धीमी आवाज में बजाईए – ध्वनि प्रदूषण एक समस्या – loudspeaker dheemi awaz mai bajao – no horn please – हम कानून का उल्लंधन क्यो करते हैं … क्यो नही हर कोई चाहे नेता हो अभिनेता हो, आम आदमी हो , मंदिर हो, मस्जिद हो. गुरुद्वारा हो … शादी ब्याह हो… नियम का सख्ती से पालन होता
धीमी आवाज में बजाईए – ध्वनि प्रदूषण एक समस्या
मैं, बात, सोनू निगम या उनके टविट की नही कंरुगी हां, बात ये कहने की आज जरुरत इसलिए महसूस हुई कि उनके टवीट को देख कर मुझे कुछ समय पहले की बात याद आ गई.
उन दिनों में ज़ी न्यूज की रिपोर्टर थी और एक न्यूज आईडिया Story बना रही थी कि सुबह सुबह गुरुद्वारे या मंदिरों में लाउड स्पीकर उंचे उंचे गाने शुरु हो जाते हैं जिससे बच्चो की पढाई में खलल पडता है … हालाकि ये न्यूज ओके नही हुई थी और पैंडिग रख दी गई पर मैं भी इस बात को बहुत महसूस कर रही थी कि इतना ध्वनि प्रदूषण नही होना चाहिए … खैर …
उन्हीं दिनों मैनें महसूस किया कि घर के आगे से एक रिक्शा बहुत उंची उंची loudspeaker बजाता हुआ जाता है.. उसमे गाने होते हैं और किसी कम्पनी का विज्ञापन …
कई बार वो घर के पास रुक कर सिग्रेट भी सुलगाने लगता और उंची आवाज बजती रहती … इसी बीच मुझे इस बात का पता चल चुका था कि ऐसे रिक्शे वालो को लाईसैंस मिलता है उसका सबसे आखिरी point यही होता है कि धीमी आवाज मे बजाईए …
बस … एक दिन जब बाहर से जोर जोर से गाने की आवाज आने लगी तो मैं बाहर निकली और उन्हें रोका … वो बहुत बूढे थे .. मैने कहा कि अपना लाईसैंस दिखाओ … वो बोले क्या /// शायद उन्हें सुनाई नही दिया था …
मैने इशारा करके कहा कि इसे बंद करो और अपना लाईसैंस दिखाओ … अब वो भी गुस्सा सा हो गया था बोला … किसलिए क्या हुआ ?? … मैने कहा कि इतनी तेज चला रखा है .. जरा दिखाओ …
उन्होनें जेब से एक मुडा तुडा सा कागज दिखाया जिस पर सबसे आखिर में लिखा था कि धीमी आवाज में बजाओ …
वो कागज उनको दिखाया ये देखो क्या लिखा है .. पर पता नही उस समय क्या हुआ कि उन बूढे व्यक्ति को देखते हुए मेरा गुस्सा कम हो गया..
मेरी सोच बदल गई … मैने उन्हें आराम से कहा कि बाबा और किसी का नही तो कम से कम अपने कानों का तो ख्याल कर लो …
सुनना ही बंद हो जाएगा तो क्या करोगे … उन्हें ये बात भी सुनाई नही दी …
पर जब दुबारा जोर से बोल कर समझाया तो उन्हें सुन गया और शायद समझ भी आ गया … उन्होने इशारा करते हुए कहा कि अब मैं कम आवाज में पर्ची के हिसाब से चलाउंगा ..
मैने उन्हें पानी पूछा तो बोले नही और कुछ जर्दा टाईप सा कुछ खाया और चले गए … उसके बाद से वो बाबा नजर नही आए … उसके बाद और लोग आते रहे उंची आवाज में विज्ञापन चलाते रहे और मैं हर बार लाईसैंस की बात करती तो सब चुप हो जाते …
आज सोनू निगम में टवीट किया और बहस छिड गई इसे मजहबी रंग दिया जा रहा है … जबकि मजहबी रंग देने के बजाय ध्वनि प्रद्षण पर ध्यान देना चाहिए और इस कानून का जहां भी उल्लधंन हो उसे कडी सजा भी मिलनी चाहिए.
हमें कानून के अनुसार काम करना चाहिए … दुखद है कि हमारे देश में कोई नियम कानून नही है … जबकि होना भी चाहिए और हमें मानना भी चाहिए …
देश के प्रति हमारा कर्तव्य और अधिकार – कितने जागरूक नागरिक हैं हम – Monica Gupta
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धीमी आवाज में बजाईए – ध्वनि प्रदूषण एक समस्या
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