Monica Gupta

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June 4, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Stop Overthinking – ज्यादा सोचना कम कैसे करे – How to Stop Overthinking Things – Monica Gupta

How to Stop Overthinking – ज्यादा सोचना कम कैसे करे – How to Stop Overthinking Things – Monica Gupta – आज मैं बात कर रही हूं Overthinking की…देखिए सोचना गलत नही है.. सोचेगें नही तो कैसे बात बनेगी…  पर जब बात आती है ज्यादा सोचने की तो वो गलत है.. देखिए.. प्रकृति के भी कुछ नियम हैं जैसा कि  खाना जो हम खाते हैं, एकाध दिन के अंदर शरीर से बाहर निकल जाना चाहिए, वरना हम बीमार हो जायेंगे… पानी जो हम पीते हैं, दो-चार घण्टे के अंदर शरीर से बाहर निकल जाना चाहिए, वरना हम बीमार हो जायेंगे…  हवा जो हम सांस लेते हैं, कुछ सेकण्ड में ही वापस बाहर निकल जानी चाहिए, वरना हम मर ही जायेंगे…. लेकिन कुछ नकारात्मक बातें जैसे कि ज्यादा सोचना , गुस्सा, ईर्ष्या आदि उनका क्या ?? अपने अंदर दिन, महीने और सालों तक रखे रहते हैं…

How to Stop Overthinking – ज्यादा सोचना कम कैसे करे – How to Stop Overthinking Things

उससे हमारी पूरी बॉडी पर दिल और दिमाग पर बुरा असर पड सकता है.. देखिए पहले मैं ये बताती हू कि कैसे ?

मोबाइल का कितना वजन होता है.. पता ही नही लगता पर जब ह्म किसी बात करने लगे.. दस मिनट आध घंटा तो हम हाथ बदल लेते हैं.. थक जाते हैं….. वैसे कुछ भी वजन नही होता उसका पर जहां कोई बोल रखे हैं दस या 15 मिनट से कभी हाथ दर्द होना शुरु हो जाता था…

बस यही होता है… कोई चीज ज्यादा देर तक पकडे रखेंगे तो यही होगा.. दर्द होने लग जाएगा… ऐसे ही ओवर थिंकिग है ज्यादा सोचते रखेंगे तो हमारे शरीर पर नेगेटिव असर पड सकता है..

तो क्या करें.. कैसे झटके.. मैं कुछ बातें बता रही हूं..

How to Stop Overthinking

सबसे पहले मन पक्का कर लीजिए.. कि मुझे इससे दूर रहना ही है.. ज्यादा नही सोचना क्योकि ये मेरे लिए मेरी सेहत के लिए सही नही है…

फिर अपने अच्छे दोस्त बन जाईए… दोस्त बनने के बाद मन में पक्का निश्चय कर लीजिए कि अब मेरा पक्का दोस्त मेरे साथ है कि मैंने इसे अपने ऊपर हावी नही होने देना.. ये मन पर जब भी हावी होंगें मैं इसे झटकने की कोशिश करुंगा.. मैं भी देखता हूं कि कैसे लम्बे समय तक रहेगा…

अवेयर रखिए – अब दिमाग को विचारों के प्रति बिल्कुल अवेयर यानि सचेत रखना है.. जब कोई बात मन में बैठ ही जाती है.. तो सोचिए कि क्या ये मेरे काम का है या नही.. इसे सोचने का फायदा है भी या मेरा टाईम वेस्ट है.. अगर लग रहा है कि नही ऐसी बात तो नही है.. फालतू बात है तो झटक दीजिए और अगर लगता है कि मैं परेशान हो रहा हूं ये बात बहुत परेशान कर रही है तो बात कीजिए… यानि एक्शन लीजिए.

एक्शन लीजिए..  किसी ने मेरे बारे में कुछ कहा और मैं बस चुपचाप बैठी सोच रही हूं उसने कहा उसने किसलिए कहा.. अब क्या होगा… जबकि क्या करना चाहिए एक्शन लेना चाहिए कि जाकर उसी से बात करुं कि आपने ये बात कही इसमें कहा तक सच्चाई है… मान लीजिए आफिस में बोस ने किसी के लिए कहा कि वो काम अच्छा नही करता.. और उसने वो बात पहुंचा दी.. अब डर डर के काम करेगे .. हर समय सोचेगे… बेहतर है कि खुद बॉस के पास जाकर बात कीजिए कि सर बताईए कहां कमी है मेरे काम में…

