कड़वी बात – सोच समझ कर बोलें – आमतौर पर किसी को भी अन्धा, बहरा या पागल बोल देते हैं जबकि ऐसे कडवे बोल बोलने से सौ बार सोचना चाहिए क्योकि अपने बोल से लोग या तो दिल में उतर जाते हैं या दिल से उतर जाते हैं …
कड़वी बात – सोच समझ कर बोलें
कड़वी बात – आज एक जानकार बता रही थी कि वो handicapped हो गई है… अरे !!! फिर मैने ध्यान उसे देखते हुए पूछा अरे कब , कहां और कैसे. तुमने तो बताया भी नही … इस पर उसने मुझे ही पागल करार देते हुए कहा कि अरी पगली वो वाला handicapped नही बल्कि दूसरे वाला !!!दूसरे वाला मतलब ???
तब उसने बताया कि जहाँ उसने नया घर बनाया है वहां मोबाईल नेट वर्क नही है इसलिए बिना नेट के handicap बराबर ही है. अभी तक तो सडक नही थी सडक तो बन रही है पर नेटवर्क न होने की वजह से handicap हो गए हैं …
हे भगवान !! ऐसी कैसी मानसिकता है ये … कितनी सहजता से handicap शब्द का यूज कर लिया … बिना पीडा जाने कि handicap लोगों को किस दर्द से गुजरना पडता है … इसी बात पर मुझे बहुत पहले पढी एक कहानी याद आ गई…
एक आदमी मंदिर जाता है और भग्वान के सामने खडा होकर रोने लगता है भगवान दर्शन देते हैं और पूछते हैं तो वो बताता है कि उसे आपके कुछ भी नही दिया …
मेरा एक दोस्त इतना अमीर है और दूसरा उससे भी ज्यादा पर मेरे पास तो कुछ भी नही …. भगवान बोलते है कि क्या तेरे पास कुछ नही वो बोलता है नही कुछ नही … इस पर भगवान बोलते हैं कि ठीक है तुम एक काम करो अपने दोनो पैर मुझे दे दो और एक लाख ले लो इस पर वो बोलता है कि अरे नही पांव ही ले लिए तो … चलूगां कैसे … कुछ और … भगवान बोलते हं कि ठीक है दोनो हाथ दे दो और दो लाख ले लो … वो फिर कहता हि कि अरे नही हाथ ही नही रहे तो काम कैसे करुगा …
कड़वी बात – सोच समझ कर बोलें
इस पर भगवान बोलते हैं ठीक है अपनी दोनों आखें दे दो… तो वो बोलता है कि आप भी कमाल करते हो … आखें नही रहेंगी तो मुझे दिखेगा कैसे … ???
भगवान कहते है कि तेरे पास लाखों का शरीर है फिर भी तू रो रहा है मैने तुझे कुछ नही दिया …
वो माफी मांगता है कि मैं जो अनमोल चीजे दी हैं उनका सही इतेमाल करुगा और कुछ बन कर दिखाऊगा … असल में जो हमारे पास है हम उसकी वेल्यू नही करते … और ऐसी बात बोलते हैं जो नही बोलनी चाहिए …
जो हमारे पास उसकी कद्र करनी चाहिए सोच समझ कर बोलना चाहिए ऐसी बात बोले जिससे दिल न दुखे
कड़वी बात – सोच समझ कर बोलें – के बारे में आपके क्या विचार हैं ??
प्रशंसा करना – अगर कोई हमारी प्रशंसा न करे तो – Monica Gupta
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