Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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October 11, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to be Happy – क्या करें कि हम खुश रहें – How to be Happy in Hindi – खुश कैसे रहें –

How to be Happy – क्या करें कि हम खुश रहें – How to be Happy in Hindi – खुश कैसे रहें – Monica Gupta – खुश कैसे रहे देखा जाए तो खुश रहना हमारा अधिकार है पर हमने खुद को ऐसा बना लिया कि खुश रहते ही नहीं… जबकि अगर खुश रहेंगें तो जिंदगी और आसान और खूबसूरत लगने लगेगी.. अब बात आती है कि खुश कैसे रहें ??

How to be Happy – क्या करें कि हम खुश रहें – How to be Happy in Hindi – खुश कैसे रहें –

तो मैं आपको इस बारे में बता रही हूं बहुत सिम्पल सिम्पल सी 9 बातें…

1.अपने आप को अपना लीजिए –  सबसे पहले उस व्यक्ति को खुश करिए जिसे आप हर रोज आईने में देखते हैं… यानि अपने आप को.. वो कैसे कि आप जैसे हैं उसे स्वीकार कीजिए… बॉडी लेग्वेज, स्माईल, आपकी habits, आपकी personality, आप कैसा दिखते हैं कैसा चलते हैं आपकी आवाज कैसी है आप सबसे खास हैं unique person हैं खुद को प्यार भी दीजिए और आदर भी कीजिए… खुद को एप्रीशिएट कीजिए.. जब भी शीशे में देखें .. अरे वाह !! आज तो ठीक ठाक से लग रहे हो… !! You’re awesome  जब आप खुद की value समझ जाएगें तो आप मे confidence भी आएगा और आप खुशी वाली जिंदगी भी जीएगें

2.अपनी पूरी body को खुश रखिए… वो खुश कब रहेगी वो खुश तभी रहेगी जब हम तीन बातों का ख्याल रखेंगें

exercise

खानपान

नींद

2. अच्छी exercise करेंगें,  healthy diet लेंगें और नियमित यानि regular sleep लेंगें.. ये चीजे हमे खुश रहने में बहुत बड़ा सहयोग करते हैं जैसा कि हम सभी जानते है कि हमारा शरीर कई रसायनों का घर है। कुछ रसायन खुशी, उत्साह और प्रेरणा देते हैं, जैसा कि एंडोर्फिन हार्मोन – व्यायाम करना नई मांसपेशियों के साथ एंडोर्फिन हार्मोन को सक्रिय करता है जिससे हमारा मूड बेहतर होता है.. exercise causes the brain to release chemicals called endorphins that elevate our mood. ऐसी ही अच्छी और पौष्टिक डाईट हमे उर्जा देती है unhealthy diets अलग अलग बीमारियां देती हैं जैसा कि diseases like depression और अच्छी नींद जिस दिन हम नहीं लेते सारा दिन कैसा सुस्त सुस्त सा निकलता है तो नींद, खाना और कसरत खुश रहने में बहुत बड़ा फेक्टर है..

  1.  अपने thoughts को बदलिए आमतौर पर हमारी tendency होती है कि negative experiences नेगेटिव बातों को बहुत ध्यान रखते हैं और positive भूल जाते हैं – तो पुरानी traumas बातों को जख्म को भूल कर नई शुरुआत कीजिए…

पर हम aware रह कर अपने नेगेटिव विचारों को दूर कर सकते हैं… मन में पॉजिटिव विचार ही लाएं…जो बीते पुराने कडवे अनुभव थे उन्हें भूलना है.. और जो आज है उसके नए और अच्छे अनुभव खोजिए… और याद भी रखिए…

Meditate  करके योगा करके भी हम मन को कंसट्रेट कर सकते हैं…

या फिर जो भी पॉजिटिव या अच्छी बात हुई है उसे सहेज कर छोटी छोटी बातों को सहेज कर एक यादगार experiences बना कर… उसकी वीडियो बना कर या फोटो क्लिक कर के कि ये अनुभव बहुत यादगार रहा..

