Hostel Life
होस्टल लाईफ एक ऐसा अनुभव है जो हमारी भावी जिंदगी मे कदम रखने के लिए बहुत जरुरी है.अक्सर माता पिता यही चाह्ते हैं कि उनके बच्चे इस अनुभव से जरुर दो चार हो ताकि ना सिर्फ सही गलत की पहचान कर पाए बल्कि आत्मनिर्भर बनने की भावना भी आए.कुछ दिन पहले एक ऐसे ही होस्टल मे पढने वाले अनुज से मुलाकात हुई. वो बी ए मे पढ रहा था. पिछ्ले हफ्ते से अपने घर गया हुआ था. उसके मम्मी पापा ने बताया कि बहुत ज्यादा डिप्रेशन मे है. कारण ना तो रैंगिग है और ना ही उसे घर की याद आती है. असल मे, कुछ लडके उसके पीछे पडे रहते हैं और उसे शराब और सिग्रेट पीने को कहते है . उसे ऐसे संस्कार नही मिले इसलिए वो चाह्ता भी नही है पर वो लोग उसे जीने नही दे रहे. उसके कमरे के बाहर और कालिज मे भी हर जगह उसे शरीफ आदमी कह कर मजाक उडाते है. उन्ही की देखा देखी सभी ने हसंना शुरु कर दिया उसके उपर. अब ना तो उसका मन पढाई मे लगता है ना किसी दूसरे काम मे.
मैने भी उसे समझाया कि कुछ समय बाद सब ठीक हो जाएगा बस उनकी बातो को तूल ही मत दो. अपने मे मस्त रहो और पढाई करते रहो .जल्दी ही कोई ना कोई आप जैसा दोस्त मिल जाएगा. पर वो बिल्कुल मायूस हो चला था और कहने लगा कि अब या तो वो वहां शराब या सिग्रेट पीना शुरु कर देगा या फिर कभी वापिस होस्टल नही जाएगा. हम उसे समझा ही रहे थे कि उसके किसी दोस्त का फोन आया कि वही सात आठ दोस्तो का ग्रुप कल नदी किनारे घूमने गए हुए थे और खूब पी रहे थे. पीने के बाद नदी मे नहाने उतर गए पर खुद पर कंट्रोल नही रख पाए और तीन पानी मे बह गए. किसी तरह से आसपास के लोगो ने बचाया पर एक को नही बचा पाए. अभी तीनो बच्चे पुलिस कस्टडी मे हैं.
फोन सुनने के बाद वो सन्न होकर बैठ गया. आखो मे आसूं लिए उसने सारी बात बताई और कहा कि कि अब तो शरीफ इंसान का ठप्पा लिए ही वहा जाएगा और दूसरो को भी ऐसा ही बनने की प्रेरणा देगा. इसमे कोई बुराई नही. और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराता हुआ बोला, थैक्स !!! अब उसके चहेरे पर एक अलग ही आत्मविश्वास था.
माता पिता ने उसकी पीठ थपथपाई और हम सभी ने मिल कर उसे शुभकामनाए दी.
यकीनन जो बच्चा अब नही रहा उसके लिए बहुत दुख है पर वो भी कुछ बच्चो के लिए एक उदाहरण बन गया कि ऐसे बच्चो का हश्र क्या होता है. वाकई मे,जिंदगी मे सम्भलने के लिए होस्टल लाईफ के अनुभव से गुजरना बहुत जरुरी है.
Hostel Life
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