मन मे रहने नही देना चाहिए.. निकाल देना चाहिए… गुस्से को नेगेटिव विचार को मन में नही रहने देना चाहिए… हल निकाओ.. गुस्सा रिलीज करो… भडास निकाल दो… पानी हमेशा बहता हुआ ही शीतल होता है जहां ठहर जाता है वहां बदबू आने लगती है…

अपना चैनल बदल दीजिए.. रिमोट आपके पास है.. इसमें एक बात और भी कर सकते हैं जब बहुत ज्यादा विचार आए जा रहे हैं आए जा रहे हैं तो… अपना ध्यान बंटा लीजिए.. कुछ भी ऐसा कीजिए कि वहां से मन हट जाए..

एक मेरी सहेली बता रही थी जब भी उसे ऐसा लगता है तो वो बच्चों के साथ जाकर बैठ जाती है.. और उनके साथ खुद को बिजी कर लेती है ताकि ध्यान हटे… और भी कुछ काम कर सकते हैं जैसे मान लीजिए चिडिया के लिए पानी रखिए.. पौधे को पानी दीजिए… योगा, मैडिटेशन छोटे छोटे काम कीजिए.. ध्यान भी हटेगा और खुशी भी मिलेगी..

फोन कीजिए.. वीडियो गेम खेलिए.. कुछ भी ऐसा की आपका ध्यान हट जाए..

एक बात और इसमे जरुर होनी चाहिए या तो हम अपनी बात किसी से शेयर न करें… और अगर शेयर करें तो वो बहुत सिंसेयर हों… क्योकि हमने शेयर कर ली और दोस्त… बार बार वही बात दोहराने लगते हैं..

मान लीजिए एक कपल है एक बार उनकी आपस में लडाई हुई तो पनी ने अपनी सहेली को बता दिया और उसके बाद उनका पैच अप भी हो गया.. पर सहेली जब भी मिलती हैं हा भई सब ठीक तो है ना.. इतना ही नही उसने अपने सर्किल में भी बता दिया.. सब उसे दूसरी निगाह से देखते हैं हालाकि लडाई तो हर घर में होती है पर वहां मसाला मिल गया… तब बहुत लडाई हुई थी.. तब ये हुआ था…

इसलिए जरुरी है कि हमारे दोस्त अच्छे हों… जो हमारी इस आदत को कम करने का प्रयास करें ना कि और बढावा दें..

और अगर समझ नही आ रहा तो आजकल नेट पर बहुत तरह की वीडियोज हैं साहित्य है.. वो पढिए उससे मन रिलेक्स होगा…

एक बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि भविष्य में क्या होगा कोई नही जान पाया.. जब पता ही नही तो सोच सोच कर किसलिए परेशान होना है जब कोई बत होगी तब सामना कर लेगें.. आज किसलिए खराब करें सोच सोच कर…

देखिए जब हम बहुत ज्यादा सोचने लगते हैं तो अच्छे विचार तो कभी नही आते.. हमेशा नेगेटिव ही आते हैं तो पॉजिटिव सोचिए बातो को लाईटली लीजिए.. और वैसे ही सोचिए… और काम भी ऐसे करिए कि आप खुश रहें…

फिर बात आती है अपना ख्याल रखिए… अच्छी नींद, अच्छा खाना पीना सैर बहुत जरुरी है… मन को फ्रेश रखना बहुत जरुरी है…

प्रकृति के भी कुछ नियम हैं जैसा कि  खाना जो हम खाते हैं, एकाध दिन के अंदर शरीर से बाहर निकल जाना चाहिए, वरना हम बीमार हो जायेंगे

पानी जो हम पीते हैं, दो-चार घण्टे के अंदर शरीर से बाहर निकल जाना चाहिए, वरना हम बीमार हो जायेंगे।

हवा जो हम सांस लेते हैं, कुछ सेकण्ड में ही वापस बाहर निकल जानी चाहिए, वरना हम मर ही जायेंगे

लेकिन कुछ नकारात्मक बातें

जैसे कि घृणा, गुस्सा, ईर्ष्या आदि उनका क्या ??

अपने अंदर दिन, महीने और सालों तक रखे रहते हैं

यदि इन नकारात्मक विचारों को समय-समय पर अपने अंदर से नहीं निकालेंगे तो एक दिन निश्चित ही हम मानसिक रोगी बीमार हो  जायेंगे जरुर सोचिएगा ..

 

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