादक महोदय वही खडे के खडे रह गए….
अखबार अच्छा नही आपको कैसा लगा ?? जरुर बताईएगा 🙂
AAP Cartoons – धमासान जारी है
AAP Cartoons – धमासान जारी है -अरविंद केजरीवाल जी और उनकी आम आदमी पार्टी- इसके बारे मे हम कह कर भी कुछ नही कह सकते अचानक चलते चलते इसे झटके लगते हैं या झटके लगते लगते अचानक बलवान हो जाती है और दुख इस बात का होता है कि अपने ही …. खैर आईए आनंद लेते हैं आप के कुछ कार्टून … मेरे दवारा बनाए गए 🙂 AAP Cartoons
AAP Cartoons – धमासान जारी है
आम आदमी पार्टी, संक्षेप में आप, सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल एवं अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन से जुड़े बहुत से सहयोगियों द्वारा गठित एक भारतीय राजनीतिक दल है। इसके गठन की आधिकारिक घोषणा २६ नवम्बर २०१२ को भारतीय संविधान अधिनियम की ६३ वीं वर्षगाँठ के अवसर पर जंतर मंतर, दिल्ली में की गयी थी।
सन् २०११ में इंडिया अगेंस्ट करपशन नामक संगठन ने अन्ना हजारे के नेतृत्व में हुए जन लोकपाल आंदोलन के दौरान भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा जनहित की उपेक्षा के खिलाफ़ आवाज़ उठाई। अन्ना भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आंदोलन को राजनीति से अलग रखना चाहते थे, जबकि अरविन्द केजरीवाल और उनके सहयोगियों की यह राय थी कि पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा जाये। इसी उद्देश्य के तहत पार्टी पहली बार दिसम्बर २०१३ में दिल्ली विधानसभा चुनाव में झाड़ू चुनाव चिन्ह के साथ चुनावी मैदान में उतरी।
पार्टी ने चुनाव में २८ सीटों पर जीत दर्ज़ की और कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनायी। अरविन्द केजरीवाल ने २८ दिसम्बर २०१३ को दिल्ली के ७वें मुख्य मन्त्री पद की शपथ ली। ४९ दिनों के बाद १४ फ़रवरी २०१४ को विधान सभा द्वारा जन लोकपाल विधेयक प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को समर्थन न मिल पाने के कारण अरविंद केजरीवाल की सरकार ने त्यागपत्र दे दिया।
AAP की उत्पत्ति सन् २०११ में इण्डिया अगेंस्ट करप्शन द्वारा अन्ना हजारे के नेतृत्व में चलाये गये जन लोकपाल आन्दोलन के समापन के दौरान हुई। जन लोकपाल बनाने के प्रति भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा प्रदर्शित उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण राजनीतिक विकल्प की तलाश की जाने लगी थी। अन्ना हजारे भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आन्दोलन को राजनीति से अलग रखना चाहते थे जबकि अरविन्द केजरीवाल आन्दोलन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिये एक अलग पार्टी बनाकर चुनाव में शामिल होने के पक्षधर थे। उनके विचार से वार्ता के जरिये जन लोकपाल विधेयक बनवाने की कोशिशें व्यर्थ जा रहीं थीं। इण्डिया अगेंस्ट करप्शन द्वारा सामाजिक जुड़ाव सेवाओं पर किये गये सर्वे में राजनीति में शामिल होने के विचार को व्यापक समर्थन मिला।
१९ सितम्बर २०१२ को अन्ना और अरविन्द इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि उनके राजनीति में शामिल होने सम्बन्धी मतभेदों का दूर होना मुश्किल है। इसलिये उन्होंने समान लक्ष्यों के बावजूद अपना रास्ता अलग करने का निश्चय किया। जन लोकपाल आन्दोलन से जुड़े मनीष सिसोदिया, प्रशांत भूषण व योगेन्द्र यादव आदि ने अरविन्द केजरीवाल का साथ दिया, जबकि किरण वेदी व सन्तोष हेगड़े आदि कुछ अन्य लोगों ने हजारे से सहमति प्रकट की। केजरीवाल ने २ अक्टूबर २०१२ को राजनीतिक दल बनाने की घोषणा की। इस प्रकार भारतीय संविधान की वर्षगांठ के दिन २६ नवम्वर (२०१२) को औपचारिक रूप से AAP का गठन हुआ
आजकल भारी बहुमत से जीत कर अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्य मंत्री पद पर आसीन है. अरविंद जी ने बहुत उतार चढाव देखी हैं. इन्हीं उतार चढावों को कुछ कार्टून के माध्यम से मैने दर्शाने की कोशिश की है
AAP Cartoons…..