How to Overcome School Phobia – जब बच्चा स्कूल न जाना चाहे तो पैरेंट्स क्या करें – बहुत सारे पैरेंट्स के मैसेज आते हैं कि बच्चा छोटा है स्कूल नही जाना चाहता … क्या करें … क्या ये वाकई में फोबिया है या हम बना लेते हैं . वैसे देखा जाए जितनी गम्भीर समस्या हम मान लेते हैं उतनी होती नही … हम सभी इस स्टेज से गुजरें हैं .. !!
How to Overcome School Phobia – जब बच्चा स्कूल न जाना चाहे तो पैरेंट्स क्या करें
चलिए एक बात आपसे पूछ्ती हूं मान लीजिए एक मदर यह कहती है … अच्छा है स्कूल जाना शुरु करेगा … आराम मिलेगा मुझे …जब टीचर सम्भालेगी इसे .. तब पता चलेगा.. सारा दिन मेरा दिमाग खराब करके रखता है .. और बच्चा अपनी मम्मी की बात सुन रहा है …
वहीं एक मदर कुछ नही कहती बस उसकी आखें छ्लछ्ला गई कि बच्चा स्कूल जाएगा … उससे दूर हो जाएगा … और अपने बच्चे को जोर से गले लगा लेती है … तो कौन सी मम्मी सही लगी ??
दोनों ही सही नही हैं .. दोनों जाने अंजाने अपने बच्चे के मन में नेगेटिव बात भर रही हैं.. छोटे से बच्चे के मन में पहले से ही डर बैठा रही हैं … इसलिए ना तो ये कहना चाहिए कि बच्चा चला जाएगा तो हम आराम करेगें या मैं तो रोऊंगी …
इसलिए जब बच्चा पहली पहली बार स्कूल जाना शुरु करें तो उसे घर का बहुत अच्छा माहौल दें … बातों बातों में उसे तैयार करें स्कूल के लिए
बहाने बनाना बच्चों की आदत होती है आप अपना सोचिए आप पैरेंट्स क्या करते थे बचपन में … क्या आराम से चले जाते थे … क्या बहाना बनाते थे … मैं भी बनाती थी पेट दर्द का बहाना … और वजह मेरे पैरेंट्स को पता थी मैं तब बनाती थी जब अखबार वाला मैगजीन डाल जाता था जैसे कि लोटपोट अगर आई है तो पेट दर्द हो जाता था … और किताब हाथ मे लेते ही दर्द गायब हो जाता ..
वजह जानिए
तो अब जरुरत किस बात ही है ?? जरुरत है कि कारण समझिए कि बच्चा स्कूल किसलिए नही जाना चाहता … किसलिए रोता है ..एक मम्मी से बात हो रही थी उन्होने बताया कि उनका बेटा रात को आराम से सोता पर सुबह जब उठाती तो और तैयार करती तो बहुत रोता बहुत ज्यादा रोता … दो दिन स्कूल नही भेजा और बातों बातों में पता लगा कि एक बच्चा हमेशा उसे च्यूंटी मारता है धक्का देता है इसलिए वो नही जाना चाहता फिर वो स्कूल गई बच्चे से बात की .. बच्चे की मम्मी से बात की उन्हें अपने घर बुलाया दोनो बच्चे अच्छे दोस्त बन गए … और उनका बेटा स्कूल जाने लगा … कहने का मतलब यही है कि हर समस्या का हल है हमारे पास …
क्लास टीचर से खुल कर बात करें
अकसर पैरेंट्स में भी कॉम्प्लेक्स आ जाता है कि टीचर अंग्रेजी बोलती है हम बात नही कर पाएग़ें … वो भी इस बात को हौव्वा समझ लेते हैं… अपने अंदर से ये भावना हटाईए और बच्चे के भविष्य के लिए टीचर से खुल कर आत्मविश्वास के साथ बात करें …
स्कूल में होने वाली अच्छी अच्छी बातें बताएं … स्कूल के प्रति उत्साह बनाईए कि गेम्स होते हैं खूब सारे दोस्त होते हैं … खूब खेलने को मिलेगा … टीवी भी है मेम कहानियां सुनाती हैं.. पिकनिक पर ले जाते हैं आदि आदि
शुरु शुरु में ही दवाब नही बनाएं प्यार से हैंडल करें … कई माता पिता क्या कहते हैं कि स्कूल नही जाएगा तो कहीं चपरासी का काम करेगा या ऐसे डराते हैं जोकि बिल्कुल गलत है
बच्चे से बात करें उसके स्कूल के दोस्तों के बारे में बात करें और दोस्तों को घर भी बुलाएं ताकि बच्चे आपस में घुलमिल जाएं
बच्चे की कमजोरी को हावी न होनें दें… कई बार बच्चा मोटा होता है या तोतला बोलता है किसी को चश्मा लग गया, किसी का रंग सांवला है बच्चे उन्हें छेडते हैं ये भी वजह हो सकती है… इस बात को भी ईशू न बननें दें … टीचर को भी बोले कि स्कूल में उसका खास ख्याल रखें
स्कूल न मतलब सिर्फ पढाई और होमवर्क नही है उसे खेलने भी दें … उसके लिए स्कूल जेल न बनाएं …
वो कुछ भी छोटा से छोटा काम करके आएं तो उसे शाबाशी दीजिए … पीठ थपथाईए
थोडा समय दीजिए बच्चे को नई जगह जाकर कर एडज्स्ट होने में … आपके प्यार और दुलार से बहुत जल्द वो दिन भी आएगा जब वो खुशी खुशी स्कूल जा रहा होगा …पैरेंट्स को थोडी पैशेंस खुद भी रखनी होगी …
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