असल में, नेगेटिव और पॉजिटिव दोनो हमारे दिमाग में चलता रहता है..हम जिसे ज्यादा खुराक देंगे वही फलता फूलता है अगर नेग़ेटिव विचारों को खुराक देंगें तो वो भारी हो जाएगें… और ये खुश नहीं रहने देंगें…

4. Determine your core values. जो आपकी जिंदगी की प्राथमिकताएं हैं सिदांत है उसके हिसाब से डिसीजन लीजिए… क्योंकि वो ही आपकी core values हैं.. जैसे एक आदमी कहता है कि मैं अपने परिवार के प्रति समर्पित हूं, उनकी देखभाल करना चाह्ता हूं पर वो चला गया दूसरे शहर नौकरी करने तो उसे वहां चिंता रहेगी घर की.. तो काम वही करें जो दिल से करना चाहते हैं तभी असली खुशी मिलेगी.. अगर परिवार की देखभाल करना चाह्ते हैं तो वही आसपास ही कुछ तलाश करना चाहिए… या काम के प्रति पूरी तरह से समर्पित हूं.. या जो भी काम कर रहा हूं उसे बहुत अच्छे तरीके से करु… जो काम करें उसे खुशी खुशी करें..

5. अपने लिए meaningful goal Set कीजिए… core values के हिसाब से अपने गोल सेट कीजिए.. realistic हों action-oriented भी हों जो हो सकता है जितना हो सकता है उस हिसाब से…

6. आशावादी बनिए –  अपनी सोच आशावादी रखिए – सोच पॉजिटिव रखिए पर Blind optimism” भी नहीं होना चाहिए कि जैसे मान लीजिए एक लॉटरी की टिकट खरीदी और बस ये तो मेरी ही आएगी… swimming नहीं आती फिर भी मैं तो तैर सकता हूं इससे खुद को नुकसान भी हो सकता है… और ये भी नहीं होना चाहिए या जैसे ये तो मुझसे हो ही नहीं पाएगा तो मैं कोशिश भी नहीं करता.. ये भी गलत है मेहनत तो करनी ही चाहिए.. Visualize your “best possible self.” जो खुद को लगे कि मैं ये बहुत बेहतर तरीके से कर सकता हूं वो करना चाहिए दूसरे कर रहे हैं इसलिए नहीं… This is an exercise that has been shown to increase your feelings of happiness and well-being

7. Attitude  of gratitude. हमारा attitude हमेशा आभार thanks वाला होना चाहिए.. हमेशा धन्यवादी… सबसे अच्छा gratitude रवैया है.. जैसे सुबह उठे तो भगवान का धन्यवाद देना कि धन्यवाद भगवान !! उठने के बाद कल जो अच्छा हुआ था उसे लिखा.. कल जब मैं आफिस गया तो पार्किंग में एक दम से जगह मिल गई.. कल बॉस ने मेरे काम को सराहा… ऐसा याद करने से या लिखने से हमें खुशी महसूस होगी और इसी बहाने नेगेटिव विचारों से भी छुटकारा मिल जाएगा.. अच्छा न सिर्फ लिखना है बल्कि उसे अपने दोस्तों के साथ शेयर भी करना है… और अगर उनकी भी कोई बात अच्छी लगे उसे भी एप्रीशिएट जरुर करना है… पता है कल जब आपने मुझे लिफ्ट के लिए पूछा तो मुझे बहुत खुशी हुई… इससे आपके दोस्त को भी खुशी होगी…

अगर हमने इसे अपनी आदत बना लिया इस तरह से लिखने का तो  anxiety और depression कम हो जाएगा और हमें ज्यादा  positive रहेंगें और रिश्ते भी मजबूत बनेगें… इससे हमारी खुशी की भावना भी बढती है..

