फिल्मों का समाज पर प्रभाव – मेरे मन की बात – filmon ka samaj par prabhav – अगर फिल्म देख कर बिगडते हैं तो फिल्म देख कर सुधरना भी तो चाहिए- आमतौर पर किसी पर दोष बहुत जल्दी लगा देते हैं पर अगर अपने गिरेबान में झाकेंगें तो असलियत सामने आ जाएगी… cinema ke labh aur hani.
फिल्मों का समाज पर प्रभाव – मेरे मन की बात
कल एक जानकार घर आई हुई थीं वो बता रही थी कि फिल्मों ने बिगाड दिया आज के बच्चे को … by chance उस समय दंगल मूंवी चल रही थी जिसमे आमिर खान अपनी लडकियों को पहलवान बनाते हैं ..
मैंने पूछा कि आपने क्या ये मूवी देखी … वो बोली कि हां और मेरे बेटे ने तो दस बार देखी उसे तो सारे डायलॉग भी याद हैं.. और वो बताने लगी कि उस का एक डायलॉग तो आज के माता पिता पर बहुत सही लागू होता है कुछ कह नही सकते आज बच्चों को …
दोनों हाथ होते हुए भी अपने आप को शोले फिल्म का ठाकुर की तरह helpless महसूस कर रहे हैं हम भी ऐसे लाचार हो गए और वो चली गई
बुराई हम बहुत जल्दी सीख लेते हैं तो अच्छाई क्यो नही सीखते
उसके जाने के बाद मैं ये सोच रही थी कि फिल्म की बुराई हम बहुत जल्दी सीख लेते हैं तो अच्छाई क्यो नही सीखते … अब दंगल मूवी भी बहुत अच्छा उदाहरण है … अगर आपने मूवी देखी हो .. मैं बात करती हूं कि सफल होना है तो कम्फर्ट जोन से बाहर आना होगा …
पहले दोनो लडकियां उसी जोन में रहना चाह्ती थी आराम की जिंदगी… इतनी मेहनत , इतनी कसरत , नही होती उनसे … फिर पिता का दवाब पडता है एक बार निकलने की कोशिश की पर वो भी दवाब में इसलिए उसे एंजाय नही कर पाती और बहाने तैयार होते हैं पर जब महसूस हुआ और एक लग्न जागी तो वो खुद ही पूछती है कि
अगला दंगल कहां है कब चलना है …
और नतीजा निकला कि देश के लिए गोल्ड लाईं
एक गोल सेट हो गया और उसी दिशा में काम करना भी शुरु किया रुकावट भी आई और दिक्कतें भी आई खर्चा भी करना पडा … पर आत्मविश्वास और धैर्य भरा हुआ था …
एक डायलॉग भी था ना कि डर से लडना पडता है … Dangal ladne se pehle dar se ladna padta hai
जो लोग ये कहतें है कि फिल्में बिगाड रही हैं उनसे कोई ये भी पूछे कि अगर बुरी फिल्में बिगाड रही हैं तो अच्छी फिल्में भी तो सबक दे रही हैं उनसे क्या सीखा …
वैसे मैं ये सोचती हूं कि हर लडकी पहलवानी न सही पर अपना बचाव करना सीख ले तो क्राईम रेट वैसे ही कम हो जाएगा … फिर गर्व से कहेगें कि छोरी छौरे से कम है के… जरुर सोचिएगा ..
दंगल डायलॉग इन हिंदी
आमिर की ‘दंगल’ पहलवान महावीर फोगट पर आधारित है, जिसमें आमिर ने महावीर का किरदार निभाया है. महावीर फोगट की चार बेटियां हैं जिनमें गीता सबसे बड़ी हैं. महावीर फोगट ने अपनी बेटियों को पहलवानी सिखाई और आज उनकी बेटियां गीता और बबीता अंतरराष्ट्रीय स्तर की कुश्ती चैम्पियन हैं. गीता और बबिता फोगट 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में महिला कुश्ती में भारत के लिए पदक जीत चुकी हैं.
मेडलिस्ट पेड़ पर नहीं उगते, उन्हें बनाना पड़ता है प्यार से, लगन से मेहनत से
री छोरिया छोरों से कम हैं के.
जीत का मंत्र। आमिर अपनी बेटी को जीत का असली मंत्र देते हैं। कि दुनिया हमेशा नंबर एक को याद रखती है….. दो पर कौन था ये कोई याद नहीं रखता।
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