8.  जो काम हम कर रहे हैं उसी के साथ साथ एक अपनी पसंद का काम और शुरु कर देना चाहिए जिसे हॉबी बोलते है.. उसे करना चाहिए  दिनभर थक जाने के बाद उसे करना रिलेक्स करता है जैसे एक महिला सारा दिन आफिस में बिजी रहती है पर शाम को घर आकर नहा कर वो आधा घंटा म्यूजिक जरुर सुनती है.. उससे वो रिलेक्स हो जाती है सारा तनाव चला जाता है… ये हमारे उपर है कि हमे क्या पसंद है… जिसे देख कर हम बोल उठे वाव .. अरे वाह.. यानि वो चीज हमे बहुत पसंद है… मान लीजिए एक हाउस वाईफ है उसे सारा दिन फुर्सत ही नहीं मिलती पर समय निकाल कर वो दिन में एक झपकी जरुर लेती है उससे वो आधे दिन के लिए काम करने के लिए तैयार हो जाती है… Push yourself out of your comfort zone.और इसके लिए कई बार अगर हमें अपने कम्फर्ट जोन से बाहर भी निकलना पडे तो निकलना चाहिए.. जैसे एक महिला को स्कूटी चलाने काम मन तो है पर डर लगता है.. अब उनके पास दो ऑप्शन हैं कि सारी उम्र ऐसे ही डरते हुए निकाल दे.. या फिर एक बार कम्फर्ट जोन से बाहर निकल कर कि चलो मैं देखती हूं… और प्रयास करे… तो खुशी किसमे होगी.. एक महीने बाद वो खुद पर ही हसेंगी कि ऐसा तो कुछ भी नहीं था मैं तो फालतू ही डरती थी और बच्चों को सीखने के लिए प्रेरित करेगी…

9. पॉजिटिव relationship – अपना सम्बंध अपने परिवार और दोस्तों में अच्छा बनाईए… मतलबी ना हो कर केयरिंग होईए… उनके साथ समय बिताईए..

बेवक्त घर जाऊंगा सब चौक पडेगें एक अरसा हुआ दिन में कभी घर को नहीं देखा…

तो समय निकालिए..  जिनके लिए काम कर रहे है. कमा रहे हैं उन्हे ही समय नहीं देंगें तो कैसे बात बनेगी?? नए नए दोस्त भी बनाईए.. जो आपको लगता है कि मेरे विचार इनसे मेल खाते हैं…और जब बात conversation करें तो बात का मतलब हो.. ऐसे नहीं कि कुछ भी बोल दिया… कई बार कुछ भी बोलने से रिश्ते खराब हो जाते हैं इसलिए जब भी बोलिए सोच समझ कर…

वो कहते भी हैं ना कि जब भी बोलिए वक़्त पर बोलिए, मुदत्तो सोचिए मुक्तसर बोलिए.Focus on people not on things..

  1. दयालु बनिए.. किसी को मदद की जरुरत है तो जरुर मदद कीजिए… बहुत खुशी मिलती है.. एक बार हम दिल्ली गए हुए थे.. एक पता नहीं मिल रहा था बार बार एक कॉलोनी में चक्कर लगा रहे थे.. एक आदमी शायद घर से देख रहे होंगें तो वो बाहर आए और पूछ्ने लगे.. जब हमने बताया कि आधे घंटे से चक्कर लगा रहे है तो उन्होने अपनी मोटर साईकिल निकाली और बोले आप मेरे पीछे आई.. और दो मिनट में हमें वहां पहुंचा दिया.. हमने उनका बहुत धन्यवाद किया और अब क्या होता है कि जैसे घर की घंटी बजती है कोई पता पूछ्ता है… कई बार होता है कि नहीं हमे नहीं पता पर अब कोशिश रहती है कि उसे सही गाईड कर दे… इस तरह से हम समाज को खूबसूरत रहने लायक जगह बना सकते है..

11. जाने दो माफ करो..माफ कर दीजिए.. कोई बात न दिल में रखिए न दिमाग में बस किसी की गलती हुई माफ कर दीजिए.. कई बार हमें लगता है कि हम माफ क्यों करें तो इस बात का ख्याल रखिए कि हम अपने लिए कर रहे है दूसरे के लिए नहीं… हम गुस्सा रहेंगें बीपी बढेगा तनाव होगा तो उससे क्या होगा… वैसे, बेशक, मुश्किल है किसी को माफ करना पर जिसने माफ करना सीख लिया उसने खुश रहना सीख लिया..

कामयाब इंसान खुश रहे न रहे पर खुश रहने वाला इंसान कामयाब जरुर होता है…

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